डॉ. नगेन्द्र सिंह (अन्तराष्ट्रीय न्यायालय में न्याधीश) का सम्बन्ध डूँगरपुर से है
2. भौगोलिक स्थिति
डूँगरपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है।
डूँगरपुर की भौगोलिक स्थिति: 23.84°N 73.72°E
3. इतिहास
डूंगरपुर की स्थापना 1282 ई. में रावल वीर सिंह ने की थी। उन्होंने यह क्षेत्र भील प्रमुख डुंगरिया को हराकर विजित किया था। इसीलिए इस जगह का नाम ‘डूंगरपुर’ पड़ा।
वर्ष 1818 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था।
यह जगह डूंगरपुर प्रिंसली स्टेट की राजधानी थी। यहां से होकर बहने वाली सोम और माही नदियां इसे उदयपुर और बंसवाड़ा से अलग करती हैं।
नेजा नृत्य राजस्थान के डूँगरपुर, उदयपुर, पाली व सिरोही क्षेत्र में प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार ‘होली’ के तीसरे दिन किया जाता है। इस नृत्य में भील जाति के स्त्री तथा पुरुष भाग लेते हैं।
4. कला एवं संस्कृति
डूँगरपुर में मुख्यतः वागडी भाषा बोली जाती हॆ
डूँगरपुर मुख्यतया आदिवासी क्षेत्र में स्थित है
यहाँ की वास्तुकला अपने आप में बेजोड़ है। डूंगरपुर वास्तुकला की विशेष शैली के लिए जाना जाता है, जो यहां के महलों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों में देखी जा सकती है।
यहां की मूल बोली “वागड़ी” है। जिस पर गुजराती भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
यहाँ की संस्कृती में औरते और पुरुष एक जैसे ही माने जाते है| लड़के और लडकियों को अपने पसंदीदार व्यक्ति को चुनने की आज़ादी होती है|
अप्रैल महीने में “भगोरिया” नाम का त्यौहार होता है| इनमे लड़के लडकिया मेले में आते है आते है, इस मेले में वे अपने पसंदीदार व्यक्ति को चुनके शादी की जाती है|
होली यहाँ सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, होली के पंधरा दिन पहले ही ढोल बजाये जाते है| होली दे दिन में लड़के-लडकिया नृत्य करते है|
5. शिक्षा
यहाँ सुखाड़िया विश्वविद्यालय संलग्न अनैक महाविद्यालय हैं
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा हेतु सरकारी स्कूल ही प्रमुख हैं
6. खनिज एवं कृषि
डूँगरपुर के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, माही डूँगरपुर की प्रमुख नदी है।
मक्का, गेहूँ और चना डूँगरपुर की प्रमुख फ़सलें हैं।
यहाँ पर महुआ नाम की शराब बनाई जाती है|
राजस्थान में सोना मुख्यतया बांसवाड़ा व डूंगरपुर में पाया जाता है
डूँगरपुर में लोह-अयस्क, सीसा, जस्ता, चांदी और मैंगनीज पाया जाता है।
सोनाडी भेड़ राजस्थान में बाँसवाड़ा, भीलवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ आदि ज़िलों में पाई जाती है। इस भेड़ की मुख्य पहचान यह है कि इसके कान बहुत लम्बे होते हैं।
7. प्रमुख स्थल
रास्तापाल, गुरु-शिष्य के बलिदान की मिसाल “कालीबाई” के प्राणोत्सर्ग हेतु प्रसिद्ध है
मांडो की पाल – फ्लोर्सपार बेनिफिशियेशन संयंत्र
गलियाकोट : दाउदी बोहरा सम्प्रदाय की गद्दी जहाँ हर वर्ष उर्स भरता है ।
बानेश्वर मंदिर डूंगरपुर से 60 किमी. दूर है। इस मंदिर में इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र शिवलिंग स्थापित है। यह मंदिर सोम और माही नदी के मुहाने पर बना है।
देव सोमनाथ : शिव का सफेद पत्थरों निर्मित प्रसिद्ध मन्दिर
गवरी बाई का मन्दिर
यहाँ के प्रसिद्ध स्थानों में जूना महल, गैब सागर झील आदि हैं।
8. नदी एवं झीलें
झीलें: गैब सागर झील
नदियाँ : सोम, माही नदी
9. परिवहन और यातायात
डूँगरपुर पहुँचने के लिए सबसे बेहतर विकल्प सड़क मार्ग है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम (80 किमी., मध्यप्रदेश में) है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
निकटतम हवाई अड्डा, उदयपुर एवं अहमदाबाद है ।
10. उद्योग और व्यापार
जंगल बहूतायत हॆ, लकडी, वनस्पति प्रचुर मात्रा में हॆ
महिला सहकारी मिनी बैंक (देश में प्रथम) की स्थापना डूँगरपुर में की गयी थी ।