राजस्थान GK नोट्स

मध्यकालीन गुर्जर-प्रतिहार राज्य {Medieval Gujer-Gratihar State} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स

  • गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने 725 ई. में की थी। ‘प्रतिहार वंश’ को गुर्जर प्रतिहार वंश इसलिए कहा गया, क्योंकि ये गुर्जरों की ही एक शाखा थे, जिनकी उत्पत्ति गुजरात व दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करता था।
  • नैणसी की ख्यात में प्रतिहारों की 26 शाखाओं के वर्णन मिलते हैं, लेकिन इनमें मंडोर एवं जालौर (भीमनाल) प्रमुख हैं
  • गुर्जर प्रतिहार वंश ने भारतवर्ष को लगभग 300 साल तक अरब-आक्रन्ताओं से सुरक्षित रखकर प्रतिहार (रक्षक) की भूमिका निभायी थी, अत: प्रतिहार नाम से जाने जाने लगे। रेजर के शिलालेख पर प्रतिहारो ने स्पष्ट रूप से गुर्जर-वंश के होने की पुष्टि की है। नागभट्ट प्रथम एक वीर राजा था।
  • गुर्जर-प्रतिहार वंश के प्रमुख शासक थे: नागभट्ट प्रथम (730 – 756 ई.), वत्सराज (783 – 795 ई.), नागभट्ट द्वितीय (795 – 833 ई.), मिहिरभोज (भोज प्रथम) (836 – 889 ई.), महेन्द्र पाल (890 – 910 ई.), महिपाल (914 – 944 ई.), देवपाल (940 – 955 ई.)
DsGuruJi HomepageClick Here