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DRDO ने AIP तकनीक का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 9 मार्च, 2021 रात को एयर इंडिपेंडेंट प्रणोदन (AIP) का अंतिम विकास परीक्षण किया, इसकी सूचना दी गई । आईएनएस करंज हमले की पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल करने से लगभग एक दिन पहले मुंबई में यह परीक्षण किए गए थे।

भारतीय नौसेना ने अब अपने सभी कलवरी क्लास ( Kalvari class) के गैर-परमाणु अटैक को एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) में बदलने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा। बता दें कि 1615 टन की कलवरी क्लास की पनडुब्बी मजागॉन डॉकयार्ड्स लिमिटेड (Mazagon Dockyards Limited) द्वारा फ्रांसीसी नवल ग्रुप के सहयोग से बनाई जा रही है, जो कि स्कॉर्पीन डिजाइन पर आधारित है। माना जा रहा है कि तीसरी कक्षा के आईएनएस करंज को कल कमिशन्ड कर दिया जाएगा।

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एआईपी तकनीक का विकास एक बड़ा कदम है, क्योंकि भारत से पहले सिर्फ अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस के पास ही यह तकनीक थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO की यह AIP तकनीक एक फॉस्फोरिक एसिड फ्यूल सेल पर आधारित है और अंतिम दो कलवरी क्लास पनडुब्बियों को इसके द्वारा संचालित किया जाएगा। सोमवार को मुंबई में AIP डिजाइन का परीक्षण भूमि पर किया गया।

बताया जा रहा है कि AIP या मरीन प्रोपल्शन तकनीक गैर-परमाणु पनडुब्बियों को वायुमंडलीय ऑक्सीजन तक पहुंच के बिना संचालित करने की अनुमति देती है और पनडुब्बियों के डीजल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम को बढ़ाती है। इसका मतलब है कि एआईपी फिटेड पनडुब्बी को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर नहीं होना पड़ता है और लंबे समय तक पानी के नीचे रहता है। एक ओर जहां न्यूक्लियर सबमरीन जहां शिप रिएक्टर की वजह से शोर मचाती हैं, वहीं एआईपी तकनीक से लैस पनडुब्बी एक घातक चुप्पी बनाए रखती है। यह नई तकनीक भारतीय सबमरीन को और भी ज्यादा घातक बनाएंगी।

DRDO की इस तकनीक को फ्रांस से मदद मिली है, जो कलवरी क्लास मैन्युफैक्चरिंग के संदर्भ में भारतीयों के संपर्क में थे। हालांकि इसके लिए पाकिस्तान ने भी फ्रांस की तरफ रुख किया था, मगर तत्काल अनुरोधों के बावजूद फ्रांस ने पाकिस्तानी एजोस्टा 90 बी पनडुब्बियों को एआईपी तकनीक के साथ अपग्रेड नहीं करने का फैसला किया, जिसके बाद इस्लामाबाद को चीन या तुर्की की ओर जाने को मजबूर होना पड़ा।

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