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सामयिकी: 1 अप्रैल 2020

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1. राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय का 66वां स्थापना दिवस

29 मार्च 2020 को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने अपना 66वां स्थापना दिवस मनाया है, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) ने लाकडाउन की अवधि के दौरान आगंतुकों के लिए भौतिक रूप से संग्रहालय का दौरा किए बिना उसके संग्रहों का आनंद लेने के लिए वर्चुअल टूर यानी आभासीय दौरा करने की सुविधा शुरू की है।

  • यह पहली बार है जब असाधारण परिस्थितियों में एनजीएमए ने कला प्रेमियों को अपने स्थायी संग्रह के आभासी दौरे की सुविधा प्रदान की है।
  • एनजीएमए का यह वर्चुअल टूर आधुनिक कला के महारथियों लिए एक श्रद्धांजलि है और एनजीएमए का यह दृढ़ विश्वास है कि यह रचनात्मक माध्यम के रूप में मूर्तियों, चित्रों और प्रिंट की विरासत के प्रति लोगों में अधिक रुचि पैदा करेगा।
  • विदित है कि संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले संग्रहालय और पुस्तकालय अगले आदेश तक सार्वजनिक उपयोग के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसकी वजह से लोग राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) में प्रदर्शित उसके स्थायी संग्रहों को देखने नहीं जा पा रहे हैं।

Table of Contents

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए)

  • राष्ट्रीय कला संग्रहालय बनाने का विचार पहली बार सन् 1949 में अंकुरित और प्रस्फुटित हुआ। इस विचार को सींचने का श्रेय प्रथम प्रधान मंत्री स्वयं पं. नेहरू और मौलाना आजाद को जाता है। कला के क्षेत्र में सक्रिय समुदाय की भी इसमें उल्लेखनीय भूमिका रही है। 29 मार्च 1954 को पं. जवाहरलाल नेहरू और गणमान्य कलाकारों एवं कला प्रेमियों की उपस्थिति में देश के उपराष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकष्ण ने औपचारिक रूप से एनजीएमए का उदघाटन किया।
  • इस उद्देश्य के लिए ल्युटियंस दिल्ली की एक भव्य इमारत, जयपुर हाउस, के चयन ने इस संस्थान की गरिमा एवं महत्व को रेखांकित कर दिया सन् 1936 में जयपुर महाराज के निवास के लिए तैयार इस भवन के वास्तुकार सर आर्थर ब्लूमफील्ड थे।
  • यह गैलरी अपनी श्रेणी में भारत का एक प्रमुख संस्थान है। यह भारत सरकार के संस्कृति विभाग के एक अधीनस्थ कार्यलय की तरह कार्यरत है। एनजीएमए की दो शाखाएं है। एक मुंबई में है और दूसरी  बंगलुरु में।
  • गैलरी देश की सांस्कृतिक दर्शन का संग्रहालय है और यह 1857 से लेकर लगभग पिछले डेढ सौ सालों में दृश्य एवं प्लास्टिक कलाओं के बदलते स्वरूपों को खबूबी प्रदर्शित करता है। कुछ भूली-बिसरी और हल्की-फुल्की कलात्मक वस्तुओं को छोड़कर एनजीएमए के संग्रह को आज यकीनन और निर्विवाद आधुनिक एवं समकालीन कला का देश का सबसे महत्वपूर्ण संग्रह कहा जाता है।

2. झारखंड सरकार ने ई-पास के लिए मोबाइल ऐप प्रगयाम किया शुरू

झारखंड सरकार ने देशभर में लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी में लगे प्रत्येक व्यक्ति को ई-पास जारी करने के लिए एक मोबाइल ऐप प्रगयाम (PRAGYAAM) शुरू किया है।

  • एंड्रोएड प्लेटफॉर्म पर चलने वाला और स्थानीय तौर पर डिजाइन किया गया यह PRAGYAAM ऐप गुगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
  • जिला यातायात अधिकारी इस ऐप पर अपलोड किए गए दस्तावेजों की जांच के बाद गाडि़यों को ऑनलाइन ई-पास जारी कर सकते हैं। ये पास रोजमर्रा की मेडिकल, बैकिंग और अन्य आवश्यक सेवाओं तथा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वालों को जारी किए जाएंगे।

कैसे कार्य करता है मोबाइल ऐप प्रगयाम?

  • इसकी कार्यप्रणाली की बात करें तो जैसे ही खोलेंगे, नीचे लिंक दिया है अप्लाई फॉर ई-पास। इसमें नाम और मोबाइल नंबर डालना होगा। सेंड द ओटीपी पर क्लिक करेंगे तो मोबाइल पर ओटीपी आएगा। ओटीपी डालने के बाद एक पेज खुल जाएगा। इसमें पूरी डिटेल भरनी होगी और यह ई-पास सिर्फ इमजेंसी सर्विस के लिए है।
  • अगर कोई व्यक्ति या परिवार किसी जिले में फंसा हुआ है और वह दूसरे जिले में इमरजेंसी जाना चाहता है तो इसके लिए आवेदन कर सकता है। इमरजेंसी में दूसरे राज्यों में जाने वाले व्यक्ति भी आवेदन कर सकते हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति इमरजेंसी में कहीं जाने के लिए आवेदन करता है तो संबंधित सेक्टर के अधिकारी अपने स्तर पर जांच पड़ताल के बाद अनुमति देंगे। इसकी सूचना आवेदनकर्ता के मोबाइल फोन पर मैसेज के माध्यम से भेजी जाएगी। मैसेज के साथ ही ई-पास भी भेज दिया जाएगा। अगर आवेदन रिजेक्ट होता है तो उसका भी मैसेज भेजा जाएगा।
  • ई-पास का उल्लंघन करने पर व्यक्ति बीच में फंस जाएंगा जारी ई-पास में आवेदनकर्ता की पूरी डिटेल होगी। अगर वह इसका उल्लंघन करता है तो पकड़े जाने पर तत्काल उसी समय ई-पास को रद्द कर दिया जाएगा। ऐसे में आवेदनकर्ता फिर उसी जगह फंस जाएगा।

3. सभी केंद्रीय कर्मचारियों को अगले आदेश तक बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने से छूट

केन्द्र सरकार ने 30 मार्च से सभी केंद्रीय कर्मचारियों को बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने की अगले आदेश तक छूट दे दी है। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारियों को बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने में 31 मार्च तक छूट थी। सरकार ने यह कदम देश में कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर उठाया गया है।

क्या है बायोमैट्रिक हाजिरी प्रणाली?

  • बायोमैट्रिक्स हाजिरी प्रणाली जैविक आंकड़ों एंव तथ्यों की माप और विश्लेषण की प्रौद्योगिकी हैं। अंग्रेज़ी शब्द बायोमैट्रिक्स दो यूनानी शब्दों बायोस (जीवन) और मैट्रोन (मापन) से मिलकर बना है। नेटवर्किंग, संचार और गत्यात्मकता में आई तेजी से किसी व्यक्ति की पहचान की जांच पड़ताल करने के विश्वसनीय तरीकों में इसे शुमार किया जाता है।
  • पहले व्यक्तियों की पहचान उनके चित्र, हस्ताक्षर, हाथ के अंगूठे और अंगुलियों के निशानों से की जाती रही है, किन्तु इनमें हेरा-फेरी होने लगी। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने जैविक विधि से इस समस्या का समाधान करने का तरीका खोजा है। इसका परिणाम ही बायोमैट्रिक्स है।
  • इसमें व्यक्ति के हाथ के अंगूठे के निशान, अंगुलियों, आंखों की पुतलियों, आवाज के आधार पर उसे पहचाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति की ये चीजें अद्वितीय होती है।
  • इसी प्रणाली के तहत ऑफिस में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए फिंगरप्रिंट स्कैनर मशीन लगाई गईं हैं। जिसमें कर्मचारी आते और जाते समय पंच करते हैं। इस प्रोसेस से कर्मचारी द्वारा काम किए गए घंटे का रिकॉर्ड मशीन में दर्ज हो जाता है। यह प्रोसेस पूरी तरह ऑटोमैटिक है। वहीं, महीने के आखिर में उस कर्मचारी का पूरा रिकॉर्ड देखा जाता है।
  • फिंगरप्रिंट स्कैनर सिस्टम के दो मुख्य काम होते हैं। पहला, यह अंगुली की इमेज लेता है। फिर यह पता लगाता है कि इसमें लकीरों के पैटर्न का डाटा पहले से स्टोर किस डाटा से मेल खा रहा है। यह जिस शख्स के डाटा से मेल खाता है, उसकी उपस्थिति दर्ज हो जाती है।
  • जाहिर है ऐसे में किसी इमेज के मिलान का काम 100 फीसदी सटीकता के साथ होना चाहिए। इस सटीकता के लिए हर फिंगरप्रिंट्स की सबसे अलग विशेषताओं की पहचान की जाती है अतः बिना व्यक्ति के आये (या उसके फिंगरप्रिंट) ऑफिस में उपस्थिति दर्ज नहीं की जा सकती है।

4. वैश्विक महामारी ने बढ़ाई एच-1बी कर्मचारियों की चिंता

अमेरिका के विदेशी आईटी पेशेवरों ने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका में बड़े पैमाने पर छंटनी की स्थिति में नौकरी जाने पर उन्हें 60 दिन के बजाए 180 दिनों तक अमेरिका में रुकने की इजाजत दी जाए। इन पेशेवरों में ज्यादातर भारतीय एच-1बी वीजाधारक हैं।

  • कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव श्वरूप अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है और आने वाले महीनों में हालात बिगड़ सकते हैं। अमेरिका में 21 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान रिकॉर्ड 33 लाख अमेरिकियों ने प्रारंभिक बेरोजगारी के दावे किए हैं।
  • कुछ मामलों में कंपनियों ने अपने एच-1बी कर्मचारियों को पहले ही आगाह कर दिया है कि  उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है। विदित है कि एच-1बी वीजाधारक न तो बेरोजगारी लाभ पाने के पात्र हैं और न ही सामाजिक सुरक्षा लाभ के हकदार हैं, भले ही इसके लिए उनके वेतन से कटौती की गई हो।
  • इस समस्या के समाधान हेतु व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर एक याचिका अभियान शुरू किया है। याचिका में सरकार से अस्थायी प्रवास की अवधि को 60 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने और इस कठिन समय में एच-1बी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है। व्हाइट हाउस से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए कम से कम एक लाख याचिकाओं की जरूरत होती है।

एच-1बी वीजा

  • अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों के बीच एच-1बी वीज़ा प्राप्त करना होता है। एच-1बी वीज़ा वस्तुतः ‘इमीग्रेशन एण्ड नेशनलिटी ऐक्ट’ की धारा 101(a) और 15(h) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक गैर-अप्रवासी  नागरिकों को दिया जाने वाला वीज़ा है।
  • यह अमेरिकी नियोक्ताओं को विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। एच1बी वीजा ऐसे विदेशी पेशेवरों के लिये जारी किया जाता है जो किसी ‘खास’ कार्य में कुशल होते हैं।
  • इसके लिए कंपनी को ही नौकरी करने वाले की तरफ से एच 1 बी वीज़ा के लिए इमिग्रेशन विभाग में आवेदन करना होता है। अमरीकी कंपनियाँ इस प्रकार की वीज़ा का इस्तेमाल उच्च स्तर पर कुशल पेशेवरों को नियुक्त करने के लिये करती हैं। हालाँकि अधिकतर वीज़ा आउटसोर्सिंग फर्म को जारी किया जाता है।

5. मनरेगा मजदूरी में औसतन 20 रुपये की वृद्धि

भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर राज्य सरकारों के साथ करीबी सहयोग में कई कदम उठाए हैं। इसी क्रम में भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों की मजदूरी को 1 अप्रैल, 2020 से संशोधित करने का निर्णय लिया है। मनरेगा मजदूरी में 20 रुपये की औसत राष्ट्रीय वृद्धि की गई है।

  • मनरेगा के तहत मुख्य तौर पर व्यक्तिगत लाभार्थी-उन्मुख कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिससे सीधे तौर पर एससी, एसटी और घरेलू महिलाओं के अलावा लघु एवं सीमांत किसान तथा अन्य गरीब परिवार लाभान्वित होते हैं।
  • हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ-साथ जिला अधिकारियों के भी करीबी परामर्श एवं मार्गदर्शन आवश्यक होगा कि लॉकडाउन की अवधि में दिशानिर्देशों का उल्लंघन न होने पाए और सामाजिक दूरी के मानदंडों का गंभीरतापूर्वक पालन किया जाए।
  • इसी क्रम में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 4,431 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं ताकि चालू वित्त वर्ष की इन देनदारियों को पूरा किया जा सके। वर्ष 2020-21 के लिए पहली किश्त 15 अप्रैल, 2020 से पहले जारी की जाएगी।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 2005 में विधान द्वारा अधिनियमित किया गया था। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है।
  • इस अधिनियम संप्रग सरकार द्वारा लाया गया था। माना जाता है कि बेल्जियम में जन्मे और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में कार्यरत अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की इस परियोजना के पीछे एक अहम भूमिका है।
  • यह अधिनियम, राज्य सरकारों को “मनरेगा योजनाओं” को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है।
  • इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है।

6. सदानंद गौड़ा ने अपने मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक उपक्रमों से आग्रह किया कि वे सीएसआर जारी करें

  • केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रख्ते हुए अपने मंत्रालय के अधीन सभी लाभप्रद सार्वजनिक उपक्रमों से आग्रह किया है वे अपने सीएसआर फंड का एक हिस्सा प्रधानमंत्री की नागरिक सहायता एवं आपातकालीन स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स) में दान करें।
  • विदित है कि भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण पैदा होने वाली किसी भी आपातकालीन अथवा संकट की स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ पीएम केयर्स फंड की स्थापना की है।
  • कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि इस फंड में किया गया कोई भी योगदान कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सीएसआर खर्च के रूप में मान्य होगा।

क्या है सीएसआर?

  • कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (CSR – Corporate Social Responsibility) या कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी वास्तव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को व्यवहार में उतारने का एक माध्यम है। इसका मतलब किसी औद्योगिक इकाई का स्थानीय समाज एवं पर्यावरण के प्रति नैतिक दायित्व से है।
  • गांधी जी ने परिकल्पना की थी कि उद्योगपति तथा धनवान लोग अपने धन के ट्रस्टी बनकर सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन के लिए काम करेंगे वे स्वयं को अपने धन का मालिक नहीं अपितु उसका ट्रस्टी अर्थात रखवाला या चौकीदार मात्र ही समझेंगे करोड़ों रुपए प्रति वर्ष कमाने वाले उद्योग पतियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 के माध्यम से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी को अनिवार्य बनाने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। इसकी अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
  • कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ ₹5 करोड़ से अधिक हो। इसके तहत उपरोक्त कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% सामाजिक गतिविधियों पर खर्च करना पड़ता है।

7. संयुक्त राष्ट्र में पदस्थ सुधीर राजकुमार ने दिया इस्तीफा

संयुक्त राष्ट्र में तैनात भारत के सुधीर राजकुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सुधीर राजकुमार संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कर्मचारी पेंशन कोष में संपत्तियों के निवेश मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रतिनिधि के पद पर तैनात थे।

  • सुधीर राजकुमार का इस्तीफ़ा 31 मार्च से प्रभावी होगा। सुधीर राजकुमार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अक्तूबर 2017 में इस पद पर नियुक्त किया था।
  • संयुक्त राष्ट्र के द्वारा राजकुमार के इस्तीफा देने की वजह निजी व पारिवारिक बताई गई है। गुतारेस ने राजकुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनकी सेवाओं के लिए आभार जताया है।
  • इस फंड की स्थापना 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित करके की गई थी। संयुक्त राष्ट्र में नियुक्ति से पहले राजकुमार वर्ल्ड बैंक ट्रेजरी में ग्लोबल पेंशन एडवाइजरी प्रोग्राम के प्रमुख थे।
  • चूंकि यह समय वैश्विक बाजार के लिए ठीक नहीं है, इसीलिए बिना समय गंवाए संयुक्त राष्ट्र ने एक अंतरिम प्रतिनिधि को नियुक्त कर दिया है। राजकुमार की जगह गाजो को नियुक्त किया गया है। वह एक अप्रैल से अपना कार्यभार संभालेंगे।

8. एक अप्रैल को है रिजर्व बैंक की स्थापना का दिन

भारत में एक अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी और एक जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण किया गया थी। यह केन्द्रीय बैंकिंग प्रणाली है जो 85 बसंत देख चुकी है।

भारतीय रिजर्व बैंक का इतिहास

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।
  • रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थपित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया। केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहां गवर्नर बैठते हैं और जहां नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं।
  • यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वमित्व है। इसके 27 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 04 उप कार्यालय (नयी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई) हैं जिनमें अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य

  • मौद्रिक प्रधिकारी
  • मौद्रिक नीति तैयार करता है,उसका कार्यान्वयन करता है और उसकी निगरानी करता है।
  • उद्देश्य: विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।
  • वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षक
  • बैंकिंग परिचालन के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है।
  • उद्देश्यः प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को किफायती बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधक
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 का प्रबंध करता है।
  • उद्देश्यः विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्रमिक विकास करना और उसे बनाए रखना।
  • मुद्रा जारीकर्ता
  • करेंसी जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है।
  • उद्देश्य : आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराना।
  • विकासात्मक भूमिका
  • राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिए व्यापक स्तर पर प्रोत्साहनात्मक कार्य करना।
  • संबंधित कार्य
  • सरकार का बैंकर : केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है; उनके बैंकर का कार्य भी करता है।
  • बैंकों के लिए बैंकर : सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है।

भारतीय रिजर्व बैंक का विधिक ढांचा

  • सर्वोच्च अधिनियम
  • भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934: रिज़र्व बैंक के कार्यों पर नियंत्रण करता है।
  • बैंककारी विनियम अधिनियम, 1949: वित्तीय क्षेत्र पर नियंत्रण करता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान प्रमुख पदाधिकारी

  • 1.   शक्तिकान्त दास – गवर्नर
  • 2.   एन.एस. विश्वनाथन – उप गवर्नर
  • 3.   बी. पी. कानूनगो – उप गवर्नर
  • 4.   महेश कुमार जैन – उप गवर्नर
  • 5.   डॉ. एम. डी. पात्र – उप गवर्नर

9. दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन का धार्मिक कार्यक्रम

दिल्ली का निज़ामुद्दीन कोरोना संक्रमण को लेकर सुर्ख़ियों में आ गया है मार्च के महीने में यहां हुआ एक धार्मिक आयोजन इसकी वजह है। चूंकि निज़ामुद्दीन में मुस्लिम संस्था तबलीग़ी जमात का हेडक्वॉर्टर हैं जहां ये आयोजन मार्च महीने में चल रहा था। इस धार्मिक आयोजन में हज़ारों लोग शामिल हुए थे। देशभर में लागू लॉकडाउन के बावजूद बड़ी संख्या में लोग वहीं रह रहे थे।

  • हालांकि तबलीग़ी जमात ने प्रेस रिलीज जारी करके ये बताया है कि जनता कर्फ़्यू के एलान के साथ ही उन्होंने अपना धार्मिक कार्यक्रम रोक दिया था। लेकिन पूरी तरह लॉकडाउन की घोषणा के कारण बड़ी संख्या में लोग वापस नहीं जा सके।
  • ये पूरा मामला इसलिए भी सुर्खियों में आया क्योंकि तेलंगाना सरकार ने माना है कि उनके यहां जिन लोगों की कोरोना की वजह से मौत हुई है उनमें से 6 लोग दिल्ली के निज़ामुद्दीन में धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे।
  • दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया है कि वहां मौजूद 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, 700 लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है और 335 लोगों को अस्पताल में निगरानी में रखा गया है।

कौन थे हजरत निज़ामुद्दीन?

  • हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया चिश्ती सम्प्रदाय के चौथे संत थे। इस सूफ़ी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की थी। कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुग़ल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए। 92 वर्ष की आयु में प्राण त्यागे और दक्षिणी दिल्ली में स्थित हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफ़ी काल की एक पवित्र दरगाह है।
  • हज़रत ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन औलिया का जन्म 1238 में उत्तर प्रदेश के बदायूँ ज़िले में हुआ था। ये पाँच वर्ष की उम्र में अपने पिता, अहमद बदायनी, की मॄत्यु के बाद अपनी माता, बीबी ज़ुलेखा के साथ दिल्ली आए। इनकी जीवनी का उल्लेख आइन-इ-अकबरी (अबुल फ़जल) के लिखित प्रमाण में अंकित है।
  • 1269 में जब निज़ामुद्दीन 20 वर्ष के थे, वह अजोधर (जिसे वर्तमान में पाकपट्ट्न शरीफ, जो कि पाकिस्तान में स्थित है) पहुँचे और सूफ़ी संत फ़रीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः बाबा फरीद के नाम से जाना जाता था। निज़ामुद्दीन ने अजोधन को अपना निवास स्थान तो नहीं बनाया पर वहाँ पर अपनी आध्यात्मिक पढ़ाई जारी रखी, साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली में सूफ़ी अभ्यास जारी रखा। वह हर वर्ष रमज़ान के महीने में बाबा फरीद के साथ अजोधन में अपना समय बिताते थे।
  • इनके अजोधन के तीसरे दौरे में बाबा फरीद ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, इनके बहुत से शिष्यों को आध्यात्मिक ऊँचाई की प्राप्त हुई, जिनमें ’शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिराग-ए-दिल्ली”, “अमीर खुसरो” के नाम से प्रसिद्ध थे।

10. क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में इस्तेमाल होगा जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम

दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का इस्तेमाल क्वॉरेंटाइन सेंटर के तौर पर होगा। सरकार की ओर से जारी आदेश में ये जानकारी दी गई है।

  • स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के लिए हमसे आधिकारिक रूप से संपर्क किया है, इसलिए, हम इसे सरकार को सौंप रहे हैं।
  • जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, भारत की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित एक बहुउद्देशीय स्टेडियम है, जहां बड़े स्तर पर खेल स्पर्धायें और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर स्थापित इस स्टेडियम का निर्माण सन 1982 में नवम एशियाई खेलों के आयोजन के लिए करवाया गया था।
  • निजामुद्दीन में पिछले दिनों आयोजित तब्लीग-ए-जमात में शामिल सैकड़ों लोगों में से कई कोरोना संदिग्ध पाए गए हैं। कोरोना का बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। यहां करीब 1500 लोगों को क्वॉरेंटाइन करने की सुविधा हो सकती है।
  • राजधानी दिल्ली में कोरोना के 25 नए केस सामने आए हैं, जिसके बाद कोरोना वायरस के संक्रमण का आंकड़ा 97 पहुंच गया है। इनमें से 2 की मौत हो चुकी है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, कोरोनावायरस की चपेट में आने बाद दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कराए गए 97 व्यक्तियों में से 10 व्यक्ति दिल्ली से बाहर के हैं।
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