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सामयिकी: 28 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 28 April 2020

1. एनटीपीसी ने लेह और नई दिल्ली के लिए हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित बस और कार परियोजना की लॉन्च

एनटीपीसी लिमिटेड ने लेह और नई दिल्ली के लिए 10 हाइड्रोजन फ्यूल सेल (एफसी) आधारित इलेक्ट्रिक बसों और 10 हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित इलेक्ट्रिक कारों के लिए वैश्विक अभिरुचि पत्र (EoI – Expression of Interest) आमंत्रित किये हैं। एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम (एनवीवीएन) लिमिटेड द्वारा  ईओआई जारी किया गया है।

  • हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित वाहनों की खरीद, देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसमें हरित ऊर्जा से लेकर फ्यूल सेल वाहन तक का संपूर्ण समाधान विकसित किया जाएगा।
  • इस पहल के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का भी समर्थन लिया गया है।  लेह और दिल्ली की पायलट परियोजनाओं के हिस्से के रूप में  हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग तथा इसके भंडारण और वितरण की सुविधाएं विकसित की जाएँगी। हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों को लॉन्च करने का उद्देश्य परिवहन के क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करना भी है।

क्या है हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित पद्धति?

  • ईंधन सेल (fuel cell) एक विद्युतरासायनिक युक्ति है जो ईंधन से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है। यह परिवर्तन एक रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा होता है जिसमें धनावेशित हाइड्रोजन ऑयन, आक्सीजन या किसी अन्य आक्सीकारक से क्रिया करते हैं।
  • ईंधन सेल, परम्परागत बैटरियों से इस दृष्टि से भिन्न हैं कि इनकी रासायनिक अभिक्रिया को चलते हुए बनाये रखने के लिये ईंधन और आक्सीजन के अविराम स्रोत आवश्यक होता है। ईंधन सेल तब तक ही विद्युत उत्पादन कर सकते हैं जब तक ईंधन और आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे।
  • इसकी कार्यप्रणाली की बात करें तो पर्यावरण अनुकूल इन बसों में हाइड्रोजन ईंधन आधारित सेल होता है। इसमें एक ईंधन सेल में से हाइड्रोजन को प्रवाहित किया जाता है। सेल के भीतर हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन में टूट जाता है। वहीं अलग हुए इलेक्ट्रॉन को एक सर्किट में भेजा जाता है, जो विद्युत धारा और ऊष्मा का उत्पादन करता है।
  • ईंधन सेल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को समिश्रित कर विद्युत धारा का निर्माण करता है तथा इस प्रक्रिया में जल उपोत्पाद होता है। यह ईंधन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।

एनटीपीसी

  • भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी, एनटीपीसी की स्थापना 1975 में भारत के विद्युत विकास में तेजी लाने के लिए की गई थी। जबकि एनटीपीसी एक ताप विद्युत कंपनी है, अब यह विद्युत उत्पादन व्यापार की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ एक वैविध्यपूर्ण विद्युत कंपनी के रूप में उभर रही है।
  • फोर्ब्स सूची में ‘’वर्ष 2019 के लिए विश्व की 2000 सबसे बड़ी कंपनियों में’’ एनटीपीसी का 492 वां स्थान था। एनटीपीसी महारत्न कंपनी की प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाली सम्मानित चार कंपनियों में से एक है।
  • कंपनी की कुल संस्थापित क्षमता 62,110 मेगावॉट (संयुक्त उद्यम सहित) जिसमें देश भर में स्थित 24 कोयला आधारित और 7 गैस आधारित स्टेशन शामिल हैं। संयुक्त उद्यम के तहत 9 स्टेशन कोयला आधारित हैं तथा 12 अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं भी है। कंपनी ने वर्ष 2032 तक 1,28,000 मेगावाट की स्थापित विद्युत् क्षमता पैदा करने का लक्ष्य स्थापित किया है। इस क्षमता में विविध मिश्रित ईंधन होंगे जिसमे शामिल है 56% कोयला, 16% गैस, 11% परमाणु ऊर्जा, और हाइड्रो सहित 17% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।

 

2. आईआईटी बाम्बे के छात्रों ने मैकेनिकल वेंटिलेटर ‘रुहदार’ किया विकासित

आईआईटी बॉम्बे, एनआईटी श्रीनगर और इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईयूएसटी), अवंतीपोरा, पुलवामा, जम्मू और कश्मीर के इंजीनियरिंग छात्रों की एक टीम रचनात्मक व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो वेंटिलेटर की आवश्यकता संबंधी समस्या को हल करने के लिए सामने आया है।

  • इस टीम ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करते हुए कम लागत वाला वेंटिलेटर बनाया है। टीम ने इसको रूहदार वेंटिलेटर नाम दिया है।
  • टीम के लिए इस प्रोटोटाइप की लागत लगभग 10,000 रुपये रही और जब इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जायेगा, तो लागत इससे बहुत कम हो जायेगी।
  • अस्पतालों में उपयोग किए जाने वाले कीमती वेंटिलेटरों का दाम लाखों रुपये होता है, वहीं “रूहदार आवश्यक कार्यात्मकता प्रदान करते हैं जो गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगी के जीवन को बचाने के लिए आवश्यक पर्याप्त श्वसन सहायता प्रदान कर सकते हैं।

क्या है इसके विकास की कहानी?

  • प्रोजेक्ट हेड और आईआईटी बॉम्बे के इंडस्ट्रियल डिज़ाइन सेंटर के प्रथम वर्ष के छात्र ज़ुल्कारनैन महामारी के कारण संस्थान बंद हो जाने पर अपने गृहनगर कश्मीर गए थे। महामारी बढ़ने पर ज़मीनी स्थिति का पता चला तो उन्होंने मालूम हुआ कि कश्मीर घाटी में केवल 97 वेंटिलेटर हैं। उन्होंने महसूस किया कि इनकी आवश्यकता इससे कहीं अधिक थी और वेंटिलेटर्स की कमी कई लोगों के लिए प्रमुख चिंता बन गई थी।
  • इसलिए, ज़ुल्कारनैन ने आईयूएसटी, अवंतीपोरा के अपने दोस्तों पी. एस. शोएब, आसिफ शाह और शाहकार नेहवी और एनआईटी श्रीनगर के माजिद कौल के साथ मिलकर काम किया। आईयूएसटी के डिजाइन इनोवेशन सेंटर (डीआईसी) से सहायता लेते हुए टीम स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके कम लागत वाले वेंटिलेटर डिजाइन करने में सक्षम रही है।
  • हालांकि उनका प्रारंभिक उद्देश्य एक आजमाए गए और परीक्षण किए गए डिज़ाइन की ही प्रतिकृति तैयार करना था, लेकिन जब उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया तो वेंटिलेटर का अपना डिज़ाइन विकसित कर लिया।

वेंटिलेटर

  • वेंटिलेटर एक मशीन है जो रोगी को सांस लेने में मदद करती है। इसके लिए मुंह, नाक या गले में एक छोटे से कट के माध्यम से एक ट्यूब श्वास नली में डाली जाती है। इसे मैकेनिकल वेंटिलेशन भी कहा जाता है।
  • यह एक जीवन सहायता उपचार है। मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरुरत तब पड़ती है जब कोईरोगी प्राकृतिक तरीके से अपने आप सांस लेने में सक्षम नहीं होता है। इसके कई अन्य नाम भी हैं जैसे – ब्रीथिंग मशीन या रेस्पिरेटर या मैकेनिकल वेंटिलेटर इत्यादि।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संक्रमित होने वालों में लगभग 80 प्रतिशत केवल मामूली रूप से बीमार होंगे, लगभग 15 प्रतिशत को ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी और शेष 5 प्रतिशत जिनकी हालत गंभीर या नाजुक होगी, उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी।
  • इस प्रकार वेंटिलेटर संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक चिकित्सा अवसंरचना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो गंभीर रूप से बीमार पड़ने वालों को श्वास लेने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं।

 

3. रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स उद्योग पहली बार सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला क्षेत्र बना

 

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स उद्योग को पहली बार देश का शीर्ष निर्यात क्षेत्र बनने पर बधाई दी है। उन्होंने भारत को रसायनों और पेट्रोकेमिकल्स के उत्पादन का एक अग्रणी वैश्विक केंद्र बनाने और विश्व में गुणवत्ता वाले रसायनों की आपूर्ति करने की दिशा में पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया है।

  • मंत्रालय के अनुसार अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 के दौरान, रसायनों के निर्यात में पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 7.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान रसायनों का कुल निर्यात 2.68 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह कुल निर्यात का 14.35% है।

 

4. सीमा सड़क संगठन ने कोविड-19 लॉकडाउन के बावजूद तीन सप्ताह पहले ही खोल दिया रोहतांग दर्रा

 

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कोविड-19 लॉकडाउन के बीच बर्फ की सफाई के बाद तीन सप्ताह से ज्यादा समय पहले ही रोहतांग दर्रा (समुद्री स्तर से 13,500 फुट ऊपर) खोल दिया है।

  • हिमाचल प्रदेश सरकार ने बर्फ की सफाई में तेजी लाने के लिए बीआरओ से संपर्क किया था, जिससे फसलों की कटाई शुरू करने के लिए किसानों की वापसी को आसान बनाया जा सके और कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए लाहौल घाटी में राहत सामग्री पहुंचाई जा सके तथा आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही तेज की जा सके।
  • दर्रे को खोलने के लिए बर्फ की सफाई का काम हर साल किया जाता है, क्योंकि हर साल नवंबर से मई के मध्य तक लगभग छह महीने तक रोहतांग दर्रा बर्फ से पटा रहता है। यह 12 दिसंबर, 2019 तक खुला था। पूरी घाटी सर्दियों के दौरान किसी भी तरह की ढुलाई/ आपूर्तियों के लिए हवाई माध्यम पर निर्भर रहती है।
  • इसके अलावा कोविड-19 के खिलाफ सरकार के प्रयासों में सहायता के लिए सीमा सड़क संगठन के सभी कर्मचारियों ने एक दिन के वेतन के रूप में पीएम केयर्स कोष में सामूहिक तौर पर एक करोड़ रुपये का अंशदान किया है।

रोहतांग दर्रा

  • रोहतांग दर्रा हिमालय (भारत) में स्थित एक प्रमुख दर्रा है। यह मनाली को लेह से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है। इस दर्रे का पुराना नाम ‘भृगु-तुंग’ था, ‘रोहतांग’ नया नाम है। यहाँ पूरे साल बर्फ़ की चादर बिछी रहती है। रोहतांग दर्रा लाहोल और स्पीति ज़िलों का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
  • चिनाब और ब्यास नदियों के घाटियों के बीच के जलक्षेत्र पर स्थित यह दर्रा, एक सुरम्य ड्राइव के लिए अत्यंत अनुकूल है। ऐसा कहा जाता है कि एक समय यह दर्रा पीर पंजाल पर्वतीय शृंखला के दोनों ओर रहने वाले लोगों के लिए, एक प्राचीन व्यापार मार्ग के रूप में किया जाता था।

सीमा सड़क संगठन (BRO – Border Roads Organization)

  • बीआरओ एक ऐसा संगठन है जो पूरे देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निर्माण और रखरखाव करता है और सशस्त्र बलों की सामरिक जरूरतों के लिए काम करता है । इसका गठन 7 मई 1960 को हुआ था।
  • इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है और यह रक्षा मंत्रालय के अधीन है।

 

5. निक्की हेली ने ‘साम्यवादी चीन को रोको’ अभियान किया शुरू

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की नेता निक्की हेली ने इस बात पर जोर दिया है कि चीन की ‘‘साम्यवादी सरकार को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बारे में झूठ बोलने” के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने की आवश्यकता है। इसीलिए उन्होंने ‘साम्यवादी चीन को रोको’ अभियान शुरू किया है।

  • इसके तहत उन्होंने ऑनलाइन ‘साम्यवादी चीन को रोको’ याचिका पर हस्ताक्षर कराने का अभियान शुरू किया है जिसमें अमेरिकी संसद से इस मामले पर प्रतिक्रिया देने की अपील की गई है।
  • ‘साम्यवादी चीन को रोको’ याचिका पर 24 अप्रैल तक 40,000 से ज्यादा लोग हस्ताक्षर कर चुके थे। भारतीय मूल की इस अमेरिकी नेता ने इस याचिका पर 1,00,000 हस्ताक्षर प्राप्त करने के लक्ष्य से अभियान शुरू किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत, 48 वर्षीय हेली ने कहा, “चीन की साम्यवादी सरकार को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बारे में झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और अमेरिकी संसद को अब प्रतिक्रिया देने की जरूरत है।”
  • उन्होंने कहा, “चीन को अमेरिका और दुनिया भर में अपना प्रभाव कायम करने से रोकने की जंग में हमारे साथ शामिल हों। इस याचिका पर हस्ताक्षर करें और अपने दोस्तों के साथ भी इसे साझा करें।”
  • इसके अलावा याचिका में सांसदों से इस बात की जांच करने की अपील की गई है कि क्या चीन ने कोरोना वायरस के प्रकोप पर पर्दा डालने की कोशिश की। साथ ही अहम चिकित्सीय आपूर्तियों एवं दवाओं के लिए चीन पर अमेरिका की निर्भरता को खत्म करने, चीन को अमेरिका को इसका भुगतान करने पर मजबूर करने और चीन के कारण परेशानी झेल रहे ताइवान का समर्थन करने का आग्रह किया गया है।

 

6. कोविड-19 सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है जिससे गंध और स्वाद खत्म हो सकता है: अध्ययन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 वायरस सार्स-कोव-2 की न्यूरोइंवेसिव प्रकृति की खोज की है जो रेखांकित करती है कि संक्रमण रोगियों को गंध एवं स्वाद का नुकसान कर उनकी समस्त सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) और मस्तिष्क में अंतनिर्हित संरचना को प्रभावित कर सकता है।

  • डॉ. सुरजीत घोष और उनकी टीम ने बताया है कि सार्स-कोव-2 एचएसीई2 ( ह्यूमन एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग इंजाइम 2) नामक एक विशिष्ट मानव रिसेप्टर से संपर्क के लिए जाना जाता है जो वायरस का प्रवेश बिंदु भी होता है यह रिसेप्टर लंग्स पारेनचेम्या से नैजल म्युकोसा तक अधिकांश मानव अंगों में सर्वव्यापी उपस्थिति होता है। ब्रेन भी इस रिसेप्टर को व्यक्त करने के लिए जाना जाता है।
  • उन्होंने इस तथ्य को स्वाद या गंध के लिए नुकसान का कारण बताया है कि नाक और मुंह वायरस के बहुत महत्वपूर्ण प्रवेश बिन्दु हैं जो इसके बाद धीरे-धीरे ओल्फैक्ट्री म्युकोसा के न्यूरॉन का उपयोग करते हुए ओल्फैक्ट्री बल्ब तक अपना रास्ता बना ले सकता है।
  • अग्र मस्तिष्क में स्थित ओल्फैक्ट्री बल्ब वह संरचना है जो गंध की अनुभूति के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। यह कोविड-19 के कई लक्षणरहित वाहकों के साथ जुड़े गंध के नुकसान की व्याख्या करता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को वायरल संक्रमण के समक्ष उजागर भी कर सकता है।
  • इस शोधपत्र में हाल ही में कोविड-19 वायरस से संक्रमित एक रोगी के ब्रेन स्कैन (सीटी एवं एमआरआई) पर संचालित एक अध्ययन का स्मरण किया गया है जो एएनई नामक एक दुर्लभ एनसेफालोपैथी को प्रदर्शित करता है जो मस्तिष्क शिथिलता एवं मानसिक भटकाव की ओर ले जाता है।

क्या सुझाव देता है शोधपत्र?

  • शोधपत्र में एनोसमिया (गंध की कमी) एवं एगेउसिया (स्वाद की कमी) के साथ कोविड-19 के बिना लक्षण वाले वाहकों के लिए चेतावनी भी दी गई है कि जैसे ही उन्हें इस प्रकार महसूस हो, इससे पहले कि वे खुद कैरियर में तबदील हो जाएं, उन्हें तुरंत सेल्फ क्वारांटाइन में चले जाना चाहिए और विशेषज्ञ नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। इसमें कोविड-19 संक्रमित व्यक्तियों के ब्रेन ऑटोप्सी एवं उनके सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड के विश्लेषण का भी सुझाव दिया गया है।

 

7. सऊदी अरब ने कोड़े की सज़ा के बाद बच्चों की फांसी पर भी लगाई रोक

एक दिन पहले अपराधियों को कोड़े मारने की सजा पर रोक लगाने के बाद सऊदी अरब के किंग सलमान ने नाबालिगों के किसी भी गंभीर अपराध पर उन्हें  अब सजा-ए-मौत नहीं देने का फरमान जारी किया है।

  • बाल अधिकारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन पर सऊदी अरब ने दस्तख़त किए हैं। इस कन्वेंशन के मुताबिक़ ग़ैर-वयस्कों को उनके अपराध के लिए मौत की सज़ा नहीं दी जानी चाहिए।
  • सरकार समर्थिक मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अव्वाद अलावद ने जारी बयान में कहा है कि शाही हुक्म ने ग़ैर-व्यस्कों के अपराध के लिए उन्हें मौत की सज़ा के बजाय दस साल की क़ैद की सज़ा का एलान किया है।
  • इस फैसले से पहले एक अन्य फैसले में न्यायाधीशों को कोड़े लगाने की सजा देने का चलन खत्म कर इसकी जगह कैद की सजा, जुर्माने या सामुदायिक सेवा का प्रावधान करने का आदेश भी दिया गया था।
  • विदित है कि देश की अदालतों द्वारा दी जाने वाले कोड़े मारने की सजा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह विरोध करते हैं क्योंकि कई बार अदालतें 100 कोड़े तक मारने की सजा सुनाती हैं। फिलहाल विवाहेत्तर यौन संबंध, शांति भंग करना और हत्या तक के मामलों में अदालतें आसानी से दोषी को कोड़े मारने की सजा सुना सकती थीं।

प्रष्ठभूमि

  • विदित है कि इस्ताम्बुल स्थित सऊदी दूतावास में साल 2018 में पत्रकार जमाल ख़ाशोगी की हत्या के बाद से सऊदी अरब के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर गहरी नज़र रखी जा रही है। सऊदी में कई नागरिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता जेल में हैं। हाल ही में सऊदी के सबसे प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता की जेल में स्ट्रोक से मौत हो गई है।
  • हाल के सालों सऊदी में कोड़े मारने की सजा उस समय बहुत सुर्खियों में आई थी जब 2014 में ब्लॉगर रइफ बादावी को इस्लाम की तौहीन का दोषी बताते हुए 10 साल कैद और 1000 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी।

 

8. आरबीआई ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री हेतु 50 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम का किया ऐलान

 

देश के अग्रणी म्यूचुअल फंड हाउस फ्रैंकलिन टेंपलटन इंडिया द्वारा 6 डेट फंड स्कीम बंद करने से उपजे संकट को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने म्यूचुअल फंड के लिए 50000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता सुविधा की घोषणा की है।

  • रिजर्व बैंक ने म्यूचुअल फंड्स के लिए एक विशेष ऋण योजना का ऐलान किया है, जिसके तहत उन्हें 50,000 करोड़ रुपए का लोन उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि इस निवेशउद्योग में तरलता का संकट न खड़ा हो।
  • हालांकि इस समय यह संकट उच्च जोखिम वाले ऋण म्यूचुअल फंड्स में ही है, जबकि शेष उद्योग में तरलता बनी हुई है। स्पेशल लिक्विडिटी फंड-एमएफ के तहत आरबीआई फ‍िक्स रेपो रेट पर 90 दिन की अवधि का एक रेपो ऑपरेशन शुरू करेगा।
  • म्यूचुअल फंड्स के लिए आरबीआई की लिक्विडिटी फैसेलिटी 27 अप्रैल से लेकर 11 मई, 2020 तक लागू रहेगी। आरबीआई ने यह भी भरोसा दिलाया कि बाजार के हालात को देखते हुए वह टाइमलाइन और अमाउंट की समीक्षा करेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पूंजी बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। कोरोना महामरी ने म्यूचुअल फंड पर तरलता का दबाव डाला है।
  • इससे पहले जुलाई 2013 में रिजर्व बैंक ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को लगभग इसी तरह की नकदी सहायता उपलब्ध करायी थी। तब केंद्रीय बैंक ने म्यूचुअल फंड कंपनियों की नकदी जरूरत को पूरा करने के लिए बैंकों को 25,000 करोड़ रुपये की विशेष ऋण सुविधा देने के दिशानिर्देश दिए थे।  इसके अलावा अक्टूबर 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट के दौरान भी म्यूचुअल फंड कंपनियों को विशेष तौर पर अतिरिक्त नकदी सहायता दी गयी थी।

प्रष्ठभूमि

  • कोरोना वायरस महामारी के चलते यूनिट वापस लेने के दबाव और बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी की कमी का हवाला देकर फ्रैंकलिन टेंपलटन ने स्कीमें बंद कर दीं हैं। अपने इस फैसले के बारे में कंपनी का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से लोगों ने तेजी से अपना पैसा निकाला है, जिससे कंपनी के पास कैश की कमी हुई है।
  • अब रिडंप्शन का दबाव बढ़ने से इन सभी फंडों की सिक्युरिटीज बेची जाएंगी। निवेशकों को कई चरणों में पैसा वापस किया जाएगा। कंपनी का कहना है कि डेट फंड्स में रकम फंसने का डर बढ़ा है। बता दें इन 6 ओपेन एंडेड डेट स्कीम का कुल मिलाकर एसेट बेस करीब 28 हजार करोड़ रुपये है।

 

9. मशहूर लेखक-कवि उत्तम तुपे का निधन

  • मशहूर लेखक और कवि उत्तम तुपे का लंबी बीमारी के बाद 26 अप्रैल को पुणे के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है। वह 78 वर्ष के थे।
  • उत्तम तुपे ने सैंकड़ों लघु कथाएं और 16 उपन्यास लिखे थे। उनकी लघु कथाओं और उपन्यासों में जाति व्यवस्था और ग्रामीण समस्याओं को गंभीरता से उठाया गया था। उन्हें लेखन के लिए कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया था।
  • महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने एक विज्ञप्ति में उन्हें श्रदाजंलि देते हुए कहा कि मराठी साहित्य में तुपे का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। आज हमने एक संवेदनशील लेखक को खो दिया है।

 

10. निकारागुआ में मुक्केबाजी के मुकाबले शुरू

दुनिया में जब कोरोना वायरस महामारी के कारण खेल गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं तब निकारागुआ में मुक्केबाजी के मुकाबले शुरू हो गये हैं। मनागुआ में हो रहे इन मुकाबलों का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण हो रहा है और कुछ दर्शक भी इन्हें देखने के लिये स्टेडियम में पहुंच रहे हैं। यह मुकाबले निकारागुआ के सरकारी चैनल कैनाल 6 और ईएसपीएन लेटिन अमेरिका पर प्रसारित किए जा रहे हैं।

  • इन मुकाबलों के प्रमोटर दो बार के पूर्व विश्व चैंपियन रोसेंडो अल्वारेज हैं और उन्होंने वायरस के किसी खतरे को खारिज कर दिया।
  • निकारागुआ में बेसबॉल और फुटबाल लीग भी पहले की तरह चल रही है जबकि स्थानीय समाचार पत्रों में ट्रायथलन और स्कूल कुश्ती टूर्नामेंटों की खबरें भी प्रकाशित हुई थी।
  • निकारागुआ में कोविड-19 के केवल 11 मामले पाये गये हैं जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है। वहां 15 दिन के अवकाश के बाद स्कूल और कार्यालय पूर्व की तरह संचालित होने लगे हैं।
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