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सामयिकी: 9 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 9 April 2020

1. मोबाइल एप “रक्षा सर्व” के सहारे कोरोना रोकने की कोशिश

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले की पुलिस कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने होम क्वारंटाइन किए गए लोगों की निगरानी के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का सहारा ले रही है। जांजगीर चांपा जिले में होम क्वारंटाइन में लगभग 6200 लोग हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने विदेश या अन्य कोरोना प्रभावित राज्यों की यात्रा की थी।

  • जांजगीर चांपा जिले की पुलिस ने जिले में बड़ी संख्या में लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है। ऐसे में इन सभी पर नजर रखना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इन चुनौती से निपटने के लिए पुलिस मोबाइल एप्लिकेशन का सहारा ले रही है।
  • इस हेतु जिले की पुलिस ने नोएडा स्थित एक स्टार्टअप कंपनी मोबकोडर के साथ मिलकर “रक्षा सर्व” के नाम से एक एप्लिकेशन विकसित किया है जो गूगल मैप के माध्यम से होम क्वारंटाइन किए गए लोगों की निगरानी करता है। ऐसे लोगों के मोबाइल में इस एप्लिकेशन को इंस्टाल करने के बाद उससे संबंधित जानकारी पुलिस के पास रहती है।
  • पुलिस ने होम क्वारंटाइन किए गए लोगों के फोन में रक्षा सर्व को इंस्टॉल करना शुरू कर दिया है। अब तक 50 फीसदी से अधिक लोगों के फोन में इस एप्लिकेशन को इंस्टाल किया गया है।

क्या हैं एप्लिकेशन के फीचर्स?

  • इस एप्लिकेशन में होम क्वारंटाइन किए गए व्यक्ति को हर घंटे में एक सेल्फी अपलोड करनी होगी। जिससे पता चल सकेगा कि वह किस स्थान पर है। यदि वह व्यक्ति घर से (मोबाइल के साथ) बाहर निकलता है और दो सौ मीटर की निर्धारित सीमा से दूर होता है तब यह एप्लिकेशन स्थानीय पुलिस थाने को अलर्ट भेज देगा।
  • वहीं होम क्वारंटाइन व्यक्ति फोन, लोकेशन या इंटरनेट कनेक्शन को बंद कर देता है तब भी यह एप पुलिस थाने को सूचित कर देगा। पुलिस ऐसे व्यक्ति के खिलाफ पुलिस नियमानुसार कार्रवाई करेगी।
  • होम क्वारंटाइन किए गए लोगों की गोपनीयता का सम्मान करते हुए क्वारंटाइन की अवधि समाप्त होते ही उन्हें ट्रैकिंग सिस्टम से हटा दिया जाएगा। पुलिस का उद्देश्य समाज को इस वायरस से सुरक्षा पहुंचाना है।
  • पुलिस अधिकारियों के मुताबिक होम क्वारंटाइन किए गए लोगों के क्षेत्रों में नियमित गश्त भी की जा रही है। क्योंकि वह घर पर फोन छोड़ देते हैं और बाहर निकल जाते हैं तब ऐप के माध्यम से उन्हें ट्रेस करने का कोई तरीका नहीं है।

2. जीआईसैट-1 का प्रक्षेपण फिर टला

कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण जीआईसैट-1 उपग्रह का प्रक्षेपण फिर से टल गया है और जीआईसैट-1 के प्रक्षेपण के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गयी है पहले अगला प्रक्षेपण अप्रैल में करने की योजना थी।

  • जीएसएलवी-एफ10 से जीआईसैट-1 उपग्रह का प्रक्षेपण पांच मार्च को होना था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से यह टल गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से जारी एक बयान में बताया गया था कि अगली तिथि की घोषणा उचित समय पर की जाएगी।
  • वर्तमान परिस्थितियों में  लॉकडाउन के कारण अब जीआईसैट-1 का प्रक्षेपण नहीं हो सकता है। उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए, उसके विभिन्न पहलुओं पर काम करने के लिए करीब 1,000 लोगों की जरुरत होती है।

q  जीआईसैट-1

  • 2,275 किलोग्राम वजनी जीआईसैट-1 एक अत्याधुनिक तेजी से धरती का अवलोकन करने वाला उपग्रह है, जिसे भूसमकालीन स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया जाएगा। तदनंतर, उस में लगी नोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए यह उपग्रह अंतिम भूस्थिर कक्षा में पहुंच जाएगा। इस सैटेलाइट सीरीज में दो उपग्रह GiSAT-1 और GiSAT-2 छोड़े जाएंगे।
  • जीआईसैट-1 अत्याधुनिक सजग ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है। इसे 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जाना है। यह देश का पहला उपग्रह है जिसे इतनी ऊंची कक्षा में रखा जायेगा।
  • चार मीटर व्यास वाला यह उपग्रह जीआईसैट श्रृंखला का पहला उपग्रह है। इसकी खासियत यह है कि आसमान में बादल नहीं रहने की स्थिति में यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की तकरीबन रियल टाइम तस्वीरें भेजने में समर्थ है। GiSAT-1 नाम के इस सैटेलाइट में पांच प्रकार के कैमरे लगे होंगे।
  • GiSAT-1 में कार्टोसैट सैटेलाइट का ताकतवर पैनक्रोमैटिक कैमरा लगा है। जो हर 30 मिनट में देश की तस्वीर लेगा। इसी तरह बाकी कैमरे भी तस्वीर लेंगे और इसरो सेंटर पर भेजते रहेंगे। फिलहार GiSAT-1 सिर्फ दिन की तस्वीरे ही ले सकेगा रात में तस्वीरें लेने के लिए इसरो इसी सीरीज का दूसरा सैटेलाइट लॉन्च करेगा।
  • प्राकृतिक आपदाओं के समय में यह सैटेलाइट लगभग रियल टाइम तस्वीरे भेजेगा ताकि लोगों को बचाने में ज्यादा से ज्यादा मदद हो सके। इस सैटेलाइट में टेलीस्कोप के अलावा लगे चार अन्य कैमरे मौसम, कार्टोग्राफी, आपदा प्रबंधन और ढांचागत विकास कार्यों के लिए काम आएंगे।

3. आसमान में दिखा ‘सुपर पिंक मून’

साल 2020 का सबसे बड़ा और सबसे चमकार चांद यानी सुपर पिंक मून दिखाई दे गया है।  जिसमें चंद्रमा आकार में बड़ा था और चमकार दिखाई दे रहा था इस सुपर पिंक मून में चांद की रोशनी का खूबसूरत नजारा देखा गया।

क्या है सुपर मून?

  • जब चन्द्रमा ऑर्बिट में चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो उसे सुपरमून कहते हैं। हमारे ग्रह से ज्यादा नज़दीकी के कारण, चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।
  • इस महीने का सुपर मून हमारे ग्रह से 3,56,907 किलोमीटर दूर था जो आमतौर पर औसत दूरी 384,400 किलोमीटर पर होता है। धरती के काफी करीब होने के कारण इसकी चमक 15 प्रतिशत ज्यादा और आकार में भी यह करीब सात प्रतिशत बड़ा था।

क्या है सुपर पिंक मून?

  • दरअसल पिंक सुपरमून कहलाने के पीछे ना तो धार्मिक वजह है ना कोई वैज्ञानिक। इस नाम के पीछे एक खास फूल है जो इन दिनों अमेरिका और कनाडा में खिलता है जिसे फ्लॉक्स सुबुलता (Phlox Subulata) और मॉस पिंक के नाम से जाना जाता है। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन जब सुपर मून नजर आता है उन दिनों ये फूल भी खिले होते हैं जिससे इन फूलों से चांद का नाता जोड़कर लोग इसे पिंक सुपरमून कहा जाने लगा है।

4. भारत में 40 करोड़ मजदूर फंस सकते हैं गरीबी में: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं और अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है।

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी रिपोर्ट ‘आईएलओ निगरानी- दूसरा संस्करण: कोविड-19 और वैश्विक कामकाज’ में कोरोना वायरस संकट को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट बताया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में दो अरब लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में हैं और ये विशेष रूप से संकट में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संकट से पहले ही अनौपचारिक क्षेत्र के लाखों श्रमिकों प्रभावित हो चुके हैं।
  • आईएलओ ने कहा, ‘‘भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपायों से बड़ी संख्या में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के श्रमिक प्रभावित हुए हैं।’’
  • रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वालों की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है, इसमें से करीब 40 करोड़ श्रमिकों के सामने गरीबी में फंसने का संकट है।’’ इसके मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी बंद से ये श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार में सबसे अधिक कटौती अरब देशों में होगी, जिसके बाद यूरोप और एशिया-प्रशांत का स्थान होगा।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ)

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है इसकी स्थापना 29 अक्टूबर 1919 को हुई थी। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया था।  संयुक्त राष्ट्र के 193  सदस्य राज्यों में से 187 देश इसके सदस्य हैं।
  • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है वर्तमान में इसके प्रमुख गाय रायडर (Guy Ryder) हैं।

5. संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर शांति सैनिकों की तैनाती 30 जून तक रोकी

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कोरोना वायरस के प्रसार के खतरे को कम करने के लिए 30 जून तक शांतिरक्षकों की अदला बदली और तैनाती को निलंबित कर दिया है। महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकताएं सैनिकों की कोविड-19 से रक्षा सुनिश्चित करना और उस खतरे को कम करना है।’’

  • दुजारिक ने कहा कि हम बहुत उम्मीद करते हैं कि सदस्य राज्य हमारे साथ काम करेंगे। मुझे लगता है कि कोई भी संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान को कोविड-19 के प्रसारक के रूप में नहीं देखना चाहता है।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना

  • संयुक्त राष्ट्र शांति सेना कि शुरुआत 1948 में की गई थी और इसने अपने पहले ही मिशन, 1948 में हुए अरब-इज़राइल युद्ध के दौरान युद्धविराम का पालन करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • तब से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना गृहयुद्ध और जातीय हिंसा के शिकार देशों में शांति स्थापना का महत्त्वपूर्ण काम करती आ रही है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक विविध पृष्ठभूमियों से संबंध रखते हैं। इसमें 119 देशों के सैनिक, सेना के पर्यवेक्षक तथा सिविल पुलिस अधिकारी काम कर रहे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक बल को 1988 में नोबेल शांति पुरस्कार से समानित किया गया था। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना द्वारा 4 महाद्वीपों में 17 संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के विभिन्न मिशनों में शामिल होता रहा है। कोसोवो, सूडान, साइप्रस, तिमूर, कांगो, सियरा लियोन, लाइबेरिया, हैती आदि देशों में कार्यरत भारतीय सैनिकों की प्रशंसा न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ करता रहा है, बल्कि स्थानीय नागरिकों द्वारा भी उनके काम को सराहा जाता है।
  • भारत अब तक विभिन्न शांति अभियानों के तहत 180,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को  भेज चुका है। भारत ने 82 देशों के लगभग 800 शांति स्थापना अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया है।
  • चूंकि 29 मई, 1948 को प्रथम संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन ने फिलिस्तीन में कार्य करना शुरू किया था इसीलिए प्रतिवर्ष 29 मई को अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस मनाया जाता है, इसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों के योगदान के लिए सम्मान व्यक्त किया जाता है।

6. चीन में डॉ. ली वेनलियांग सहित सभी शहीदों की स्मृति में तीन मिनट का राष्ट्रीय मौन रखा गया

चीन में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की याद में 04 अप्रैल को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया गया। इस दिन राष्ट्रीय ध्वज झुका रहा और वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग समेत अन्य शहीदों और इस संक्रामक रोग से देशभर में 3,300 से ज्यादा मरने वाले लोगों को याद किया गया।

  • कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जान देने वाले मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान के डॉक्टर ली वेनलियांग समेत 14 कार्यकर्ताओं की शहीद के तौर पर पहचान की गई है।
  • शहीदों की स्मृति में राष्ट्रीय शोक में राष्ट्रपति और अन्य नेता शामिल हुए। उन्होंने अपनी छाती पर सफेद फूल लगा रखे थे और राष्ट्रीय ध्वज के समक्ष कोविड-19 से मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। चीन के आधुनिक इतिहास में इसे सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य त्रासदी माना जा रहा है।
  • इसी बीच वुहान जहां से कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई और पूरी दुनिया में फैल गई, वहां 73 दिन के बाद लॉकडाउन खत्म हो गया है। हालांकि देश में कोविड-19 के नए मामलों की संख्या 1,000 के पार पहुंच गई है और दो संक्रमित लोगों की मौत भी हो चुकी है जिसके साथ ही यहां संक्रमण के फिर से फैलने की आशंका बढ़ गई है।

कौन हैं ली वेनलियांग?

  • ली वेनलियांग (34) उन आठ व्हिसलब्लोअरों में से एक हैं जो नेत्र विशेषज्ञ थे जिन्होंने चिकित्साकर्मियों को कोरोना वायरस के खिलाफ आगाह किया था, लेकिन स्थानीय पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया था।
  • ली वेनलियांग ने ही दिसंबर में सोशल मीडिया पर डॉक्टरों के एक समूह में यह जानकारी दी थी कि उन्हें सार्स जैसे एक नए कोरोना वायरस का पता चला है। हालांकि इसके बाद पुलिस ने ली वेनलियांग को फटकार लगते हुए उन पर आरोप लगाया गया कि वे अफवाह फैला रहे हैं। इसके लिए उन पर आपराधिक आरोप तय किए जाने की धमकी भी दी गई थी।
  • ली वेनलियांग ने अपने चिकित्सा महाविद्यालय के साथियों को चीनी मैसेजिंग ऐप पर बताया था कि स्थानीय सी फूड बाजार से आए सात मरीजों का सार्स जैसे संक्रमण का इलाज किया जा रहा है और उन्हें अस्पताल के पृथक वार्ड में रखा गया है।
  • आगे चलकर ली वेनलियांग भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।

7. नोवेल कोरोना वायरस जीनोम सेक्वेंसिंग

नोवेल कोरोना वायरस एक नया वायरस है और अनुसंधानकर्ता इसके विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान केंद्र (Centre for Scientific and Industrial Research – CSIR) के दो संस्थान सेंटर आफ सेलुलर एंड मोलेकुलर बायोलोजी (सीसीएमबी) हैदराबाद और इंस्टिट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलोजी (आईजीआईबी), नई दिल्ली ने नोवेल कोरोना वायरस के समग्र जीनोम सेक्वेंसिंग पर एक साथ मिल कर काम करना आरंभ कर दिया है।

  • जीनोम सेक्वेंसिंग का अध्ययन हमें वायरस के इवोलुशन, यह कितना डायनैमिक है और कितनी जल्द यह इमिटेट करता है, को समझने को सहायक होगा। यह अध्ययन हमें यह जानने में सहायता करेगा कि कितनी जल्द यह इवोल्व करता है और इसके भविष्य के क्या पहलू हो सकते हैं।

क्या है जीनोम सेक्वेंसिंग?

  • समग्र जीनोम सेक्वेंसिंग किसी विशिष्ट आर्गेनिज्म के जीनोम के संपूर्ण डीएनए सेक्वेंस को निर्धारित करने के लिए प्रयुक्त प्रणाली है। इसके अंतर्गत डीएनए में मौज़ूद चारों तत्त्वों के क्रम का पता लगाया जाता है।

कैसे होगा अध्ययन?

  • नवीनतम कोरोना वायरस के सेक्वेंसिंग के दृष्टिकोण में उन रोगियों से नमूना लेना, जो पोजिटिव पाए जाते हैं और इन नमूनों को किसी सेक्वेंसिंग केंद्र में भेजना शामिल है। जीनोम सेक्वेंसिंग के अध्ययन के लिए बहुत बड़ी संख्या में नमूनों की आवश्यकता होती है।
  • बिना अधिक आंकड़ों के व्यक्ति किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकता है। वर्तमान में संस्थानों द्वारा अधिक से अधिक सेक्वेंसिंग जमा किये कर रहे हैं और इस वायरस के कई जैविक पहलुओं से निष्कर्ष निकालने में सफल होने के लिए कुछ सौ सेक्वेंसिंग की आवश्यकता होगी।
  • अगले तीन से चार सप्ताहों में अनुसंधानकर्ता कम से कम 200-300 आइसोलेट्स प्राप्त करने में सक्षम हो जाएंगे और यह जानकारी हमें इस वायरस के व्यवहार के बारे में कुछ और निष्कर्ष बताने में सहायक होगी। इस प्रयोजन के लिए नेशनल इंस्टीच्यूट आफ विरोलोजी (एनआईवी), पुणे से भी आग्रह किया गया है कि ऐसे वायरस दें जिन्हें विभिन्न स्थानों से आईसोलेट किया गया है।
  • यह वैज्ञानिकों को संपूर्ण देश को कवर करने के लिए एक बड़ी और अधिक स्पष्ट तस्वीर उपलब्ध कराने में मदद करेगी। इसके आधार पर अध्ययन कर सकते है कि यह वायरस कहां से आया है, किस स्ट्रेन में अधिक समानता, विविध म्युटेशन है और कौन सा स्ट्रेन कमजोर है और कौन सा स्ट्रेन मजबूत है। यह हमें इसे समझने और बेहतर आइसोलेशन रणनीतियों को कार्यान्वित करने का कुछ कार्यनीतिक सूत्र देगा।

8. मध्यप्रदेश में एस्मा लागू

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी रही है। राज्य में संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 327 हो गई है। इसी के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है।

  • गृह मंत्रालय ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन के बीच आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एस्मा लागू करने को कहा था। केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को लिखे गए पत्र में कहा था कि आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए। इसी का अनुपालन करने के लिए एसेंशियल सर्विसेज़ मैनेजमेंट एक्ट (अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) तत्काल प्रभाव से लागू किया है।

क्या है एस्मा?

  • आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। विदित हो कि एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।
  • सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है।
  • एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है।
  • वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।

9. स्विस आइस हॉकी स्टार रोजर चापोट का कोविड-19 के कारण निधन

स्विट्जरलैंड की तरफ से 100 से अधिक मैच खेलने वाले पूर्व आइस हॉकी खिलाड़ी रोजर चापोट का कोविड-19 बीमारी के कारण निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।

  • अंतरराष्ट्रीय आइस हॉकी महासंघ (आईआईएचएफ) ने कहा, ”चापोट स्विट्जरलैंड के फ्रेंच भाषी क्षेत्र के रहने वाले दिग्गज हॉकी खिलाड़ी थी और उन्हें साठ के दशक में मध्यपंक्ति के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिना जाता था।”
  • रोजर चापोत 1964 के विंटर ओलिंपिक में भी हिस्सा ले चुके थे। इतना ही नहीं, रोजर स्विस लीग के 1964 के सत्र में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी थे।  रोजर चापोट ने 1958 से लेकर 1976 तक अंतरराष्ट्रीय आइस हॉकी हॉकी खेली थी।

10. कोविड-19 से लड़ने के लिए जूनियर गोल्फर अर्जुन भाटी ने बेचीं 102 ट्रॉफियां

कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिए खेल जगत के दिग्गज भी आगे आ रहे हैं और मदद कर रहे हैं। इसी कड़ी में युवा गोल्फ खिलाड़ी अर्जुन भाटी ने भी मदद के हाथ बढ़ाए हैं।

  • अर्जुन भाटी ने पिछले आठ साल में देश विदेश में जीतीं 102 ट्रॉफियों को 102 लोगों को बेच दिया है उनसे जो पैसे आए हैं, उसे पीएम केयर्स फंड में मदद के लिए दे दिए हैं। अर्जुन से इससे करीब चार लाख 30 हजार रुपए जुटाए थे।
  • अर्जुन ने ट्वीट किया कि जो देश-विदेश से जीतकर कमाई हुई 102 ट्रॉफी संकट के समय मैंने 102 लोगों को दे दी। उनसे आए हुए कुल 4,30,000 रुपये पीएम-केयर्स फंड में देश की मदद को दिए। यह सुनकर दादी रोईं, फिर बोलीं कि तुम सच में अर्जुन हो। आज देश के लोग बचने चाहिए, ट्रॉफी तो फिर आ जाएंगी।
  • पीएम मोदी ने अर्जुन भाटी के इस ट‌्वीट को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया और लिखा कि देशवासियों की यही वो भावना है, जो कोरोना महामारी के समय सबसे बड़ा संबल है।
  • वदित है कि अर्जुन भाटी से पहले उनकी दादी ने पीएम केयर्स फंड में एक साल की पेंशन दान देने का फैसला किया था। नोएडा में रहने वाले जूनियर वर्ल्ड गोल्फ चैंपियन रहे अर्जुन भाटी ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि उनकी दादी ने अपनी एक साल की पेंशन दान करने का फैसला किया है।

 

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