इंडियन पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी सर्विस
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इंडियन पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी सर्विस (आईपीईएसएस) के नाम से पेट्रोलियम एंड सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (पीईएसओ) के तकनीकी कैडर के तहत ग्रुप ‘ए’सेवा के गठन एवं कैडर समीक्षा को मंजूरी दी है।
पीईएसओ औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के तहत एक सहायक कार्यालय है। यह संगठन विस्फोटक, संपिडि़त गैस एवं पेट्रोलियम जैसे विनियमित पदार्थों की सुरक्षा के लिए 1898 से ही एक नोडल एजेंसी के रूप में राष्ट्र की सेवा कर रहा है। समय के साथ-साथ पीईएसओ की भूमिका और दायित्व में कई गुना इजाफा हुआ और उसका विस्तार विविध क्षेत्रों तक हो चुका है।
यह संगठन विस्फोटक पदार्थों, पेट्रोलियम, संपिडि़त गैस, प्रेशर वेसल गैस सिलेंडर, अंतर्राष्ट्रीय पाइप लाइन, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी), संपिडि़त प्राकृतिक गैस (सीएनजी), वाहन तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (ऑटो एलपीजी) आदि से संबंधित व्यापक विषयों में कार्यगत है। लाइसेंसयुक्त परिसरों एवं अन्य गतिविधियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने के साथ-साथ इस संगठन पर काम का दबाव काफी बढ़ा है।
सभी ग्रेडों में कर्मचारियों के प्रदर्शन और मनोबल को बढ़ाने के लिए आईपीईएसएस के नाम से पीईएसओ के तहत ग्रुप ‘ए’तकनीकी सेवा कैडर के गठन का निर्णय लिया गया। साथ ही नवगठित सेवा को 13वें स्तर पर पांच पद उठाने, 12वें स्तर पर तीन पद उठाने और 11वें स्तर पर आठ पद घटाने का निर्णय भी लिया गया है।
भारत – अमेरिका ने की समुद्री सुरक्षा पर चर्चा
- भारत और अमेरिका ने 30 अप्रैल से 1 मई तक गोवा में अपनी तीसरी समुद्री सुरक्षा वार्ता आयोजित की।
- दोनों पक्षों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री डोमेन में विकास पर चर्चा की और द्विपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर विचार विमर्श किया।
- उन्होंने पिछली समुद्री सुरक्षा वार्ता के दौरान किए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की भी समीक्षा की।
सरकार ने PMVVY पेंशन निवेश सीमा को किया दोगुना
- प्रधानमंत्री वाया वंदन योजना (PMVVY) पेंशन योजना के तहत सरकार ने निवेश सीमा को दोगुना करते हुए 15 लाख रुपये कर दिया है और सदस्यता अवधि को दो साल के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 कर दिया है।
- PMVVY वरिष्ठ नागरिकों के लिए है और यह 4 मई 2017 से 3 मई 2018 तक उपलब्ध थी।
- यह योजना दस साल के लिए वार्षिक 8% गारंटी दर के आधार के साथ एक आश्वासित पेंशन प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की नई निवेश सीमा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय समावेश और सामाजिक सुरक्षा के प्रति सरकारी प्रतिबद्धता के अंतर्गत प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) के तहत निवेश सीमा को 7.5 लाख रुपये से दोगुना कर 15 लाख रुपये करने के साथ-साथ इसकी सदस्यता की समय सीमा को 4 मई, 2018 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 करने की भी मंजूरी दे दी है।
इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा पहलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मौजूदा योजना में प्रति परिवार 7.5 लाख रुपये की निवेश सीमा को बढ़ाकर संशोधित पीएमवीवीवाई में प्रति वरिष्ठ नागरिक 15 लाख रुपये कर दिया गया है। इस तरह वरिष्ठ नागरिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा कवर सुलभ करा दिया गया है। इससे वरिष्ठ नागरिकों को प्रति माह 10,000 रुपये तक पेंशन मिल सकेगी।
मार्च 2018 तक कुल मिलाकर 2.23 लाख वरिष्ठ नागरिक पीएमवीवीवाई के तहत लाभान्वित हो रहे हैं। वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना-2014 नामक पिछली स्कीम में कुल मिलाकर 3.11 लाख वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं।
पृष्ठभूमिः
पीएमवीवीवाई को भारतीय जीवन बीमा निगम के जरिए क्रियान्वित किया जा रहा है, ताकि वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके और इसके साथ ही 60 साल एवं उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को अनिश्चित बाजार स्थितियों के चलते उनकी ब्याज आमदनी में किसी भी भावी कमी से उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके। इस स्कीम के तहत 10 साल तक प्रति वर्ष 8% की गारंटीड रिटर्न दर के आधार पर एक निश्चित या आश्वासित पेंशन दी जाती है और इसमें मासिक/तिमाही/छमाही एवं वार्षिक आधार पर पेंशन का चयन करने का विकल्प दिया गया है। रिटर्न में अंतर अर्थात एलआईसी द्वारा सृजित रिटर्न और प्रति वर्ष 8% के आश्वासित रिटर्न में अंतर को वार्षिक आधार पर सब्सिडी के रूप में भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
भारत, चीन की सेनाएं स्थापित करेंगे हॉटलाइन
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच वुहान में हुए अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के बाद, भारत और चीन की सेनाएं अपने मुख्यालयों के बीच एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
- हॉटलाइन को आत्मविश्वास-निर्माण का एक प्रमुख उपाय माना जाता है क्योंकि यह संचार को तीर्व करके दोनों देशों की सेनाओं को सीमा के तनाव को रोकने में सक्षम बनाएगा।
- भारत में पाकिस्तान के साथ पहले से ही एक हॉटलाइन है जिसका इस्तेमाल पहली बार 1991 में किया गया|
भारतीय खान ब्यूरो की पुर्नगठन प्रक्रिया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त सचिव स्तर तथा इससे ऊपर के पदों के निर्माण, उन्मूलन तथा उन्नयन के साथ भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के पुर्नगठन को मंजूरी दे दी। भारतीय खान ब्यूरो के वर्तमान 1477 पदों को बनाये रखा गया है। पुनर्गठन से आईबीएम को खान क्षेत्र में नियमों को बदलने तथा सुधार करने में सहायता मिलेगी। इससे आईबीएम, खनिज नियमन तथा विकास में सुधार के लिए आईटी तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की सेवाएं अपनाने में सक्षम होगा। इसके अलावा संगठन के कार्य संचालन में इन पदों से निर्णय प्रक्रिया में तेजी आयेगी तथा उत्तरदायित्व में वृद्धि होगी।
इसके प्रभाव : प्रस्ताव से खनिज क्षेत्र के तेजी से विकास में योगदान के लिए गंभीर उत्तरदायित्व वाले तकनीकी कर्मियों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। इस प्रकार पूरे क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। आईबीएम के बेहतर प्रदर्शन से खनन क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
पृष्ठभूमि: भारत सरकार ने 1 मार्च, 1948 को केंद्रीय कार्य, खान तथा ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आईबीएम की स्थापना की थी। इसका प्रारंभिक उद्देश्य खनन क्षेत्र के लिए नीति निर्धारण और कानूनी प्रावधानों के निर्माण में एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करना था। इसके साथ ही आईबीएम खनिज संसाधनों के विकास और उपयोग के संदर्भ में केन्द्र और राज्य सरकारों को सलाह प्रदान करता था। खनन क्षेत्र की बढ़ती आवश्यकताओं के अनुरूप आईबीएम की भूमिका और उत्तरदायित्व में बदलाव हुआ है। अब यह खनन क्षेत्र (कोयला, पेट्रोलियम तथा परमाणु खनिज के अलावा) में सुविधा प्रदाता तथा नियामक की भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रीय खनिज नीति (एनएमपी) 2008 के आलोक में खान मंत्रालय ने आईबीएम की भूमिका तथा कार्य की समीक्षा तथा पुर्नगठन विषय पर एक समिति का गठन किया। समिति ने 4 मई, 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसे मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया।
शीर्ष 5 रक्षा व्ययकर्ताओं में शामिल हुआ भारत
- एक स्वीडिश हथियार रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन 5 सबसे बड़े रक्षा व्ययकर्ताओं में से थे, जिनका 2017 में कुल व्यय 1.739 ट्रिलियन डॉलर के कुल वैश्विक रक्षा व्यय का 60% था।
- भारत ने अपने सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता का विस्तार, आधुनिकीकरण और विकास करने के लिए 2017 में $ 63.9 बिलियन खर्च किए।
- 2017 में 5 शीर्ष सैन्य व्ययकर्ता अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, रूस और भारत थे।