1. वित्त आयोग ने ‘राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ की समीक्षा के लिए समिति का किया गठन
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने सामान्य सरकार (जनरल गवर्नमेंट) के ‘राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ की समीक्षा करने के लिए एक समिति का गठन किया है। 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह इस समिति की अध्यक्षता करेंगे।
- इस समिति के अन्य सदस्यों में ए.एन. झा, डॉ. अनूप सिंह (जो 15वें वित्त आयोग के सदस्य हैं); भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और लेखा महानियंत्रक के कार्यालयों के एक-एक प्रतिनिधि; तथा वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में संयुक्त सचिव (बजट) शामिल होंगे
- इनके अलावा दो बाहरी विशेषज्ञ, अर्थात डॉ. साजिद जेड. चिनॉय और डॉ. प्राची मिश्रा भी इस समिति के सदस्य होंगे। समिति में राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे, तमिलनाडु सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव एस. कृष्णन और पंजाब सरकार के प्रधान सचिव अनिरुद्ध तिवारी इनमें शामिल हैं।
- इस समिति को विश्लेषणात्मक और डेटा संबंधी सहयोग नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान की एक टीम द्वारा प्रदान किया जाएगा। इसी तरह वित्त आयोग सचिवालय का आर्थिक प्रभाग इस समिति के कामकाज को सुगम बनाएगा और आवश्यक सहयोग देगा।
समिति के विचारार्थ विषय निम्नलिखित हैं –
- यह समिति केंद्र सरकार, सभी राज्यों, सामान्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए घाटे एवं कर्ज की परिभाषा पर अपनी सिफारिशें पेश करेगी। इसके तहत संप्रभु सरकार की सभी स्पष्ट एवं आकलन की जा सकने वाली देनदारियों पर विचार कर और इसके साथ ही ऋण (स्टॉक) तथा घाटे (प्रवाह) की परिभाषा के बीच अनुरूपता सुनिश्चित कर यह कार्य पूरा किया जाएगा।
- इसके अलावा, यह समिति समुचित समायोजन के साथ सामान्य सरकार और समेकित सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण भार का अंदाजा या अनुमान लगाने के लिए सिद्धांतों को निर्दिष्ट करेगी, ताकि दोहरी-गणना से बचा जा सके।
- यह समिति आकस्मिक देनदारियों को परिभाषित करेगी। इसके अलावा समिति, जहां कहीं भी संभव हो, इस तरह की देनदारियों के मात्रात्मक आकलन के तरीके उपलब्ध कराएगी और इसके साथ ही उन शर्तों को निर्दिष्ट करेगी जिनके तहत ‘आकस्मिक’ देनदारियां सार्वजनिक क्षेत्र की ‘स्पष्ट’ देनदारियां बन जाती हैं। उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर समिति विभिन्न स्तरों पर घाटे और ऋण भार की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करेगी।
- उपर्युक्त के आधार पर यह समिति केंद्र सरकार, सभी राज्यों और सामान्य सरकार के लिए वित्त वर्ष 2021 से लेकर वित्त वर्ष 2025 तक के लिए ऋण एवं राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की एक रूपरेखा के बारे में अपनी सिफारिश पेश करेगी और इसके साथ ही यह समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए समुचित परिदृश्य विकसित करने की कोशिश करेगी।
पंद्रहवां वित्त आयोग
- 15वें वित्त आयोग का गठन एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था और आयोग के अन्य सदस्यों में अजय नारायण झा, अशोक लाहिड़ी, रमेश चंद्र, अनूप सिंह और सचिव अरविंद मेहता हैं।
- 15वें वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत 27 नवंबर, 2017 को किया था, ताकि वह 01 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2025 तक की पांच वर्षीय अवधि के लिए सुझाव दे सके।
- 15वां वित्त आयोग शर्तों से केंद्र के सहकारी संघवाद के विरुद्ध भी कहा जा रहा है। 15वें वित्त आयोग द्वारा 2011 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए राज्यों के बीच संसाधनों का आवंटन किये जाने की अनुशंसा की गई है (वर्तमान में इस हेतु 1971 की जनगणना का उपयोग किया जाता है) इससे उन दक्षिणी राज्यों को नुकसान होने की ज़्यादा संभावना है, जो दशकों से अपनी आबादी को नियंत्रित करने के लिये बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि कम जनसंख्या वृद्धि स्वाभाविक रूप से ‘कम प्रजनन दर’ से जुड़ी हुई है, जो बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और विकास का एक परिणाम है।
2. भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम में क्वॉरन्टाइन सुविधा की स्थापना की
कोविड-19 के प्रसार को रोकने में राष्ट्र के प्रयासों को मजबूती देते हुए भारतीय नौसेना ने पूर्वी नौसेना कमान के आईएनएस विश्वकर्मा में कोरोना प्रभावित देशों से लाए गए भारतीय नागरिकों के लिए क्वॉरन्टाइन कैंप की स्थापना की है।
- विदेशों से लाए गए भारतीय नागरिकों की कड़ी निगरानी की जा रही है, ताकि एक-दूसरे से आवश्यक दूरी बनाए रखने के प्रयास को सुनिश्चित किया जा सके। इस क्वॉरन्टाइन कैंप में 200 व्यक्तियों को रखा जा सकता है और यह कैंप सभी आवश्यक सुविधाओं से युक्त है।
- यह निगरानी नौसेना कर्मियों तथा पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) के चिकित्साकर्मियों की एक टीम द्वारा की जाएगी और इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल के अनुरूप किया जाएगा।
- सावधानी उपाय के तहत विदेशों से लाए गए भारतीय नागरिकों को 14 दिनों तक क्वॉरन्टाइन में रखा जा रहा है। पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) स्वास्थ्य अधिकारियों तथा जिला प्रशासन के साथ सक्रियता से समन्वय कर रहा है ताकि विदेशों से लाए गए सभी लोगों को पर्याप्त रोकथाम व देखभाल उपलब्ध कराई जा सके और इस प्रकार वायरस के प्रसार को रोका जा सके।
क्वॉरन्टाइन
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस की पुष्टि वाले मामलों में प्रभावित लोगों को घर में ही अलग-थलग रखने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किये हैं। यात्रा करने वालों में नोवेल कोरोना वायरस के संदिग्ध लक्षण पाये जाने पर उन्हें जल्दी से अलग-थलग रखकर निर्धारित स्वास्थ्य केन्द्रों में ले जाना चाहिए।
- इसके तहत घर में अलग-थलग रखे जाने वालों को हवादार कमरे में रखा जाना चाहिए। संभव हो तो कमरे में ही शौचालय की सुविधा भी हो। यदि परिवार के किसी अन्य सदस्य को उसी कमरे में रहना पड़े तो दोनों के बीच कम से कम एक मीटर का फासला रखा जाये।
- बुजुर्गों, गर्भवती महिला, बच्चों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को संक्रमित व्यक्ति से बचाकर रखें। मंत्रालय ने सलाह दी है कि किसी भी हालत में कोरोना प्रभावित व्यक्ति को किसी भी सामाजिक या धार्मिक आयोजन में शामिल नहीं होना चाहिए। उसे साबुन और पानी से बार-बार अच्छी तरह हाथ धोने चाहिए या अल्कोहल आधारित सेनीटाइज़र हाथ पर लगाते रहना चाहिए।
3. रक्षा मंत्रालय ने इजराइल वेपन्स इंडस्ट्रीज के साथ एक अधिग्रहण समझौते पर किए हस्ताक्षर
रक्षा मंत्रालय ने इजराइल वेपन्स इंडस्ट्रीज (Israel Weapons Industries) के साथ एक अधिग्रहण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत आठ अरब अस्सी करोड़ रुपए (8.6 अरब) मूल्य की 16 हजार चार सौ उन्यासी लाइट मशीन गन खरीदी जाएंगी।
- इजराइल में रमात हा-शेरोन शहर से बाहर स्थित यह कंपनी इस समझौते के तहत नेगेव लाइट मशीन गन भारतीय सेना को उपलब्ध कराएगी। ये मशीनगनें अपनी क्षमता साबित कर चुकी हैं और इनका इस्तेमाल मौजूदा समय में विश्व के कई देशों में हो रहा है।
- रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस तरह के मौजूदा हथियारों के मुकाबले इन लाइट मशीनगनों से सेना की मारक क्षमता बढ़ेगी। इससे अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों का मनोबल और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इन अत्याधुनिक लाइट मशीनगनों की आपूर्ति से भारतीय सेना की लम्बे समय से महसूस की जा रही जरूरत पूरी हो सकेगी।
- महज साढ़े सात किलोग्राम वजन वाली इस एलएमजी का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, छोटे समुद्री जहाजों और जमीनी लड़ाई में आसानी से किया जा सकेगा।
4. 20 मार्च को मनाया गया विश्व गोरैया दिवस
गोरैया के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गोरैया दिवस मनाया जाता है। घरों के आसपास नजर आने वाली गोरैया लुप्त होने के कगार पर है।
- इसकी आबादी में तेजी से आ रही गिरावट को देखते हुए भारतीय पर्यावरणविद मोहम्मद दिलावर की नेचर फोरएवर सोसायटी ने इस पहल की शुरुआत की थी। पहला विश्व गोरैया दिवस 2010 में दुनिया के विभिन्न भागों में मनाया गया था।
- इसके अलावा यह शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है। यह नेचर फोरेवर सोसाइटी (भारत) और इको-सिस एक्शन फ़ाउंडेशन (फ्रांस) के मिले जुले प्रयास के कारण मनाया जाता है।
गौरैया
- गौरैया जो एक समय तक गांवों- शहरों के हर घर में फुदकती नजर आती थी। गर्मियों में पानी के आसपास चहल कदमी करती वो गौरैया अब कहीं- कहीं ही नजर आती है। पेड़ों के काटे जाने और घरों के आसपास का माहौल बदलने के कारण उनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। अगर लोगों ने गौरैया को बचाने के लिए पहल नहीं की तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया सिर्फ किताबों- कहानियों में ही याद बनकर रह जाएगी।
- गौरैया एशिया, अमेरिका, यूरोप आदि देशों में पाई जाती है। इंसान जहां भी अपना घर बनाते हैं यह वहीं पर पहुंच जाती है। इसलिए इसको घरेलू चिड़िया यानी हाउस स्पैरो भी कहा जाता है। आज भारत ही नहीं दुनियाभर में गौरैया की संख्या कम हो रही है। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें हाउस स्पैरो, स्पेनिस स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसैट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो शामिल हैं। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है।
- गौरैया की लंबाई 14 से 16 सेंटीमीटर होती है। वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है। गौरेया अधिकतर झुंड में ही रहती है। भोजन तलाशने के लिए गौरेया का एक झुंड अधिकतर दो मील की दूरी तय करता है।
5. नोवल कोरोना वायरस/कोविड-19 के बारे में पूछताछ के लिए व्हाट्सएप चैटबोट लॉन्च
सरकार ने नोवल कोरोना वायरस/कोविड-19 के बारे में पूछताछ के लिए इंस्टेंट मेसेजिंगि एप व्हाट्सएप पर एक चैटबोट शुरू किया है। राष्ट्रीय औषध मूल्य प्राधिकरण के अनुसार इसका नाम माईगव कोरोना हेल्प डेस्क (MyGov Corona Helpdesk) रखा गया है।
- इस चैटबॉट से व्यक्ति कोरोना वायरस (COVID0-19) से जुड़ी सारी जानकारी ले सकता है। वॉट्सऐप चैटबॉट के इस्तेमाल के लिए व्यक्ति अपने फोन में 9013151515 नंबर सेव करना होगा इसके बाद उसे कोरोना वायरस से जुड़ी किसी जानकारी के लिए वॉट्सऐप पर इस बॉट को मेसेज भेजना होगा इसके बाद व्यक्ति को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी मिलेगी।
- यह बॉट जो जवाब यूजर्स को भेजेगा वह ऑटोमेटेड होगा। वॉट्सऐप पर इस चैटबॉट को लाने का मकसद है कि कोरोना वायरस के बारे में सही जानकारी मुहैया कराना। गौर करने वाली बात है कि कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की भ्रामक जानकारी भी फैल रही है।
- विदित है कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने भी वॉट्सऐप नंबर जारी किया था। इस नंबर पर कोरोना वायरस के बारे में कोई भी जानकारी ली जा सकती है।
- देश में अब तक कोरोना वायरस के 206 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 25 विदेशी हैं। देश में कुल 4 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हो चुकी है। सरकार लगातार लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक कर रही है।
- 19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्र के नाम संबोधन में लोगों से ज्यादा से ज्यादा घर में रहने की अपील की है। वही 22 मार्च (रविवार) को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे के बीच जनता कर्फ्यू का ऐलान भी किया है।
जनता कर्फ्यू
- कर्फ्यू यानी एक ऐसी स्थिति होती है जब लोग अपने घरों तक सीमित रहते हैं और सिर्फ बहुत ही जरूरी काम से बाहर निकलते हैं। जनता कर्फ्यू भी जनता के द्वारा लगाया गया कर्फ्यू है जिसमें लोगों को घर से बाहर तब ही निकलना है जब काफी जरूरी है जैसे किसी को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ गई हो या जिंदगी से जुड़ा काफी जरूरी काम हो।
- यह एक तरह का अनुरोध है जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। यह रविवार यानी 22 मार्च, 2020 को सुबह 7 बजे शुरू होगा और रात के 9 बजे तक रहेगा। इस दौरान लोगों को अपने घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है।
6. प्रधानमंत्री ने नवरोज पर देश को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरोज के अवसर पर देश को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने सन्देश में कहा “नवरोज़ मुबारक! मैं प्रार्थना करता हूं कि आने वाला वर्ष सुख और समृद्धि से भरा हो। हर कोई स्वस्थ हो सकता है और उनकी आकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं।
नवरोज
- नौरोज़ या नवरोज़ ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है।
- प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़/नवरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है।
- यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है जो प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है।
- खगोलशास्त्र के अनुसार यह वह काल होता है जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं जो इक्वीनाक्स की स्थिति होती है। इक्वीनाक्स उस क्षण को कहा जाता है कि जब सूर्य, सीधे भूमध्य रेखा से ऊपर होकर निकलता है। हिजरी शमसी कैलेण्डर का नव वर्ष इसी समय से आरंभ होता है और यह नए वर्ष का पहला दिन होता है। ईसवी कैलेण्ड के अनुसार नवरोज़ प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च से आरंभ होता है।
7. कपास की एक कीट-प्रतिरोधी ट्राँसजेनिक किस्म विकसित
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा फर्न के जीन्स के उपयोग से कपास की एक कीट-प्रतिरोधी ट्राँसजेनिक किस्म विकसित की है। यह किस्म सफेद मक्खी के हमले से कपास की फसल को बचाने में मददगार हो सकती है।
- कपास की यह किस्म लखनऊ स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है। एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी.के. सिंह ने बताया कि “पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के फरीदकोट केंद्र में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान कपास की इस किस्म का परीक्षण किया जाएगा।”
- यह कीट-प्रतिरोधी किस्म विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं ने पौधों की जैव विविधता से 250 पौधों की पहचान की है, जिनमें ऐसे प्रोटीन अणुओं का पता लगाया जा सके, जो सफेद मक्खी के लिए विषैले होते हैं।
- सभी पौधों के पत्तों के अर्क को अलग-अलग तैयार किया गया था, और सफेद मक्खी को उन पत्तों को खाने के लिए दिया गया था। इन पौधों में से, एक खाद्य फर्न टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा का पत्ती अर्क सफेद मक्खी में विषाक्तता पैदा करते हुए पाया गया है।” इसी आधार पर टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा के जीन्स के उपयोग से कपास की यह ट्रांसजेनिक प्रजाति विकसित की गई है।
- सफेद मक्खियों को जब कीटनाशक प्रोटीन की सीमित मात्रा के संपर्क में रखा गया तो उनके जीवन-चक्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इन बदलावों में सफेद मक्खी द्वारा खराब एवं असामान्य अंडे देना औरनिम्फ, लार्वा तथा मक्खियों का असाधारण विकास शामिल है। हालाँकि, दूसरे कीटों पर इस प्रोटीन को प्रभावी नहीं पाया गया है। डॉ सिंह ने कहा – “इससे पता चलता है कि यह प्रोटीन विशेष रूप से सफेद मक्खी पर अपना असर दिखाता है। प्रोटीन की विषाक्तता का परीक्षण चूहों पर करने पर इसे स्तनधारी जीवों के लिए भी सुरक्षित पाया गया है।”
- जल्दी ही कपास की इस किस्म का परीक्षण शुरू किया जाएगा। यह जानकारी सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने हाल में मैसूर में एक कार्यक्रम के दौरान दी है।
सफेद मक्खी
- सफेद मक्खी न केवल कपास, बल्कि अन्य फसलों को भी नुकसान पहुँचाने के लिए जानी जाती है। यह दुनिया के शीर्ष दस विनाशकारी कीटों में शामिल है, जो दो हजार से अधिक पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुँचाते हैं और 200 से अधिक पादप वायरसों के वेक्टर के रूप में भी कार्य करते हैं।
- वर्ष 2015 में सफेद मक्खी के प्रकोप सेपंजाब मेंकपास की दो तिहाई फसल नष्ट हो गई थी, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और वे कपास की खेती से मुँह मोड़ने लगे थे।
- वैज्ञानिकों का कहना यह भी है कि बीटी (बेलिस थ्यूरेनजिनेसिस) कपास मुख्य रूप से बॉलवर्म जैसे कीटों से निपटने के लिए विकसित की गई थी, जो फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाने में कारगर नहीं है। फसलों पर इसके प्रकोप को देखते हुए वर्ष 2007 में एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने सफेद मक्खी से निपटने के लिए कार्य करना शुरू किया था।
टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा
- टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा संवहनी पादप (ट्रैकेओफाइट) समूह का हिस्सा है। इस पौधे को नेपाल में सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। एशिया के कई क्षेत्रों में गैस्ट्रिक विकारों को दूर करने के लिए भी इस समूह के पौधों का उपयोग होता है, जो इनमें कीटनाशक प्रोटीन के मौजूद होने की संभावना को दर्शाते हैं।
- इस समूह के पौधों में लिगिनत ऊतक (जाइलम) पाए जाते हैं, जो भूमि से प्राप्त जल एवं खनिज पदार्थों को पौधे के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।
8. कोविड-19 संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हैं किडनी रोगी: अध्ययन
तेजी से फैलते कोविड-19 संक्रमण ने स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए कई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं लेकिन किडनी रोगों से ग्रस्त डायलिसिस करा रहे मरीजों के लिए यह स्थिति अधिक जोखिमपूर्ण हो सकती है। एक नये अध्ययन में पता चला है कि किडनी रोगी कोविड-19 के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
- शोधकर्ताओं का कहना है कि किडनी रोगियों में कोविड-19 के नैदानिक लक्षणों और संक्रामकता में अधिक विविधता देखने को मिल सकती है। कोविड-19 संक्रमण में किडनी का संबंध भी होता है और जब संक्रमण गंभीर होता है, तो यह मृत्यु दर का एक अलग कारक बन जाता है।
- कोविड-19 के संक्रमित होने के खतरे से ग्रस्त दूसरे व्यक्तियों की तुलना में किडनी रोगियों के लिए यह स्थिति अधिक चुनौतिपूर्ण है, क्योंकि जोखिम के बावजूद, उन्हें हर हफ्ते 2 से 3 बार डायलिसिस केंद्रों पर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति रोगियों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों, चिकित्सा कर्मचारियों और अन्य लोग संक्रमण के फैलने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
- चीन और भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका किडनी इंटरनेशनल में प्रकाशित किया गया है।
- पूर्व रिपोर्टों का हवाला देते हुए जॉर्ज हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि सार्स और मर्स कोरोना वायरस से ग्रस्त 05-15 प्रतिशत मरीजों में गंभीर किडनी रोग विकसित होते देखे गए हैं। इन मरीजों में से 60-90 प्रतिशत मरीजों को अपनी जान गवाँनी पड़ी है।
- कोविड-19 संक्रमण को लेकर कुछ शुरुआती रिपोर्टों में 03-09 प्रतिशत लोगों में गंभीर किडनी समस्याएँ उभरने की बात कही गई थी। हालाँकि, बाद में मिली रिपोर्टों में किडनी से जुड़ी समस्याओं की दर अधिक देखी गई है। अस्पताल में भर्ती कोविड-19 से ग्रस्त 59 लोगों पर किए गए अध्ययन के दौरान करीब दो-तिहाई मरीजों के पेशाब में प्रोटीन का अत्यधिक रिसाव देखा गया है।
क्या दी सलाह?
- शोधकर्ताओं का कहना है कि डायलिसिस के मरीजों के परिजनों को कोविड-19 का संक्रमण परिवार और दूसरे लोगों में फैलने से रोकने के लिए सावधानियों और रोकथाम के तरीकों का पालन सख्ती से करना चाहिए। इन सावधानियों में शरीर का तापमान मापना, बेहतर हाइजीन, हाथ धोना और बीमारी से ग्रस्त होने वाले लोगों की त्वरित रिपोर्टिंग मुख्य रूप से शामिल है।
9. अर्पित के तहत केवल दो वर्षों में 1.8 लाख से अधिक शिक्षकों को किया गया प्रशिक्षित
उच्च शिक्षा में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक अनूठी पहल में, सरकार उच्च शिक्षा संकाय के व्यावसायिक विकास के लिए पिछले दो वर्षों से ऑनलाइन ‘वार्षिक टीचिंग रिफ्रेशर पाठ्यक्रम (अर्पित) चला रही है।
- एमओओसी मंच – स्वयं के इस्तेमाल से, गुणवत्ता शिक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 2018 में यह पाठ्यक्रम शुरू किया गया था। यह 15 लाख उच्च शिक्षा संकाय के ऑनलाइन पेशेवर विकास की एक बड़ी और अनूठी पहल है।
- अर्पित के माध्यम से, पिछले दो वर्षों में 1.8 लाख से अधिक शिक्षकों को संशोधित पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए नए और उभरते रुझान, शैक्षणिक सुधार और कार्यप्रणाली प्रदान की गई है। 2018-19 में, 37,199 शिक्षकों को इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया गया था, जबकि 2019-20 में यह संख्या बढ़कर 1,46,919 हो गई, जो कार्यक्रम की लोकप्रियता के साथ-साथ लगभग चार गुना वृद्धि को दर्शाता है।
- शिक्षक शिक्षा प्रणाली का आधार हैं और अर्पित शिक्षकों के लिए अपने क्षेत्र में नवीनतम घटनाओं के बारे में जानने और उनके शिक्षण गुणों को विकसित करने का एक बड़ा मंच है। इसमें शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ सीखने का अनुभव भी शामिल है।
वार्षिक टीचिंग रिफ्रेशर पाठ्यक्रम (अर्पित)
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिसंबर, 2018 में शिक्षण में वार्षिक रिफ्रेशर कार्यक्रम लॉन्च किया था। अर्पित (एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग) एक ऑनलाइन पहल है जिसके द्वारा एमओओसी (मूक) प्लेटफॉर्म स्वयं का उपयोग करके 15 लाख उच्च शिक्षा के शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय संसाधन केन्द्रों (एनआरसी) की पहचान की गई जो ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री को तैयार करने में सक्षम है।
- इसके अंतर्गत 46 विषयों – कृषि, कानून, वास्तुकला, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, भूगोल, गृह विज्ञान, जनजातीय अध्ययन, वाणिज्य, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान, पाठ्यक्रम विकास, मानविकी, संस्कृत, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा शिक्षण, फार्मेसी, कौशल विकास, वस्त्र प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, सार्वजनिक नीति, नेतृत्व और शासन, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, मूल्यांकन, शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान विधि, जलवायु परिवर्तन आदि को शामिल किया गया है।
- एनआरसी तीन मिनट का वीडियो विकसित करता है जिसका मूल्यांकन एआईसीटीई करता है। यदि एमएमओसी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है तो इस वीडियो को स्वयं पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। पाठ्यक्रम में 40 घंटों की प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध है। इसमें 20 घंटों की वीडियो सामग्री है तथा 20 घंटों की गैर-वीडियो सामग्री है। इसमें मूल्यांकन के अभ्यास भी दिए गए हैं। पाठ्यक्रम की समाप्ति के बाद एक ऑनलाइन सत्र परीक्षा आयोजित की जाती है। इसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी संचालित करती है। सफल शिक्षकों को प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं
10. यूनान से टोक्यो पहुंची ओलंपिक मशाल
यूनान ने कोरोना वायरस महामारी के कारण ओलंपिक को स्थगित करने की अपीलों के बीच 19 मार्च को बंद दरवाजों के अंदर आयोजित किये गये समारोह में तोक्यो 2020 के आयोजकों को ओलंपिक मशाल सौंपी है।
- दर्शकों की गैरमौजूदगी में ओलंपिक जिम्नास्ट चैंपियन लेफ्टेरिस पेट्रोनियास ने मशाल मशाल लेकर दौड़ लगाई जबकि ओलंपिक पोल वॉल्ट चैंपियन कैटरीना स्टेफनिडी ने पैनथैनेसिक स्टेडियम के अंदर ओलंपिक ‘अग्निकुंड’ को प्रज्ज्वलित किया। इसी स्टेडियम में 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेल हुए थे।
- इसके बाद यह मशाल तोक्यो 2020 के प्रतिनिधि नाओको इमोतो को सौंप दी गयी। इमोतो तैराक हैं और उन्होंने 1996 अटलांटा ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। यूनिसेफ की प्रतिनिधि इमोतो को आखिरी क्षणों में नियुक्त किया गया था क्योंकि वह यूनान में रहती हैं ओर उन्हें जापान से यात्रा करने की जरूरत नहीं पड़ी थी।
- पिछले सप्ताह प्राचीन ओलंपिया में मशाल प्रज्जवलित करने का समारोह भी दर्शकों के बिना आयोजित किया गया था। कोरोना वायरस के कारण कई टूर्नामेंट स्थगित कर दिए गए हैं और ओलिंपिक को भी स्थगित करने की मांग कुछ खिलाड़ी कर रहे हैं।