Nipah Virus alerts in राजस्थान : निपाह वायरस के खतरे को देखते हुए राजस्थान स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है।
निपाह वायरस की वजह से केरल में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस के खतरे को देखते हुए सीकर स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है। विभाग ने ऐसे वायरस से निपटने की तैयारी की है। तैयारियों को लेकर गुरुवार को सीएमएचओ कार्यालय में जिले के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में सीएमएचओ डॉ. अजय चौधरी ने निदेशालय से मिली निपाह वायरस अन्तरिम गाइड लाइन के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों और नर्सिंग स्टॉफ को सतर्क रहने के निर्देश दिए। इस दौरान गाइड लाइन के अनुसार एक्युट एनसिफेलाईटिस केसेज सर्विलेंस बढ़ाने पर जोर दिया गया।
बुखार के साथ बेहोश होने वालों पर विशेष नजर
निपाह वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति तेज बुखार व जांच में मलेरिया रिपोर्ट न होना, बहकी बातें करना, बेहोशी आना, असमंजस में रहता है। अचानक से बुखार, सिरदर्द, मसल पेन, उल्टी, गर्दन का भारीपन, फोटो फोबिया, कोमा एवं बेहोशी होती है।
मनुष्य के मामलों में इसका प्राथमिक उपचार इंटेंसिव सपोर्टिंक केअर (सघन सहायक देखभाल) के जरिए किया जा सकता है। किसी रोगी में बुखार के साथ बेहोशी जैसे लक्षण वाले रोगियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा। जिससे ऐसे लक्षण वाले रोगी जो प्रभावी क्षेत्र में 21 दिन तक रहे हो उनकी तुरंत जांच एवं एक्युट एनसिफेलाईटिस जांच के बाद निपाह वायरस जांच करवाई जाए। फिलहाल यह जांच राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे में होती है।
यह है निपाह वायरस
निपाह पशुओं से मनुष्य में फैलता है। इससे पशु और मनुष्य दोनों गंभीर रूप से बीमार हो सकते है। इस विषाणु के स्वाभाविक वाहक चमगादड हैं। निपाह वायरस से मुनष्य में कई बिना लक्षण वाले संक्रमण से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और प्राणघातक इनसेफेलाइटिस तक हो सकता है। यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से इसका पता चला था। वहीं से इस वायरस को निपाह नाम मिला। साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को ले जाने वाली चमगादड़ थी, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
स्वाइन फ्लू की तरह इलाज
इंसानों में निपाह इंफेक्शन से श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक निपाह वायरस का इंफेक्शन एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिससे दिमाग को नुकसान होता है। स्वाइन फ्लू की व्यवस्था की तरह ही निपाह वायरस से निपटने की तैयारी की गई है।
क्या है निपा वायरस ? स्थिति सम्पूर्ण विश्लेषण
अफ्रीका में इबोला जैसे जानलेवा वायरस के कहर के बाद अब एशिया में निपा नाम का वायरस सामने आया है. चमगादड़ की एक खास प्रजाति से फैलने वाला यह वायरस इंसान को 24-48 घंटे के भीतर ही कोमा में भेज सकता है.
क्या है निपा?
निपा एक तरह का संक्रमण फैलाने वाला वायरस है. इसे “निपा वायरस एन्सेफलाइटिस” भी कहा जाता है. भारत में इसके कुछ मामले केरल में सामने आए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह वायरस इंसान और जानवर दोनों पर हमला कर सकता है.
कब हुई पहचान?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस वायरस की पहचान साल 1998 में सिंगापुर और मलेशिया में हुई. उस वक्त यह सिर्फ सुअरों में देखने को मिलता था. लेकिन फिर यह इंसानों को भी प्रभावित करने लगा.
कहां से आता है?
डब्लयूएचओ के मुताबिक इस वायरस का नेचुरल होस्ट फ्रूट बैट (चमगादड़) होता है. ये वायरस चमगादड़ों के मूत्र, लार और शरीर से निकलने वाले द्रव में होता है. फिर जो भी इनके संपर्क में आता है, उसमें यह वायरस घर कर लेता है.
भारत और बांग्लादेश
साल 2004 में भारत और बांग्लादेश में इस वायरस के कुछ मामले सामने आए. इन मामलों में देखा गया कि ऐसे लोग जिन्होंने खजूर के पेड़ से मिलने वाली ताड़ी या खजरी को पिया, उन्हें इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया. क्योंकि ये वही पेड़ थे जो चमगादड़ों से प्रभावित हुए थे.
क्या हैं लक्षण?
निपा वायरस हवा से नहीं फैलता, बल्कि वायरस प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. ऐसे में बुखार के साथ सिर दर्द, थकान, भटकाव, मेंटल कंफ्यूजन महसूस होता है. अगर समय रहते इसकी पहचान नहीं की जाती तो महज 24-48 घंटे में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है.
क्या है इलाज?
अब तक इसके उपचार के लिए कोई पुख्ता वैक्सीन नहीं बनी है. मरीजों को आईसीयू में रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता. इसके अलावा ताड़ी, खजरी जैसे पेय पदार्थों से कुछ समय तक दूर रहें. इसके साथ ही जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि लोग सावधान रहें.