- यह बोली डूंगरपूर व बांसवाड़ा तथा दक्षिणी-पश्चिमी उदयपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में बोली जाती हैं।
- यह भाषा मेवाड़ी के दक्षिणी भाग, दक्षिणी अरवाली प्रदेश तथा मालवा की पहाड़ीयों तक के क्षेत्र में बोली जाती है। भीली बोली इसकी सहायक बोली है।
- इस बोली की भाषागत विशेषताओं में च, छ, का, स, का है का प्रभाव अधिक है और भूतकाल की सहायक क्रिया था के स्थान पर हतो का प्रयोग किया जाता है।
बांगड़ी बोली {Writing Bracelets} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स
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