Highlights
- भारतीय संसद द्वारा 09 अगस्त, 2018 को पारित किया गया एससी और एसटी एक्ट
- लोक सभा इस अधिनियम को पहले ही 06 अगस्त, 2018 को दे चुकी मंजूरी
- एससी और एसटी विधेयक में पहले से भी ज्यादा सख्त नियमों को किया गया शामिल।
- सुप्रीम कोर्ट 20 र्माच, 2018 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के प्रति अत्यचार निवारण कानून से संबंधित कुछ कठोर प्रावधानों को हटा दिया गया था।
- इसमें धारा 18ए को शामिल किया गया है।

भारतीय संसद द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति- अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 को 09 अगस्त, 2018 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। राज्यसभा द्वारा इसको ध्वनिमत से पारित किया गया है। लोक सभा इस अधिनियम को पहले ही 06 अगस्त, 2018 को मंजूरी दे चुकी है। एससी और एसटी एक्ट का मुख्य उद्देश्य दलित समुदाय को न्याय दिलाना है।
सुप्रीम कोर्ट 20 र्माच, 2018 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के प्रति अत्यचार निवारण कानून से संबंधित कुछ कठोर प्रावधानों को हटा दिया गया था। जिसके चलते एससी और एसटी से संबंधित मामलों मेंतुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गई थी और एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच जरुरी हो गई थी। इसके संदर्भ में दलित समाज द्वारा सरकार से अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार कानून को फिर से बहाल करने की मांग की गई थी, जिसके चलते सरकार द्वारा यह विधेयक पारित किया गया है। एससी और एसटी विधेयक में पहले से भी ज्यादा सख्त नियमों को शामिल किया गया है। अधिनियम की धारा- 18 के प्रावधानों को बहाल किया गया है। इसके अलावा इसमें धारा 18ए को शामिल किया गया है।