आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: -16 मार्च 2020

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1. सरकार ने फेसमास्क और हैण्ड सैनिटाइजर आवश्यक वस्तुएं घोषित की

 

  • विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं के परिप्रेक्ष्य में तथा यह भी देखते हुए कि मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है अथवा बहुत अधिक कीमतों पर काफी मुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, इन वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने के लिए एक आदेश अधिसूचित किया है।
  • उपभोक्ता कार्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार ने 30 जून, 2020 तक इन वस्तुओं को जरूरी चीजों की श्रेणी में घोषित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आदेश अधिसूचित किया है।
  • इन दोनों वस्तुओं के संबंध में, राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं और संबंधित राज्यों में व्याप्त परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं।
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार की शक्तियां वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को पहले ही प्रत्यायोजित की जा चुकी हैं। अतः, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं।
  • अतः, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत किसी उल्लंघनकर्ता को 7 वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है तथा चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत, उसे अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है।
  • इसका उद्देश्य इन वस्तुओं की आपूर्ति बढाना और जमाखोरी रोकना है। इस निर्णय से सरकार तथा राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को इन वस्तुओं की उपलब्धता और सुचारू बिक्री सुनिश्चित करने के लिए इनके उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण और वितरण पर नियमन का अधिकार मिलेगा।

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955

  • आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्ताओं को अनिवार्य वस्तुओं की सहजता से उपलब्धता सुनिश्चित कराने तथा कपटी व्यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है।
  • अधिनियम में उन वस्तुओं के उत्पादन वितरण और मूल्य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्त करने और उचित मूल्य पर उनकी उपलब्धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है। अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्य सरकारों को दी गई हैं।
  • अनिवार्य घोषित की गई वस्तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, के आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है।

 

2. मंत्रिमंडल ने 2020 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्यों को दी मंजूरी

 

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 2020 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है।
  • अच्छी औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के मीलिंग खोपरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2020 सीजन के लिए बढ़ाकर 9,960 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि 2019 में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,521 रूपये प्रति क्विंटल था। 2020 सीजन के लिए बाल खोपरा का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 10,300 रूपये प्रति क्विंटल किया गया, जबकि 2019 में यह 9,920 रूपये प्रति क्विंटल था।
  • इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के मुकाबले मीलिंग खोपरा के लिए 50 प्रतिशत और बाल खोपरा के लिए 55 प्रतिशत का लाभ सुनिश्चित होगा। यह अनुमोदन कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है।
  • 2020 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में यह बढ़ोतरी उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत से कम से कम डेढ़ गुणा स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसकी घोषणा सरकार ने 2018-19 के बजट में की थी।
  • यह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी संभव बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और विकासात्मक कदमों में से एक हैं क्योंकि यह कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के मार्जिन  का आश्वासन देता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price)

  • बम्पर उत्पादन के समय कृषि उत्पादों के मूल्यों में होने वाली कमी से किसानों के हितों को सुरक्षित करने के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाता है अत: निर्धारित मूल्य से कम बाजार मूल्य होने पर कृषि उत्पाद सरकार को निर्धारित मूल्य पर बेचा जा सकता है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर सरकार द्वारा बुवाई के समय न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है।
  • सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 25 फसलों के लिए जारी किया जाता हैं जिसमें 7 अनाज (धान, गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी), 5 दलहन (चना, अरहर, मूंग, उदड़, मसूर) 8 तिलहन (मूंगफली, सरसों, तोरिया, सूरजमुखी बीज, सोयाबीन नाइजरसीड, सेसमम, कुसुम के बीज) तथा 5 बागवानी फसलें (कोपरा, नारियल, कच्चा कपास, जूट) शामिल हैं।
  • न्यूनतम् समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत, आगत कीमतों में परिवर्तन, मांग और आपूर्ति, बाजार की कीमतों का रुझान, अंतरफसलीय मूल्य समतुल्यता, अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की स्थिति, सामान्य, मूल्य स्तर पर प्रभाव, किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों और कीमतों के बीच समानता के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की बढ़ोतरी का कारण?

  • कृषि उत्पादन मूल्य की समय के साथ बढ़ती लागत।
  • सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य।
  • कृषि एवं लागत मूल्य आयोग द्वारा कृषि लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य करने की सिफारिश।

इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव –

  • इससे अर्थव्यवस्था में वित्तीय समता को बढ़ावा मिलेगा।
  • किसानों की आय में वृद्धि से किसानों की आर्थिक समृद्धि होगी।
  • किसानों के पास आया अतिरिक्त धन अर्थव्यवस्था को गतिशीलता प्रदान करेगा।
  • यह बढ़ोतरी किसानों को कृषि छोड़ने से रोकेगी क्योंकि किसान कृषि में लाभ न होने से इसे छोड़ देते हैं।
  • कृषि छोड़ने के बाद किसान शहर की ओर पलायन करते थे इससे किसानों का शहर की ओर पलायन रूकता है।

इस बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव –

  • किसानों के पास अतिरिक्त पैसा आने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
  • यह WTO के नियमों के विरुद्ध है अत: यह भारत की छवि को नुकसान पहुँचाएगा।
  • कोपरा में अधिक वृद्धि होने से इसके उत्पादन में किसान ज्यादा रूचि लेंगे और अनाज का उत्पादन कम होगा।
  • यह खरीद सरकार के राजकोषीय घाटे को बढ़ा सकती है।

 

3. जैव कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन

 

  • केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से जानकारी दी है कि कृषि क्षेत्र में जैविक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए सरल दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
  • कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 9 (3 बी) के अंतर्गत अनंतिम पंजीकरण (Provisional Registration) के दौरान आवेदक को रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति होगी।
  • इसके तहत भारत सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) और पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (सीआईएसएस) जैसी जैविक कृषि योजना के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ टिकाऊ कृषि उत्पादन की दिशा में काम कर रही है।
  • इनके माध्यम से जैविक बीज और खाद के इस्तेमाल तथा रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे लोगों की सेहत में भी सुधार होगा।

परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana)

  • परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें से डीबीटी के माध्यम से किसानों को 31 हजार रुपये (62 प्रतिशत) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सहायता जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, वर्मीकम्पोस्ट, वानस्पतिक अर्क, उत्पादन/खरीद, फसल बाद प्रबंधन आदि के लिए दी जा रही है।
  • परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 152.82 करोड़ रुपये, 203.46 करोड़ रुपये, 329.46 करोड़ रुपये और 226.42 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region)

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के अंतर्गत जैविक सामग्रियों, बीज/पौध रोपण सामग्री के वास्ते 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।
  • एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 47.63 करोड़ रुपये, 66.22 करोड़ रुपये, 174.78 करोड़ रुपये और 78.83 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।

पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (Capital Investment Subsidy Scheme)

  • पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत भारत सरकार सालाना 200 टन क्षमता वाली जैविक उर्वरक इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को 160 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के आधार पर 100 प्रतिशत सहायता उपलब्ध कराकर जैविक उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है।
  • इसी प्रकार व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों को पूंजी निवेश के रूप में 40 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह सहायता राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।
  • पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत 2016-17 और 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने कोई धनराशि का वितरण नहीं किया। हालांकि 2018-19 के दौरान 276.168 लाख रुपये का वितरण किया गया है।

एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना

  • जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्र विद्यालय (फार्मर फील्ड स्कूल) और मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (2 और 5 दिन) के माध्यम से किसानों को शिक्षित किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं में भी जैव कीटशानकों (ट्राइकोडर्मा, मेटाझिझियम, ब्यूवेरिया आदि) का विस्तार और उनका किसानों को वितरण किया जा रहा है।
  • एकीकृत पेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत बीते 5 साल (2015-16 से 2019-20) के दौरान 3472 फार्मर फील्ड स्कूल और 647 मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इनके माध्यम से 1,04,160 किसानों और 25,880 कीटनाशक विक्रेता और राज्य सरकार के अधिकारी प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं।

 

4. एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड ने ‘ग्राहक भुगतान पोर्टल’ किया लॉन्च

 

  • भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन को ध्यान में रखते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधीनस्थ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से ‘ग्राहक भुगतान पोर्टल’ लॉन्च किया है।
  • एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड के इस ‘कस्टमर पेमेंट पोर्टल’ का उद्देश्य अपने ग्राहकों से विभिन्न ऑनलाइन तरीकों से भुगतान प्राप्त करना है, ताकि बकाया धनराशि का त्वरित एवं सुगम संग्रह हो सके।
  • इस पोर्टल से एचआईएल के ग्राहकों को किसी भी डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूपीआई अथवा ऑनलाइन वॉलेट से अपनी बकाया रकम का भुगतान त्वरित एवं सुविधाजनक तरीके से करने में मदद मिलेगी।
  • इस पहल से एचआईएल के ग्राहक अपने कार्यालय अथवा अपने घर से भी बकाया रकम का भुगतान कर सकेंगे। यह पहल ग्राहकों को एकल चरण (वन स्टेप) वाला प्लेटफॉर्म सुलभ कराएगी जिससे ऑनलाइन भुगतान, डेटा के रखरखाव, विशिष्ट रूप से तैयार या अनुकूलित एमआईएस रिपोर्ट तैयार करने और वित्तीय रिकॉर्डों का निर्बाध मिलान करने में काफी आसानी होगी।

एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड

  • हिल (इंडिया) लिमिटेड ”पूर्व में हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (एचआईएल)”, रसायन और पेट्रो रसायन विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार का एक उद्यम है, इसकी स्थापना मार्च, 1954 में, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को डीडीटी की आपूर्ति करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • इसके पश्चात कंपनी ने कृषि क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एग्रो पेस्टिसाइड्स में विविधीकरण किया। वर्तमान में कंपनी कृषि रसायनों, बीजों का कार्य कर रही है तथा हाल ही में उर्वरकों का कारोबार भी आरम्भ किया है, ताकि एक ही स्थान पर कृषक समुदाय की सभी आवश्यककताओं पूरा किया जा सके।
  • एचआईएल ने अभी तक 5 से 15 तकनीकी उत्पादों के अपने उत्पाद प्रोफाइल में वृद्धि की है। एच.आई.एल डीडीटी के विकल्प के विकास पर भी ध्यान दे रही है। कंपनी का डी.डी.टी के विकल्प के लिए एक बायो डिग्रेडेबल विकसित करने के लिए इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलोजी के साथ पहले से ही गठबंधन है, जिसे एक इनडोर अवशिष्ट स्प्रे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

5. हैदराबाद में विंग्स इंडिया 2020 प्रारंभ

 

  • नागर विमानन और एयरोस्पेस की द्विवार्षिक प्रदर्शनी विंग्स इंडिया 2020 का 13 मार्च 2020 से हैदराबाद के बेगमपेट हवाई अड्डे पर प्रारंभ हुआ है। इसका आयोजन 13 से 15 मार्च 2020 के मध्य किया जा रहा है। कोरोना वायरस के डर से इसमें आम नागरिकों को आने की अनुमति नहीं दी गई है।
  • यह प्रदर्शनी नागर विमानन मंत्रालय द्वारा भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण और भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल (फिक्की) के सहयोग से आयोजित की गई है।
  • इस चार दिवसीय कार्यक्रम ‘विंग्स इंडिया 2020’ का विषय: ‘फ्लाइंग फ़ॉर ऑल’ है। यह एक अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में नागरिक उड्डयन उद्योग में नए व्यापार अधिग्रहण, निवेश, नीति निर्माण और क्षेत्रीय संपर्कों पर केंद्रित है।
  • भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के द्वारा आयोजित विंग्स इंडिया 2020 उद्योग जगत में एशिया का सबसे व्यापक और लोकप्रिय सम्मलेन है। इस आयोजन में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विदेशी मंत्रियों, शीर्ष नेताओं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुख्यकार्यकारी अधिकारियों, आपूर्तिकर्ताओं, रणनीतिक साझेदारों, संगठनों और मीडिया के शामिल होते हैं।

 

6. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह फ्लैग-इन गंगा आमंत्रण अभियान में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल

 

  • केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह ‘गंगा आमंत्रण अभियान’ के सहभागियों के स्वागत समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। ध्यातव्य है कि  इस अभियान का लक्ष्य लोगों के बीच नदी के महत्व और इतिहास के बारे में जागरूकता फैलाना है।

गंगा आमंत्रण अभियान

  • ‘गंगा आमंत्रण अभियान’ 10 अक्टूबर, 2019 से 11 नवम्बर, 2019 तक आयोजित होने वाला गंगा नदी पर एक प्रवर्तक और ऐतिहासिक अन्वेषी ओपन-वॉटर राफ्टिंग और कायाकिंग अभियान था। देवप्रयाग से आरंभ होकर गंगा सागर में समाप्त होने वाला इस अभियान ने गंगा नदी के 25 सौ किलोमीटर से अधिक के समस्त फैलाव को कवर किया था।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा नदी के समस्त फैलाव में राफ्ट करने का यह अब तक का पहला प्रयास है और साथ ही व्यापक स्तर पर नदी कायाकल्प तथा नदी संरक्षण के संदेश को प्रसारित करने के लिए एक रोमांचक क्रीडा गतिविधि के जरिए आंरभ किया गया, अब तक का सबसे लम्बा सामाजिक अभियान भी है। इस अभियान ने गंगा के सामने आने वाली पारिस्थितिकी चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
  • इस अभियान में ऋषिकेश, हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, सोनपुर एवं कोलकाता पर विराम के साथ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित पांच गंगा बेसिन राज्य शामिल थे।
  • विख्यात अंतर्राष्ट्रीय ओपन-वॉटर तैराक विंग कमांडर परमवीर सिंह के नेतृत्व में भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं के तैराकों एवं राफ्टर की एक नौ सदस्यीय टीम को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा 7 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली में लांच किया गया था।
  • जागरूकता अभियान के अतिरिक्त सीएसआईआर – भारतीय टॉक्सिलॉजी अनुसंधान संस्थान की टीम जल की जांच के उद्देश्य से नदी के विविध रेंजों में जल नमूना संग्रहित किया था, जबकि भारतीय वन्य जीव संस्थान के सदस्य वर्ष 2019 के लिए वनस्पति एवं जीव-जंतु गणना आरंभ की थी।
  • इस अभियान का नेतृत्व करने वाले भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर परमवीर सिंह 2015 में देवप्रयाग से गंगासागर तक गंगा की समस्त लम्बाई तैरने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। वह रोमांचक क्रीड़ा खेलों से जुडे एक विशिष्ट उत्साही व्यक्ति हैं, जिनके नाम 13 विश्व, 3 एशियाई और 7 राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं।

 

7. भूजल ने हिमालयी स्लिप और जलवायु को किया प्रभावित: अध्ययन

 

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुम्बकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमैग्नेटिज़्म) (आईआईजी) के शोधकर्ताओं ने भूजल में मौसमी बदलावों के आधार पर शक्तिशाली हिमालय को घटते हुए पाया है।
  • चूंकि हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु को प्रभावित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित अध्ययन से यह समझने में मदद मिलेगी कि जल-विज्ञान किस प्रकार जलवायु को प्रभावित करता है।

क्या है अध्ययन?

  • हिमालय की तलहटी और भारत-गंगा का मैदानी भाग डूब रहा है, क्योंकि इसके समीपवर्ती क्षेत्र भूस्खलन या महाद्वीपीय बहाव से जुड़ी गतिविधि के कारण बढ़ रहे हैं।
  • जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित नए अध्ययन से पता चलता है कि सामान्य कारणों के अलावा, भूजल में मौसमी बदलाव के साथ उत्थान पाया जाता है। पानी एक चिकनाई एजेंट के रूप में कार्य करता है, और इसलिए जब शुष्क मौसम में पानी होता है, तो इस क्षेत्र में फिसलन की दर कम हो जाती है।
  • अब तक किसी ने भी जल-विज्ञान संबंधी दृष्टिकोण से बढ़ते हिमालय को नहीं देखा है। प्रो सुनील सुकुमारन के दिशा-निर्देश में अपनी पीएचडी के लिए कार्यरत अजीत साजी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने इस अभिनव प्रिज्म के माध्यम से इस गतिविधि को देखा। पानी के भंडारण और सतह भार में भिन्नताएं पाई जाती हैं, जिसके कारण मौजूदा वैश्विक मॉडलों के इस्तेमाल से इन्हें निर्धारित करने के लिए काफी मुश्किल हैं।
  • शोधकर्ताओं ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (ग्रेस) डेटा का एक साथ उपयोग किया है, जिससे उनके लिए हाइड्रोलॉजिकल द्रव्यमान की विविधताओं को निर्धारित करना संभव हो गया है। 2002 में अमेरिका द्वारा लॉन्च किए गए ग्रेस के उपग्रह, महाद्वीपों पर पानी और बर्फ के भंडार में बदलाव की निगरानी करते हैं। इससे आईआईजी टीम के लिए स्थलीय जल-विज्ञान का अध्ययन करना संभव हो पाया।
  • अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, संयुक्त जीपीएस और ग्रेस डेटा उप-सतह में 12 प्रतिशत की कमी होने का संकेत देता है। यह स्लिप बताता है कि फूट तथा हैंगिंग वाल के सापेक्ष कितनी तेजी से खिसकता है। यह स्लिप मुख्य हिमालयी दबाव (मेन हिमालयन थ्रस्ट) (एमएचटी) में होती है, जो हाइड्रोलॉजिकल विविधताओं और मानवीय गतिविधियों के कारण होती है।

 

8. केटरीना सेकेलारोपाउलो बनीं यूनान की पहली महिला राष्ट्रपति

 

  • यूनान में केटरीना सेकेलारोपाउलो ने देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। ध्यातव्य है कि जनवरी में 33 की तुलना में 261 सांसदों ने कातेरीना के पक्ष में मतदान किया था।
  • केटरीना सेकेलारोपाउलो ने प्रोकोपिस पावलोपोलस की जगह ली है। उन्हें संसद में विपक्षी दल के सांसदों का भी वोट हासिल हुआ है। विपक्षी दलों ने इस चुनाव में उनका समर्थन किया था। अब वह काउंसिल ऑफ स्टेट ऑफ ग्रीस की पहली महिला प्रमुख भी हो गई हैं। वह कमांडर इन चीफ भी बन गई हैं, जो एक औपचारिक पद है।
  • कोरोना वायरस के चलते उनके शपथग्रहण समारोह में संसद लगभग खाली थी। यूनान में सभी  स्कूल, विश्वविद्यालय, सिनेमाघर, जिम और नाइट क्लब बंद कर दिए गए हैं। इस देश में अब तक कोरोना के 117 मामले सामने आए हैं और एक मौत हुई है।

 

9. प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सार्क देशों से का किया आह्वान

 

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सार्क देशों से एक मजबूत रणनीति बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन रणनीतियों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विचार-विमर्श किया जा सकता है और आपस में एकजुट होकर सार्क देश दुनिया के सामने एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश कर सकते हैं एवं स्वस्थ धरती सुनिश्चित करने में बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री ने कहा है कि दक्षिण एशिया में ही वैश्विक आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है, अत: दक्षिण एशिया के देशों को अपने यहां रहने वाले लोगों का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से कोई भी कसर नहीं छोड़नी चाहिए।
  • प्रधानमंत्री के इस आह्वान का नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ने समर्थन किया है। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री मोदी की पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि उनकी सरकार घातक संक्रमण से अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सार्क के सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए तैयार है।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क)

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.5 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल 2007 में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बन गया था।
  • सार्क का काठमांडू में एक स्थायी सचिवालय है इसके महासचिव बारी-बारी से नियुक्त किए जाते हैं, सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों वाली मंत्रिपरिषद है जिसकी वर्ष में दो बार बैठक होती है सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक स्थायी समिति है जो संगठन की विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी तथा समन्वय का काम करती है और आवश्यकतानुसार तकनीकी तथा कार्य समितियां हैं।
  • प्रत्येक सदस्य देश काठमांडू स्थित सचिवालय हेतु एक अधिकारी तैनात करता है जिसे निदेशक कहा जाता है। संगठन को चलाने के लिए वित्त की व्यवस्था सदस्य देशों के स्वैच्छिक अंशदान से की जाती है। सार्क की दो मुख्य विशेषताएं यह हैं कि सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं और द्विपक्षीय तथा विवादित मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती है।
  • भारत की पहल पर सार्क सरकारों के विचार जानने के लिए साउथ-ईस्ट यूनिवसिर्टी (एसएयू) हेतु एक संकल्पना पत्र प्रस्तुत किया गया। सभी सदस्य देश इसके पक्ष में थे और नई दिल्ली में आयोजित 14वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान 04 अप्रैल, 2007 को एसएयू की स्थापना हेतु एक अंतर-मंत्राललीय करार पर हस्ताक्षर किए गए। सार्क सचिवालय ने वर्ष 2010 में थिम्पू में आयोजित 16वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान साउथ-ईस्ट यूनिवर्सिटी की स्थापना संबंधी संकल्पना का अनुमोदन कर दिया। तदनुसार, एसएयू ने अगस्त, 2010 में छात्रों के लिए अपने द्वारा खोल दिए।
  • पर्यवेक्षक दर्जा प्राप्त देशों में आस्ट्रेलिया, चीन, यूरोपीय संघ, ईरान, जापान, मारीशस, म्यांमार, दक्षिण कोरिया और अमेरिका शामिल हैं।

 

10. उनादकट की अगुवाई में सौराष्ट्र ने जीता पहला रणजी खिताब

 

  • सौराष्ट्र ने पहली पारी में बंगाल पर बढ़त के आधार पर रणजी ट्रॉफी का अपना पहला खिताब जीत लिया है। सौराष्ट्र ने पहली पारी में 425 रन बनाए थे जबकि बंगाल की टीम पहली पारी में 381 रन पर ही सिमट गई थी।
  • बंगाल पांचवें दिन का खेल शुरू होने से पहले पहली पारी में बढ़त हासिल करने की बेहतर स्थिति में दिख रहा था।  अनुस्तुप मजूमदार (63) और अर्णब नंदी (नाबाद 40) ने अंतिम सत्र में 91 रन जोड़कर टीम की उम्मीदें जगा दी थी।
  • लेकिन सेमीफाइनल में गुजरात के खिलाफ अंतिम दिन सात विकेट लेकर सौराष्ट्र को फाइनल में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कप्तान जयदेव उनादकट ने फिर से सही समय पर बेहतरीन गेंदबाजी की और अपनी टीम को इतिहास रचने योगदान दिया।
  • बायें हाथ के तेज गेंदबाज उनादकट ने मजूमदार को पगबाधा आउट किया और फिर आकाशदीप को रन आउट किया। इन दोनों के तीन गेंद के अंदर आउट होने से मैच का पासा पलट गया। ध्यातव्य है कि उनादकट ने सत्र में 13.23 की औसत से सर्वाधिक 67 विकेट लिये थे लेकिन वह सर्वकालिक रिकार्ड से एक विकेट पीछे रह गये थे।
  • उप विजेता बनने के बावजूद बंगाल के लिये यह यादगार सत्र रहा और वह 13 साल बाद फाइनल में पहुंचा। उसकी तरफ से तेज गेंदबाजी की तिकड़ी आकाशदीप, मुकेश कुमार और ईशान पोरेल तथा अनुभवी बल्लेबाज मनोज तिवारी और मजूमदार ने अहम भूमिका निभायी।
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