1. महत्वपूर्ण तथ्य
- बाड़मेर जिले का कुल क्षेत्रफल = 28,387 किमी²
- बाड़मेर जिले की जनसंख्या (2011) = 26,04,453
- बाड़मेर जिले का संभागीय मुख्यालय = जोधपुर
2. भौगोलिक स्थिति
- भौगोलिक स्थिति: उत्तरी अक्षांश 24,58’ से 26, 32’ और पूर्वी देशान्तर 70, 05’ से 72, 52’ के मध्य स्थित है।
- थार मरुस्थल का एक भाग बाड़मेर जिला, राजस्थान के पश्चिम में स्थित है।
- बाड़मेर उत्तर में जैसलमेर जिले, दक्षिण में जालौर जिले, पूर्व में पाली और जोधपुर जिले तथा पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा है।
3. इतिहास
- बाड़मेर की स्थापना यहां के 13वीं शताब्दी के शासक बहादा राव परमार (पंवार) के नाम पर हुई, तब इसे बहादमेर कहा जाता था।
4. कला एवं संस्कृति
- बाड़मेर की यात्रा की एक खासियत यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है।
- यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोगों और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, बाड़मेर की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है।
- मार्च के महीने में पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त बाड़मेर महोत्सव का होता है। यह वक्त यहां आने का सबसे सही समय है।
5. शिक्षा
- यहाँ राजस्थान विश्वविद्यालय संलग्न अनैक महाविद्यालय हैं
- प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा हेतु सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कई अच्छी स्कूल हैं
- बाड़मेर में तकनिकी शिक्षा के लिए एक सरकारी इंजीनियरिंग एवं डिप्लोमा कॉलेज है
- खनिज एवं कृषि
- बाड़मेर में कृषि मुख्यतया कम ही की जाती है एवं बाजरा एक प्रमुख फसल है
- पशुपालन एक प्रमुख कृषि आधरित कार्य है
- पेट्रोलियम एवं गैस खोज के बाद यह एक प्रमुख खनिज हो गया है
7. प्रमुख स्थल
- जसोल : जसोल मालानी का प्रमुख क्षेत्र है। यहां पर स्थित जैन मंदिर और हिंदु मंदिर जसोल के मुख्य आकर्षण हैं। यहां एक चमत्कारिक देवी माता रानी भटीयाणी का मन्दिर है
- जानसिह की बेरी: यह ग्राम शिव-गडरारोड मार्ग पर शिव से ४३ किलोमिटर पर आया हुआ है यहा एक सन्चियाय माता क मन्दिर है। (मेरा ग्राम)
- खेड़: राठौड़ वंश के संस्थापक राव सिहा और उनके पुत्र ने खेड़ को गुहिल राजपूतों से जीता और यहां राठौड़ों का गढ़ बनाया। रणछओड़जी का विष्णु मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है।
- किराडु: पहाड़ी की तराई में हाथमा गांव के पास स्थित है किराडु। 1161 ई. के शिलालेख से पता चलता है कि पहले इस स्थान का नाम कीरतकूप था। किराडु को राजस्थान का खुजराहो कहा जाता है ।
- मल्लीनाथ मेला: राठौड़ राजवन्श के रावल रावल मल्लीनाथ के नाम पर मल्लीनाथ मेला राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है।
- मेवा नगर: यहाँ तीन जैन मंदिर हैं। इनमें से सबसे बड़ा मंदिर नाकोडा पार्श्वनाथ का समर्पित है। मल्लीनाथ के नाम पर ही इसका नाम महेवानगर पङा जो कि कालान्तर मे मेवा नगर हो गया।
- तिलवाड़ा पशु मेला: लूनी नदी के तट पर स्थित तिलवाङा गाँव मे यह मेला लगता है। यह जिले का प्रमुख पशु मेला है।
- नाकोङा पार्श्वनाथ: पंचपदरा तहसील के मेवानगर गाँव में एक मेला लगता है। यह स्थान बालोतरा शहर से 10 KM की दूरी पर है। यहाँ पर नाकोङा पार्श्वनाथ का जैन मंदिर है, जिसके चारों ओर का वातावरण काफी सुंदर है।
- हरलाल जाट का मेला: यह मेला भले ही शिक्षित वर्ग तक सीमित हो लेकिन बलदेव नगर का सबसे पवित्र स्थान है फौजीऔ का देवता भी कहा जाता है क्योकि HLH से सबसे ज्यादा फौजी बनते है जाटो का शेर इस उपनाम से हरलाल को जाना जाता है
- सिणधरी पशु मेला: लूनी नदी के तट पर स्थित सिणधरी गाँव मे यह मेला लगता है। यह जिले का प्रमुख पशु मेला है। यह मेला मनोरंजक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
8. नदी एवं झीलें
9. परिवहन और यातायात
- बाड़मेर रेलवे के जरिए जोधपुर से जुड़ा है।
- बाड़मेर बसों के जरिए जैसलमेर और गुजरात से जुड़ा हुआ है।
- निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है ।
10. उद्योग और व्यापार
- नमक एवं कुटीर उद्योग
- पेट्रोलियम एवं गैस उत्पादन