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मेडिसिन नोबेल पुरस्कार 2020: Medicine के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा, जानें किसे मिला यह पुरस्कार

साल 2020 में चिकित्सा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार विजेता का घोषणा हो गया है. इस साल यह पुरस्कार हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस की खोज करने वाले हार्वी जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस को दिया जाएगा. आपको बता दें कि नोबेल फाउंडेशन की तरफ से यह अवॉर्ड दिया जाता है.

नोबेल पुरस्कार समिति ने ट्वीट कर बताया कि विश्व के लोगों में रक्त-जनित हेपेटाइटिस, सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनता है. इसके खिलाफ लड़ाई में इन तीनों लोगों ने निर्णायक योगदान दिया. नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने कहा कि इन वैज्ञानिकों की खोज ने लाखों लोगों की जान बचाई है.

इन पुरस्‍कारों की घोषणा हर साल की तरह से इस बार भी स्‍वीडन के स्‍टॉकहोम शहर में की गई. इसी हफ्ते अन्‍य नोबेल पुरस्‍कारों की घोषणा की जाएगी. यह पुरस्कार फिजियोलॉजी या चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ठ खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सालाना तौर पर दिया जाता है.

हेपेटाइटिस सी

हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस से लीवर कैंसर होता है और यह एक बहुत बड़ा कारण है कि लोगों को लीवर ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है. नोबेल कमेटी के अनुसार 1960 के दशक में किसी से ख़ून लेना ऐसा ही ख़तरनाक था कि आपकी जान भी जा सकती थी. नोबेल कमेटी ने कहा कि इतिहास में पहली बार अब इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है, जिससे दुनिया से हेपेटाइटिस सी वायरस ख़त्म करने की उम्मीद बढ़ गई है.

जानें नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिकों के बारे में

हार्वी जेम्स ऑल्टर: हार्वी जेम्स ऑल्टर एक अमेरिकी चिकित्सा शोधार्थी, वायरोलॉजिस्ट और फिजिशियन हैं. ऑल्टर वारेन ग्रांट मैग्नसन क्लिनिरल सेंटर के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में रिसर्च के लिए एसोसिएट डायरेक्टर और संक्रामक रोग सेक्शन के प्रमुख हैं. हार्वी जेम्स ऑल्टर का जन्म अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में 12 सितंबर 1935 को हुआ था. उन्होंने साल 1956 में यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर के कला में स्नातक की डिग्री ली थी. उन्होंने इसके बाद साल 1960 में उसी यूनिवर्सिटी से चिकित्सा की डिग्री ली. हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज को संभव बनाने में अहम योगदान देने वाली उनकी खोजों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है.

माइकल ह्यूटन: माइकल ह्यूटन एक ब्रिटिश वायरोलॉजिस्ट हैं जो फिलहाल यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. माइकल ह्यूटन का जन्म यूनाइटेड किंगडम में 1950 के दशक में हुआ था. उन्होंने 17 साल की आयु में लुई पाश्चर के बारे में पढ़ने के बाद माइक्रोबायोलॉजिस्ट बनने का फैसला किया था. कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके ह्यूटन ने साल 1972 में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया से बायोलॉजिकल साइंसेज में डिग्री ली और साल 1977 में किंग्स कॉलेज लंदन से बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी पूरी की थी.

चार्ल्स एम राइस: चार्ल्स एम राइस एक अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट हैं. राइस फिलहास न्यूयॉर्क में स्थित रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं रहे हैं. चार्ल्स एम राइस का जन्म 25 अगस्त 1952 को सैक्रामेंटो में हुआ था. उन्होंने साल 1974 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से प्राणि विज्ञान (जूलॉजी) से स्नातक किया था और साल 1981 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी पूरी की थी, यहां उन्होंने आरएनए वायरसों पर अध्ययन किया था. वे साल 2003 से 2007 तक जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन के एडिटर रहे.

नोबेल पुरस्कार के बारे में

यह पुरस्कार फिजियोलॉजी या चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ठ खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सालाना तौर पर दिया जाता है. यह पुरस्कार डायनामाइट का आविष्कार करने वाले स्वीडन के महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में शुरू किया गया था. पुरस्कार के विजेता को प्रशस्ति पत्र के साथ 10 लाख डॉलर की राशि प्रदान की जाती है. प्रत्येक वर्ष विज्ञान, साहित्य के क्षेत्र में महान अविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.

यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस की ओर से प्रदान किया जाता है. नोबेल फाउंडेशन की स्थापना 29 जून 1901 में हुई थी. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य नोबेल प्राइज का आर्थिक संचालन करना है. इस फाउंडेशन में कुल 5 लोग होते हैं. स्वीडन का किंग ऑफ काउंसिल इस फाउंडेशन के मुखिया का चयन करता है. हर वर्ष अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार की घोषणा होती है.

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