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History General Knowledge Questions Answer, इतिहास सामान्य ज्ञान

51. .झेलम नदी के किनारे प्रसिद्ध ‘वितस्ता का युद्ध’ किन-किन शासकों के बीच हुआ था?

a. चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्युकस के मध्य
b. धननन्द एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के मध्य
c. पुरु एवं सिकन्दर के मध्य
d. सिकन्दर एवं आम्भि के मध्य

Ans: c. पुरु एवं सिकन्दर के मध्य

Notes: ‘वितस्ता का युद्ध’ राजा पुरु और मकदूनिया (यूनान) के राजा सिकन्दर (अलेक्ज़ेंडर) के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में राजा पुरु ने अपनी हाथी सेना पर ही अधिक भरोसा किया और युद्ध में हाथियों की संख्या घोड़ों के मुकाबले अधिक रखी। जबकि सिकन्दर ने अपने घुड़सवार तीरन्दाज़ों पर अधिक भरोसा किया। युद्ध में सिकन्दर की घुड़सवार सेना की तेजी पुरु की हाथी सेना पर भारी पड़ी और परिणामस्वरूप पुरु ये युद्ध हार गया। वितस्ता का युद्ध

52. ‘महरोली का स्तम्भ लेख’ किस शासक से सम्बन्धित है?

a. चन्द्रगुप्त द्वितीय
b. चन्द्रगुप्त मौर्य
c. अशोक
d. समुद्रगुप्त

Ans: a. चन्द्रगुप्त द्वितीय

Notes: ‘चन्द्रगुप्त द्वितीय’ (शासनकाल 380-413) गुप्त वंश का राजा था। सभी गुप्त राजाओं में समुद्रगुप्त का पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुणों से सम्पन्न था। चन्द्रगुप्त द्वितीय ने देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री, श्रीविक्रम, विक्रमादित्य, परमभागवत्, नरेन्द्रचन्द्र, सिंहविक्रम, अजीत विक्रम आदि उपाधियाँ धारण की थीं। अनुश्रूतियों में चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन से किया था। रुद्रसेन की मृत्यु के बाद चन्द्रगुप्त ने अप्रत्यक्ष रूप से वाकाटक राज्य को अपने राज्य में मिलाकर उज्जैन को अपनी दूसरी राजधानी बनाया। इसी कारण से उसे ‘उज्जैनपुरवराधीश्वर’ भी कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय

53. .गुप्त काल के किस शासक को ‘कविराज’ कहा गया है?

a. श्रीगुप्त
b. चन्द्रगुप्त द्वितीय
c. समुद्रगुप्त
d. स्कन्दगुप्त

Ans: c. समुद्रगुप्त

Notes: हरिषेण के शब्दों में समुद्रगुप्त का चरित्र इस प्रकार का था- ‘उसका मन विद्वानों के सत्संग-सुख का व्यसनी था। उसके जीवन में सरस्वती और लक्ष्मी का अविरोध था। वह वैदिक मार्ग का अनुयायी था। उसका काव्य ऐसा था, कि कवियों के बुद्धि-वैभव का भी उससे विकास होता था, यही कारण है कि उसे ‘कविराज’ की उपाधि दी गई थी। ऐसा कौन-सा ऐसा गुण है, जो उसमें नहीं था। सैकड़ों देशों में विजय प्राप्त करने की उसमें अपूर्व क्षमता थी। अपनी भुजाओं का पराक्रम ही उसका सबसे उत्तम साथी था। परशु, बाण, शंकु, शक्ति आदि अस्त्रों-शस्त्रों के सैकड़ों घावों से उसका शरीर सुशोभित था। समुद्रगुप्त

54. चन्द्रगुप्त द्वितीय ने कब ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी?

a. शकों का उन्मूलन करने पर
b. गुप्त सिंहासन पर बैठने के बाद
c. चाँदी के सिक्के जारी करने के बाद
d. उपर्युक्त सभी

Ans: a. शकों का उन्मूलन करने पर

Notes: चन्द्रगुप्त द्वितीय की मुद्राएँगुजरात और काठियावाड़ के शकों का उच्छेद करके उनके राज्य को गुप्त साम्राज्य के अंतर्गत कर लेना चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी। इसी कारण वह ‘शकारि’ और ‘विक्रमादित्य’ कहलाया। कई सदी पहले शकों का इसी प्रकार से उच्छेद कर सातवाहन सम्राट गौतमीपुत्र सातकर्णि ने भी ‘शकारि’ और ‘विक्रमादित्य’ की उपाधियाँ ग्रहण की थीं। अब चन्द्रगुप्त द्वितीय ने भी एक बार फिर उसी गौरव को प्राप्त किया। गुजरात और काठियावाड़ की विजय के कारण अब गुप्त साम्राज्य की सीमा पश्चिम में अरब सागर तक विस्तृत हो गई थी। चन्द्रगुप्त द्वितीय

55. .गुप्त कालीन सोने की मुद्रा को क्या कहा जाता था?

a. दीनार
b. कर्षापण
c. निष्क
d. काकिनी

Ans: a. दीनार

56. .ऋग्वैदिक काल में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?

a. अनाज
b. मुद्रा
c. गाय
d. दास

Ans: c. गाय

Notes: गाय तथा उसमें वास करने वाले देवताहिन्दू धर्म में गाय की पूजा का मूल आरंभिक वैदिक काल में खोजा जा सकता है। भारोपीय लोग, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में भारत में प्रवेश किया, वे पशुपालक थे। पशुओं का बड़ा आर्थिक महत्त्व था, जो वैदिक धर्म में भी दिखाई देता है। यद्यपि प्राचीन भारत में गायों और बैलों की बलि दी जाती थी और उनका माँस खाया जाता था। लेकिन दुधारू गायों की बलि क्रमश: बंद की जा रही थी, जैसे महाभारत व मनुस्मृति के हिस्सों में और ऋग्वेद में दुधारू गाय को पहले से ही ‘अवध्य’ कहा गया था। गाय

57. ऋग्वेद में उल्लिखित क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी कौन-सी थी?

a. गंगा
b. यमुना
c. सरस्वती
d. सिन्धु

Ans: c. सरस्वती

Notes: सरस्वती नदीस्कंद पुराण और महाभारत में सरस्वती नदी का विवरण बड़ी श्रद्धा-भक्ति से किया गया है। कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और ऋग्वेद में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले सतलुज (जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है) और यमुना (जो गंगा की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी, जो हिमालय से लेकर अरब सागर तक बहती थी। आज भू-गर्भीय बदलाव के कारण ये सूख गयी है। वैदिक काल में सरस्वती नदी को ‘नदीतमा’ की उपाधि दी गयी थी। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी हरियाणा, पंजाब व राजस्थान से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। सरस्वती नदी

58. .ऋग्वेद के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है?

a. योद्धा
b. पुरोहित
c. शूद्र
d. चाण्डाल

Ans: c. शूद्र

Notes: भारतीय समाज व्यवस्था में चतुर्थ वर्ण या जाति शूद्र कहलाती है। वायु पुराण, वेदांतसूत्र और छांदोग्य एवं वेदांतसूत्र के शांकरभाष्य में ‘शुच’ और ‘द्रु’ धातुओं से ‘शूद्र’ शब्द व्युत्पन्न किया गया। ऋग्वेद के पुरुषसूक्त से पुरुष के पदों से शूद्र की उत्पत्ति का उल्लेख है। पुरुषोत्पत्ति का यह सिद्धांत ब्राह्मण ग्रंथ, वाजसनेयी संहिता, महाभारत, पुराण में शूद्रदेव पूषा से शूद्र की उत्पत्ति बतलाई गई है। विष्णु और वायु पुराण के अनुसार यज्ञनिष्पत्ति के लिए चतुर्वर्णों का सर्जन हुआ। शूद्र

59. ‘आर्य’ शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?

a. वीर
b. श्रेष्ठ या कुलीन
c. विद्वान
d. यज्ञकर्ता

Ans: b. श्रेष्ठ या कुलीन

60. .बोधगया में स्थित वह बोधिवृक्ष, जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, किस शासक द्वारा कटवा दिया गया?

a. पुष्यमित्र शुंग
b. हूण राजा मिहिरकुल
c. गौड़ के राजा शशांक
d. महमूद गज़नवी

Ans: c. गौड़ के राजा शशांक

Notes: ‘शशांक’ को बंगाल के यशस्वी शासकों में गिना जाता है। उसने बंगाल प्रदेश की सीमाओं के बाहर भी अपने राज्य का बहुत विस्तार किया। उसका वंश अज्ञात है और गुप्त वंश के साथ उसको सम्बन्धित करना केवल अनुमान मात्र है। उसकी उत्पत्ति चाहे जिस वंश में भी हुई हो, लेकिन इतना निश्चित है कि 606 ई. के पूर्व ही वह गौड़ अथवा बंगाल का शासक बन चुका था। शशांक के सिक्कों से स्पष्ट है कि वह शिव का उपासक था, किन्तु चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा वर्णित उसके बौद्ध धर्म से विद्वेष और बौद्धों पर अत्याचार की कहानियों में कितनी सत्यता है, यह निश्चय कर पाना कठिन है। शशांक

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