सामान्य हिंदी व्याकरण नोट्स

मुहावरे परिभासा और प्रकार

( ग )

गले का हार होना (बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।

गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।

गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।

गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?

गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।

गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।

गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?

गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?

गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।

गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।

गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।

गुड़ गोबर करना (बनाया काम बिगाड़ना)- वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।

गुरू घंटाल(दुष्टों का नेता या सरदार)- अरे भाई, मोनू तो गुरू घंटाल है, उससे बचकर रहना।

गंगा नहाना (अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त होना)- रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए।

गच्चा खाना (धोखा खाना)- रामू गच्चा खा गया, वरना उसका कारोबार चला जाता।

गजब ढाना (कमाल करना)- लता मंगेशकर ने तो गायकी में गजब ढा दिया हैं।

गज भर की छाती होना- (अत्यधिक साहसी होना)- उसकी गज भर की छाती है तभी तो अकेले ने ही चार-चार आतंकवादियों को मार दिया।

गढ़ फतह करना (कठिन काम करना)- आई.ए.एस. पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।

गधा बनाना (मूर्ख बनाना) अप्रैल फूल डे वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया।

गधे को बाप बनाना (काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना)- रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।

गर्दन ऐंठी रहना (घमंड या अकड़ में रहना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद तो उसकी गर्दन ऐंठी ही रहती हैं।

गर्दन फँसना (झंझट या परेशानी में फँसना)- उसे रुपया उधार देकर मेरी तो गर्दन फँस गई हैं।

गरम होना (क्रोधित होना)- अंजू की दादी जरा-जरा सी बात पर गरम हो जाती हैं।

गला काटना (किसी की ठगना)- कल अध्यापक ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात हैं।

गला पकड़ना (किसी को जिम्मेदार ठहराना)- गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते हैं।

गला फँसाना (मुसीबत में फँसाना)- अपराध उसने किया हैं और गला मेरा फँसा दिया हैं। बहुत चतुर है वो!

गला फाड़ना (जोर से चिल्लाना)- राजू कब से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं।

गले पड़ना (पीछे पड़ना)- मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।

गले पर छुरी चलाना (अत्यधिक हानि पहुँचाना)- उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी।

गले न उतरना (पसन्द नहीं आना)- मुझे उसका काम गले हीं उतरता, वह हर काम उल्टा करता हैं।

गाँठ का पूरा, आँख का अंधा (धनी, किन्तु मूर्ख व्यक्ति)- सेठ जी गाँठ के पूरे, आँख के अंधे हैं तभी रामू का कहना मानकर अनाड़ी मोहन को नौकरी पर रख लिया हैं।

गाजर-मूली समझना (तुच्छ समझना)- मोहन ने कहा कि उसे कोई गाजर-मूली न समझे, वह बहुत कुछ कर सकता है।

गाढ़ी कमाई (मेहनत की कमाई)- ये मेरी गाढ़ी कमाई है, अंधाधुंध खर्च मत करो।

गाढ़े दिन (संकट का समय)- रमेश गाढ़े दिनों में भी खुश रहता है।

गाल फुलाना (रूठना)- अंशु सुबह से ही गाल फुलाकर बैठी हुई है।

गुजर जाना (मर जाना)- मेरे दादाजी तो एक साल पहले ही गुजर गए और तुम आज पूछ रहे हो।

गुल खिलाना (बखेड़ा खड़ा करना)- यह लड़का जरूर कोई गुल खिला कर आया है तभी चुप बैठा है।

गुलछर्रे उड़ाना (मौजमस्ती करना)- मित्र, परीक्षाएँ नजदीक हैं और तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो।

गूँगे का गुड़ (वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके)- दादाजी कहते हैं कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह तो गूँगे का गुड़ है।

गोता मारना (गायब या अनुपस्थित होना)- अरे मित्र! तुमने दो दिन कहाँ गोता मारा, नजर नहीं आए।

गोली मारना (त्याग देना या ठुकरा देना)- रंजीत ने कहा कि बस को गोली मारो, हम तो पैदल जायेंगे।

गौं का यार (मतलब का साथी)- रमेश तो गौं का यार है, वो बेमतलब तुम्हारा काम नहीं करेगा।

गाल बजाना- (डींग मारना)

काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)

गंगा लाभ होना- (मर जाना)

गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)

गुड़ियों का खेल- (सहज काम)

गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)

गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)

गोटी लाल होना- (लाभ होना)

गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)

गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)

( घ )

घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।

घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।

घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ।

घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।

घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?

घाट-घाट का पानी पीना (हर प्रकार का अनुभव होना)- मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है।

घर आबाद करना (विवाह करना)- देर से ही सही, रामू ने अपना घर आबाद कर लिया।

घर का उजाला (सुपुत्र अथवा इकलौता पुत्र)- सब जानते हैं कि मोहन अपने घर का उजाला हैं।

घर काट खाने दौड़ना (सुनसान घर)- घर में कोई नहीं है इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है।

घर का चिराग गुल होना (पुत्र की मृत्यु होना)- यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया।

घर का बोझ उठाना (घर का खर्च चलाना या देखभाल करना)- बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।

घर का नाम डुबोना (परिवार या कुल को कलंकित करना)- रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।

घर घाट एक करना (कठिन परिश्रम करना)- नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।

घर फूँककर तमाशा देखना (अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना)- जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।

घर में आग लगाना (परिवार में झगड़ा कराना)- वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता हैं इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने देता।

घर में भुंजी भाँग न होना (बहुत गरीब होना)- रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं हैं और बातें करता है नवाबों की।

घाव पर मरहम लगाना (सांत्वना या तसल्ली देना)- दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।

घाव हरा होना (भूला हुआ दुःख पुनः याद आना)- राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।

घास खोदना (तुच्छ काम करना)- अच्छी नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है।

घास न डालना (सहायता न करना या बात तक न करना)- मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता।

घी-दूध की नदियाँ बहना (समृद्ध होना)- श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थीं।

घुटने टेकना (हार या पराजय स्वीकार करना)- संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।

घोड़े पर सवार होना (वापस जाने की जल्दी में होना)- अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा हमारे पास भी बैठो।

घोलकर पी जाना (कंठस्थ याद करना)- रामू दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए हैं।

घर का मर्द- (बाहर डरपोक)

घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)

घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)

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