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सामयिकी: 8 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 8 April 2020

1. अमेरिका में टाइगर पाया गया कोरोना संक्रमित

अमेरिका के कृषि विभाग की राष्ट्रीय पशु चिकित्सा सेवा प्रयोगशाला ने 5 अप्रैल, 2020 को जारी वक्तव्य में इस बात की पुष्टि की है कि ब्रोंक्स चिड़ियाघर, न्यूयार्क के एक बाघ सार्स-कोव-2 (कोविड-19) से संक्रमित है।

  • चार साल की मादा बाघ का नाम नादिया है, इसके साथ ही साथ ही तीन अन्य बाघ और तीन अफ्रीकी शेर में भी ‘सूखी खाँसी’ की शिकायत दर्ज की गई है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच यह पहला मामला है, जिसमें किसी गैरपालतू जानवर या किसी टाइगर को पॉजिटिव पाया गया है।
  • माना जा रहा है कि बाघ को उसकी देखभाल करने वाले कर्मचारी से वायरस का संक्रमण हुआ है जिसमें इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई दिये थे
  • इससे पूर्व हांगकांग में संक्रमित व्यक्ति के परिवार में दो कुत्तों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया था हालांकि कुत्तों में इसके लक्षण नहीं दिख रहे थे। वहीं बेल्ज‍ियम में एक ब‍िल्ली का भी टेस्ट पॉजिटिव आया था। इस बिल्ली को सांस लेने में दिक्कत और अपच जैसे लक्षण थे।
  • इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अन्तर्गत केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने देश के सभी चिड़ियाघरों को हाई अलर्ट पर रहने, किसी असामान्य व्यवहार/लक्षणों को ध्यान में रखते हुए सीसीटीवी की मदद से जानवरों की चौबीसों घंटे निगरानी करने, पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) या अन्य सुरक्षा उपाय के बगैर चिड़ियाघर कर्मियों को जानवरों के नजदीक जाने, बीमार जानवरों को क्वारंटाइन/अलग-अलग रखने तथा जानवरों को भोजन देते समय कम से कम संपर्क करने की सलाह दी है।

2. एनएचएआई ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान किया सर्वाधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3,979 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया है। यह किसी भी वित्तीय वर्ष में एनएचएआई द्वारा किया गया सबसे अधिक राजमार्ग निर्माण है।
  • बीते कुछ वर्षों में निर्माण की गति में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3,380 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया था। इसी परिपाटी को बरकरार रखते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 में एनएचएआई ने 3,979 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कर 1995 में अपनी स्थापना के बाद सर्वाधिक निर्माण कार्य किया है।
  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी राजमार्ग विकास कार्यक्रम भारतमाला परियोजना की परिकल्पना की है जिसके अंतर्गत लगभग 65,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करना शामिल है।
  • भारतमाला परियोजना के चरण-1 में मंत्रालय ने 5 वर्षों के भीतर 5,35,000  करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। भारतमाला परियोजना के चरण-1 के दौरान एनएचएआई लगभग 27,500 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करने के लिए अधिदेशित है।

कैसे आई तेजी?

  • निर्माण की गति में तेजी लाने के लिए रुकी हुई परियोजनाओं को पुन: शुरु करने तथा नई परियोजनाओं को पूर्ण करने के कार्य में तेजी लाने के लिए बड़ी संख्या में कदम उठाए गए हैं जैसे –
  • i)   भूमि अधिग्रहण को सुचारु बनाना और बोलियां आमंत्रित करने से पहले भूमि के बड़े भाग का अधिग्रहण करना।
  • ii)  भूमि अधिग्रहण, मंजूरी आदि के संदर्भ में परियोजना की पर्याप्त तैयारी के बाद परियोजनाएं प्रदान करना।
  • iii) अन्य मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ निकट समन्वय बनाना।
  • iv) एकमुश्त धन उपलब्ध कराना।
  • v)  विभिन्न स्तरों पर नियमित समीक्षा और परियोजना के कार्यान्वयन में रुकावटों की पहचान करना/उन्हें दूर करना।
  • vi) इक्विटी निवेशकों के लिए प्रस्तावित निकास
  • vii) सड़क क्षेत्र के ऋणों का प्रतिभूतिकरण
  • viii) परियोजनाओं को पूरा होने में देरी को टालने के लिए विवादों निपटान तंत्र में सुधार।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1988 “राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंध के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने तथा उससे संबद्ध या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध” के तहत 1995 में किया गया था।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को, अन्य छोटी परियोजनाओं सहित, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का काम सौंपा गया है राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन करना शामिल है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग देश के अन्दर एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रियों के आवागमन और माल को लाने-ले जाने हेतु महत्वपूर्ण सड़कें होती हैं। ये सड़कें देश में लम्बाई और चैड़ाई में आर-पार फैली हुई हैं तथा राष्ट्रीय और राज्यों की राजधानियों, प्रमुख पत्तनों और रेल जंक्शनों, सीमा से लगी हुई सड़कों और विदेशी राजमार्गों को जोड़ती हैं।
  • फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एक्सप्रसे मार्गों सहित) की कुल लम्बाई 1,00,087.08 कि.मी. है जबकि राजमार्ग/एक्सप्रसे मार्ग सडकों की कुल लम्बाई का केवल लगभग 1.7% है और इन सड़कों पर 40% यातायात चलता है।

3. 7 अप्रैल को मनाया गया विश्व स्वास्थ्य दिवस

  • 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह और महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व के करीब 200 से ज्यादा देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। दुनियाभर के स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की सेवा में और उनकी जान बचाने में लगे हैं।
  • डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस को हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस की अलग-अलग थीम होती है। इस साल यानी 2020 के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘नर्सों और मिडवाइफ की सहायता करें’ है।
  • 1950 से शुरू हुए इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श करना है। केवल विचार-विमर्श ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और स्वास्थ्य से जुड़ी अफवाहों या भ्रांतियों को दूर करना भी है। WHO अलग-अलग देशों की सरकारों को स्वास्थ्य नीतियां बनाने और उसे काम में लाने को लेकर प्रेरित करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर विश्व के 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे और इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी।
  • इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है।
  • यह विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश हैं। भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है।
  • इथियोपिया के डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्तमान महानिदेशक हैं।

4. ओडिशा में घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना होगा अनिवार्य

  • ओडिशा में चेहरे पर दो लेयर का मास्क या कपड़ा लगाना जरूरी कर दिया गया है। ओडिशा के रेवेन्यू एंड डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग के द्वारा जारी यह आदेश 9 अप्रैल को सुबह 7 बजे से लागू हो जाएगा।
  • नियम लागू होने के बाद राज्य में कोई भी व्यक्ति बिना मास्क या मुंह पर दो लेयर वाला कपड़ा लगाए बिना बाहर निकला तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस तरह का नियम बनाने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य बन गया है।
  • सरकार द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि आम लोगों को निर्देश दिया जाता है कि अपने मुंह और नाक को किसी भी तरह के मास्क से ढकें। अगर उनके पास मास्क नहीं है तो कोई भी दो लेयर वाला कपड़ा नाक या मुंह पर लगाएं। लोग इसके लिए रुमाल का प्रयोग भी कर सकते हैं।

अस्सी प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो महामारी पर लग सकती है लगाम

  • अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी को ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। पर, 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जा सकती है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा ये तथ्य सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस से जुड़ी एक नियमावली में पेश किए गए हैं।
  • नियमावली कहती है कि एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति से संपर्क में आने पर कोविड-19 वायरस आसानी से फैलता है। वायरस को ले जाने वाली बूंदें इसे तेजी से फैलाती हैं और हवा में जीवित रहते हुए यह आखिरकार विभिन्न सतहों के संपर्क में आ जाता है। कोविड-19 को फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 किसी ठोस या तरल सतह (एयरोसोल) पर तीन घंटे तक और प्लास्टिक व स्टेनलेस स्टील पर तीन दिन तक जीवित रहता है।
  • इस नियमावली में कहा गया है कि मास्क के उपयोग से संक्रमित व्यक्ति से निकले द्रव कणों में मौजूद वायरस के किसी दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश की आशंका कम हो जाती है। सुरक्षित मास्क पहनकर वायरस के सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश की संभावनाएं कम हो जाती हैं, जो इसके प्रसार को रोकने के लिहाज से अहम हो सकता है। हालाँकि, ,मास्क को ऊष्मा, यूवी लाइट, पानी, साबुन और अल्कोहल के एक संयोजन के उपयोग से स्वच्छ किया जाना जरूरी है।
  • इस नियमावली को जारी करने का उद्देश्य मास्क, इनके उपयोग और मास्क के दोबारा उपयोग की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया की सरल रूपरेखा उपलब्ध कराना है, जिससे एनजीओ और व्यक्तिगत रूप से लोग खुद ऐसे मास्क तैयार कर सकें और देश भर में तेजी से ऐसे मास्क अपनाए जा सकें। प्रस्तावित डिजाइन के मुख्य उद्देश्यों में सामग्रियों तक आसान पहुंच, घरों में निर्माण आसान करना, उपयोग और पुनः उपयोग को आसान बनाना शामिल है।
  • सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता कहती हैं “मास्क की कमी को देखते हुए इस नियमावली में घर पर मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। यह पहल मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है, जो मास्क पहनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास इन मास्कों तक पहुँच नहीं है। ऐसे में घर पर बनाए हुए मास्क उपयोगी हो सकते हैं। इनकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर दोबारा उपयोग कर सकते हैं।”

5. स्टार्ट अप्स कर रहे हैं कोविड-19 का पता लगाने के लिए रैपिड किट का निर्माण

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कोविड 19 रोग का तेजी से पता लगाने के लिए प्वाइंट आफ केयर डायग्नोस्टिक पर कार्य कर रहे एक पुणे स्थित स्वास्थ्य स्टार्ट अप ‘माड्यूल इनोवेशंस’ (Module Innovations) का वित्तपोषण किया है जिससे कि  10 से 15 मिनट की जांच के साथ कोविड-19 का पता लगाने के लिए एक उत्पाद का विकास किया जा सके।

  • अपने प्रमुख उत्पाद यूसेंस (USense) की सिद्ध अवधारणा का उपयोग करते हुए, माड्यूल इनोवेशंस अब एनकोवसेंसेज (टीएम) (nCoVSENSEs (TM)) का विकास कर रहा है जो एंटीबाडीज, जिन्हें मानव शरीर में कोविड 19 के खिलाफ सृजित किया गया है, का पता लगाने के लिए एक रैपिड टेस्ट डिवाइस है।
  • एनकोवसेंसेज परीक्षण का लक्ष्य वायरल संक्रमण के उभार पर मानव शरीर में सृजित IgG एवं  IgM एंटीबाडीज का पता लगाना है और इसे कोविड 19 के लिए विशिष्ट बनाते हुए स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ टारगेट किया गया है।
  • स्टार्ट अप की योजना राष्ट्रीय एजेन्सियों से नियत सत्यापन प्राप्त करने के बाद 2-3 महीनों के समय में परीक्षण को तैनात करने की है। भविष्य में यह उन रोगियों को भी निर्धारित करने में सहायता करेगी जो रिकवर कर चुके हैं। इस परीक्षण का उपयोग हवाई अड्डों,रेलवे स्टेशनों,अस्पतालों तथा ऐसे अन्य स्थानों पर जांच करने में किया जा सकता है और इस प्रकार वे भविष्य में किसी प्रकोप से भी रक्षा कर सकते हैं।
  • हालांकि प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता सिद्ध हो चुकी है,अवधारणा का प्रमाण (पीओसी) और उत्पाद की कार्य क्षमता प्रदर्शित करते हुए प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया जाना अभी शेष है।
  • वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए भारत को व्यापक रूप से स्क्रीनिंग करना बेहद आवश्यक है। रैपिड टेस्ट डिवाइस के साथ रोगियों में संक्रमण की पुष्टि करना और यह निर्धारित करना भी कि क्या संक्रमित व्यक्ति ठीक हो चुका है तथा यह पता लगाना भी कि रोगियों में संक्रमण का चरण क्या है, संभव हो जाएगा।

प्रष्ठभूमि

  • कोरोना टेस्ट के लिए अभी रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमिरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) प्रणाली का उपयोग किया जाता है जो काफ़ी महंगी है, ज्यादा समय लेती है और इसके लिए प्रशिक्षित श्रमबल की आवश्यकता होती है। यह नया रैपिड टेस्ट कम लागत पर अधिक प्रभावी तरीके से समस्या को प्रबंधित कर सकती है।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “हालांकि यह पीसीआर आधारित संपुष्टि तकनीक का विकल्प नहीं है,पर एंटीबाडीज का पता लगाने पर आधारित परीक्षणों का उपयोग वैश्विक रूप से त्वरित व्यापक जांचों के लिए किया जा रहा है जो पीसीआर मशीनों की सीमित संख्या से कुछ बोझ को कम करेगा और अन्य बातों के अलावा कार्यनीतियों को बनाने एवं निर्णय निर्माण करने में सहायक होगा।”

6. सरकार ने सांसदों के वेतन में एक साल के लिए तीस प्रतिशत कटौती का लिया निर्णय

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सांसदों का वेतन एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत कम हो जाएगा।

  • यह अध्यादेश पहली अप्रैल से प्रभावी हो गया है। मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संवाददाताओं को बताया कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों का वेतन एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत घट जाएगा।
  • इस फैसले के तत्काल बाद ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से साल भर तक तीस फीसद कम वेतन लेने का एलान किया है।
  • सांसदों का मासिक वेतन एक लाख रुपये और संसदीय क्षेत्र का मासिक भत्ता 70 हजार रुपये के अलावा अन्य भत्ते भी होते हैं। सांसदों का वेतन संसद के तय कानून से ही निर्धारित होता है। ऐसे में इनमें कटौती का फैसला भी कानून में बदलाव के जरिये ही होगा। इसलिए अध्यादेश को संसद सत्र में लाया जाएगा।
  • साथ ही मंत्रिमंडल ने 2020-21 से 2021-22 तक दो वर्ष के लिए सांसद क्षेत्रीय विकास निधि को निलंबित करने का फैसला किया है। इस निलंबन के बाद 79 अरब रुपये की राशि कोविड-19 से निपटने के लिए भारत की समेकित निधि में जमा कराई जाएगी।

7. जापान में कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिए आपातकाल का ऐलान

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी पर लगाम लगाने के लिए 7 अप्रैल को आपातकाल घोषित कर दिया है। आपातकाल के दायरे में राजधानी टोक्यो और अन्य प्रमुख प्रांत होंगे, जिसमें कनागावा, सैतामा, चिबा, ओसाका, ह्योगो और फुकुओका शामिल हैं।

  • उन्होंने खासतौर पर तोक्यो और ओसाका जैसे शहरी इलाकों में संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़ने का हवाला देते हुए एक दिन पहले ही योजना की घोषणा कर दी थी।
  • इस घोषणा से गवर्नरों को वायरस का प्रसार रोकने के लिए कदम उठाने का अधिक अधिकार मिल जाएगा जो गर्वनरों को लोगों से घरों में रहने तथा उद्यमों से संस्थान बंद करने का अधिकार देगी।
  • हालांकि शिंजो आबे ने यह भी संकेत दिए हैं कि जापान में वैसी सख्ती नहीं बरती जाएगी जैसे कि दूसरे देशों में लॉकडाउन के दौरान की जा रही है। इसके अलावा राज्यों के गवर्नरों को यह जरूर कहा गया है कि वे लोगों से घरों में रहने की अपील करें और कारोबार को बंद रखने के लिए कहें। ताकि लॉकडाउन पूरी तरह रहे और देश में इस तरह के मामलों की रोकथाम की जा सके।
  • आपातकाल की यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब जापान में भी कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं इस देश में कोरोना वायरस मामलों की संख्या 4845 हो गई है, और अब तक 108 लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

8. शब-ए-बारात के दिन घरों में ही इबादत की अपील

केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपील की है, कि शब-ए-बारात के दिन लोग लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंन्सिंग का पालन करते हुए अपने घरों पर ही इबादत और दुआ करें।

  • सेन्ट्रल वक्फ काउन्सिल के जरिए सभी राज्यों के वक्फ बोर्डो को भी निर्देश दिया गया है, कि सभी राज्यों के वक्फ बोर्ड लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंन्सिंग के दिशा-निर्देशों का पालन कराने में प्रशासन की मदद करें और लोगों से शब-ए-बारात के दिन घरों में ही इबादत के लिए अपील करें।
  • इसके अलवा मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धजीवियों ने अपील की है कि देश में फैले कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लोग शब-ए-बारात के मौके पर कब्रिस्तान, दरगाह अथवा मजारों पर जाने से बचें और घर पर ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए इबादत करें।

शब-ए-बारात

  • मान्यता के अनुसार शब-ए-बारात को एक प्रकार से रमजान में रखे जाने वाले रोजे के लिए खुद को तैयार करना माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस रात लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।
  • मुस्लिम सम्प्रदाय इस्लामी कैलंडर के आठवें महीने ‘शाबान’ की 15वीं रात को ‘शब-ए-बारात’  के रूप में मनाता है मुसलमानों के लिए ये मुबारक मौक़ा रमज़ान के दो हफ़्ते पहले आता है।
  • मुस्लिम मजहब के लोग इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। बकायदा इसकी तैयारियां की जाती हैं। घरों में तमाम प्रकार के पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाया जाता है। इबादत के बाद इसे गरीबों में बांटा जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है। लाइट्स लगाई जाती हैं। वहीं बुजुर्गों व अपने करीबियों की कब्रों पर चिराग जलाएं जाते हैं और उनकी मगफिरत की दुआंए मांगी जाती हैं।
  • मुसलमानों का ये मानना है कि ‘शब-ए-बारात’ की रात किसी की क़िस्मत का फ़ैसला होता है कि आने वाला साल उसके लिए कैसा गुज़रेगा। इस मौक़े पर रिश्तेदारों की क़ब्रों पर जाने और दान देने का भी रिवाज है।

9. थाईलैंड और मलेशिया के भारोत्तोलक टोक्यो ओलंपिक में नहीं ले सकेंगे हिस्सा

थाईलैंड और मलेशिया के भारोत्तोलक टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन फेडरेशन ने थाई एमेच्योर भारोत्तोलन संघ पर 3 साल का और मलेशियन भारोत्तोलन संघ पर 1 साल का प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

  • अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन फेडरेशन ने यह फैसला इन दोनों देशों में काफी संख्या में डोपिंग के मामले सामने के कारण लिया है। प्रतिबंध ओलिंपिक के 1 साल के लिए स्थगित हो जाने पर भी लागू होगा। थाईलैंड और मलेशिया के पास अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन फेडरेशन के इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 21 दिन का समय है।
  • इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन फेडरेशन ने थाई फेडरेशन पर दो लाख डॉलर (करीब 1.53 करोड़ रुपए) का जुर्माना भी लगाया है। थाई फेडरेशन ने 2018 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में अपने 9 वेटलिफ्टरों के डोपिंग में फंसने के बाद खुद ही ओलिंपिक से नाम वापस ले लिया था।
  • वहीं, मलेशिया की बात करें तो एक कैलेंडर ईयर में उसके तीन खिलाड़ियों को डोप टेस्ट में फेल हो जाने के कारण सजा मिली है फेडरेशन के मुताबिक, ओलंपिक आयोजन जब भी हो, लेकिन इन देशों का कोई खिलाड़ी हिस्सा नहीं ले सकेगा।

10. यूएन-डब्ल्यूएचओ अभियान से जुड़ेंगे मोहन बागान और ईस्ट बंगाल

भारत के दो प्रमुख फुटबाल क्लब मोहन बागान और ईस्ट बंगाल कोविड-19 महामारी के कारण विश्व भर में लोगों को सक्रिय बने रहने के लिये प्रोत्साहित करने को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक अभियान में शामिल होंगे। ये दोनों भारतीय फुटबाल क्लब दुनिया भर के उनके कई क्लबों में शामिल हैं जो ‘सक्रिय बनो’ अभियान में हिस्सा लेंगे।

  • यह अभियान विकास और शांति के लिये संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस (06 अप्रैल) पर शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में लोगों को घर में स्वस्थ बने रहने के लिये प्रोत्साहित करना हैं।
  • फीफा इस अभियान में यूएन और डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह अभियान रीयाल मैड्रिड, बार्सिलोना एफसी, लिवरपूल एफसी और मैनचेस्टर यूनाईटेड के साथ शुरू किया गया जिसमें फुटबाल प्रशंसकों से अपनी प्रतिद्वंद्विता को भुलाकर कोरोना वायरस को हराने के लिये एकजुट होने की अपील की जा रही है।
  • इनके अलावा क्लब अमेरिका, सीडी गुआडलजारा, बीजिंग गुआन एफसी, शंघाई शेनहुआ एफसी, मोहन बागान, ईस्ट बंगाल एफसी, मेलबर्न सिटी एफसी, सिडनी एफसी, ऑकलैंड सिटी एफसी, टीम वेलिंगटन एफसी, सीए रिवर प्लेट, ओलम्पिक डी मार्सिले, टीपी मजेम्बे, सीआर फ्लेमेंगो और एसई पालमीरा भी आने वाले दिनों में इस पहल में शामिल होंगे।
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