301 |
सिरोही में टेढ़ी-मेढ़ी पहाड़ियाँ क्या कहलाती है ? |
भाखर |
302 |
देशहरो |
उदयपुर में रागा व जरगा पहाड़ी के बीच का क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है। |
303 |
गिरवा |
उदयपुर के पास तश्तरीनुमा पहाड़ी को |
304 |
भभूल्या |
छोटे वायु चक्रवात |
305 |
पुरवाईयाँ |
बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी पवने |
306 |
घाटी में बसा नगर |
अजमेर |
307 |
फाउण्टेन व माउण्टेन सिटी |
उदयपुर |
308 |
उदयपुर जिले में जयसमंद से आगे पूर्व दिशा में कटा फटा पठार |
लसाड़िया का पठार |
309 |
अक्षांश व देशांतर रेखाओं के हिसाब से राजस्थान की स्थिति |
23°3’ से 30°12’ उत्तरी अक्षांश तथा 69°30’ से 78°17’ पूर्वी देशांतर के बीच |
310 |
सेला बासमती चावल |
बूंदी |
311 |
कनकसागर पक्षी आखेट निषिद्ध क्षेत्र |
बूंदी |
312 |
आम-पापड़ कहाँ पर प्रसिद्ध |
बाँसवाड़ा |
313 |
अतिआर्द्र जलवायु प्रदेश में दो जिले |
झालावाड़, बाँसवाड़ा |
314 |
चिकु उत्पादन में प्रथम |
सिरोही |
315 |
मैगनीज उत्पादन में प्रथम |
बाँसवाड़ा |
316 |
माल्टा उत्पादन में प्रथम |
गंगानगर |
317 |
केले उत्पादन में प्रथम |
बाँसवाड़ा |
318 |
खेल के सामानों के लिए प्रसिद्ध जिला |
हनुमानगढ़ |
319 |
सर्वाधिक नाप-तौल के यंत्र |
कोटा |
320 |
मेवात प्रदेश |
अलवर |
321 |
गेबसागर झील |
डूंगरपुर |
322 |
गुरु द्रोणाचार्य का निवास |
द्रोणपुर, छापर (चूरू) |
323 |
मानसी-वाकल नदी किस अभ्यारण्य में |
फुलवारी की नाल, उदयपुर |
324 |
गोड़ावण के कृत्रिम प्रजनन हेतु जन्तुआलय |
जोधपुर जन्तुआलय |
325 |
सबसे प्राचीन जन्तुआलय |
जयपुर जन्तुआलय (1876 ई.) सवाई रामसिंह द्वारा |
326 |
सबसे नवीन जन्तुआलय |
कोटा जन्तुआलय (1954 ई.) |
327 |
जीरा मण्डी |
जोधपुर |
328 |
प्याज मण्डी |
अलवर |
329 |
आँवला मण्डी |
चौमु (जयपुर) |
330 |
फूल मण्डी |
पुष्कर (अजमेर) |
331 |
सब्जी मण्डी |
सांगानेर (जयपुर) |
332 |
मेहन्दी मण्डी |
सोजत (पाली) |
333 |
लहसुन मण्डी |
छीपा बड़ौद (बारां) |
334 |
ईसबगोल मण्डी |
भीनमाल (जालौर) |
335 |
राजस्थान में वृक्षों हेतु पहला बलिदान |
1604 ई. रामासनी गाँव (जोधपुर) में करमां व गौरा का बलिदान |
336 |
काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध गाँव ‘बस्सी’ कहाँ है ? |
चित्तोडगढ़ |
337 |
जंगली मुर्गो के लिए प्रसिद्ध अभ्यारण्य |
माउन्ट आबू अभ्यारण्य (सिरोही) |
338 |
नवीनतम पशुगणना |
19 वीं पशुगणना (2012) |
339 |
एशिया की सबसे बड़ी पक्षी प्रजनन स्थली |
केवलादेव घना पक्षी विहार (भरतपुर) |
340 |
किस अभ्यारण्य में ग्रेनईट, क्वार्ट्जाइट तथा सेंड स्टोन आदि चट्टानों की भरमार है ? |
भैंसरोड़गढ़ (चित्तोडगढ़) |
341 |
डॉल्फिन व घड़ियालों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध अभ्यारण्य |
चम्बल अभ्यारण्य (उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश) |
342 |
गोड़ावण की शरण स्थली |
राष्ट्रिय मरू उद्यान (जैसलमेर-बाड़मेर) |
343 |
किस अभ्यारण्य से ओरई तथा ब्राह्मणी नदियों का उद्गम स्थान |
बस्सी अभ्यारण्य (चित्तोडगढ़) |
344 |
राष्ट्रिय मरू वानस्पतिक उद्यान |
माचिया सफारी पार्क (जोधपुरी) |
345 |
वह पादप जो विश्व में एक मात्र आबू अभ्यारण्य में ही पाया जाता है। |
डिकल्पिटेरा आबू एन्सिस |
346 |
एंटीलोप प्रजाति के दुर्लभतम जीव चौसिंगा |
सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य (प्रतापगढ़) |
347 |
पीली किताब |
1947 ई. में अलवर के अंतिम राजा तेजसिंह द्वारा बनाई गई फारेस्ट सेटलमेण्ट रिपोर्ट |
348 |
सर्वाधिक जैव विविधता वाला अभ्यारण्य |
द मुकुंदरा हिल्स (दर्रा अभ्यारण्य), कोटा |
349 |
कांकणबाड़ी किला |
सरिस्का (अलवर) |
350 |
हिम पक्षियों का शीत-बसेरा |
केवलादेव घना पक्षी विहार (भरतपुर) |
351 |
टाइगर मेन ऑफ़ इण्डिया |
डॉ. कैलाश सांखला |
352 |
42 वें संविधान संसोधन द्वारा वन्य जीव विषय को किस सूची में रखा गया है ? |
समवर्ती (जयपुर) |
353 |
प्रथम जैविक उद्यान |
नाहरगढ़ (जयपुर) |
354 |
प्रथम जैव उर्वरक का कारखाना |
भरतपुर |
355 |
इण्डिया इको डवलपमेंट परियोजना |
रणथम्भौर राष्ट्रिय उद्यान में वन्य जीवों के संरक्षण हेतु विश्व बैंक के सहयोग से चलाई गयी योजना |
356 |
झालावाड़ के पशु मेले |
गोमती सागर पशु मेला (वैशाख पूर्णिमा), चंद्रभागा पशु मेला (कार्तिक पूर्णिमा) ये दोनों मेले एक ही स्थान पर चंद्रभागा मंदिर के पास विशाल मैदान पर आयोजित होते है। |
357 |
नागौर के पशु मेले |
वीर तेजाजी पशु मेला (परबतसर, नागौर) बलदेव पशु मेला (मेड़ता सिटी नागौर), रामदेव पशु मेला (नागौर) |
358 |
आय की दृष्टि से सबसे बड़ा पशु मेला |
वीर तेजाजी पशु मेला (परबतसर, नागौर) |
359 |
भरतपुर में पशु मेला |
जसवंत पशु मेला |
360 |
अलवर में पशु मेला |
बहरोड़ पशु मेला |
361 |
बाड़मेर में पशु मेला |
मल्लीनाथ पशु मेला (तिलवाड़ा, बाड़मेर) |
362 |
माही सुगंधा चावल |
बाँसवाड़ा |
363 |
त्रिवेणी संगम |
चम्बल, बनास व सीप नदियों का संगम |
364 |
अन्तर्राज्यीय सीमा पर स्थित जिले |
23 जिले |
365 |
राजपुताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग |
1800 ई. में जोर्ज थोमसन ने |
366 |
राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग |
1829 ई. में कर्नल जैम्स टॉड ने अपने इतिहास ग्रन्थ ‘एनल्स एंड एण्टीक्वीटीज ऑफ़ राजस्थान’ में किया। |
367 |
राजस्थान शब्द कब अंगीकृत किया गया |
26 जनवरी 1950 |
368 |
सर्वाधिक कुल साक्षरता वाला जिला |
कोटा |
369 |
सर्वाधिक पुरुष साक्षरता वाला जिला |
झुंझुनू |
370 |
सर्वाधिक महिला साक्षरता वाला जिला |
कोटा |
371 |
जयपुर के कुल पड़ोसी जिले |
6, टोंक, अजमेर, नागौर, सीकर, अलवर व दौसा |
372 |
चाँद बावड़ी |
दौसा |
373 |
रामेश्वर घाट |
सवाई माधोपुर |
374 |
बिगोद (भीलवाड़ा) का त्रिवेणी संगम |
बनास, बेड़च व मेनाल नदियों का संगम |
375 |
बेणेश्वर (डूंगरपुर) में किन नदियों का संगम |
सोम, माही, जाखम |
376 |
राजमहल (टोंक) में त्रिवेणी संगम |
बनास, डाई व खारी |
377 |
बासड़ी-बोरोदा क्षेत्र |
दौसा, सोना-चाँदी के भण्डार मिले |
378 |
राजस्थान का पहला निजी नर्सिंग कॉलेज |
पिलानी (झुंझुनू) |
379 |
घग्घर नदी का प्राचीन नाम व पाकिस्तान में नाम |
प्राचीन नाम – दृषद्वती/सरस्वती नदी व पाकिस्तान में हकरा |
380 |
नागौरी गहना |
हथकड़ी को |
381 |
काठ का रैन बसेरा |
झालरापाटन |
382 |
बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग |
गरड़दा (बूंदी) से मिली |
383 |
राजस्थान निर्माण के समय सबसे छोटा जिला |
डूंगरपुर |
384 |
रुख भायला कार्यक्रम का शुभारम्भ |
1986 में डूंगरपुर में राजीव गाँधी ने |
385 |
खादर |
चम्बल बेसिन में गहरी खड्ड युक्त बीहड़ भूमि को |
386 |
अरावली पर्वतमाला के कौन से भाग में सर्वाधिक अन्तराल विद्यमान है |
मध्यवर्ती अरावली में |
387 |
लोहे के औजारों के लिए प्रसिद्ध जिला |
नागौर |
388 |
सौ टापुओं का शहर |
बाँसवाड़ा |
389 |
बावड़ियों की नगरी |
बूंदी |
390 |
भारत की बेर की राजधानी |
जोधपुर |
391 |
राजस्थान का वेल्लोर |
भैंसरोड़गढ़ (चित्तोडगढ़) |
392 |
‘रेगिस्तान का मार्च’ |
रेगिस्तान का पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ना |
393 |
सर्वाधिक वोलस्टोनाईट खनिज |
सिरोही |
394 |
ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी |
गणेश्वर (सीकर) |
395 |
तीर्थों का मामा |
पुष्कर |
396 |
तीर्थों का भांजा |
मचकुण्ड (धौलपुर) |
397 |
लघु मरुस्थल |
बीकानेर के उत्तर में महान मरुभूमि से चट्टानी प्रदेश के पूर्व में कच्छ की खाड़ी तक विस्तृत बालूका प्रदेश |
398 |
किस दर्रे से होकर ब्यावर-फालना-काण्डला राष्ट्रिय राजमार्ग नं. 14 गुजरता है |
बर दर्रा (पाली) से |
399 |
प्रथम इकोफ्रेन्डली जोन |
माउन्ट आबू (सिरोही) |
400 |
आन्तरिक जल प्रवाह क्षेत्र |
शेखावाटी क्षेत्र |