आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: 26 – 27 अप्रैल 2020

Current Affairs: 27 April 2020 हम यहां आपके लिए महत्वपूर्ण हालिया और नवीनतम करेंट अफेयर्स प्रदान करने के लिए हैं 27 अप्रैल 2020, हिंदू, इकनॉमिक टाइम्स, पीआईबी, टाइम्स ऑफ इंडिया, पीटीआई, इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस जैसे सभी अखबारों से नवीनतम करेंट अफेयर्स 2020 घटनाओं को यहा प्रदान कर रहे है। यहा सभी डाटा समाचार पत्रों से लिया गया हे।

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Table of Contents

Current Affairs: 26 – 27 April 2020

1. प्रधानमंत्री ने रमज़ान के पवित्र महीने की शुरुआत पर लोगों को दी शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत पर समस्त देशवाशियों को शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा, “रमजान मुबारक! मैं सभी की सुरक्षा, कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता हूं। यह पवित्र महीना अपने साथ प्रचुरता में करूणा, सौहार्द और सहानुभूति लेकर आए। हमारी यही कामना है कि हम कोविड-19 के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक निर्णायक जीत हासिल करें और एक निरोग ग्रह का निर्माण करें।”

रमज़ान

  • रमज़ान या रमदान इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है। इस मास की विशेषताओं में महीने भर के रोज़े (उपवास), रात में तरावीह की नमाज़, क़ुरान तिलावत (पारायण) , एतेकाफ़ बैठना ( मौन बैठकर लोगों की अभ्युन्नती व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ), ज़कात देना तथा अल्लाह का शुक्र अदा करना शामिल है।
  • इस माह में पुण्य कार्य करने को प्राधान्यता दी जाती है। इसीलिये इस मास को नेकियों और इबादतों का महीना यानी पुण्य और उपासना का मास माना जाता है।
  • मुसलमानों के विश्वास के अनुसार इस महीने की २७वीं रात शब-ए-क़द्र को क़ुरान का नुज़ूल (अवतरण) हुआ था। इसीलिये, इस महीने में क़ुरान ज़्यादा पढना पुण्यकार्य माना जाता है।
  • रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में उपवास रखते हैं। उपवास को अरबी में “सौम”, इसी लिये इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फ़ारसी में उपवास को रोज़ा कहते हैं। भारत के मुसलिम समुदाय पर फ़ारसी प्रभाव ज़्यादा होने के कारण उपवास को फ़ारसी शब्द ही उपयोग किया जाता है।
  • उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।

2. 15वें वित्त आयोग ने अपनी सलाहकार परिषद के साथ की बैठक

पंद्रहवें वित्त आयोग (XVएफसी) ने 23-24 अप्रैल, 2020 को अपनी सलाहकार परिषद के साथ ऑनलाइन बैठकें कीं और उन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जिनसे आयोग को वर्तमान में जूझना पड़ रहा है। पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आयोग के सभी सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

सलाहकार परिषद की ओर से डॉ. साजिद जेड चिनॉय, डॉ. प्राची मिश्रा, नीलकंठ मिश्रा एवं डॉ. ओंकार गोस्वामी 23 अप्रैल, 2020 को हुई बैठक में शामिल हुए और डॉ. अरविंद विरमानी, डॉ. इंदिरा राजारमन, डॉ. डी के श्रीवास्तव, डॉ. एम गोविंदा राव, डॉ. सुदीप्तो मुंडले एवं डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन 24 अप्रैल, 2020 को हुई बैठक में शामिल हुए। वर्ष 2020-21 के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद सलाहकार परिषद के साथ बैठकों का यह दूसरा दौर था।

सलाहकार परिषद का क्या मानना है वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों पर?

  • सलाहकार परिषद के सदस्यों का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन का प्रभाव घरेलू आर्थिक गतिविधियों या कार्यों में सुस्ती, वित्तीय संस्थानों एवं व्यावसायिक उद्यमों के नकदी प्रवाह पर इसके असर और व्यापक वैश्विक मंदी के कारण भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग घटने के रूप में हो सकता है।
  • वे सभी इस बात पर एकमत थे कि मार्च 2020 से पहले किए गए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमानों पर नए सिरे से गौर करने और इसमें काफी कमी करने की जरूरत है।
  • अर्थव्यवस्था का लॉकडाउन खुलने के बाद आर्थिक विकास के धीरे-धीरे ही पटरी पर आने की संभावना है, जो कार्यबल या श्रमबल के जल्द ही काम पर वापस आने की क्षमता, मध्यवर्ती उत्पादों एवं नकदी प्रवाह की आपूर्ति की बहाली होने और, बेशक, तैयार उत्पादों की मांग पर निर्भर करेगा। अत: कोविड के आर्थिक प्रभाव का समूचा परिदृश्य कुछ समय बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
  • सलाहकार परिषद का यह भी मानना है कि सार्वजनिक वित्त पर इन घटनाक्रमों का प्रभाव किस हद तक पड़ेगा, वह अनिश्चित है, लेकिन निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण होगा। स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, गरीबों और अन्य आर्थिक घटकों को सहायता देने के कारण सरकार पर व्यय का बोझ काफी अधिक होगा।
  • परिषद के सदस्यों का यह भी मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण कर और अन्य राजस्व के संग्रह में व्यापक कमी होगी। अत: इस संकट से निपटने का राजकोषीय उपाय काफी बारीकी के साथ किया जाना चाहिए। न केवल राजकोषीय पैकेज के आकार को देखना महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके स्वरूप को भी ध्यान में रखना होगा।

15वें वित्त आयोग ने एक सलाहकार परिषद

  • 2018 में 15वें वित्त आयोग ने एक सलाहकार परिषद का गठन किया है जो आयोग को परामर्श देने के साथ-साथ आवश्यक सहायता भी प्रदान कर रही है सलाहकार परिषद की भूमिका और उसके कामकाज निम्नलिखित हैं –
  • i)   आयोग के विचारार्थ विषयों (टीओआर) से संबंधित विषय अथवा किसी ऐसे मसले पर आयोग को परामर्श देना जो प्रासंगिक हो सकता है।
  • ii)  एक ऐसे प्रपत्र (पेपर) अथवा अनुसंधान तैयार करने में मदद प्रदान करना जो उसके आयोग के विचारार्थ विषयों (टीओआर) में शामिल मुद्दों पर आयोग की समझ बढ़ाए।
  • iii) वित्तीय हस्तांतरण से संबंधित विषयों पर सर्वोत्तम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं का पता लगाने और उसकी सिफारिशों की गुणवत्ता एवं पहुंच तथा अमल को बेहतर करने के लिए आयोग के दायरे एवं समझ का विस्तार करने में मदद करना।

पंद्रहवां वित्त आयोग

  • 15वें वित्त आयोग का गठन एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था और आयोग के अन्य सदस्यों में अजय नारायण झा, अशोक लाहिड़ी, रमेश चंद्र, अनूप सिंह और सचिव अरविंद मेहता हैं।
  • 15वें वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत 27 नवंबर, 2017 को किया था, ताकि वह 01 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2025 तक की पांच वर्षीय अवधि के लिए सुझाव दे सके।
  • 15वां वित्त आयोग शर्तों  से  केंद्र के सहकारी संघवाद के विरुद्ध भी कहा जा रहा है। 15वें वित्त आयोग द्वारा 2011 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए राज्यों के बीच संसाधनों का  आवंटन किये जाने की अनुशंसा की गई है (वर्तमान में इस हेतु 1971 की जनगणना का उपयोग किया जाता है) इससे उन दक्षिणी राज्यों को नुकसान होने की ज़्यादा संभावना है, जो दशकों से अपनी आबादी को नियंत्रित करने के लिये बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि कम जनसंख्या वृद्धि स्वाभाविक रूप से ‘कम प्रजनन दर’ से जुड़ी हुई है, जो बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और विकास का एक परिणाम है।

3. चीन में वुहान के बाद हार्बिन शहर बन रहा है कोरोना का नया क्लस्टर

चीन में कोरोना वायरस के दूसरे फेज का खतरा बढ़ गया है। वुहान के बाद चीन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हीलॉन्गजियांग प्रांत का हार्बिन शहर कोरोना का नया क्लस्टर बनता दिख रहा है जो रूस सीमा के नजदीक है।

  • रूस की सीमा से लगे इस शहर में अप्रैल में कोविड-19 के मामलों में तेजी आने के बाद स्थानीय निवासियों को संक्रमण से बचाने के लिए क्वरेंटाइन में रखा गया है।
  • हार्बिन के स्थानीय निवास क्षेत्रों में बाहरी लोगों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। विदेश से आने वाले तथा चीन के मुख्य संक्रमण क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए शहर प्रशासन ने आइशोलेशन का आदेश दिया है।
  • फिलहाल संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों को भी क्वारंटीन में जाने को कहा गया है। क्वारंटीन किए गए सभी लोगों को बाहर निकलने की अनुमति तभी होगी, जब उनकी दो न्यूक्लिक टेस्ट और एक एंटीबॉडी टेस्ट में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाएगी।
  • गौरतलब हो कि 23 अप्रैल को आई रिपोर्ट के मुताबिक हार्बिन के एक अस्पताल में एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से अब तक 40 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जिसके बाद पूरे अस्पताल को संक्रमण मुक्त करने के लिए बंद करना पड़ा है।

प्रष्ठभूमि

  • वुहान में कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत एक नए किस्म के कोरोनवायरस (2019-nCoV) के संक्रमण के रूप में में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई थी। वुहान में लम्बे लॉकडाउन के बाद चीन ने दावा किया था कि वह घातक कोरोना पर काबू पाने में कामयाब रहा है और इसके यहां मृतकों की संख्या अमेरिका और कई यूरोपीय देशों से कम हैं। वहीं, अब यहां कोरोना के दूसरे वेव का खतरा पैदा हो गया है।

4. #MYBOOKMYFRIEND अभियान की शुरुआत

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर सोशल मीडिया पर #MyBookMyFriend अभियान की शुरुआत की । पोखरियाल ने इस अवसर पर एक विडियो संदेश जारी कर कहा कि जब आप एक पुस्तक खोलते हैं तो आप एक नई दुनिया खोलते हैं।

  • उन्होंने कहा कि किताबें व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। पुस्तकें सभी को प्रेरित करती हैं और सोचने का नया नज़रिया प्रदान करती हैं। निशंक ने कहा कि पुस्तकें ज़िंदगी के मुश्किल वक़्त में मार्गदर्शन करने का काम करती हैं।
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार विश्व पुस्तक दिवस लॉक डाउन के साथ मनाया जा रहा है उन्होंने सभी विद्यार्थियों से अपील की कि लॉक डाउन के समय में वो कोर्स की किताबों के अलावा अपनी रुचि की कोई ना कोई किताब ज़रूर पढ़ें, इससे उनको काफ़ी कुछ नया सीखने और जानने का मौक़ा मिलेगा।
  • उन्होंने सभी विद्यार्थियों से आग्रह किया कि आप सभी एक पुस्तक पढ़कर सोशल मीडिया के माध्यम से #MyBookMyFriend के जरिये  मुझे उसके बारे में बताएं कि इस समय वो कौन सी पुस्तक पढ़ रहें हैं |
  • केंद्रीय मंत्री ने #MyBookMyFriend मुहिम से विद्यार्थियों के साथ ही सभी लोगों से जुड़ने की अपील की है। इसके साथ ही पोखरियल ने सोशल मीडिया पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों को टैग करके उनसे #MyBookMyFriend  अभियान से जुड़ने की अपील की है।
  • इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने भारत के विविध क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को भी इस मुहिम से जुड़ने की अपील की है ताकि इससे सभी देशवासियों को प्रेरणा मिल सके। निशंक ने बताया कि #MyBookMyFriend अभियान अगले 7 दिनों तक चलेगा उन्होंने इस दौरान इस अभियान में सभी लोगों से अधिक से अधिक जुड़ने की अपील की है।

5. प्लाज्मा थेरेपी की मदद से कोरोना संक्रमण का इलाज

  • कोरोना के सफल इलाज में प्लाज्मा थेरेपी एक नई आशा की किरण बन कर आई है। इस तकनीक से अहमदाबाद में दो कोरोना के मौजूदा मरीज की तबीयत में तीन दिनों में ही सुधार है।
  • कोविड 19 से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा की एंटी बॉडीज की बदौलत 50 साल के दो कोविड 19 से संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत कम पड़ रही है। 17 अप्रैल को भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल से अनुमति मिलने के मात्र एक हफ्ते में ये सफलता मिली है।
  • बिना किसी देरी के गुजरात देश का पहला राज्य बना जिसने 18 अप्रैल को प्लाज्मा लेना शुरू किया था। इस प्रकार देश में सबसे पहले गुजरात राज्य ने क्लीनिकल ट्रायल्स में ये सफलता पाई है। केरल और दिल्ली के कुछ अस्पताल भी इसी तरह का प्लाज्मा ट्रीटमेंट कर रहे हैं।

प्लाज्मा थेरेपी

  • कोविड-19 से ठीक हुए किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडी होते हैं जो व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली द्वारा वायरस पर हमला करने के लिए बनाये जाते हैं। इस तरह के प्लाज्मा को एक रोगी में स्थानांतरित करने के बाद उसमें इस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी की शक्ति स्थानांतरित की जाती है।
  • 18 साल से 55 साल का कोई भी पुरुष जो कोरोना से ठीक हो चुका है प्लाज्मा दे सकता है। सभी अविवाहित या विवाहित महिला लेकिन जिसके बच्चे ना हो ऐसी महिला प्लाज्मा दे सकती हैं। यह प्लाज्मा कोरोना के बहुत गंभीर और बहुत कम लक्षणों वाले मरीजों को नहीं दिया जा सकता है। औसत लक्षणों वाले कोविड 19 से संक्रमित मरीजों को प्लाज्मा से ठीक किया जा सकता है ।
  • इलाज का यह तरीका कोनवालेस्सेंट सीरम थेरेपी कहलाता है जो 1918 के ‘स्पैनिश फ्लू’ महामारी के समय का है।

6. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार अतिरिक्त अंतर मंत्रालय केन्द्रीय दल किए गठित

गृह मंत्रालय ने अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और चेन्नई के लिए अपर सचिव स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों की चार अतिरिक्त टीम बनाई है। मंत्रालय ने इससे पहले, मौके पर जाकर स्थिति का आकलन करने, समस्याओं के समाधान के लिए राज्य प्राधिकरणों को आवश्यक निर्देश देने और आम जनता के व्यापक हित में केंद्र सरकार को रिपोर्ट देने के लिए विभिन्न मंत्रालयों की छह टीम बनाई थी।

  • केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 35(1), 35(2)(ए), 35(2)(ई) और 35(2)(i) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए इन समितियों का गठन किया है।

क्या होगा अंतर-मंत्रालय केंद्रीय टीमों का कार्य?

  • ये आईएमसीटी दिशा-निर्देशों के अनुसार लॉकडाउन के उपायों के कार्यान्वयन, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, सामाजिक दूरी बनाए रखने, स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की तैयारी, स्वास्थ्य प्रोफेशनलों की सुरक्षा और श्रमिकों एवं गरीब लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविरों की स्थितियों से जुड़ी शिकायतों पर फोकस करेंगी।
  • इसके अलावा ये टीमें स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की तैयारी, जिले में अस्पताल की सुविधा और सैंपल के आंकड़ों, स्वास्थ्य प्रोफेशनलों की सुरक्षा, टेस्ट किटों, पीपीई, मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता पर भी अपना ध्यान केंद्रित करेंगी।
  • उल्लेखनीय है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी 2020 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 468 में अपने आदेश (दिनांक 31.03.2020) में कहा है कि हम भरोसा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि सभी संबंधित हितधारक यथा राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और इस देश के नागरिक केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी किए गए निर्देशों और आदेशों का ईमानदारी से अक्षरश: पालन करेंगे।

प्रष्ठभूमि

  • हॉटस्पॉट जिलों या उभरते हॉटस्पॉट अथवा यहां तक कि व्यापक प्रकोप या क्लस्टरों की आशंका वाले स्थानों पर संबंधित दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की घटनाएं किसी भी सख्त उपाय के बिना निरंतर हो रही हैं, तो वैसी स्थिति में इन जिलों की आबादी के साथ-साथ देश के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न हो रहा है।
  • प्रमुख हॉटस्पॉट जिलों में इस तरह के उल्लंघन की व्यापकता या चलन का विश्लेषण करने के बाद केंद्र सरकार को यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि स्थिति विशेष रूप से उपर्युक्त क्षेत्रों में गंभीर है और केंद्र की विशेषज्ञता का उपयोग करने की आवश्यकता है।

7. श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ने चुंबकीय नैनोकण आधारित आरएनए निष्कर्षण किट की विकसित

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) ने कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाने के लिए एक नवीन तकनीक के रूप में आरएनए निष्कर्षण किट (RNA extraction kit), चित्रा मैग्ना विकसित की है।

किस प्रकार कार्य करती है चित्रा मैग्ना?

  • यह किट स्वैब के नमूनों से आरएनए को निकालने के लिए चुंबकीय नैनोकणों का उपयोग करती है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यदि रोगी के एकत्र किए गए स्वैब नमूने इकठ्ठा कर रखने या कहीं ले जाते समय विघटित हो जाते हैं तो किट किट की चुंबकीय नैनोकण धारित निष्कर्षण तकनीक इन्हें एक जगह खींच लाती है।
  • चूंकि पीसीआर या एलएएमपी परीक्षण पर्याप्त मात्रा में आरएनए प्राप्त करने पर निर्भर है, यह नवाचार, कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों की पहचान करने की संभावना को बढ़ाता है। संस्थान ने इस तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन किया है।
  • चित्रा मैग्ना का उपयोग न केवल एलएएमपी परीक्षण के लिए बल्कि आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए रोगी के नमूनों से उच्च शुद्ध स्तर के आरएनए के निष्कर्षण के लिए भी किया जा सकता है।
  • कुछ भारत में निर्मित किटों को छोड़कर, अधिकांश आरएनए आइसोलेशन किट आयात किए जाते हैं, और  इनकी उनुबलब्धता अक्सर देश  में बड़ी संख्या में आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए एक गंभीर अड़चन बन जाती है।
  • चित्रा मैग्ना की तकनीक इस्तेमाल के लिए एर्नाकुलम स्थित अगाप्पे डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड को दी गई है।यह कंपनी एसएआरएस-सीओवी-2 एन जीन की पहचान करने के लिए पहले से ही चित्रा जीन एलएएमपी एन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।

सार्स-सीओवी-2

  • सार्स-सीओवी-2, कोविड-19 महामारी का विषाणु, सभी जीवित कोशिकाओं में मौजूद एक लंबा एकल- बहुलक पदार्थ है जो एक आरएनए विषाणु है। यह जीवन के लिए आवश्यक आनुवांशिक जानकारी वहन करता है।
  • यह एक ऐसा विषाणु है जिसका निर्माण नाभिकीय अम्ल से होता है। इस विषाणु का पता लगाने के महत्वपूर्ण चरणों में से एक व्यक्तियों के गले या नाक से लिए गए स्वैब नमूने में आरएनए की उपस्थिति की पुष्टि करना है। एकत्र किए गए नमूने को निर्दिष्ट तरीके से परीक्षण प्रयोगशाला में ले जाया जाता है।

8. कोविड-19 महामारी के दौरान तपेदिक मरीजों की देखभाल सुनिश्चित कर रही है सरकार

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को पत्र लिखा है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत सभी सुविधाएं सार्वजनिक हित में कार्यशील रहें। ताकि तपेदिक रोगियों की नैदानिकी और उपचार कोविड-19 महामारी की स्थिति के बावजूद बिना किसी बाधा के जारी रहे।

  • व्यापक निर्देशों में सभी तपेदिक रोगियों को, चाहे उनका नया डायग्नोज किया गया है या वर्तमान में उपचार चल रहा है, एकमुश्त एक महीने की दवा उपलब्ध कराना शामिल है। इसमें दवा प्रतिरोधी तपेदिक मरीजों सहित सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र के ही तपेदिक मरीज शामिल हैं।
  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना है कि पहचान पत्र के साथ या बिना पहचान पत्र वाले मरीज अपनी सुविधा के अनुसार स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाएं प्राप्त करें जिससे कि उनके उपचार में किसी भी प्रकार की बाधा न आने पाए।
  • इसके अतिरिक्त, निर्देशों में कहा गया है कि भले ही तपेदिक मरीज स्वास्थ्य सुविधा से संपर्क करने में असक्षम हो, सुविधा केंद्रों द्वारा ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि जहां तक संभव हो, मरीज के दरवाजे तक दवाओं की आपूर्ति की जा सके।
  • कोविड-19 महामारी एवं लॉकडाउन के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करते हुए मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि पर्याप्त मात्रा में दवाओं की खरीद की जाए और दवाओं की समुचित आपूर्ति उपलब्ध हो।

टीबी (तपेदिक/क्षयरोग)

  • तपेदिक या ट्यूबरोक्युलोसिस (टी.बी) मायकोबेक्टिरियम ट्यूबरोक्युलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। तपेदिक का फैलाव इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा लिये जानेवाले श्वास-प्रश्वास के द्वारा होता है। केवल एक रोगी पूरे वर्ष के दौरान 10 से भी अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है।
  • टी.बी. का टीका- बीसीजी (BCG), बच्चों में तपेदिक के प्रसार को कुछ सीमा तक कम करता है।
  • डायरेक्टली ऑबज़र्व्ड ट्रीटमेन्ट, शॉर्ट-कोर्स (DOTS) टी.बी. के उपचार के लिये उपयोग में ली जाने वाली प्रणाली है। तपेदिक के इलाज़ के लिये कम से कम छह महीने के उपचार की आवश्यकता होती है।
  • भारत में हर साल 20 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं लगभग 5 लाख प्रतिवर्ष मर जाते हैं। यदि एक औसत निकालें तो दुनिया के 30 प्रतिशत टीबी रोगी भारत में पाए जाते हैं।

सरकार के प्रयास

  • राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम (एनटीपी) की शुरूआत भारत सरकार ने वर्ष 1962 में बीसीजी टीकाकरण और टीबी उपचार से जुड़े जिला टीबी केंद्र मॉडल के रूप में की थी।
  • वर्ष 1978 में बीसीजी टीकाकरण को टीकाकरण विस्तारित कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 1993 में टीबी को वैश्विक आपातकाल घोषित किया। उसने क्षय रोग की चिकित्सा के लिए प्रत्यक्ष प्रेक्षित थेरेपी, छोटा-कोर्स (डॉट्स/डाइरेक्टली ऑब्जर्व्ड शॉर्ट कोर्स), अर्थात् सीधे तौर पर लिए जाने वाला छोटी अवधि के उपचार की स्थापना की तथा सभी देशों से इसे अपनाने की सिफ़ारिश की। भारत सरकार ने वर्ष 1993 में एनटीपी को संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के रूप में लागू किया। डॉट्स की आधिकारिक तौर पर शुरूआत वर्ष 1997 में आरएनटीसीपी रणनीति के अंतर्गत की गयी थी तथा इस कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2005 के अंत तक पूरे देश को कवर किया गया था।
  • वर्ष 2006 से 2011 के दौरान अपने दूसरे चरण में आरएनटीसीपी ने गुणवत्ता और सेवाओं की पहुंच में सुधार किया तथा सभी मामलों का पता लगाने और उपचारित करने के लक्ष्य के लिए कार्य किया गया। ये लक्ष्य वर्ष 2007 से 2008 तक प्राप्त किए गए थे। इन उपलब्धियों के बावजूद अनियंत्रित और अनुपचारित मामलों ने टीबी महामारी को जारी रखा।
  • हालांकि वर्ष 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लिए पांच वर्ष पहले का  वैश्विक लक्ष्य रखा गया है।  राष्ट्रीय और राज्य सरकारों, विकास भागीदारों, नागरिक समाज संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, निजी क्षेत्र, और कई अन्य लोगों सहित भारत में टीबी उन्मूलन के लिए प्रासंगिक सभी हितधारकों की गतिविधियों के मार्गदर्शन के लिए एक ढांचा आरएनटीसीपी द्वारा तैयार किया गया है, जिसका नाम “क्षय रोग उन्मूलन वर्ष 2017-2025 हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना” है।

9. केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में संजय कोठारी ने ली शपथ

संजय कोठारी ने केंद्रीय सतर्कता (सीवीसी) आयोग के नए आयुक्त के तौर पर अपना कार्यभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है कि उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष पद की शपथ ले ली है। इससे पहले  वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सचिव के तौर पर कार्य कर रहे थे।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने फरवरी में कोठारी के नाम की अनुशंसा की थी। उस समय कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए अपनाई प्रक्रिया को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था और फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी।
  • कोठारी 1978 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। कोठारी जून, 2016 में डीओपीटी सचिव के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उन्हें नवंबर 2016 में लोक उद्यम चयन बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग

  • सतर्कता के क्षेत्र में केन्द्रीय सरकारी एजेंसियों को सलाह तथा मार्गदर्शन देने हेतु,  के संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों पर सरकार ने फरवरी,1964 में केन्द्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की थी।
  • राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी किए जाने के फलस्वरूप केन्द्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त, 1988 को ‘’सांविधिक दर्जा’’ देकर एक बहुसदस्यीय आयोग बनाया गया है। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त, जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नही हो सकते) होते हैं।
  • केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक, संसद के दोनों सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पास किया गया था तथा राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर, 2003 को इस विधेयक को स्वीकृति दी थी।
  • आयोग में एक अध्यक्ष व दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं। इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो), तक होता है। अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।
  • केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती हैं और सतर्कता आयुक्त की संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान होती है, लेकिन कार्यकाल के दौरान इनकी सेवाओं में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
  • अप्रैल, 2004 के ‘’लोकहित प्रकटीकरण एवं मुखबिर संरक्षण’’ पर भारत सरकार के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरूपयोग करने सम्बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्त करने तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश करने वाली एक ‘’नामित एजेंसी’’ के रूप में केन्द्रीय सतर्कता आयोग को प्राधिकृत किया है।
  • केन्द्रीय सतर्कता आयोग की अवधारणा एक शीर्षस्थ सतर्कता संस्थान के रूप में की गई है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है एवं केन्द्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने में सलाह देता है।

10. यूरोपीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप रद्द

कोवि़ड-19 के कारण 25 से 30 अगस्त तक फ्रांस के पेरिस में होने वाली यूरोपीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप भी रद्द हो गई है जिससे खिलाड़ियों को एक और झटका लगा है। इससे पहले तोक्यो ओलंपिक एक साल के लिए टल चुके हैं।

  • एक बयान में चैम्पियनशिप की आयोजन समिति और फ्रेंच एथलेटिक्स महासंघ (एफएफए) ने कहा ,‘‘हमारे लिये इंसान की सेहत और कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई इस समय किसी भी और चीज से ऊपर है ।’’
  • इससे पहले तोक्यो ओलंपिक एक साल के लिए टल चुके हैं जबकि डायमंड लीग के यूजीनी, ओरिगोन और पेरिस चरण स्थगित किये जा चुके हैं। यूरोपीय एथलेटिक्स ने कहा कि आयोजन समिति और एफएफएए के बीच हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है।
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