आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: 5 – 6 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 5 – 6 April 2020

1. ई-नाम प्लेटफ़ॉर्म की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नये फीचर्स किए गए लॉन्च

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) प्लेटफ़ॉर्म की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को तीन नई सुविधाएं लॉन्च की हैं। इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी।

  • वे उपज वेयरहाउस  में रखकर वहीं से बेच सकेंगे। कोरोना वाय़रस के संक्रमण के इस दौर में इसकी आवश्यकता है। साथ ही एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं व लॉजिस्टिक मॉड्यूल के नए संस्करण को भी जारी किया गया है, जिससे देशभर के पौने चार लाख ट्रक जुड़ सकेंगे।
  • तीन सॉफ्टवेयर मॉड्यूल निम्न हैं –
  • i)   ई-नाम में गोदामों से व्यापार की सुविधा के लिए वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल
  • ii)  एफपीओ का ट्रेडिंग मॉड्यूल, जहां एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं
  • iii) इस जंक्शन पर अंतर-मंडी तथा अंतरराज्यीय व्यापार की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक मॉड्यूल का नया संस्करण, जिससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे।

ई-नाम (eNAM)

  • ई- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (Electronic – National Agriculture Market) एक पैन इंडिया ई- व्यापार प्लेटफॉर्म है। कृषि उत्पादों के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय बाज़ार का सृजन करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में ई-नाम (eNAM) नामक पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसके तहत किसान अपने नज़दीकी बाज़ार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद के लिये मूल्य चुका सकते हैं।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई- नाम में अब तक देश के एक करोड़ 65 लाख से ज्यादा किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं और 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है तथा 415 अतिरिक्त बाजारों को भी जोड़ने की मंजूरी दी जा चुकी है।
  • इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी होगी जिससे उचित मूल्यों का निर्धारण भलीभाँति किया जा सकता है तथा किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होगा।

2. एफसीआई ने ‘कोविड-19 लॉकडाउन’ के दौरान देश भर में खाद्यान्न की निर्बाध आपूर्ति की सुनिश्चित

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) लॉकडाउन अवधि के दौरान पूरे देश में गेहूं और चावल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। एफसीआई न केवल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत प्रति लाभार्थी प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न की आवश्यकता को सुनिश्चित किया है, बल्कि यह ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के लाभार्थियों तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।

  • ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत एफसीआई 81.35 करोड़ लोगों को अगले 3 माह तक प्रति व्यक्ति 5 किलो अन्न की आपूर्ति सहित किसी भी अतिरिक्त मांग को भी पूरा करने के लिए हर तरह से प्रयासरत है। 2 अप्रैल 2020 तक एफसीआई के पास 56.24 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) खाद्यान्न (30.64 एमएमटी चावल और 24.6 एमएमटी गेहूं) है।
  • 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अब तक एफसीआई ने कुल 477 रेक के जरिए राज्यों से लगभग 13.36 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की ढुलाई की है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई)

  • भारतीय खाद्य निगम भारत सरकार द्वारा बनाया और संचालित एक संगठन है और राज्य सरकारों द्वारा भी चलाया जाता है। भारतीय खाद्य निगम की स्थापना 1965 में खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत की गई थी। यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक सांविधिक निकाय है।
  • इसके शीर्ष अधिकारी को अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है। यह 1965 में चेन्नई में अपने प्रारंभिक मुख्यालय के साथ स्थापित किया गया था। बाद में इसे नई दिल्ली लाया गया। राज्यों की राजधानियों में इसके क्षेत्रीय केंद्र भी हैं। राज्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र भी जिला केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।
  • निम्नलिखित उद्देष्यों को पूरा करने के लिए इसकी स्थापना की गई थी:
  • i)   किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन
  • ii)  सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत देशभर में खाद्यान्नों का वितरण
  • iii) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्नो के प्रचालन तथा बफर स्टॉक के संतोशजनक स्तर को बनाए रखना

3. कोविड-19 महामारी का एक व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए ‘हैक द क्राइसिस’ हैकाथन का शुभारम्भ

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कोविड-19 महामारी से पार पाने को एक व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए एक ऑनलाइन हैकाथन ‘हैक द क्राइसिस’ का शुभारम्भ किया है।

  • यह हैकाथन एक वैश्विक पहल का हिस्सा है और इसका आयोजन ‘हैक ए कॉज- इंडिया’ और ‘फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन पुणे’ द्वारा किया जा रहा है। इसे इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार (माइटी) का समर्थन हासिल है।
  • इस हैकाथन का उद्देश्य कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाना है। इसमें कुछ शीर्ष भागीदार टीमों से मिले जिताऊ आइडियाज को लागू करके भारत को कोरोना संकट के दौरान भारत और वैश्विक नागरिकों मदद मिलने का अनुमान है।
  • इस हैकाथन में 2000 टीम और 15000 भागीदार भारत, एस्टोनिया और फिनलैंड के विशेषज्ञों की निगरानी में 48 घंटे चलने वाले हैकाथन में अपने व्यावहारिक नमूने पेश करेंगे। भारत की शीर्ष टीमें भी आने वाले हफ्तों में वैश्विक हैकाथन ‘हैक द क्राइसिस- वर्ल्ड’ में भागीदारी करेंगी।
  • विदित है कि कारोबार और दूरस्थ कामकाजी परिदृश्य में आ रही बाधाओं के बीच जहां एक राष्ट्र इन चुनौतियों से लड़ाई जारी रखे हुए हैं, वहीं सरकारों, उद्योग और व्यक्तियों सहित सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे वर्तमान में इससे उबरने के लिए योगदान दें और मानवता के रूप में मजबूत हों।

4. नौसेना के डॉकयार्ड ने बनाई बेहद सस्ती इंफ्रारेड गन

नौसेना के मुंबई स्थित डॉकयार्ड ने अपने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग के लिए इन्फ्रारेड आधारित तापमान जांचने वाली गन विकसित की है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस गन की कीमत एक हजार रुपये से भी कम है।

  • बाजार में फिलहाल भारी मांग के चलते इन गनों की कमी है और इसके लिए 7 से 10 हजार रुपए तक कीमत चुकानी पड़ रही है। इस गन के जरिये 0.02 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सटीक तरीके से मापा जा सकता है।
  • इस गन में एक एलईडी डिस्पले और एक माइक्रो कंट्रोलर भी लगा है, जो 9 वोल्ट की बैटरी से चलता है यह सुरक्षा कर्मियों को डॉकयार्ड में प्रवेश करने वाले कर्मचारियों की जांच में मदद करेगा। विदित है कि नौसेना के पश्चिमी कमान के 285 वर्ष पुराने इस डॉकयार्ड में प्रतिदिन औसतन लगभग 20 हजार कर्मचारी आते हैं।
  • डॉकयार्ड ने इस गन के अलावा व्यक्तिगत सुरक्षा किट भी डिजाइन किया है जिसमें फेस मास्क, गाउन, सिर को सुरक्षित वाला कवर, दस्ताने और जूते शामिल हैं। डॉकयार्ड ने ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाने वाला एक मोबाइल उपकरण भी विकसित किया है।

5. कोरोना से लड़ाई के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बनाया ‘यूपी कोविड केयर फंड’

उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर यूपी कोविड केयर फंड बनाने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह घोषणा की है।

  • इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी विधायकों एवं विधान पार्षदों से कोविड केयर फंड में एक-एक करोड़ रुपये और एक माह का वेतन दान करने की अपील की है।
  • इस फंड में पहला योगदान उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 76 करोड़, 14 लाख, 55 हजार 537 रुपए का चेक प्रदान करके किया गया। कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी संसाधन का इंतजाम करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के हर कर्मचारी ने अपने एक दिन का वेतन अंशदान के रूप में कोविड केयर फंड के लिए दिया है।
  • कोविड केयर फण्ड के माध्यम से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में टेस्टिंग लैब्स की संख्या बढ़ाने का कार्य किया जाएगा। इसके अलावा क्वारेन्टाइन वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, वेंटिलेटर्स की व्यवस्था के साथ-साथ एन-95 मास्क तथा पीपीई के निर्माण की कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।
  • कोविड-19 के बेहतर उपचार के लिए प्रत्येक जनपद में लेवल-1, लेवल-2 तथा लेवल-3 अस्पतालों की एक श्रृंखला स्थापित की जाएगी। टेलिमेडिसिन व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाएगा।

6. मुस्लिमों को उकसाने के लिये टिकटॉक, फेसबुक पर डाले जा रहे हैं भड़काऊ वीडियो: रिपोर्ट

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों के खिलाफ मुस्लिमों को उकसाने के लिये टिकटॉक, यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर बड़े स्तर पर भड़काऊ वीडियो डाले जा रहे हैं। तथ्यों की जांच करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी वॉयेजर इंफोसेक की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।

  • रिपोर्ट के अनुसार, ये वीडियो भारत के साथ ही अन्य देशों में भी शूट किये जा रहे हैं तथा इन्हें मुख्यत: टिकटॉक पर डाला जा रहा है। कंपनी ने यह रिपोर्ट भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र को सौंप दी है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारियों तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी परामर्शों के खिलाफ धर्म की आड़ में भड़काऊ सामग्रियों को परोसने में टिकटॉक को मुख्य माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ये वीडियो टिकटॉक पर तैयार किये जा रहे हैं और लोगों के बीच फैलाये जा रहे हैं। वहां से इन्हें व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक जैसे अन्य सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जा रहा है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच दिन में (ताब्लीगी जमात) 30 हजार से अधिक वीडियो का विश्लेषण किया गया है। इसके बाद पाया गया कि इनमें से अधिकांश वीडियो पेशेवर सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार किये जा रहे हैं। जिन खातों से इन्हें सबसे पहले शेयर किया जा रहा है, उन्हें वीडियो के वायरल होते ही डिलीट कर दिया जा रहा है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मुस्लिमों के बीच इस तरह के वीडियो साझा करने वाले कुछ खाते पाकिस्तान के ऐसे मुस्लिम धर्मगुरुओं का प्रचार करते भी पाये गये हैं, जिनके आतंकवादियों के साथ संबंध हैं। इन मामलों में विदेशी ताकतों के हाथ होने को लेकर आगे अलग से जांच की जरूरत है।’’
  • रिपोर्ट तैयार करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के वीडियो तैयार करने में हिंदी और बोलचाल की उर्दू का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि इनका निशाना भारत के लोग हैं। इनमें से कुछ वीडियो पाकिस्तान और पश्चिम एशिया में बनाये गये हैं तथा बाद में इनमें एडिट करके हिंदी के संवाद डाले गये हैं।

7. बीसीजी टीकाकरण वाले देशों में कोरोना संक्रमण का कम खतरा: रिसर्च

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अमेरिका में हुई रिसर्च में चौंकाने वाली बात सामने आई है। टीबी (यक्ष्मा/तपेदिक) जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए नवजात शिशु को दिया जाने वाला बीसीजी का टीका कोरोना वायरस संक्रमण में सुरक्षा के तौर पर सामने आया है।

  • इस अध्ययन के मुताबिक कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौत के मामले उन देशों में अधिक हैं, जहां बीसीजी टीकाकरण की पॉलिसी या तो नहीं है या फिर बंद हो गई है। वहीं, जिन देशों में बीसीजी टीकाकरण अभियान चल रहा है, वहां कोरोना संक्रमण और मौत के मामले अपेक्षाकृत कम हैं।
  • न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की ओर से बीसीजी टीकाकरण वाली आबादी पर कोरोना संक्रमण के असर का विश्लेषण करने के लिए यह स्टडी की गई है।
  • इसमें पाया गया कि बिना बीसीजी टीकाकरण वाले देशों जैसे इटली, अमेरिका, लेबनान, नीदरलैंड और बेल्जियम की तुलना में भारत, जापान, ब्राजील जैसे बीसीजी टीकाकरण वाले देशों में कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौत के मामले कम हैं। हालांकि चीन में भी बीसीजी टीकाकरण पॉलिसी है, लेकिन चूंकि कोरोना वायरस की शुरुआत वहीं से हुई, इसलिए इस स्टडी में चीन को अपवाद माना गया है।
  • इस स्टडी में अलग-अलग देशों की स्वास्थ्य सुविधाएं, टीकाकरण कार्यक्रमों और कोरोना संक्रमण के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी टीकाकरण से टीबी के अलावा वायरल संक्रमण और सांस संबंधी सेप्सिस जैसी बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलती है। ऐसे में वैज्ञानिक बीसीजी टीकाकरण वाले देशों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने की उम्मीद जता रहे हैं।

क्या है बीसीजी टीकाकरण?

  • बीसीजी का पूरा नाम है बेसिलस कामेट गुएरिन (Bacillus Calmette–Guérin) है यह टीबी की रोकथाम के लिए लगाया जाता है दुनिया में सबसे पहले 1921 में बीसीजी का टीका लगाया गया था इस टीके को शिशु के जन्म से छह महीने के भीतर लगाया जाता है।
  • भारत में 1948-49 से इसकी शुरुआत हुई थी 1962 में इसे टीबी प्रोग्राम में शामिल कर लिया गया था। यह टीबी और सांस से जुड़ी बीमारियों को रोकने वाला टीका है।

8. भारतीय वायुसेना ने चलाया ऑपरेशन संजीवनी

भारतीय वायुसेना और भारतीय थल सेना ने मिलकर मालदीव का भारत में फंसा 6.2 टन का सामान उन तक पहुंचाया है। इस सामान में जरूरी दवाइयां और अस्तपाल के लिए जरूरी सामान थे। इसमें बीपी, डायबिटीज, किडनी के मरीजों की दवाइयों से लेकर एंटी वायरल और इंफ्लुएंजा की वैक्सीन थीं।

  • इस हेतु मालदीव की मदद के लिए भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन संजीवनी शुरू किया था और 6.2 टन सामान एयर फोर्स के सी-130 एयरक्राफ्ट में लिफ्ट कर माले पहुंचाया था। दरअसल भारत के अलग अलग सप्लायर्स से ये सामान मालदीव जाना था लेकिन 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से यह दवाई और सामान सप्लायर्स किसी और तरीके से मालदीव नहीं भेज सकते थे।
  • मालदीव सरकार के आग्रह पर भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन संजीवनी शुरू किया था। भारतीय वायुसेना के विमान ने यह सामान नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, मदुरै के एयरपोर्ट से उठाया फिर माले के लिए उड़ान भरी और वहां पहुचाया।
  • यह पूरा सामान 8 अलग-अलग सप्लायर्स के वेयरहाउस में था। भारतीय थल सेना ने अलग-अलग सप्लायर्स के वेयरहाउस से यह सामान पहले एयरपोर्ट तक पहुंचाया उसके बाद भारतीय वायुसेना ने इसे माले पहुंचाया।

9. तब्लीगी जमात के र्दुव्यवहार करने वालें सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई

उत्तरप्रदेश में तब्लीगी जमात के उन सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है, जिन्होंने एमएमजी जिला अस्पताल, गाजियाबाद में कल महिला नर्सिंग स्टाफ के साथ र्दुव्यवहार किया था।

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि जमात के सदस्यों के साथ कोई महिला पुलिसकर्मी और नर्सिंग स्टाफ न लगाया जाए। राज्य में 172 संक्रमितों में से 42 की पहचान तब्लीगी जमात के सदस्यों के रूप में हुई है।

क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून?

  • राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को गिरफ्तारी का आदेश देता है। यह कानून सरकार को संदिग्घ व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है।
  • अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है। सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है।
  • साथ ही, अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है। इस कानून के तहत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। इस कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
  • अगर सरकार को ये लगे तो कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से देश में रह रहा है और उसे गिरफ्तारी की नौबत आ रही है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है।
  • कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। फिर, आवश्यकतानुसार, तीन-तीन महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। एकबार में तीन महीने से अधिक की अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती है। अगर, किसी अधिकारी ने ये गिरफ्तारी की हो तो उसे राज्य सरकार को बताना होता है कि उसने किस आधार पर ये गिरफ्तारी की है।
  • जब तक राज्य सरकार इस गिरफ्तारी का अनुमोदन नहीं कर दे, तब तक यह गिरफ्तारी बारह दिन से ज्यादा समय तक नहीं हो सकती है। अगर यह अधिकारी पांच से दस दिन में जवाब दाखिल करता है तो इस अवधि को बारह की जगह पंद्रह दिन की जा सकती है। अगर रिपोर्ट को राज्य सरकार स्वीकृत कर देती है तो इसे सात दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होता है। इसमें इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया और राज्य सरकार का इसपर क्या विचार है और यह आदेश क्यों जरूरी है।
  • अगर वह व्यक्ति फरार हो तो सरकार या अधिकारी, 1) वह व्यक्ति के निवास क्षेत्र के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट को लिखित रूप से रिपोर्ट दे सकता है। 2) अधिसूचना जारी कर व्यक्ति को तय समय सीमा के अंदर बताई गई जगह पर उपस्थित करने के लिए कह सकता है। 3) अगर, वह व्यक्ति उपरोक्त अधिसूचना का पालन नहीं करता है तो उसकी सजा एक साल और जुर्माना, या दोनों बढ़ाई जा सकती है।

10. भारत में होने वाला फीफा अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप स्थगित

चीन से फैले कोरोना वायरस के कारण फुटबॉल की वैश्विक संस्था फीफा ने भारत में नवंबर में होने वाला अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप स्थगित करने का फैसला किया है। यह फैसला फीफा-कन्फेडरेशन वर्किंग ग्रुप ने किया है।

  • फीफा ने एक बयान में कहा है कि ‘नई तिथियों की घोषणा बाद में की जाएगी।’ कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, अहमदाबाद और नवी मुंबई में इस टूर्नमेंट के मुकाबले होने हैं जिसमें मेजबान भारत समेत 16 टीमें हिस्सा लेंगी।
  • फीफा की गवर्निंग बॉडी ने इसी साल होने वाले अंडर-20 महिला वर्ल्ड कप को भी टाल दिया है। यह टूर्नामेंट पनामा/कोस्टारिका में अगस्त से सितंबर के बीच खेला जाना था। वहीं, कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण दुनियाभर में जुलाई तक के सभी खेल टूर्नामेंट्स टाल या रद्द कर दिए गए। इसमें टोक्यो ओलिंपिक, क्रिकेट टूर्नामेंट आईपीएल और टेनिस ग्रैंडस्लैम विंबलडन शामिल हैं।
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