इनके उदाहरण, प्रत्यय-चिह्नों के साथ नीचे दिया जा रहा है-
(i)कर्तृवाचक कृत्-प्रत्यय
कर्तृवाचक कृत्-प्रत्यय बनाने के लिए धातु के अन्त में अंकू, आऊ, आक, आका, आड़ी, आलू, इया, इयल, एरा, ऐत, आकू, अक्कड़, वन, वाला, वैया, सार, हार, हारा इत्यादि प्रत्यय लगाये जाते हैं। उदाहरणार्थ-
प्रत्यय | धातु | कृदंत-रूप |
---|---|---|
आऊ | टिक | टिकाऊ |
आक | तैर | तैराक |
आका | लड़ | लड़का |
आड़ी | खेल | खिलाड़ी |
आलू | झगड़ | झगड़ालू |
इया | बढ़ | बढ़िया |
इयल | अड़ | अड़ियल |
इयल | मर | मरियल |
ऐत | लड़ | लड़ैत |
ऐया | बच | बचैया |
ओड़ | हँस | हँसोड़ |
ओड़ा | भाग | भगोड़ा |
अक्कड़ | पी | पिअक्कड़ |
वन | सुहा | सुहावन |
वाला | पढ़ | पढ़नेवाला |
वैया | गा | गवैया |
सार | मिल | मिलनसार |
हार | रख | राखनहार |
हारा | रो | रोवनहारा |
(ii)कर्मवाचक कृत्-प्रत्यय
कर्मवाचक कृत्-प्रत्यय बनाने के लिए धातु के अन्त में ना, नी औना इत्यादि प्रत्यय लगाये जाते हैं। उदाहरणार्थ-
प्रत्यय | धातु | कृदंत-रूप |
---|---|---|
ना | ओढ़, पढ़ | ओढ़ना, पढ़ना |
नी | छल, ओढ़, मथ | छलनी, ओढ़नी, मथनी |
औना | खेला, बिछ | खिलौना, बिछौना |
(iii)करणवाचक कृत्-प्रत्यय
करणवाचक कृत्-प्रत्यय बनाने के लिए धातु के अन्त में आ, आनी, ई, ऊ, औटी, न, ना, नी इत्यादि प्रत्यय लगते हैं। उदाहरणार्थ-
प्रत्यय | धातु | कृदंत-रूप |
---|---|---|
आ | झूल | झूला |
आनी | मथ | मथानी |
ई | रेत | रेती |
ऊ | झाड़ | झाड़ू |
औटी | कस | कसौटी |
न | बेल | बेलन |
ना | बेल | बेलना |
नी | बेल | बेलनी |
(iv)भाववाचक कृत्-प्रत्यय
भाववाचक कृत्-प्रत्यय बनाने के लिए धातु के अन्त में अ, अन्त, आ, आई, आन, आप, आपा, आव, आवा, आस, आवना, आवनी, आवट, आहट, ई, औता, औती, औवल, औनी, क, की, गी, त, ती, न, नी इत्यादि प्रत्ययों को जोड़ने से होती है। उदाहरणार्थ-
प्रत्यय | धातु | कृदंत-रूप |
---|---|---|
अ | भर | भार |
अन्त | भिड़ | भिड़न्त |
आ | फेर | फेरा |
आई | लड़ | लड़ाई |
आन | उठ | उठान |
आप | मिल | मिलाप |
आपा | पूज | पुजापा |
आव | खिंच | खिंचाव |
आवा | भूल | भुलावा |
आस | निकस | निकास |
आवना | पा | पावना |
आवनी | पा | पावनी |
आवट | सज | सजावट |
आहट | चिल्ल | चिल्लाहट |
ई | बोल | बोली |
औता | समझ | समझौता |
औती | मान | मनौती |
औवल | भूल | भुलौवल |
औनी | पीस | पिसौनी |
क | बैठ | बैठक |
की | बैठ | बैठकी |
गी | देन | देनगी |
त | खप | खपत |
ती | चढ़ | चढ़ती |
न | दे | देन |
नी | चाट | चटनी |
(v)क्रियाद्योतक कृत्-प्रत्यय
क्रियाद्योतक कृदन्त-विशेषण बनाने में आ, ता आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है।
‘आ’ भूतकाल का और ‘ता’ वर्तमानकाल का प्रत्यय है।
अतः क्रियाद्योतक कृत्-प्रत्यय के दो भेद है- (i) वर्तमानकाल क्रियाद्योतक कृदन्त-विशेषण, और (ii) भूतकालिक क्रियाद्योतक कृदन्त-विशेषण। इनके उदाहरण इस प्रकार है-
वर्तमानकालिक विशेषण-
प्रत्यय | धातु | वर्तमानकालिक विशेषण |
---|---|---|
ता | बह | बहता |
ता | मर | मरता |
ता | गा | गाता |
भूतकालिक विशेषण-
प्रत्यय | धातु | भूतकालिक विशेषण |
---|---|---|
आ | पढ़ | पढ़ा |
आ | धो | धोया |
आ | गा | गाया |
संस्कृत के कृत्-प्रत्यय और संज्ञाएँ
कृत्-प्रत्यय | धातु | भाववाचक संज्ञाएँ |
---|---|---|
अ | कम् | काम |
अना | विद् | वेदना |
अना | वन्द् | वन्दना |
आ | इष् | इच्छा |
आ | पूज् | पूजा |
ति | शक् | शक्ति |
या | मृग | मृगया |
तृ | भुज् | भोक्तृ (भोक्ता) |
उ | तन् | तनु |
इ | त्यज् | त्यागी |
कृत्-प्रत्यय | धातु | कर्तृवाचक संज्ञाएँ |
---|---|---|
अक | गै | गायक |
अ | सृप् | सर्प |
अ | दिव् | देव |
तृ | दा | दातृ (दाता) |
य | कृ | कृत्य |
अ | प्र+ह् | प्रहार |
(2)तद्धित प्रत्यय:- संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगनेवाले प्रत्यय को ‘तद्धित’ कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त।
जैसे-
मानव + ता = मानवता
अच्छा + आई = अच्छाई
अपना + पन = अपनापन
एक + ता = एकता
ड़का + पन = लडकपन
मम + ता = ममता
अपना + पन = अपनत्व
कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। तद्धित और कृत-प्रत्यय में यही अन्तर है। उपसर्ग की तरह तद्धित-प्रत्यय भी तीन स्रोतों- संस्कृत, हिंदी और उर्दू- से आकर हिन्दी शब्दों की रचना में सहायक हुए है। नीचे इनके उदाहरण दिये गए है।