आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: 26 मार्च 2020

Table of Contents

1. राष्ट्रपति ने उगादि, गुड़ी पड़वा, साजीबू चेराओबा, नवरेह और चेटीचंड की पूर्व संध्या पर दीं शुभकामनाएं

इस वर्ष 25 मार्च को मनाए जाने वाले उगादि, गुड़ी पड़वा, साजीबू चेराओबा, नवरेह और चेटीचंड के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी देशवासियों को बधाइयां और शुभकामनाएं दी हैं।

  • राष्ट्रपति ने कहा कि बसंत ऋतु में मनाए जाने वाले ये त्योहार, हमारे देश की सांस्कृतिक भव्यता और समृद्ध विरासत के कई रंगों को दर्शाते हैं। ये त्योहार हमारी गौरवशाली परंपराओं का एक हिस्सा भी हैं, जहां पर हम दूसरों के साथ खुशी और भाग्य साझा करते हैं।

उगादि/गुड़ी पड़वा

  • उगादी पर्व को चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को प्रमुख रूप से दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में यह पर्व ‘ग़ुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है।
  • ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है। कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं(शक)का पराभव किया था। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। जबकि ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से ‘युगादि‘ बना है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।
  • इस तिथि को शास्त्रों में बड़ा महत्व दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान राम का राज्याभिषेक और सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इसलिए इस दिन का काफी महत्व बताया गया है। इस तिथि को देवी उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र का आरंभ होता है।

साजीबू चेराओबा

  • साजीबू चेराओबा सनमाहिज़्म धर्म का अनुसरण करने वाले लोगों का चंद्र नव वर्ष है, इस वर्ष 25 मार्च को मनाया गया  है। यह प्रमुख रूप से मणिपुर से संबंधित लोगों द्वारा मनाया जाता है, यह साजीबू महीने का पहला दिन होता है जो मार्च या अप्रैल में पड़ता है।

नवरेह

  • कश्मीरी पंडित चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर या चैत्र महीने के उज्ज्वल पखवाड़े (शुक्लपक्ष) के पहले दिन, अपने नव वर्ष का दिन मनाते हैं जिसे ‘नवरेह’ के नाम से जाना जाता है। ‘नवरेह’ शब्द संस्कृत के ‘नवा वर्ष’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है नया साल है।

चेटीचंड

  • चेटीचंड भारत एवं पाकिस्तान में रहने वाले सिन्धी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है जो नववर्ष के प्रथम दिन मनाया जाता है। विश्व के अन्य भागों में बसे हुए सिन्धी लोग भी चेटीचंड मनाते हैं। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के दूसरे दिन (अर्थात वर्ष प्रतिपदा (शुक्लपक्ष) के अगले दिन) मनाया जाता है।

 

2. प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान किया

कोविड -19 महामारी को फैलने से रोकने के एक उपायके तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल की आधी रात से अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश में पूर्णत: लॉकडाउन का ऐलान किया है।

  • उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों और दूसरे देशों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है कि संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए 21 दिनआवश्यक हैं।
  • राष्ट्र के नाम अपने विशेष टीवी संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन देशों के पास सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं, वे भी वायरस को रोक नहीं सके और इसे कम करने का उपाय केवल सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी है।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, ‘निश्चित रूप से देश को इस लॉकडाउन के कारण एक आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी लेकिन हर एक भारतीय के जीवन को बचाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है इसलिए मेरा यह आग्रह है कि आप इस समय देश में जहां कहीं भी हैं, वहीं पर बने रहें।’
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज और चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपये (15,000,00,00,000 रुपये) उपलब्ध कराए हैं।
  • सरकार के ये क़दम कोविड -19 के तीसरे चरण को रोकने के उपाय है ताकि भारत में वह स्थिति पैदा न हो जिसका दूसरे अन्य देश सामना कर रहे है, प्रधानमंत्री के आह्वान और इस बीमारी के प्रसार को निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है –

पहला स्टेज

  • विदेश से आये रमेश को एयरपोर्ट पर चेकिंग के दौरान बुखार नहीं था। उसको घर जाने दिया गया। लेकिन उससे एयरपोर्ट पर एक शपथ पत्र भरवाया गया कि वह 14 दिन तक अपने घर में कैद रहेगा और बुखार आदि आने पर सम्पर्क करेगा। घर जाकर रमेश ने शपथ पत्र की शर्तों का पालन किया और घर के किसी सदस्य के संपर्क में नहीं आया।
  • रमेश सबसे अलग थलग ही रहता रहा। 6-7वें दिन रमेश को बुखार सर्दी खांसी जैसे लक्षण आने लगे। रमेश ने हेल्पलाइन पर फोन लगाया। कोरोना टेस्ट किया गया। वह पॉजिटिव निकला।
  • रमेश के घर वालों का भी टेस्ट किया गया। वह सभी नेगेटिव निकले। पड़ोस की 1 किमी की परिधि में सबसे पूछताछ की गई। ऐसे सब लोगों का टेस्ट भी किया गया। सबने कहा कि रमेश को किसी ने घर से बाहर निकलते नही देखा। चूंकि उसने अपने आप को अच्छे से आइसोलेट किया था इसीलिए उसने किसी और को कोरोना नहीं फैलाया।
  • रमेश जवान था। कोरोना के लक्षण बहुत मामूली थे। बस बुखार सर्दी खांसी बदन दर्द आदि हुआ। 7 दिन के ट्रीटमेंट के बाद रमेश बिल्कुल ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाकर घर आ गया। यह पहली स्टेज जहां सिर्फ विदेश से आये आदमी में कोरोना है। उसने किसी दूसरे को यह नहीं दिया।

स्टेज दो

  • राजू से पिछले दिनों की सारी जानकारी पूछी गई। उस जानकारी से पता चला कि वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। वह परसों गहने खरीदने के लिए एक ज्वेलर्स के पास गया था। वहां के सेठजी हाल ही में विदेश घूमकर लौटे थे।
  • सेठजी विदेश से घूमकर आये थे। उनको एयरपोर्ट पर बुखार नहीं था। इसी कारण उनको घर जाने दिया गया। पर उनसे शपथ पत्र भरवा लिया गया, कि वह अगले 14 दिन एकदम अकेले रहेंगे और घर से बाहर नहीं निकलेंगे। घर वालों से भी दूर रहेंगे।
  • विदेश से आये इस सेठ ने एयरपोर्ट पर भरे गए उस शपथ पत्र की धज्जियां उड़ाईं।
  • घर में वह सबसे मिला, अगले दिन अपनी ज्वेलेरी दुकान पर जा बैठा। 6वें दिन सेठ जी को बुखार आया। उसके घर वालों को भी बुखार आया। घर वालों में बूढ़ी मां भी थी। सबकी जांच हुई। जांच में सब पॉजिटिव निकले।
  • यानि विदेश से आया आदमी खुद पॉजिटिव और फिर उसने घर वालों को भी पॉजिटिव कर दिया। इसके अलावा वह दुकान में 450 लोगों के सम्पर्क में आया। जैसे नौकर चाकर, ग्राहक आदि। उनमें से एक ग्राहक राजू था। सब 450 लोगों का चेकअप हो रहा है। अगर उनमें किसी में पॉजिटिव आया तो भी यह सेकंड स्टेज है।
  • डर यह है कि इन 450 में से हर आदमी न जाने कहाँ कहाँ गया होगा। कुल मिलाकर स्टेज 2 यानी कि जिस आदमी में कोरोना पोजिटिव आया है, वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है।

स्टेज तीन

  • राम सिंह को सर्दी खांसी बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती किया, वहां उसका कोरोना पॉजिटिव आया। पर राम सिंह न तो कभी विदेश गया था न ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है यानि हमें अब वह स्रोत नहीं पता कि राम सिंह को कोरोना आखिर लगा कहाँ से??

तीनों स्टेजों का विश्लेषण

  • स्टेज 1 में आदमी खुद विदेश से आया था। स्टेज 2 में पता था कि स्रोत सेठजी हैं। सरकार ने सेठजी और उनके सम्पर्क में आये हर आदमी का टेस्ट किया और उनको 14 दिन के लिए अलग थलग कर दिया और अब स्टेज 3 में हमें स्रोत ही नहीं पता है। स्रोत नहीं पता तो हम स्रोत को पकड़ नहीं सकते। उसको अलग थलग नहीं कर सकते। वह स्रोत न जाने कहाँ होगा और अनजाने में ही कितने सारे लोगों को इन्फेक्ट कर देगा।

इस तालाबंदी से क्या होगा?

  • हर आदमी घर में बंद रहेगा। जो आदमी किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आया है वह तो सुरक्षित है। जो अज्ञात स्रोत है, वह भी अपने घर में बंद रहेंगा। जब वह बीमार पड़ेगा, तो वह अस्पताल में पहुंचेगा और हमें पता चल जाएगा कि अज्ञात स्रोत यही है।
  • हो सकता है कि इस अज्ञात श्रोत ने अपने घर के 4 लोग और संक्रमित कर दिए हैं, पर बाकी का पूरा शहर बच गया। अगर LOCKDOWN न होता तो वह स्रोत पकड़ में नहीं आता और वह ऐसे हजारों लोगों में कोरोना फैला देता, फिर यह हजार अज्ञात लोग लाखों में इसको फैला देते। इसीलिए lockdown से पूरा शहर बच जाएगा और अज्ञात स्रोत पकड़ में आ जाएगा।

 

3. लोकसभा अध्यक्ष एक महीने का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में देंगे

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 24 अप्रैल को कहा कि वह कोरोना वायरस के मद्देनजर अपने एक महीने का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में देंगे। ओम बिरला के अलावा आम व्यक्तयों, सांसदों, विधायकों और उद्योगतियों द्वारा इस कोष में दान दिया जा रहा है ताकि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक आपदा से निपटने के लिए आर्थिक मदद सुनिश्चित की जा सके।

  • भारत की बात करें तो देश में कोरोना वायरस से अब तक करीब 550 लोग संक्रमित हुए है और 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

क्या है प्रधानमंत्री राहत कोष?

  • पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी।
  • प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किसी व्यक्ति और संस्था से केवल स्वैच्छिक अंशदान ही स्वीकार किए जाते हैं। सरकार के बजट स्रोतों से अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बैलेंस शीट्स से मिलने वाले अंशदान स्वीकार नहीं किए जाते हैं। विनाशकारी स्तर की प्राकृतिक आपदा के समय प्रधान मंत्री इस कोष में अंशदान करने हेतु अपील करते हैं। ऐसे सशर्त अनुदान जिसमे दाता द्वारा यह उल्लेख किया जाता है कि अनुदान की राशि किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए है, स्वीकार नहीं किये जाते।
  • प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है।
  • इसके अलावा, हृदय शल्य-चिकित्सा, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है।
  • समग्र निधि का निवेश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य संस्थाओं में विभिन्न रूपों में किया जाता है। कोष से धनराशि प्रधान मंत्री के अनुमोदन से वितरित की जाती है। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन संसद द्वारा नहीं किया गया है।
  • इस कोष की निधि को आयकर अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में माना जाता है और इसका प्रबंधन प्रधान मंत्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का संचालन प्रधान मंत्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली से किया जाता है।
  • प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 और 139 के तहत आयकर रिटर्न भरने से छूट प्राप्त है। प्रधान मंत्री, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के अध्यक्ष हैं और अधिकारी/कर्मचारी अवैतनिक आधार पर इसके संचालन में उनकी सहायता करते हैं। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किए गए अंशदान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (छ) के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है।

 

4. सऊदी अरब में जी-20 देशों के नेताओं का असाधारण शिखर सम्मेलन

सऊदी अरब के सुलतान सलमान बिन अब्दुल अजीज अल साऊद जी-20 देशों के आपातकालीन शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। यह सम्मेलन 26 मार्च को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनिया के अन्य शीर्ष नेता इसमें शामिल होंगे।

  • चूंकि सऊदी अरब इस समय जी-20 का अध्यक्ष है इसीलिए सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद बैठक की अध्यक्षता करेंगे। सऊदी अरब  वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित करने की पहल की थी।
  • इस बैठक में कोरोना वायरस महामारी और उसके मानवीय और आर्थिक प्रभाव से निपटने को लेकर समन्वित उपायों पर विचार किया जाएगा।
  • इस बैठक में स्पेन, जार्डन, सिंगापुर और स्वीट्जरलैंड के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। बैठक में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक समूह, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, खाद्य और कृषि संगठन, वित्तीय स्थिरता बोर्ड, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन शामिल हैं।
  • दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ आसियान के अध्यक्ष वियतनाम, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष दक्षिण अफ्रीका, खाड़ी सहयोग परिषद के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमारात तथा नव अफ्रीकी विकास भागीदारी के अध्यक्ष रवांडा को भी बैठक में आमंत्रित किया गया है।
  • जी-20 की अध्यक्षता सऊदी अरब को जापान से मिली है जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्था की 85% GDP का प्रतिनिधित्व करता है तथा 80% वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्त्व करता है। अत: वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर विचार करने का यह सबसे बड़ा मंच है।

G-20 से सम्बन्धित तथ्य

  • गठन – सितम्बर, 1999 में
  • सदस्य देश – अर्जेण्टीना, भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान, ब्राज़ील, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, कनाडा, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, चीन, इण्डोनेशिया, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्की, सऊदी अरब व यूरोपीय यूनियन

कार्य –

  • (a) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग तथा तत्कालीन विश्व अर्थव्यवस्था पर परिचर्चा
  • (b) प्रत्येक वर्ष शीर्ष नेताओें का सम्मेलन
  • (c) केन्द्रीय बैंक के गवर्नर व वित्तमंत्रियों की बैठक

(d) वैश्विक मुद्दों पर सतत् बातचीत के लिए शेरपा व्यवस्था ओसाका सम्मेलन में भारत के शेरपा “सुरेश प्रभु’ थे। इससके पहले शेरपा “शक्तिकांत दास’ थे।

सम्मेलन
क्रम दिनाँक स्थान
प्रथम नवम्बर, 2008 वॉशिंगटन, अमेरिका
13वां नवम्बर-दिसम्बर, 2018 ब्यूनस आयर्स, अर्जेण्टीना
14वां 28-29 जून, 2019 ओंसका, जापान
15वां 2020 रियाद, सऊदी अरब

 

5. मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात पर प्रतिबंध

सरकार ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर घरेलू बाजार में दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।

  • वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया, “हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन बनाने वाले घटकों के निर्यात को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।” अधिसूचना में हालांकि, यह कहा गया है कि सरकार विदेश मंत्रालय की सिफारिश पर मानवीय आधार पर दवा के निर्यात की अनुमति देगी।
  • ध्यातव्य है कि भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या पुष्ट मामलों में देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के इलाज के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के इस्तेमाल की सिफारिश की थी।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन

  • हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन(एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग) एक मौखिक दवा है जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के उपचार में किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 21 मार्च को कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन -एज़िथ्रोमाइसिन के कॉकटेल के उपयोग के बारे में ट्वीट किया था जिसके बाद दवा का इस्तेमाल किया गया था।
  • 19 मार्च को द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में को लिखे गए एक लेख में इस दवा के फायदे और बीमारियों से लड़ने की क्षमता के बारे में बताया गया था। खासतौर से  यह दवा कोरोनोवायरस के खिलाफ एंटीवायरल गतिविधि को दर्शाती है।
  • इस दवा का खास असर SARS-CoV-2  [ यह वही वायरस जो COVID-2 का कारण बनता है] ड्रग कंसंट्रेशन और विट्रो ड्रग टेस्टिंग पर आधारित फार्मालॉजिकल मॉडलिंग के मुताबिक हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के साथ प्रोफिलैक्सिस SARS-CoV-2 संक्रमण और वायरल को रोक सकता है।

 

6. एआरआई, पुणे के वैज्ञानिकों ने बायोफोर्टिफाइड गेहूं की नई किस्म की विकसित

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान अग्रवाल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), पुणे के वैज्ञानिकों ने ड्यूरम गेहूं की एक बायोफोर्टिफाइड किस्म एमएसीएस 4028 विकसित की है, जो प्रोटीन की उच्च मात्रा रखने वाली किस्म  है।

  • गेहूं सुधार पर एआरआई वैज्ञानिकों के समूह द्वारा विकसित इस गेहूं की किस्म में लगभग 14.7% की उच्च प्रोटीन सामग्री है, बेहतर पोषण गुणवत्ता वाले जस्ता और लौह सामग्री क्रमशः 40.3ppm और 46.1ppm है।
  • एमएसीएस 4028, जिसके विकास को इंडियन जर्नल ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग में प्रकाशित किया गया था, एक अर्ध-बौनी किस्म है, जो 102 दिनों में परिपक्व होती है और यह 19.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की श्रेष्ठ और स्थिर उपज क्षमता रखती  है।
  • यह स्टेम रस्ट, लीफ रस्ट, फोलियर एफिड्स (Foliar aphids,), रूट एफिड्स (Root aphids) और ब्राउन गेहूं माइट (Brown wheat mite) के लिए प्रतिरोधी है।
  • एमएसीएस 4028, किस्म को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) कार्यक्रम में  शामिल किया गया है ताकि कुपोषण को स्थायी रूप से दूर किया जा सके और विज़न 2022 “कुपोषित मुक्त भारत”, राष्ट्रीय पोषण रणनीति को बढ़ावा मिल सके।

बायोफोर्टिफाइड किस्म

  • शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने पर हम कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। शरीर को सही मात्रा में जरूरी पोषक तत्व प्रदान करने में फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित किया जाता है। इन किस्मों में आयरन, जिंक, विटामिन ए और डी की मात्राओं को जीन में परिवर्तन के माध्यम से बढाया जाता है।

 

7. हिमालय के अन्य हिस्सों से ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं सिक्किम के ग्लेशियर

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत हिमालय के भू-विज्ञान के अध्ययन से संबंधित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), देहरादून के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि अन्य हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में सिक्किम के ग्लेशियर बड़े पैमाने पर पिघल रहे हैं।

  • साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन में 1991-2015 की अवधि के दौरान सिक्किम के 23 ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन किया गया और इससे यह पता चला कि 1991 से 2015 तक की अवधि में सिक्किम के ग्लेशियर काफी पीछे खिसक गए हैं और उनकी बर्फ पिघलती जा रही है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण सिक्किम के छोटे आकार के ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं और बड़े ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं। अन्य हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में आयामी परिवर्तन का पैमाना और मलबे की वृद्धि की मात्रा सिक्किम में अधिक है और ग्लेशियर के व्यवहार में प्रमुख बदलाव 2000 के आसपास हुआ है।
  • पश्चिमी और मध्य हिमालय के विपरीत, जहां हाल के दशकों में ग्लेशियरों के पिघलने की गति धीमी हुई है, वहीं सिक्किम के ग्लेशियरों में 2000 के बाद इसमें नाममात्र का धीमापन देखा गया है। ग्लेशियर में हो रहे बदलावों का प्रमुख कारण गर्मियों के तापमान में वृद्धि है।

क्या है अध्ययन?

  • सिक्किम हिमालयी ग्लेशियरों की लंबाई, क्षेत्र, मलबे के आवरण, हिम-रेखा की ऊंचाई (एसएलए) जैसे विभिन्न मापदंडों और उन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए डब्ल्यूआईएचजी के वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र के 23 प्रतिनिधि ग्लेशियरों का चयन किया। विषय से संबंधित पहले से मौजूद ज्ञान का आकलन करने के लिए अध्ययन से संबंधित विस्तृत और कठिन साहित्य सर्वेक्षण किया गया।
  • इसके बाद, अध्ययन क्षेत्र में फैले प्रतिनिधि ग्लेशियरों का चयन आकार, लंबाई, मलबे के आवरण, ढलान, पहलू जैसे विविध मानदंडों के आधार पर किया गया। फिर, चयनित ग्लेशियरों को कवर करते हुए मल्टी-टेम्पोरल और मल्टी-सेंसर उपग्रह डेटा प्राप्त किए गए।
  • टीम ने इन परिणामों का विश्लेषण किया और पहले से मौजूद अध्ययनों के साथ उनकी तुलना की तथा ग्लेशियरों की स्थिति को समझने के लिए उन पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों का व्यवस्थित रूप से पता लगाया गया।
  • इस अध्ययन में पहली बार ग्लेशियर के विविध मानकों यथा लम्बाई, क्षेत्र, मलबे के आवरण, हिम-रेखा की ऊंचाई (एसएलए), ग्लेशियर झीलों, वेग और बर्फ पिघलने का अध्ययन किया गया और सिक्किम में ग्लेशियरों की स्थिति और व्यवहार की स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए उनके अंतर-संबंध का पता लगाया गया है।

 

8. कैबिनेट ने अलीगढ़-हरदुआगंज फ्लाईओवर के निर्माण को दी स्वीकृति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय द्वारा अलीगढ़-हरदुआगंज फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। इस रेलवे फ्लाईओवर की कुल लंबाई 22 किलोमीटर होगी।

  • यह परियोजना 1285 करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत की  है जिसकी वर्ष 2024-25 तक पूरी हो जाने की उम्मीद है।
  • भारी यातायात के कारण हावड़ा की ओर से आने वाली और हरदुआगंज/बरेली जाने वाली लोडेड मालगाड़ियों को सतह पार करने के लिए कोई रास्ता उपलब्ध नहीं होता है। इससे अलीगढ़ जंक्शन पर ट्रेनों को काफी देर तक रुकना पड़ जाता है।
  • यह स्थान एक अवरोध बन गया है और ट्रेनों के परिचालन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है जिससे देरी होती है तथा ट्रेनों को काफी देर तक रुकना पड़ता है। यही नहीं, इस वजह से वैगन पर माल चढ़ाना एवं उतारना भी कम होता जा रहा है।
  • अलीगढ़ में फ्लाईओवर का मौजूदा दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन के ऊपर से गुजरना एक परिचालन अनिवार्यता है और इसके साथ ही यह यातायात में अवरोध को दूर करने के लिए भी आवश्यक है। अलीगढ़ को हरदुआगंज से जोड़ने वाले इस फ्लाईओवर के बन जाने से ट्रेनों के परिचालन में देरी और उनके लंबे ठहराव से बचा जा सकेगा।

 

9. कोरोना वायरस के बाद हंता वायरस ने उड़ाई सबकी नींद

कोरोना वायरस के बाद एक और वायरस ने दुनिया भर में खलबली मचा दी है। चीन के समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति काम करने के लिए बस से शाडोंग प्रांत लौट रहा था। उसे हंता वायरस से पॉजिटिव पाया गया था। बस में सवार 32 अन्य लोगों की भी जांच की गई है।

  • अगर हंता वायरस की बात करें तो यह वायरस कोरोना वायरस के सामान पर्सन टू पर्सन और सर्फेस के जरिए भी नहीं फैलता है। इससे पहले भी हंता वायरस के मामले सामने आए थे और उस पर बड़ी आसानी से काबू पा लिया गया था।

क्या है हंता वायरस?

  • सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, हंता वायरस चूहों और गिलहरियों के संपर्क में आने से ही होता है। जब कोई व्यक्ति किसी चूहे और गिलहरी के  मल-मूत्र या लार  के संपर्क में आता है तो, वह व्यक्ति हंता वायरस के संक्रमण से ग्रसित हो सकता है।
  • अभी तक किये गए अध्ययन के अनुसार  हंता वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता है। हंता के संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ्तों का वक़्त लग सकता है।
  • अगर कोई व्यक्ति हंता संक्रमित है तो उसे बुखार, दर्द, सर्दी, बदन दर्द, उल्टी जैसी दिक़्क़तें हो सकती हैं। हंता संक्रमित व्यक्ति की हालत बिगड़ने पर फेफड़ों में पानी भरने और सांस लेने में तकलीफ़ भी हो सकती है।
  • सीडीसी के अनुसार हंता वायरस में मृत्युदर 38 फ़ीसदी होती है और इस बीमारी का कोई ‘स्पेसिफिक ट्रीटमेंट’ नहीं है। जनवरी 2019 में हंता से संक्रमित नौ लोगों की पेटागोनिया में मौत हो गई थी इसके बाद पर्यटकों को आगाह भी किया गया था।
  • हंता वायरस का पहला मामला चीन से नहीं है। पहली बार इस वायरस के संक्रमण का मामला मई 1993 में दक्षिण पश्चिमी अमेरिका से आया था। ये चार कोनों- एरिजोना, न्यू मेक्सिको, कोलोराडो और उटाह का क्षेत्र था।

 

10. कोरोना वायरस के चलते टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेल स्थगित

अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और टोक्यो ओंलपिक आयोजक समिति ने 24 मार्च को टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक्स को स्थगित करने की घोषणा की है। कोरोनावायरस के कारण टोक्यो ओलंपिक को 1 साल के लिए टाल दिया गया है। टोक्यो ओलंपिक इस साल 24 जुलाई से शुरु होने थे।

  • आईओसी और टोक्यो ओलंपिक-2020 की आयोजन समिति ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे खेलों को 2020 के बाद, 2021 ग्रीष्मकाल में पुनर्निधारित करने को तैयार हो गए हैं। ध्यातव्य है कि सितंबर 2013 में टोक्यो को आइओसी ने ओलंपिक की मेजबानी सौपी थी।
  • टोक्यो ओलंपिक स्थगित होने का असर पेरिस में 2024 में होने वाले खेलों पर नहीं पड़ेगा। यह बात आयोजन समिति के प्रमुख टोनी एस्तांगुत ने कही है। एस्तांगुत ने कहा कि इसका पेरिस खेलों पर असर नहीं पड़ेगा और वे टोक्यो ओलंपिक के तीन साल बाद होंगे।
  • ओलंपिक के 124 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब टोक्यो में होने वाले ओलंपिक को टाला गया है। हांलाकि इससे पहले ये गेम्स वर्ल्ड वॉर के चलते तीन बार रद्द भी हो चुके है।
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