वर्तमान में भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 5.19% हिस्सेदारी है। इसमें लगभग २५ लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम कर रहे हैं जिससे यह सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है।
भारत की वर्तमान तरक्की में आईटी का बहुत बड़ा योगदान है। पिछले पाँच सालों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के बढ़ोतरी के प्रतिशत में 6 प्रतिशत योगदान आईटी का ही है। पिछले 10 सालों में देश में जो रोजगार उपलब्ध हुआ है, उसका 40 प्रतिशत आईटी ने उपलब्ध कराया है।
भौगोलिक सीमाओं को तोड़ते हुए अलग-अलग देशों में उत्पाद उत्पाद इकाइयाँ बनाना, हर देश में उपलब्ध श्रेष्ठ संसाधन का उपयोग करना, विभिन्न देशों से काम करते हुए पूरे 24 घंटे अपने ग्राहक के लिए उपलब्ध रहना और ऐसे डेटा सेंटर बनाना जो कहीं से भी इस्तेमाल किए जा सकें, ये कुछ ऐसे प्रयोग थे जो हमारे लिए काफी कारगर साबित हुए। अब सारी दुनिया इन्हें अपना रही है।
New Development Information Technology
- भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण पहल
- रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
- बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
- इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
- इंटरनेट से एफआईआर
- न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
- किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
- इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
- आनलाइन परीक्षाएं
- कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- कई विभागों के ‘कांफिडेंसियल रिपोर्ट’ आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है।
- सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है। [[सूचना का अधिकार’ के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है।
- आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है।
- ईमेल भेजना (किसी प्रकार का फाइल को तुरंत भेजना) रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
- बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
- इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
- इंटरनेट से एफआईआर
- न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
- किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
- इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
- आनलाइन परीक्षाएं
- कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- कई विभागों के ‘कांफिडेंसियल रिपोर्ट’ आनलाइन भरे जा रहे हैं।
- शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है।
- सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है। [[सूचना का अधिकार’ के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है।
- आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है।
- ईमेल भेजना (किसी प्रकार का फाइल को तुरंत भेजना)
आई टी कंपनियाँ
भारतीय
- इस क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कम्पनियों के नाम है –
- इंफोसिस (en:Infosys)
- टी.सी.एस. (en:Tata Consultancy Services)
- विप्रो (en:WIPRO)
- सत्यम (en:Satyam)
बहुराष्ट्रीय
- इंटेल (en:Intel)
- माइक्रोसॉफ़्ट (en:Microsoft)
- टी.आई. (en:Texas Instruments)
- गूगल (en:Google)
- याहू (en:Yahoo)
- सैप लैब्स इंडिया (SAP Labs India). सैप लैब्स इंडिया की पितृ संस्था SAP AG है जो जर्मनी में स्थित है।
- ऑरेकल (en:Oracle Corporation)
5G नेटवर्क
भारत में अभी भी 4G का विस्तार हो रहा है मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं। 3G और 4G के मामले में पीछे रही भारत सरकार चाह रही है कि 5G के मामले में वह दुनिया के अन्य देशों के साथ चल सकेl इसीलिए उसने 5G लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस लेख में हमने 5G नेटवर्क, उसकी स्पीड, उसकी खूबियां और कमियां जैसे सवालों का जवाब देने की कोशिश की हैl इसके साथ ही भारत में 5G को लेकर क्या तैयारी की जा रही है, उसका भी विवरण दे रहे हैंl
5G नेटवर्क क्या है?
5G पांचवीं जेनरेशन की तकनीक है जो आज से करीब 2 साल बाद फास्ट मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर काम करेगीl 5G नेटवर्क 20 Gb प्रति सेकेण्ड की स्पीड देगीl अभी 4G नेटवर्क 1 Gb प्रति सेकेण्ड की ही स्पीड दे रही है।
5G यूजर 3 घंटे की HD फिल्म को 1 सेकंड से भी कम समय में डाउनलोड कर सकेंगे जबकि अभी 4G में इस काम के लिए 10 मिनट लग जाते हैंl विडियो बफरिंग का समय भी लगभग समाप्त हो जाएगा क्योंकि डेटा ट्रांसफर बिजली की रफ्तार से होगाl 5G नेटवर्क डेटा को 1 मिलीसेकंड से भी कम में डिलिवर कर देंगे जबकि अभी 4G नेटवर्क इसमें 70 मिलीसेकंड लेते हैंl
5G आने से क्या बदलाव होंगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि 5G टेक्नॉलजी से पूरी तरह कनेक्टेड सोसाइटी बनने का रास्ता खुलेगा। इससे मशीन-टु-मशीन कम्यूनिकेशंस (M2M), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), कनेक्टेड स्मार्ट सिटीज़, स्वचालित कार, रिमोट कंट्रोल सर्जरी से लेकर वर्चुअल रिएलिटी जैसी सेवाओं का विस्तार होगाl उदाहरण के लिए, M2M तकनीक के अंतर्गत वायर्ड और वायरलेस डिवाइसेज सेंसर्स की मदद से लोग एक-दूसरे से बातचीत या संपर्क स्थापित कर सकेंगेl 5G से लोग अपने घर को इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर या सेंसर टेक्नॉलजी से लैस करके वायरलेस नेटवर्स से कनेक्ट कर सकते हैंl उदाहरण के लिए, घर के सिक्यॉरिटी सिस्टम को वायरलेस नेटवर्क के जरिए दूर से ही कंट्रोल किया जा सकेगाl
5G की खामियां
शोधकर्ताओं का कहना है कि 5G फ्रीक्वेंसी को मकानों की दीवारें ब्लॉक कर सकती हैं, जिससे लंबी दूरी तक इनका घनत्व भी कम हो जाएगा, जिससे नेटवर्क कमजोर हो जाएगी। उदाहरण के लिए अगर भविष्य में 5G के लिए मिलिमीटर तरंग इस्तेमाल होती हैं, तो कवरेज का इशू हो सकता है, क्योंकि ऐसी तरंगें इमारतों को भेद नहीं पातीं हैंl इसके अलावा पेड़-पौधे और बारिश से भी इनके नेटवर्क कमजोर हो सकते हैं।
भारत में 5G की स्थिति क्या है
भारत सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) से कहा है कि वह 3400 से 3600 MHz बैंड्स की नीलामी के लिए शुरूआती दाम सुझाएl ट्राई ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। दूरसंचार मंत्रालय जल्द ही इस संबंध में एक पॉलिसी भी ला सकती है। दरअसल विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में 5G जैसी फास्ट वायरलेस टेक्नॉलजी लाने से पहले डेटा होस्टिंग और क्लाउड सर्विसेज के लिए विनियामक शर्तों में बदलाव लाया जाना चाहिए।
रैन्समवेयर
रैन्समवेयर एक खतरनाक सॉफ्टवेयर है जो किसी व्यक्ति के कंप्यूटर में स्थित फाइलों को लॉक कर देता है या उन्हें कोड के रूप में बदल देता है और मांग करता है कि वह व्यक्ति अपनी फाइलों को वापस प्राप्त करने के लिए उसे भुगतान करेl “वाना डीक्रीपटर” या “वानाक्राई” रैन्समवेयर का एक रूप है, जो माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को प्रभावित करता हैl
जब कोई कंप्यूटर सिस्टम रैन्समवेयर वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उस सिस्टम पर एक पॉप अप विंडो दिखाई देता है, जिसके बाएं ओर उलटी गिनती वाला एक टाइमर दिखाई देता है जो उस कंप्यूटर के उपयोगकर्ता को तीन दिनों के भीतर अपनी सभी फाइलों को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता हैl यह टाइमर यह भी बताता है कि यदि कोई व्यक्ति तीन दिनों के भीतर भुगतान करने में असफल रहता है, तो यह शुल्क दोगुना हो जाएगा और यदि वह सात दिनों के भीतर भुगतान नहीं कर पता है, तो वह फाइल को हमेशा के लिए खो देगाl इसके अलावा टाइमर यह भी बताता है कि भुगतान केवल बीटकॉइन के माध्यम से ही स्वीकार किया जाता हैl
रैन्समवेयर की शुरूआत कहाँ से हुई
ऐसा माना जा रहा है कि हैकरों ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ कथित तौर पर जुड़े विंडोज “इंटरनल ब्लू” का फायदा उठाया हैl हैकरों के समूह “शैडो ब्रोकर्स” द्वारा इस वायरस को फैलाया गया हैl माइक्रोसॉफ्ट ने मार्च में इस हमले के संदर्भ में एक पैच जारी किया था, जिसे MS17-170 के रूप में जाना जाता हैl
चूंकि रैन्समवेयर वर्ड डॉक्यूमेंट, पीडीएफ और ऐसे अन्य फाइलों में छुपा रहता है, जिसे आम तौर पर ईमेल के माध्यम से भेजे जाता हैl इसके अलावा द्वितीयक संक्रमण माध्यम जैसे- पैन ड्राइव, हार्ड डिस्क के उपयोग के कारण पहले से ही वायरस से प्रभावित कंप्यूटर में यह वायरस हमला करता हैl इसी कारण से यह वायरस बहुत कम समय में 150 से अधिक देशों में फैल गयाl
भारत में रैन्समवेयर वायरस का प्रभाव
रैन्समवेयर वायरस से भारत में एक दर्जन से अधिक संस्थाएं प्रभावित हुई हैं, जिनमें मुंबई, हैदराबाद, बेंगलूरू और चेन्नई की कुछ कंपनियां भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के पुलिस विभाग ने कहा है कि उसके करीब 18 कंप्यूटर रैन्समवेयर से प्रभावित हुए हैं। दक्षिण भारत के दो बैंक, मुंबई में एक बड़ी कंपनी और चेन्नई में रेनो का भारतीय कामकाज भी इस वायरस से प्रभावित हुआ हैl
Current Trends in Information Technology in India
- Mobile Technology
- Smart Cities
- Cyber Security
- Cloud Computing
- WEB IT Will Become More Prominent
इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी (IT) में भारत
टेक्नॉलॉजी की शुराआत भले ही अमेरिका में हुई हो, परन्तु भारत की मदद के बिना वह आगे नहीं बढ़ सकती थी । गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक शिमट ने कुछ महीने पहले यह कहकर जबर्दस्त हलचल मचा दी थी कि आने वाले पांच से दस साल के भीतर भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार बन जायेगा
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बरसों में इंटरनेट पर जिन तीन भाषाओं का दबदबा होगा, वे है- हिंदी, मैडरिन और इंग्लिश, शिमट के बयान से हमारे उन लोगों की आंखें खुल जानी चाहिए जो यह मानते है कि कंप्यूटिंग का बुनियादी आधार इंगलिश है ।
यह धारणा सिरे से गलत है । कंप्यूटिंग की भाषा अंकों की भाषा है और उसमें कंप्यूटर सिर्फ दो अंकों-एक और जीरो, को समझता है । कोई भी तकनीक तभी कामयाब हो सकती है जब वह उपभोक्ता के अनुरूप अपने आप को ढाले ।
भारत के संदर्भ में कहें तो आईटी के इस्तेमाल को हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में ढालना ही होगा । यह अपरिहार्य है । वजह बहुत साफ है और वह यह है कि हमारे पास संख्या बल है । हमारे पास पढे-लिखे, समझदार और स्थानीय भाषा को अहमियत देने वाले लोगों की तादाद करोड़ों में है । अगर इन करोड़ों तक पहुँचना है, तो उसे भारतीयता, भारतीय भाषा और भारतीय परिवेश के हिसाब से ढलना ही होगा । इसे ही तकनीकी भाषा में लोकलाइजेशन कहते हैं ।
हमारे यहां भी कहावत है- जैसा देश, वैसा भेष । आईटी के मामले में भी यह बात सौ फीसदी लागू होती है । साँफ्टवेयर क्षेत्र की बड़ी कंपनियां अब नये बाजारों की तलाश में है, क्योंकि इंगलिश का बाजार ठहराव बिंदु के करीब पहुच गया है । इंगलिश भाषी लोग संपन्न हैं और कंप्यूटर आदि खरीद चुके हैं । अब उन्हें नये कंप्यूटरों की जरूरत नहीं ।
लेकिन हम हिंदुस्तानी अब कंप्यूटर खरीद रहे हैं, और बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं । हम अब इंटरनेट और मोबाइल तकनीकों को भी अपना रहे है । आज कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में हमारे यहां क्रांति हो रही है । ये आंकड़ें किसी भी मार्केटिंग एक्जीक्यूटीव को ललचाने के लिए काफी है ।
जो भी तकनीक आम आदमी से जुड़ी है, उसमें असीम बढ़ोतरी की हमारे यहां गुंजाइश है । हमारी इकॉनामी उठान पर है, लिहाजा तकनीक का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद में जैसे विस्फोट सा हुआ है । बाजार का कोई भी दिग्गज भारत की अनदेखी करने की गलती नहीं कर सकता । वह भारतीय भाषाओं की अनदेखी भी नहीं कर सकता ।
वे इन भाषाओं को अपनाने भी लगे हैं । हिंदी के पोर्टल भी अब व्यावसायिक तौर पर आत्मनिर्भर हो रहे हैं । डॉटकॉम जलजले को भुलकर कई भाषायी वेबसाइटों अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं और रोजाना लाखों लोग उन पर पहुंच रहे हैं । पिछले दस बरसों में किसी अंतर्राष्ट्रीय आईटी कंपनी ने हिंदी इंटरनेट के क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाई ।
लेकिन अब वे हिंदी के बाजार में कूद पड़ी हैं । उन्हें पता है भारतीय कंपनियों ने अपनी मेहनत से बाजार तैयार कर दिया है । चूंकि अब हिंदी में इंटरनेट आधारित साँफ्टवेयर परियोजना लाना फायदे का सौदा है इसलिए चाहे वह याहू हो, चाहे गूगल हो या एमएमएन, सब हिंदी में आ रहे है । माइक्रोसॉफ्ट के डेस्कटॉप उत्पाद हिंदी में आ रहे है ।
आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम और ओरेकल ने हिंदी को अपनाना शुरू कर दिया है । लिनक्स और मैकिन्टोश पर भी हिंदी आ गयी है । इंटरनेट साँफ्टवेयर एक्सप्लोरर, नेटस्केप, मोजिला और ओपेरा जैसे इंटरनेट बाजार को हिंदी को समर्थन देने लगे हैं । ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी हिंदी की धूम है । आम कंप्यूटर उपभोक्ता के कामकाज से लेकर डाटाबेस तक में हिंदी उपलब्ध हो गयी है । यह अलग बात है कि अब भी हमें बहुत दूर जाना है, लेकिन एक बड़ी शुरू आत हो चुकी है, और इसे होना ही था ।
यह दिलचस्प संयोग है कि इधर एनकोडिंग सिस्टम ने हिंदी को इंग्लिश के समान ही सक्षम बना दिया है और लगभग इसी समय भारतीय बाजार में जबर्दस्त विस्तार आया है । कंपनियों के व्यापारिक हितों और हिंदी की ताकत का मेल ऐसे में अपना चमत्कार दिखा रहा है । इसमें कंपनियों का भला है और हिंदी में भी, फिर भी चुनौतियों की कमी नहीं है ।
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में मानकीकरण (स्टैंडर्डाईजेशन) आज भी एक बहुत बडी समस्या है । यूनिकोड के जरिए हम मानकीकरण की दिशा में एक बहुत बड़ी छलांग लगा चुके हैं । उसने हमारी बहुत सारी समस्याओं को हल कर दिया है । संयोगवश यूनिकोड के मानकीकरण को भारतीय आईटी कंपनियों का जितना समर्थन मिला, उतना की-बोर्ड के मानकीकरण को नहीं मिला ।
भारत का अधिकारिक की-बोर्ड मानक इनस्क्रिप्ट है । यह एक बेहद, स्मार्ट किस्म की अत्यंत सरल और बहुत तेजी से टाइप करने वाली की-बोर्ड प्रणाली है । फोन्टों की असमानता की समस्या का समाधान तो पास दिख रहा है, लेकिन की-बोर्ड की अराजकता का मामला उलझा हुआ है । ट्रांसलिटरेशन जैसी तकनीकों से हम लोगों को हिंदी के करीब तो ला रहे हैं, लेकिन की-बोर्ड मानकीकरण को उतना ही मुश्किल बनाते जा रहे हैं ।
यूनिकोड को अपनाकर भी हम अर्ध मानकीकरण तक नहीं पहुच पाए हैं । हिंदी में आईटी की और गति देने के लिए हिंदी कप्यूटर टाइपिंग की ट्रेनिंग की ओर भी अब तक ध्यान नहीं दिया गया है । फिलहाल लोग इंगलिश में कप्यूटर सीखते हैं और बाद में तुक्केबाजी के जरिए हिंदी में थोड़ा बहुत काम निकालते हैं । सरकार चाहे तो की-बोर्ड पर इंगलिश के साथ-साथ हिंदी के अक्षर भी अंकित करने का आदेश देकर इस समस्या का समाधान निकाल सकती है ।
अगर आईटी में हिंदी का पूरा फायदा उठाना है, तो बहुत सस्ती दरों पर साँफ्टवेयर मुहैया कराए जाने की भी जरूरत है । गैर-समाचार बेवसाइटों के क्षेत्र में हिंदी को अपनाने की तरफ कम ही लोगों का ध्यान गया है । सिर्फ साहित्य या समाचार आधारित हिंदी पोर्टलों, वेबसाइटों या ब्लॉगों से काम नहीं चलेगा । तकनीक, साइंस ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-प्रशासन आदि में हिंदी वेबसाइटों की हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में लाने की चुनौती को भी हल करना होगा ।
सूचना क्रांति के केंद्र में भारत
पिछले दशक में कंप्यूटर के क्षेत्र में हुए अविश्वसनीय विकास ने एक नई क्रांति को जन्म दिया जिसे सूचना क्रांति (इंफॉर्मेशन रिवोल्यूशन) के नाम से जाना गया । वैसे तो इस क्रांति का प्रभाव पूरे विश्व पर ही पड़ा है परंतु इसके प्रभाव के केंद्र के रूप में आज भारत स्थापित हो चुका है ।
भारत अपनी पहचान एक ऐसे देश के रूप में कायम करने में सफल रहा है जो अपने मानव संसाधनों को इस क्षेत्र में पूरी तरह से संयुक्त कर सकता है ताकि इसका लाभ पूरी दुनिया को मिल सके । सूचना क्रांति के भारत पर अनेक प्रभाव पड़े हैं जिनका विवेचन करने पर इनका वास्तविक महत्व दृष्टिगोचर होता है ।
प्रथम तो यह है कि इसके प्रसार के साथ ही भारत में कंप्यूटर जागरूकता की होड़ सी लग गई । प्रत्येक बच्चा, बूढ़ा एवं युवा कंप्यूटर को जानने व सीखने की आर प्रेरित हुआ । इससे अन्य विषयों के प्रति भी आम जनता का रुझान बढ़ा और देश में ज्ञान के प्रसार में वृद्धि हुई ।
दूसरी ओर इंटरनेट व मल्टीमीडिया के लोकप्रिय होने के कारण घर-घर में कंप्यूटर की पहुँच संभव हुई । गली-गली में साइबर कैफे खुले जिससे अनेक शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिला । इसके साथ इंटरनेट प्रयोक्ताओं द्वारा अनेक विषयों पर गहन जानकारी प्राप्त करके इसके उपयोग द्वारा अनेक अन्य कार्यों में वृद्धि हुई । यह ठीक वैसे ही है जैसे शेयर बाजार में इंटरनेट का प्रयोग ।
सूचना क्रांति के आने पर पूरे विश्व में सॉफ्टवेयर विकास की गहन आवश्यकता अनुभव की गई । भारतीय शिक्षित बेरोजगारों को इससे अच्छा अवसर शायद ही मिल पाता । प्रतिवर्ष हजारों-लाखों सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ तैयार होने लगे ।
इनमें से आज भी हजारों विशेषज्ञ अच्छे वेतन-भन्ते हेतु विकसित देशों; जैसे – संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, ईरान आदि में चले जाते हैं जहाँ से धन कमाकर वे भारत में लाते हैं । इस प्रकार यह भारत में विदेशी मुद्रा के आगमन का एक और स्रोत बनकर उभरा है । ध्यान देने योग्य तथ्य है कि प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में धन भेजने तथा यहाँ निवेश करने के कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था को संबल मिला है ।
विश्व में यकायक उभरी सॉफ्टवेयरों की माँग को पूरा करने के लिए भारत में अनेक कंपनियाँ उभर कर सामने आई । इनमें से कुछ कंपनियाँ; जैसे – विप्रो, इंफोसिस आदि विश्व की सर्वाधिक संपन्न कंपनियों में सम्मिलित हो चुकी हैं । इन कंपनियों ने न केवल अनेक शिक्षितों को रोजगार प्रदान किया है अपितु ये प्रतिवर्ष भारी मात्रा में सरकार को कर भी प्रदान करती हैं ।
यह एक स्थापित तथ्य है कि सॉफ्टवेयर विकास के क्षेत्र में भारत एक महाशक्ति बन चुका है और विश्व के सबसे संपन्न देश भी इस क्षेत्र में हमारे समकक्ष खड़े होने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं । सूचना क्रांति के आने से रातों-रात इलेक्ट्रॉनिक चैनलों की भरमार हो गई ।
जहाँ एक समय भारतीय नागरिक एकमात्र दूरदर्शन देखकर एक मायूस स्थिति में जी रहे थे, वहीं आज वे विश्व स्तर के सैकड़ों चैनल दिन-रात अपने टी.वी. पर देख सकते हैं । इस तरह न केवल मनोरंजन का क्षेत्र व्यापक हुआ है अपितु ज्ञान-विज्ञान का एक नया क्षितिज भी खुल गया है । इन चैनलों के आने से विज्ञापन बाजार बढ़ा है, हजारों केबल आपरेटरों को एक अच्छा रोजगार प्राप्त हुआ है ।
अत: सूचना क्रांति के आने से भारत के न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है । भारत चूँकि मानव संसाधनों के मामले में बहुत धनी है, अत: इस देश में उनका अधिकाधिक उपयोग संभव है । दूसरी ओर सूचना तकनीक विश्व में निरंतर महत्वपूर्ण होता जा रहा है क्योंकि जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है । भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने में आने वाले समय में इसकी भूमिका निर्विवाद रूप से बढ़ेगी । आशा है इस क्षेत्र में महाशक्ति बनकर उभरा भारत अपना स्थान सदैव सर्वोच्च बनाए रख सकेगा ।