- FATF की पेरिस में हुई बैठक में संस्था की उप समिति के फैसले के मुताबिक पाकिस्तान अब जून 2020 तक ग्रे सूची में ही बना रहेगा। इसके साथ ही FATF ने पाकिस्तान को 8 बिंदुओं की एक सूची भी सौंपी है, जिसे उसे अगले 4 महीने में पूरा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर FATF ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी भी दी है।
- FATF की ग्रे सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान ने खूब दलीलें दी लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। पाकिस्तान ने बताया था कि उसने लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद को गिरफ्तार कर दो मामलों में साढ़े पांच-साढ़े पांच साल की सजा सुनाई है। इसी तरह उसने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 16 आतंकियों में से 7 को मार गिराने और आतंकी मसूद अजहर के परिवार सहित लापता होने की जानकारी दी थी लेकिन पाकिस्तान की ये सारी दलीलें बेकार गई।
- पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और व्हाइट लिस्ट में शामिल होने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए थे। दूसरी तरफ उसे ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए 3 देशों के समर्थन की जरूरत थी। पिछले महीने बीजिंग में FATF की बैठक में चीन के अलावा तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान का समर्थन कर उसे ब्लैक लिस्ट में जाने से बचा लिया था।
- गौरतलब है कि पाकिस्तान को जून 2018 में FATF की संदिग्ध ग्रे सूची में तब शामिल किया गया था जब वैश्विक एंटी-टेरर फंडिंग वॉचडॉग को इस्लामाबाद के मनी लॉन्ड्रिंग और एंटी-टेरर फंडिंग कानूनों और उनके कार्यान्वयन में बहुत सारी कमियां मिली थीं। उस दौरान पाकिस्तान को आतंकवादियों की फंडिंग रोकने के लिए 27 बिंदुओं की सूची सौंपी गई थी और उसे पूरा करने के लिए 15 महीनों का समय दिया गया था लेकिन पाकिस्तान उनमें से 13 बिंदुओं को पूरा करने में नाकामयाब रहा था।
- पाकिस्तान को अब इसी साल जून में FATF की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए सभी 1,267 वित्तीय संस्थानों और 1,373 आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही उसे इन आंतकियों और संगठनों को टेरर फंड जुटाने से रोकना होगा और उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए उनकी संपत्तियों को भी जब्त करना होगा। इसके अलावा आतंकवादियों को फंडिंग और आतंकवाद विरोधी रणनीतियां बनाकर उन्हें लागू करना होगा और आतंकवादियों को फंडिंग करने वालों पर ठोस कार्रवाई करनी होगी।
- FATF की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज हासिल करने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पाकिस्तान के ग्रे सूची में बने से रहने से उसके आर्थिक हालात और ज्यादा बिगड़ने की संभावना है।
FATF (Financial Action Task Force)
- वित्तीय कार्य बल (एफएटीएफ) अपने सदस्य क्षेत्राधिकारों के मंत्रियों द्वारा 1989 में स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है। एफएटीएफ का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय की अखंडता के लिए धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के मानक निर्धारित करना है।
- एफएटीएफ एक नीति-निर्माण निकाय है जो विभिन्न सदस्य देशों के लिए राष्ट्रीय, विधायी और विनियामक सुधार लाने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति उत्पन्न करने का कार्य करता है।
- एफएटीएफ आवश्यक उपायों को कार्यान्वित करने में अपने सदस्यों की प्रगति की निगरानी करता है, धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण तकनीकों और प्रति-उपायों की समीक्षा करता है और विश्व स्तर पर उपयुक्त उपायों को अपनाने और कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है। अन्य अंतर्राष्ट्रीय पणधारियों के सहयोग से एफएटीएफ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने का कार्य करता है।
- वर्तमान में वित्तीय कार्य कार्य बल (एफएटीएफ) के 39 सदस्य हैं जिसमें 37 देश तथा 02 संस्थाएं हैं, भारत भी इसका सदस्य है। इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में स्थित है। अगर इसकी मीटिंग की बात करें तो एफएटीएफ प्लेनरी प्रति वर्ष तीन बार मिलती है।