आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: 15 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 15 April 2020

1. प्रधानमंत्री ने देशव्यापी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की

देशभर में जारी कोरोना कहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ाने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू 21 दिन के लॉकडाउन का प्रथम/वर्तमान चरण 14 अप्रैल समाप्त हो रहा था। प्रधानमंत्री ने कहा अगर भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो कोरोना को रोक पाना मुश्किल हो जाता।

  • हालांकि पीएम ने कहा कि 20 अप्रैल के बाद कुछ सीमित क्षेत्र में सशर्त सीमित छूट दी जा सकती है। जो क्षेत्र इस अग्निपरीक्षा में सफल होंगे, जो हॉटस्पॉट में नहीं होंगे और जिनके हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका भी कम होगी, वहां पर 20 अप्रैल से कुछ जरूरी गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है।
  • प्रधानमंत्री ने इस संबंध में राज्यों के साथ अपनी चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि सभी का यही सुझाव है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए। कई राज्य तो पहले से ही लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम धैर्य बनाकर रखेंगे, नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना जैसी महामारी को भी परास्त कर पाएंगे।’’ उन्होंने इसके लिए 7 बातों का पालन करना जरूरी बताया है –
  • i)   घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें
  • ii)  लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें
  • iii) अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए गर्म पानी, काढ़ा आदि का सेवन किया जा सकता है।
  • iv) संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद करने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ‘एप’ डाउनलोड करें
  • v)  गरीब परिवार की देखरेख करते हुए उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें
  • vi) अपने साथ काम कर रहे लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें
  • vii) देश के कोरोना योद्धाओं (डॉक्टर, नर्स, पुलिस, मीडियाकर्मी) का पूरा सम्मान करें

2. कोविड-19 की चुनौतियों से निबटने के लिए आईयूएसएसटीएफ की ओर से भारत अमेरिका के बीच वर्चुअल नेटवर्क बनाने की पहल

भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) ने कोविड-19 की चुनौतियों से निबटने के लिए एक ऐसा वर्चुअल नेटवर्क बनाने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं जिनके माध्यम से दोनों देशों के वैज्ञानिक और इंजीनियर अपने देशों में उपलब्ध बुनियादी ढाँचे और वित्तपोषण सुविधा की मदद से कोविड-19 से संबधित अनुसंधान के लिए मिलकर काम कर सकेंगे।

  • ये प्रस्ताव ऐसे होने चाहिए जो कोविड-19 से संबंधित महत्वपूर्ण चुनौतियों से निबटने के लिए किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों में भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी के लाभों और मूल्यों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर सकें।
  • कोविड-19 जैसी वैश्विक चुनौतियां ऐसे वैश्विक सहयोग और साझेदारी की मांग करती हैं, जिनमें सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्यमियों को एक साथ लाया जा सके ताकि न केवल मौजूदा महामारी के संकट का समाधान तलाशा जा सके बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों से भी निबटने के तरीके खोजे जा सकें।
  • ऐसे समय में जब सारी दुनिया कोविड-19 जैसी  महामारी से जूझ रही है, यह जरूरी है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय एक साथ मिलकर काम करे और इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए संसाधनों को साझा करे। विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी नए टीकों, नए तरह के उपकरणों, नैदानिक उपकरणों और सूचना प्रणालियों के विकास के माध्यम से समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसीलिए आईयूएसएसटीएफ अपने दोनों देशों के बीच सहयोग की इस पहल को बढ़ावा दे रहा है।

भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ)

  • मार्च 2000 में भारत और  अमेरिका के बीच एक समझौते के तहत स्थापित आईयूएसएसटीएफ  दोनों देशों की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित एक स्वायत्त द्विपक्षीय संगठन है, जो सरकारों, शिक्षाविदों और उद्योंगों के बीच गहन संपर्क के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और नवाचार को बढ़ावा देता है। भारत का  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा अमेरिका का विदेश विभाग इसकी नोडल एजेंसियां हैं।

3. बी. आर. अम्बेडकर की जयंती

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की जयंती पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा,‘भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर मैं देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

  • उन्होंने कहा डॉ. आम्बेडकर ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जिसमें सामाजिक समरसता और समानता का वातावरण हो। अपने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन, समाज एवं राष्ट्र को समर्पित कर दिया। डॉ. आम्बेडकर ने भारत के लिए एक ऐसे प्रगतिशील और सर्व-समावेशी संविधान की रचना की, जो पिछले अनेक दशकों से, लोकतंत्र में देशवासियों की आस्था को बढ़ाता और मजबूत करता आया है।

बी. आर. अम्बेडकर

  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई रामजी सकपाल था। वे अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे- छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। भीमराव अम्बेडकर तीनों गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने वाले गैर कांग्रेसी नेता थे।
  • उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता था।
  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के आधुनिक निर्माताओं में से एक माने जाते हैं। उनके विचार व सिद्धांत भारतीय राजनीति के लिए हमेशा से प्रासंगिक रहे हैं। दरअसल वे एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के हिमायती थे, जिसमें राज्य सभी को समान राजनीतिक अवसर दे तथा धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाए।
  • एक वर्ग, रंग व जाति का व्यक्ति अपने आप को अन्य से श्रेष्ठ समझ संसाधनों पर अपना अधिकार जमाता है ऐसी स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अम्बेडकर द्वारा संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 14 से 18 में समानता का अधिकार का प्रावधान करते हुए समान अवसरों की बात कही गई ताकि यह समानता सभी को समान अवसर उपलब्ध करा सके और शोषित, दबे-कुचलों आगे सकें।
  • आंबेडकर का राजनीतिक कैरियर 1926 में शुरू हुआ और 1956 तक वो राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न पदों पर रहे। दिसंबर 1926 में, बॉम्बे के गवर्नर ने उन्हें बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया; उन्होंने अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लिया, और अक्सर आर्थिक मामलों पर भाषण दिये। वे 1936 तक बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे।
  • 1936 में, आम्बेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की, जिसने 1937 में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 13 सीटें जीती थी। आम्बेडकर को बॉम्बे विधान सभा के विधायक के रूप में चुना गया था। वह 1942 तक विधानसभा के सदस्य रहे और इस दौरान उन्होंने बॉम्बे विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया।
  • आम्बेडकर ने 15 मई 1936 को अपनी पुस्तक ‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ प्रकाशित की, जो उनके न्यूयॉर्क में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी। इस पुस्तक में आम्बेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की जोरदार आलोचना की थी।उन्होंने अछूत समुदाय के लोगों को गाँधी द्वारा रचित शब्द हरिजन  पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी निंदा की थी।

4. अटल नवाचार मिशन,नीति आयोग एवं एनआईसी ने संयुक्त रूप से ‘कोलैबकैड’ का किया शुभारंभ

अटल नवाचार मिशन, नीति आयोग और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी)  ने संयुक्त रूप से एक सहयोगपूर्ण नेटवर्क, कंप्यूटर सक्षम सॉफ़्टवेयर सिस्टम -कोलैबकैड लॉन्च किया है। यह 2डी ड्राफ्टिंग एंड डिटेलिंग से 3डी प्रोडक्ट डिजाइन करने वाला एक समग्र अभियांत्रिकी समाधान है।

  • इस पहल का उद्देश्य देश भर में अटल टिंकरिंग लैबोरेटरीज़ (एटीएल) के छात्रों को रचनात्मकता और कल्पना के मुक्त प्रवाह के साथ 3 डी डिजाइन बनाने और संशोधित करने के लिए एक शानदार मंच प्रदान करना है।
  • यह सॉफ्टवेयर छात्रों को पूरे नेटवर्क में डेटा तैयार करने और स्टोरेज और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए उसी डिज़ाइन डेटा का समवर्ती रूप से उपयोग करने में सक्षम बनाता है। यह भारत भर में स्थापित एटीएल बच्चों को उनके नवोन्मेषी विचारों और रचनात्मकता में निखार लाने का अवसर (यानी टिंकरिंग स्पेस) प्रदान करता है।
  • इसके अलावा, वर्तमान स्थिति के मद्देनजर, एटीएल कार्यक्रम ने देश भर के बच्चों की इजी-टू-लर्न ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘टिंकल फ्रॉमहोम’अभियानशुरू किया है ताकि वे खुद कोउपयोगी कार्यों में व्यस्त रखें। इस पहल का उद्देश्यबच्चों को स्वयं के प्रयासों से सीखने को प्रोत्साहित करते हुए उनकी रचनात्मकता और नवीनता में निखार लाना  है।
  • एआईएम ने डीईएलएल टेक्नोलॉजीज और लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी करके गेम डेवलपमेंट मॉड्यूल भी लॉन्च किया है। यह एक ऑनलाइन मंच है जहां छात्र घर से ही अभ्यास करते हुए अपनी सीखने की यात्रा शुरू कर सकते हैं। मंच के माध्यम से वे अपनी गेम बनाना सीख सकते हैं और उसे दूसरों के साथ साझा भी कर सकते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म छात्रों को ‘गेम प्लेयर’से ‘गेम मेकर’ में बदलने की परिकल्पना करता है।

क्या है कोलैबकैड?

  • यह एक स्वदेशी त्रिआयामी कंप्यूटर एडेड डिजाइन प्रणाली है जो उपयोगकर्ताओं (यूजर) को वर्चुअल 3डी स्पेस में विभिन्न प्रतिरूप (मॉडल) बनाने और शॉप फ्लोर के लिए इंजीनियरिंग ड्रॉइंग तैयार करने में मदद करती है। अत: यह स्मार्ट विनिर्माण के लिए एक सम्पूर्ण पैकेज है।
  • एनआईसी की कोलैबकैड प्रणाली के साथ एआईएम का सहयोग,छात्रों के लिए 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग करने हेतु 3 डी मॉडलिंग/स्लाइसिंग हेतु स्वदेशी, अत्याधुनिक मेड-इन-इंडिया सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने एक बड़ा मंच है।
  • एटीएल के लिए कोलैबकैड का कस्टमाइज्ड स्वरूप,स्कूली छात्रों के लिए उनके विचारों और रचनात्मकता को वास्तविक समाधानों में साकार करने की सर्वाधिक उपयुक्त विशेषताओं से युक्त है। इसे निर्बाध डिजाइनिंग सक्षम बनाने और इस प्रकाररचनात्मकता और नवीनता को सृजित होने की अनुमति देने के लिए विकसित किया गया है।

अटल नवाचार मिशन (एआईएम)

  • भारत सरकार स्कूलों के छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक्सपोजर प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि उन्हें भविष्य के प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों पर उजागर किया जा सके। सरकार ने नीति आयोग के तत्वाधान में 2018 में अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) की स्थापना की थी।
  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM) स्थापित करने का उद्देश्य वैज्ञानिक सोच पैदा करना और युवा मन के बीच जिज्ञासा और नवाचार की भावना को विकसित करना है । अटल इनोवेशन मिशन (AIM) स्कूलों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं (एटीएल) का नेटवर्क स्थापित करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • इस योजना का उद्देश्य युवा मन में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देना और माइंड-सेट, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, सीखने में अनुकूलन, भौतिक कंप्यूटिंग, तेजी से गणना, माप आदि के लिए उनमें कौशल पैदा करना है। इसके लिए कुल 14,916 स्कूलों का चयन किया गया है और जिसमें 3000 से ज्यादा स्कूलों को अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं (एटीएल) की स्थापना के लिए ग्रांट इन एड (Grant in aid) दिया गया है।

नीति आयोग (NITI Aayog)

  • नीति आयोग (National Institution for Transforming India) भारत सरकार का एक नीति थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और राज्य की भागीदारी को बढ़ावा देकर सहकारी संघवाद को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। आर्थिक नीति बनाने की प्रक्रिया में यह Bottom-Up दृष्टिकोण का उपयोग करता है
  • इसे 2015 में योजना आयोग के स्थान पर एनडीए सरकार द्वारा स्थापित किया गया था, जो एक Top – Bottom मॉडल का अनुसरण करता था। 1 जनवरी 2015 को नवगठित नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) को योजना आयोग के स्थान पर लाने के लिए एक कैबिनेट प्रस्ताव पारित किया गया था।
  • इसकी पहल में 15 साल का रोड मैप, 7 साल का विजन और 3 साल का एक्शन एजेंडा शामिल है।
  • अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री। शासी परिषद (Governing Council) में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ राज्य क्षेत्रों के उपराज्यपाल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, प्रमुख विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों से अस्थायी सदस्यों का चयन किया जाता है।
  • एक से अधिक राज्य या क्षेत्र को प्रभावित करने वाले विशिष्ट मुद्दों और आकस्मिकताओं का समाधान करने के लिए क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया जाता है।  ये एक निर्धारित अवधि के लिए गठित की जाती हैं।  क्षेत्रीय परिषदों की बैठक प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है और इसमें राज्यों के मुख्यमंत्रियों  या संघ राज्य क्षेत्रों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं।  इनकी अध्यक्षता नीति आयोग के अध्यक्ष या उनके उम्मीदवार द्वारा की जाती है।
  • पूर्णकालिक संगठनात्मक ढांचे में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के अलावा शामिल होते हैं:
  • i)   उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया किया जाता है
  • ii)  सदस्य: पूर्णकालिक
  • iii) पार्ट-टाइम सदस्य: अधिकतम 2 सदस्य अग्रणी विश्वविद्यालयों अनुसंधान संगठनों और अन्य संबंधित संस्थानों से
  • iv) अंशकालिक सदस्य
  • v)  प्रधानमंत्री द्वारा नामित किए जाने वाले केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम 4  सदस्य
  • मुख्य कार्यकारी अधिकारी : प्रधान मंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए भारत सरकार के सचिव के पद के समान ।

5. देश में मनाया गया बैसाखी, विशू, रगोंली विहू और पुथांडू

राष्टपति रामनाथ कोविंद ने बैसाखी, विशू, रगोंली विहू, नब वर्ष तथा पुथांडू के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।  ये त्यौहार देश के विभिन्न भागों में 13 व 14 अप्रैल, 2020 को मनाये गए हैं।

बैसाखी

  • बैसाखी का त्योहार एक फसल से जुड़ा त्योहार है जो पंजाबी समुदाय में कृषि के नव वर्ष का प्रतीक भी है। यह त्योहार खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी पकी हुई फसल के कटने की खुशी में मनाते हैं। खास बात यह है कि बैशाखी का पर्व सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी से भी जुड़ा हुआ है।  दरअसल, साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में बैसाखी के ही दिन खालसा पंथ की स्थापना भी हुई थी।

विशू

  • विशू पर्व मुख्य रूप से केरल का त्योहार है जो मलयालम कैलेंडर के नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। भारत के दक्षिणी राज्य का यह प्राचीनतम पर्वों में से एक है। यह पर्व धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व से जुड़ा हुआ है। एक ओर जहां इस पर्व को नए साल से जोड़ा जाता है तो वहीं दूसरी ओर इस दिन भगवान विष्णु जी की विशेष आराधना की जाती है।

रगोंली बिहू

  • बोहाग बिहू असम में मनाया जाना वाला एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगोली बिहू या हत बिहू भी कहते हैं। यह असमी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है यह फसल कटाई के समय को दर्शाता है। इस त्योहार के दौरान कई खेलों का आयोजन भी किया जाता है। जैसे बैलों की लड़ाई, मूर्गों की लड़ाई इत्यादि।

पुथांडू

  • पुथांडू का त्योहार तमिल लोगों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को तमिल नव वर्ष के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन तमिल कैलेंडर का पहला दिन होता है। तमिलनाडु के दक्षिण में कुछ लोग इस त्यौहार को चित्तिरै विशु के नाम से मनाते हैं।

6. राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई- नाम) ने पूरे किए 4 साल

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई- नाम) ने कार्यान्वयन के 4 वर्ष पूरे कर लिए हैं। पिछले चार वर्षों में ई- नाम की चक्रवृद्धि औसत विकास दर (CAGR) क्रमशः मूल्य और मात्रा के संदर्भ में प्रभावशाली 28% और 18% रही है।

  • ई-नाम पर व्यापार में सुविधा हेतु शुरुआत में 25 कृषि जींसों के लिए मानक मापदंड विकसित किये गए थे जो अब बढ़कर 150 कर दिए गए है।
  • ई-एनएएम मंडियों में कृषि उत्पाद की गुणवत्ता परीक्षण की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, जो किसानो को अपनी उपज की गुणवत्ता के अनुरूप कीमतें दिलाने में मदद करती हैं। वर्ष 2016-17 में गुणवत्ता जाँच के लॉट की संख्या 1 लाख से बढ़कर वर्ष 2019-20 में लगभग 37 लाख हो गई है।

ई-नाम (eNAM)

  • ई- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (Electronic – National Agriculture Market) कृषि विपणन में एक अभिनव पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है और कीमत में सुधार के इरादे से व्यापार लेनदेन में पारदर्शिता लाता है, गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए “एक राष्ट्र-एक बाजार”  की अवधारणा को विकसित करता है।
  • केंद्र सरकार द्वारा 14 अप्रैल 2016 में ई-नाम (eNAM) नामक पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसके तहत किसान अपने नज़दीकी बाज़ार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद के लिये मूल्य चुका सकते हैं।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई- नाम में अब तक देश के एक करोड़ 65 लाख से ज्यादा किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं और 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है तथा 415 अतिरिक्त बाजारों को भी जोड़ने की मंजूरी दी जा चुकी है जो जल्द ही ई-नाम मंडियों की कुल संख्या को 1000 तक ले जाएगा।
  • इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी होगी जिससे उचित मूल्यों का निर्धारण भलीभाँति किया जा सकता है तथा किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होगा।
  • ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 1.66 करोड़ से अधिक किसान और 1.28 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं। किसान ई-नाम पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं और वे सभी ई-नाम मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से इ -नाम के अंतर्गत बिक्री के लिए उपलब्ध लोट के लिए बोली लगा सकते हैं।

7. कोविड-19 पर विज्ञान आधारित वेबसाइट की शुरूआत

कोविड-19 के द्वारा देश में एक घातीय दर पर आघात होने का डर व्याप्त है, देश के वैज्ञानिक और इंजीनियर इस महामारी के सभी पहलुओं को समझने के लिए एक अनूठे स्तर पर सहयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में सार्वजनिक डोमेन में इस महामारी के वैज्ञानिक और तथ्यात्मक पहलुओं को लाने के लिए ‘कोविडज्ञान (CovidGyan)’ नामक एक बहु-संस्थागत, बहुभाषी विज्ञान संचार पहल का निर्माण किया गया है।

  • इस पोर्टल में नोवल करोनावायरस (सार्स-कोवी-2) का शुद्ध व्यवहार से लेकर कोरोना फ्लू की संचरण गतिशीलता, इसके खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाना, इसका डाइग्नास्टिक्स, अभिनव प्रौद्योगिकी, मुकाबला करने के लिए शारीरिक दूरी के मायने, और संचार के महत्वपूर्ण आकलन शामिल हैं।
  • •  यह पोर्टल 03 अप्रैल, 2020 को लाइव किया गया है। कोविडज्ञान नामक यह वेबसाइट कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए संसाधनों के संग्रह को एक साथ लाने में एक हब के रूप में भी काम करता है।  इसे और ज्यादा बहुमुखी बनाने के लिए इसमें कई भारतीय भाषाओं में सामग्रियां उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
  • विदित है कि ये संसाधन, भारत में जन समर्थित अनुसंधान संस्थानों और संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पन्न होते हैं। यहां से प्राप्त सामग्री, रोग और इसके संचरण की सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक समझ पर निर्भर करती है।
  • सूचना का एक प्रामाणिक स्रोत होने के अलावा, इस वेबसाइट का प्रारंभिक उद्देश्य जन जागरूकता उत्पन्न करना और इस बीमारी के लिए समझ और इसको कम करने के लिए संभावित साधनों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है। इसके अलावा, यह कोविड-19 के संबंध में सूचनाओं के भंडार के रूप में सहायता भी करेगा।
  • इसे सही जानकारी’ प्रदान करने के लिए बहुआयामी पहलुओं के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिसमें प्रख्यात वैज्ञानिकों के साथ ऑडियो/ पॉडकास्ट प्रारूपों, इन्फोग्राफिक्स, पोस्टर, वीडियो, एफएक्यू और मिथबस्टर के माध्यम से बातचीत और यहां तक कि वैज्ञानिक पत्रों के लिंक को भी शामिल किया गया है।

किसने शुरू की ये पहल?

  • ये पहल, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) के मौलिक विचार है।
  • इस महान प्रयास में कई अन्य प्रमुख सहयोगी शामिल हो चुके हैं, जैसे कि विज्ञान प्रसार, इंडिया बायोसाइंस और बैंगलोर लाइफ साइंस क्लस्टर (बीएलआईएससी), जिसमें इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन (इंस्टेम), सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफ़ॉर्म (सी-कैम्प) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) भी शामिल हैं।

8. अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे धार्मिक भेदभाव पर जताई चिंता

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाली अमेरिकी आयोग (USCIRF –  United States Commission on International Religious Freedom) ने पाकिस्तान में कोविड-19 के फैलते प्रभाव के बीच हिंदुओं और ईसाइयों को दी जाने वाली खाद्य सहायता में हो रहे भेदभाव को लेकर आपत्ति जताई है।

  • पाकिस्तान में गैर इस्लामिक धर्मावलंबियों के साथ दुर्व्यहार और उन्हें प्रताड़ित करने के मामले पहले भी आते रहे हैं लेकिन कोविड-19 के फैलते प्रभाव के बीच किसी व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के चलते उसे भूखा रखा जाए यह निंदनीय है।
  • पाकिस्तान में हिंदू समुदाय वैसे भी आबादी का बहुत छोटा हिस्सा है वह भी बड़े पैमाने पर भेदभाव का शिकार है। कई बार उसे बुनियादी मानवाधिकारों से भी उसे वंचित रखा जाता है। यूएससीआईआरएफ ने कराची से मिली रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वहां के सेलानी वेलफेयर इंटरनेशनल ट्रस्ट नाम के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने हिंदुओं और ईसाइयों को खाद्य सहायता देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि वह सिर्फ मुस्लिमों के लिए आरक्षित है।
  • आयोग की कमिश्नर अनुरीमा भार्गव ने कहा, ‘ये हरकतें निंदनीय और चिंता वाली हैं।’ उन्होंने कहा कोरोना तेजी से फैल रहा है, ऐसे में पाकिस्तान के भीतर कमजोर और अल्पसंख्यक समुदाय भूख से लड़ रहे हैं और अपने परिवारों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए परेशान है। किसी के धार्मिक विश्वास के कारण खाद्य सहायता से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।
  • आयोग ने पाकिस्तानी सरकार से कहा कि वह चाहते हैं कि पाकिस्तान ये सुनिश्चित करे कि खाद्य सहायता देने वाले संगठनों द्वारा हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों के साथ भोजन को समान रूप से साझा किया जाए।

अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग

  • अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF – United States Commission on International Religious Freedom) एक सलाहकार और परामर्शदात्री निकाय है, जो अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों पर अमेरिकी कॉन्ग्रेस और प्रशासन को सलाह देता है। इसकी स्थापना 1998 में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम  (International Religious Freedom Act-IRFA) के तहत हुई थी।
  • यह वैसे विधायिका और कार्यपालिका के लिये विवेक-रक्षक के रूप में कार्य करता है लेकिन कभी-कभी अधिकतमवादी या अतिवादी (Maximalist or Extreme) का स्थान लेता है और नागरिक समाज समूहों द्वारा इसका उपयोग अमेरिकी कॉन्ग्रेस के सदस्यों तथा प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिये किया जाता है।
  • यह वैश्विक स्तर पर (संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर) धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निगरानी के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों का उपयोग करने के लिये आज्ञापित (Mandated) है और अमेरिकी राष्ट्रपति, विदेश मंत्री तथा कॉन्ग्रेस को नीतियाँ बनाने की सिफारिश करता है।
  • यह प्रत्येक वर्ष 1 मई तक की एक वार्षिक रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें अमेरिकी सरकार द्वारा IRFA के कार्यान्वयन का आकलन किया जाता है।

9. पूर्व पेशेवर गोल्फर सेंडर्स का निधन

अमेरिका के पूर्व दिग्गज पेशेवर गोल्फर डग सेंडर्स का रविवार को निधन हो गया है। वे 86 वर्ष के थे।

  • पीजीए टूर पर सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक रहे सेंडर्स ने 1956 में कनाडा ओपन सहित अपने पेशेवर करियर में 20 खिताब जीते हैं। वह गोल्फ जगत में ‘पीकॉक आफ द फेयरवेज’ के नाम से मशहूर थे।
  • सेंडर्स मेजर चैंपियनशिप में चार बार उप विजेता रहे थे जिसमें 1970 की ब्रिटिश ओपन चैंपियनशिप भी शामिल है जहां वह काफी करीब से खिताब से चूक गए थे।
  • सेंडर्स ने इसके अलावा सीनियर चैंपियन्स टूर पर भी 218 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था और अपने स्वयं के टूर्नामेंट ‘डग सेंडर्स सेलीब्रिटी क्लासिक’ की भी मेजबानी की थी।

10. नवंबर-दिसंबर में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा भारत

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने खुलासा किया है कि भारत नवंबर-दिसंबर में महिला और पुरुष एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा। बीएफआई ने साथ ही भरोसा जताया कि तब तक कोविड-19 महामारी पूरी तरह से नियंत्रण में आ चुकी होगी।

  • एशियाई मुक्केबाजी परिसंघ की बैठक के बाद फरवरी में भारत को मेजबानी का अधिकार दिया गया था। इस टूर्नामेंट का आयोजन नवंबर-दिसंबर में किया जाएगा और चीजों के सामान्य होने के बाद मेजबान शहर पर फैसला किया जाएगा।
  • वैसे इस टूर्नामेंट का आयोजन आम तौर पर दो साल में एक बार होता है लेकिन अतीत में यह लगातार वर्षों में भी आयोजित हो चुकी है।
  • भारत ने पिछली बार पुरुष एशियाई चैंपियनशिप का आयोजन मुंबई में 1980 में किया था जबकि महिला चैंपियनशिप की मेजबानी 2003 में हिसार में की थी। पिछले साल से टूर्नामेंट में पुरुष और महिला वर्ग के मुकाबलों का आयोजन एक साथ होने लगा।
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