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Current Affairs: 24 May 2020
1. आत्मनिर्भर अभियान के तहत सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का किया आवंटन
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों की आय दुगनी करने के अपने लक्ष्य के तहत सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा आयोजित वेबिनार को सम्बोधित करते हुए तोमर ने कहा कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
- ‘’मीठी क्रांति और आत्मनिर्भर भारत’’ विषय पर राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने यह वेबिनार राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, पश्चिम बंगाल सरकार, उत्तराखंड सरकार और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर के साथ मिलकर कल आयोजित किया था।
- इस आयोजन का उद्देश्य कृषि आय और कृषि उत्पादन बढ़ाने के साधन के रूप में भूमिहीन ग्रामीण गरीब, छोटे और सीमांत लोगों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को लोकप्रिय बनाना है।
- इस वेबिनार में मधुमक्खी पालकों के साथ ही शहद प्रोसेसर, विपणन और ब्रांडिंग पेशेवरों, अनुसंधान विद्वानों, शिक्षाविदों, प्रमुख शहद उत्पादक राज्यों के सहयोगियों, राज्य और केंद्र सरकारों के प्रतिनिधियों, एफएओ और एनईडीएसी, बैंकॉक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भाग लिया था।
मधुमक्खी पालन में भारत की स्थिति
- भारत विश्व में शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में शुमार है। भारत में वर्ष 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242 प्रतिशत बढ़ गया है, वहीं इसके निर्यात में 265 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- बढ़ता शहद निर्यात इस बात का प्रमाण है कि मधुमक्खी पालन 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कारक रहेगा।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन (एनबीएचएम) के लिए मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए चार माड्यूल बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।
बिबेक देबरॉय समिति
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के तहत गठित मधुमक्खी पालन विकास समिति (बीडीसी) का गठन प्रो. देबरॉय की अध्यक्षता में किया गया था। मधुमक्खी पालन विकास समिति का गठन भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करने के उद्देश्य से किया गया था ताकि इसके जरिए कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को संक्षित रखने में मदद मिल सके।
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए गठित की गई समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन कर रही है।
समिति की सिफारिशें
- मधुमक्खियों को कृषि उत्पाद के रूप में देखना तथा भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान का दर्जा देना।
- मधुमक्खियों के पंसद वाले पौधे सही स्थानों पर लगाना तथा महिला स्व: सहायता समूहों को ऐसे बागानों का प्रबंधन सौंपना।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड को संसथागत रूप देना तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत इसे शहद और परागण बोर्ड का नाम देना। ऐसा निकाय कई तंत्रों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसमें नए एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्रों की स्थापना, उद्योग से जुड़े लोगों को और ज्यादा प्रशिक्षित करना , शहद की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए एक कोष का गठन तथा मधुमक्खी पालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर डेटा संग्रह जैसी बातें शामिल होंगी।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में उन्नत अनुसंधान के लिए एक विषय के रूप में मधुमक्खी पालन को मान्यता।
- मधुमक्खी पालकों का राज्य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास।
- शहद सहित मधुमक्खियों से जुड़े अन्य उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अवसंरचनाओं का विकास।
- शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना और स्पष्ट मानकों को निर्दिष्ट करना।
2. भारत मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट पर मौजूद 7 सेवाओं को उमंग एप पर ऑनबोर्ड कराया गया
यूनीफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस (उमंग) का 22 मई 2020 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ एम.राजीवन ने आईएमडी के महानिदेशक डॉ. एम. मोहापात्र और एनईजीडी के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक सिंह की मौजूदगी में उद्घाटन किया।
- भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने नवीनतम उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के आधार पर मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के प्रसार में सुधार लाने के लिए हाल के वर्षों में विविध कदम उठाए हैं।
- इस पहल को और ज्यादा संवर्धित करने के लिए आईएमडी ने ‘’उमंग एप’’ का उपयोग करने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का लाभ उठाया है।
- इसके तहत आईएमडी की वेबसाइट पर होस्ट की जा रही निम्नलिखित 7 सेवाओं को उमंग एप्लीकेशन पर ऑनबोर्ड कराया गया है जिसमें वर्तमान मौसम, नाओकास्ट, शहर पूर्वानुमान, वर्षा की सूचना, पर्यटन पूर्वानुमान (100 शहरों के पिछले 24 घंटे और 7 दिन के मौसम के हालात का पूर्वानुमान), चेतावनियां और चक्रवात के पूर्वानुमान शामिल हैं।
उमंग एप
- उमंग भारत सरकार का ऑल-इन-वन एकल, एकीकृत, सुरक्षित, मल्टी-चैनल, मल्टी-प्लेटफॉर्म, बहु-भाषी, बहु-सेवा मोबाइल एप है, जिसे विभिन्न संगठनों (केंद्र और राज्य) की अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने वाले एक प्रबल बैक-एंड प्लेटफॉर्म द्वारा सक्षम बनाया गया है।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समस्त सरकारी सेवाओं को एकल मोबाइल एप पर लाते हुए 2017 में उमंग एप का शुभारंभ किया था। इसका लक्ष्य सरकार को नागरिकों के मोबाइल फोन पर सुगम्य बनाना था।
- 127 विभागों और 25 राज्यों की उपयोगिता भुगतानों सहित लगभग 660 सेवाएं इस पर उपलब्ध हैं और कई अन्य को इस पर लाने की योजना है।
3. ओआईसी में भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को मालदीव ने मज़बूती से रोका
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने हाल ही में ओआईसी की एक ऑनलाइन मीटिंग में दावा किया था कि भारत इस्लामोफोबिया को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
- लेकिन मालदीव ने पाकिस्तान के दावे को ख़ारिज कर दिया और कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां 20 करोड़ से ज़्यादा मुसलमान रहते हैं और ऐसे में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और इस तरह का आरोप दक्षिण एशिया में धार्मिक सद्भावना के लिए घातक हैं।
- मालदीव ने कहा कि सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे दुष्प्रचार को एक अरब 30 करोड़ आबादी वाले भारत की मंशा के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है मालदीव ने आगे कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में इस्लामिक देश सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अफ़ग़ानिस्तान और फ़लस्तीनियों से मज़बूत संबंध विकसित किए हैं।
- मालदीव ने कहा कि इन देशों ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाज़ा है। मालदीव ने यह भी कहा कि पाकिस्तान समेत दक्षिण एशिया के सभी देशों को साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है और पाकिस्तान को थोड़ा उदार रवैया अपनाना चाहिए।
- ओआईसी के भीतर मालदीव उन देशों में शामिल है जो पिछले कुछ सालों से भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की लाइन का विरोध करता रहा है। 2018 में मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद से भारत के संबंधों में मधुरता आई है।
इस्लामी सहयोग संगठन
- ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-आपरेशन Organisation of Islamic Cooperation (OIC) इस्लामिक देशों के मध्य सभी विषयों में सहयोग को प्रोत्साहित करने वाला अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन का मुख्यालय जेद्दा, (सऊदी अरब) मेँ स्थित है।
- इस्लामिक सम्मलेन संगठन (Organisation of the Islamic Conference—OIC) की विधिवत स्थापना 24 मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों का रबात (मोरक्को) में 1969 में सम्पन्न शिखर सम्मेलन और विदेश मंत्रियों की 1970 में सम्पन्न बैठक के बाद मई 1971 में जेद्दा (सऊदी अरब) में हुई थी। ओआईसी के चार्टर को 1972 में अपनाया गया था। आर्थिक सहयोग में मजबूती लाने के लिये 1981 में एक कार्य योजना को अपनाया गया था।
- इस्लामी सहयोग संगठन की 57 सदस्य हैं, जिनमें से 56 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्य हैं। कुछ मुस्लिम आबादी, जैसे रूस और थाईलैंड के कुछ देशों, ऑब्जर्वर राज्यों के रूप में बैठते हैं, जबकि भारत और इथियोपिया जैसे अन्य सदस्य नहीं है ओआईसी के सदस्य राज्यों की सामूहिक आबादी 1.6 बिलियन से अधिक है।
- 1972 में अपनाये गये चार्टर के आधार पर ओआईसी के उद्देश्य हैं-
- i) सदस्य देशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामी एकजुटता को प्रोत्साहन देना तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े सदस्यों के मध्य परामर्श की व्यवस्था करना
- ii) किसी भी रूप में विद्यमान उपनिवेशवाद की समाप्ति तथा जातीय अलगाव और भेदभाव की समाप्ति के लिये प्रयास करना; न्याय पर आधारित अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के विकास के लिये आवश्यक कदम उठाना
- iii) धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना फिलिस्तीन संघर्ष को समर्थन तथा उनके अधिकारों और जमीनों को वापसी में उन्हें सहायता देना
- iv) विश्व के सभी मुसलमानों की गरिमा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा करने के लिये उनके संघर्षों को मजबूती प्रदान करना
- v) सदस्य देशों और अन्य देशों के मध्य सहयोग और तालमेल को प्रोत्साहित करने के लिये एक उपयुक्त वातावरण तैयार करना।
4. लगभग 5 महीनों के बाद दस्तकारों-शिल्पकारों का “हुनर हाट” सितम्बर 2020 से होगा पुनः शुरू
- कोरोना की चुनौतियों के चलते लगभग 5 महीनों के बाद दस्तकारों-शिल्पकारों का “सशक्तिकरण एक्सचेंज”, “हुनर हाट” सितम्बर 2020 से “लोकल से ग्लोबल” थीम एवं पहले से ज्यादा दस्तकारों की भागीदारी के साथ पुनः शुरू होने जा रहा है।
- इस अवसर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन में मिले समय का सदुपयोग कर दस्तकारों, कारीगरों ने अगले “हुनर हाट” की उम्मीद में बड़ी तादाद में अपने हस्तनिर्मित दुर्लभ स्वदेशी सामग्री को तैयार किया है जिसे ये दस्तकार, कारीगर अगले “हुनर हाट” में प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए लाएंगे।
- आने वाले दिनों में चंडीगढ़, दिल्ली, प्रयागराज, भोपाल, जयपुर, हैदराबाद, मुंबई, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, देहरादून, पटना, नागपुर, रायपुर, पुडुचेर्री, अमृतसर, जम्मू, शिमला, गोवा, कोच्चि, गुवाहाटी, भुबनेश्वर, अजमेर, अहमदाबाद, इंदौर, रांची, लखनऊ आदि स्थानों पर “हुनर हाट” का आयोजन किया जायेगा।
हुनर हाट
- हुनर हाट का आयोजन केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा उस्ताद योजना के तहत किया जाता है। उस्ताद योजना का उद्देश्य भारत के अल्पसंख्यक समुदाय की परंपरागत कला तथा शिल्प की धरोहर का संरक्षण करना है। इसके लिए उनके कौशल में वृद्धि की जाती है। तथा उनके उत्पादों को वैश्विक बाज़ार तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया जाता है।
- सरकार ने अगले पांच वर्ष में देशभर में एक सौ हुनर हाट आयोजित करने का फैसला किया है। जो दस्तकारों, शिल्पकारों और पारंपरिक पाककला विशेषज्ञों को बाजार और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा।
5. भारतीय अर्थशास्त्री अभास झा को विश्व बैंक ने दी बड़ी जिम्मेदारी
भारतीय अर्थशास्त्री अभास के झा को विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर महत्वपूर्ण स्थिति के लिए नियुक्त किया है। झा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब चक्रवात अम्फन ने भारत में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बांग्लादेश को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
- विश्व बैंक उनकी क्षमता का उपयोग दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए करेगा।
- बैंक ने कहा कि झा अन्य प्रैक्टिस मैनेजरों, ग्लोबल लीड्स और ग्लोबल सॉल्यूशंस ग्रुप्स के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि बड़े पैमाने पर अभिनव और उच्च गुणवत्ता वाले विकास समाधान और इन देशों की सेवा के लिए वैश्विक ज्ञान और उसके प्रवाह को बढ़ावा दिया जा सके।
- झा की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक दक्षिण एशिया क्षेत्र (एसएआर) आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन टीम को जोड़ने और सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित और मदद करना होगा।
- विश्व बैंक के मुताबिक झा का इन देशों की समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान देने के लिए उच्च व योग्य पेशेवरों की एक टीम का पोषण, नेतृत्व, प्रेरणा और उनकी तैनाती का काम करना है।
अभास के झा
- 2001 में अभास के झा ने विश्वबैंक ज्वाइन किया था। वह बांग्लादेश, भूटान, भारत और श्रीलंका के बैंक कार्यालय में कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं।
- उन्होंने लैटिन अमेरिका, कैरिबियन, यूरोप, मध्य एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में काम किया है।
- उनका सबसे हालिया कार्य पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में शहरी विकास और आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए प्रैक्टिस मैनेजर के रूप में रहा है।
- उनके अधिकार क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव शामिल हैं।
6. आईसीएमआर ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर संशोधित परामर्श किया जारी
आईसीएमआर ने एक संशोधित परामर्श जारी कर गैर कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यसेवा कर्मियों, निरुद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल अर्द्धसैन्य बलों/पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइडॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है।
- हालांकि, आईसीएमआर द्वारा जारी संशोधित परामर्श में आगाह किया गया है कि दवा लेने वाले व्यक्ति को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह एकदम सुरक्षित हो गया है। संशोधित परामर्श के अनुसार एनआईवी (National Institute of Virology) पुणे में एचसीक्यू की जांच में यह पाया गया कि इससे संक्रमण की दर कम होती है।
- इसमें कहा गया है कि यह दवा उन लोगों को नहीं देनी चाहिए, जो नजर कमजोर करने वाली रेटिना संबंधी बीमारी से ग्रस्त है, एचसीक्यू को लेकर अति संवेदनशीलता है तथा जिन्हें दिल की धड़कनों के घटने-बढ़ने की बीमारी है।
- परामर्श में यह भी कहा गया है कि इस दवा को 15 साल से कम आयु के बच्चों तथा गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली महिलाओं को न देने की सिफारिश की जाती है। इसमें कहा गया है कि यह दवा औपचारिक सहमति के साथ किसी डॉक्टर की निगरानी में दी जाए।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन
- हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग) एक मौखिक दवा है जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के उपचार में किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 21 मार्च को कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन -एज़िथ्रोमाइसिन के कॉकटेल के उपयोग के बारे में ट्वीट किया था और कहा था कि यह दवा कोविड-19 से निपटने में सहायक है।
- 19 मार्च को द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में को लिखे गए एक लेख में इस दवा के फायदे और बीमारियों से लड़ने की क्षमता के बारे में बताया गया था। खासतौर से यह दवा कोरोनोवायरस के खिलाफ एंटीवायरल गतिविधि को दर्शाती है।
- इस दवा का खास असर SARS-CoV-2 [यह वही वायरस जो COVID-2 का कारण बनता है] ड्रग कंसंट्रेशन और विट्रो ड्रग टेस्टिंग पर आधारित फार्मालॉजिकल मॉडलिंग के मुताबिक हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के साथ प्रोफिलैक्सिस SARS-CoV-2 संक्रमण और वायरल को रोक सकता है।
- दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन और निर्यात में भारत का शीर्ष स्थान है। वैश्विक आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। फार्मास्क्युटिकल्स विभाग ने बताया कि देश में एपीआई का पर्याप्त भंडार है और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की उत्पादन क्षमता देश की आवश्यकता और निर्यात की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
- इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने नई दिल्ली में कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन एक रोग प्रतिरोधक है और यह इलाज नहीं है। कोविड-19 महामारी के इलाज में इसकी आम जनता के लिए कभी भी सिफारिश नहीं की गई है।
7. कोविड-19 से लड़ने में एचआईवी दवाओं से अधिक कारगर कांगड़ा चायः आईसीएमआर
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का मानना है कोविड-19 से लड़ने के लिए कि एचआईवी-रोधी दवाओं की तुलना में कांगड़ा चाय रसायन भी प्रतिरक्षा बढ़ाने और कोरोना वायरस गतिविधि को अवरुद्ध करने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
- हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT – Institute of Himalayan Bioresource Technology) के निदेशक डॉ संजय कुमार ने इस तथ्य का खुलासा किया है। यह बात उन्होंने अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर आईएचबीटी में आयोजित एक वेबिनार के दौरान कही।
- डॉ संजय कुमार ने बताया कि वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर-आधारित मॉडल का उपयोग करते हुए जैविक रूप से सक्रिय 65 रसायनों या पॉलीफेनोल्स का परीक्षण किया है, जो विशिष्ट वायरल प्रोटीन को एचआईवी-रोधी दवाओं की तुलना में अधिक कुशलता से बांध सकते हैं।
- ये रसायन उन वायरल प्रोटीन्स की गतिविधि को अवरुद्ध कर सकते हैं, जो मानव कोशिकाओं में वायरस को पनपने में मदद करता है।
- हिमालय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान संस्थान पालमपुर कांगड़ा चाय से हर्बल साबुन, ठंडा पेय और मोटापा कम करने के लिए कैप्सूल को प्रमुखता से तैयार कर चुका है। हिमाचल में कांगड़ा, मंडी और चंबा जिलों में प्रमुखता से चाय को पैदा करते है।
8. सीईएनएस द्वारा डिजाइन किया गया स्नग फिट मास्क
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान, सेंटर फार नैनो एंड साफ्ट मैटर साईंसेज (सीईएनएस) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मास्क के एक कप आकार की डिजाइन (पैटेंट दायर) विकसित की है जो बोलते समय मुंह के सामने के हिस्से में पर्याप्त स्थान का सृजन करने में सहायता करती है। बड़े स्तर पर इसका उत्पादन के लिए इसे बंगलुरु स्थित एक कंपनी को अंतरित कर दिया गया है।
- सीईएनएस ने इस प्रौद्योगिकी को दो दशक पूर्व स्थापित बंगलुरु स्थित एक गारमेंट कंपनी, कामेलिया क्लोदिंग लिमिटेड को अंतरित कर दिया है। कंपनी की योजना प्रति दिन लगभग एक लाख मास्क का उत्पादन करने और भारत भर में विभिन्न वितरण चैनलों के माध्यम से इसे बेचने की है।
- इस स्नग फिट मास्क से बोलने में कोई असुविधा नहीं होती है, चश्मे पर कोई फॉगिंग नहीं होती, इसे चारों तरफ से अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे सांस लेते समय व्यावहारिक रूप से रिसाव की कोई गुंजाइशनहीं रह जाती।
- इसकी उच्च श्वसन क्षमता इसका एक और महत्वपूर्ण लाभ है जो इसे बिना किसी असुविधा के पहनने में सक्षम बनाता है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं ने मास्क में इस प्रकार के फैब्रिक लेयर्स को चुना है जिसमें ट्रिबोइलेक्ट्रिक प्रकृति के कारण हल्के घर्षण से इलेक्ट्रिक चार्ज व्याप्त हो सकते हैं, जिससे रोगजनकों के निष्क्रिय हो जाने की संभावना पैदा हो जाती है।
- भारत एवं अन्य देशों में सक्रिय कोविड 19 के मामलों में बढोतरी के साथ आम लोगों के लिए फेस मास्कों के उपयोग की सलाह दी गई है। जहां स्वास्थ्य पेशेवर विशेष और उच्च तकनीकी गुणवत्ता के मेडिकल मास्क का उपयोग कर सकते हैं, आम जनता के लिए मध्यम फिल्टरिंग दक्षता वाले मास्क पर्याप्त होंगे। इसे पहनने में आरामदायक होना चाहिए जिससे कि लोग लंबे समय तक इसे पहनने के लिए प्रोत्साहित हो।
9. अमरीकी सीनेट ने चीन की कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज से हटाने का विधेयक किया पारित
अमरीकी सीनेट ने चीन की कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज से हटाने का विधेयक पारित कर दिया है। सीनेट ने सर्वसम्मति से इस विधेयक को मंजूरी दी है। विधेयक रिपब्लिकन सीनेटर जॉन केनेडी और डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस वैन हौल्लेन ने पेश किया था।
- इसके तहत कंपनियों को यह स्पष्ट करना होगा कि उनका स्वामित्व या नियंत्रण विदेशी सरकार के हाथ में नहीं है। कंपनियों को ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसकी समीक्षा पब्लिक कंपनी एकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड करेगा।
- विधेयक में प्रावधान है कि यदि कंपनी यह नहीं दिखा पाती है कि वह किसी विदेशी सरकार के नियंत्रण में नहीं है या अमेरिका का पब्लिक अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड (पीसीएओबी) लगातार तीन साल तक कंपनी का ऑडिट नहीं कर पाता है और यह नहीं निश्चित नहीं कर पाता है कि अमुक कंपनी किसी विदेशी सरकार के नियंत्रण में नहीं है, तो उस कंपनी के शेयरों को अमेरिकी शेयर बाजारों में प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
- इस कदम के बाद अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड और बाईदू इंक जैसी चीनी कंपनियों को अमरीकी स्टॉक एक्सजेंच में सूचीबद्ध होने से वंचित किया जा सकता है।
10. कर्नाटक शतरंज एसोसिएशन ऑनलाइन शतरंज प्रतियोगिता करेगा आयोजित
कर्नाटक में युवा सशक्तिकरण और खेल विभाग तथा संयुक्त कर्नाटक शतरंज एसोसिएशन मुख्यमंत्री कोविड-19 राहत कोष में फंड जुटाने के लिए आनलाइन शतरंज प्रतियोगिता आयोजित करेंगे।
- इस आयोजन का नाम चेक-मेट कोविड-19 रखा गया है। देशभर के खिलाड़ी 50 रुपये दान देकर मोबाइल प्रीमियर लीग गेमिंग प्लेटफार्म पर पंजीकरण करा सकते हैं। प्रतियोगिता में कुल दस लाख रुपये के पुरस्कार दिए जाएंगे। प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपये का होगा।
- पूर्व विश्व शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने कहा कि इस प्रतियोगिता के लिए दस हजार खिलाड़ियों ने पंजीकरण करा लिया है। उन्होंने लोगों से कोविड-19 से निपटने में योगदान की अपील की है।