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Current Affairs: 24 April 2020
1. कैबिनेट की आधार सीडिंग की अनिवार्य आवश्यकता में ढील के विस्तार को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम-किसान स्कीम के तहत असम एवं मेघालय राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थियों को उन्हें लाभ जारी किए जाने के लिए डेटा की आधार सीडिंग की अनिवार्य आवश्यकता में 31 मार्च, 2021 तक ढील देने को अपनी मंजूरी दे दी है।
- 1 दिसंबर, 2019 से असम एवं मेघालय राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों को बेहद मामूली आधार सीडिंग के कारण 31 मार्च, 2020 तक रियायत दी गई थी।
- विदित है कि लाभ की राशि केवल पीएम-किसान पोर्टल पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा अपलोड किए गए लाभार्थियों के आधार सीडेड डेटा के जरिये ही जारी की जाती है।
क्यों बढ़ाई आधार सीडिंग की अनिवार्यता में ढील?
- ऐसा आकलन किया गया है कि असम एवं मेघालय राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थियों के डेटा की आधार सीडिंग के कार्य को पूरा करने में अभी बहुत अधिक समय लगेगा और अगर डेटा की आधार सीडिंग की अनिवार्य आवश्यकता में ढील को और विस्तार न दिया गया तो इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थी 1 अप्रैल, 2020 के बाद से इस स्कीम का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।
- इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में लाभार्थी किसानों की कुल संख्या, जिन्हें 8.4.2020 तक कम से कम एक किस्त का भुगतान किया गया है, इस प्रकार है असम में 27,09,586 लाभार्थी हैं, मेघालय में 98,915 लाभार्थी हैं और लद्वाख सहित जम्मू एवं कश्मीर में 10,01,668 लाभार्थी हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 24 फरवरी, 2019 को लांच की गई थी। इस स्कीम का उद्वेश्य कुछ विशेष अपवर्जनों के अधीन, खेती भूमि के साथ देश भर में सभी भूस्वामी कृषक परिवारों को आय सहायता उपलब्ध कराना है।
- इस स्कीम के तहत, 6000 रुपये प्रति वर्ष की राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में चार-चार महीने पर 2000 रुपये प्रत्येक की तीन किस्तों में जारी की जाती है। यह योजना 1 दिसंबर, 2018 से प्रभावी है।
- डीबीटी के माध्यम से कार्यान्वित यह योजना राशि को सीधे लाभार्थी के बैंक खातों में अंतरित करती है जिससे बिचौलियों तथा भ्रष्टाचार पर चोट होती है। एकमुश्त ऋण माफी के विपरीत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक सशक्तिकरण परियोजना है जिसकी रुपरेखा छोटे किसानों के लिए एक गौरवपूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।
- प्रधानमंत्री-किसान योजना भारत सरकार से 100 प्रतिशत वित्त पोषण प्राप्त एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है। राज्य सरकार एवं संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा उन किसान परिवारों की पहचान की गई है जो योजना के दिशा-निर्देशों के अनुरुप सहायता के योग्य हैं।
- योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसान परिवारों जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने बाद में इसमें बदलाव किया और 1 अप्रैल 2019 से यह व्यवस्था की कि इस योजना का लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा, चाहे उनकी जमीन कितनी भी हो।
2. “भारत कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज” को कैबिनेट की स्वीकृति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “भारत कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज” के लिए 15,000 करोड़ रुपये के निवेश को स्वीकृति दे दी है।
इस स्वीकृत धनराशि का 3 चरणों में उपयोग किया जाएगा और अभी के लिए तत्काल कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया (7,774 करोड़ रुपये की धनराशि) का प्रावधान किया गया है। बाकी धनराशि मध्यावधि सहयोग (1-4 वर्ष) के तौर पर मिशन मोड में उपलब्ध कराई जाएगी।
क्या हैं पैकेज के उद्देश्य?
- पैकेज के मुख्य उद्देश्यों में डायग्नोस्टिक्स और कोविड समर्पित उपचार सुविधाओं का विकास, संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरण और दवाओं की केन्द्रीय खरीद, भविष्य में महामारियों से बचाव और तैयारियों में सहयोग के लिए राष्ट्रीय तथा राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती देना और विकसित करना है
- इसके साथ ही प्रयोगशालाओं की स्थापना और निगरानी गतिविधियां बढ़ाना, जैव सुरक्षा तैयारियां, महामारी अनुसंधान और समुदायों को सक्रिय रूप से जोड़ना तथा जोखिम संचार गतिविधियों के माध्यम से भारत में कोविड-19 के प्रसार को धीमा और सीमित करने के लिए आपात प्रतिक्रिया बढ़ाना शामिल है।
- इन उपायों और पहलों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत ही लागू किया जाएगा।
पहले चरण में क्या कार्य किए गए?
- पैकेज के पहले चरण के अंतर्गत मौजूदा स्वास्थ्य केन्द्रों को कोविड समर्पित अस्पतालों, समर्पित कोविड स्वास्थ्य केन्द्र और समर्पित कोविड देखभाल केन्द्रों के रूप में तैयार करने के लिए राज्य/संघ शासित क्षेत्रों के लिए 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष जारी किया जा चुका है।
- डायग्नोस्टिक्स (नैदानिकी) प्रयोगशालाओं का विस्तार किया गया है और प्रतिदिन परीक्षण क्षमता बढ़ाई जा रही है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत मौजूदा बहु-बीमारी परीक्षण प्लेटफॉर्म का विस्तार किया जा रहा है। इस क्रम में कोविड 19 परीक्षण बढ़ाने के लिए 13 लाख डायग्नोस्टिक किट की खरीद का ऑर्डर जारी कर दिया गया है।
- सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवक (आशा) सहित सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज : कोविड 19 के मद्देनजर स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बीमा योजना” के अंतर्गत बीमा सुरक्षा दी गई है। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), एन95 मास्क और वेंटिलेटर, परीक्षण किट और उपचार में काम आने वाली दवाओं की केन्द्रीय स्तर पर खरीद की जा रही है।
3. स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने पर अब 2 लाख का जुर्माना और 7 साल तक की सजा
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों पर बढ़ते हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 अप्रैल को एक अध्यादेश को मंजूरी दी है जिसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया गया है।
- हाल के दिनों में देखा गया कि कोरोना के मरीजों के इलाज में जुटे मेडिकल स्टाफ पर देश के कुछ हिस्सों में हमले की खबर सामने आई थी। इसीलिए सरकार सख्त हो गई है और अब अध्यादेश लेकर आई है।
- विदित है कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 22-23 अप्रैल को सांकेतिक विरोध का आह्वान किया था। हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह के साथ चर्चा के बाद उन्होंने विरोध वापस ले लिया था।
अध्यादेश के प्रावधान
- नये प्रावधानों के तहत ऐसा अपराध करने पर किसी व्यक्ति को तीन महीने से पांच वर्ष तक की सजा दी जा सकती है और 50 हजार से दो लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- स्वास्थ्य कर्मियों के गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में दंड छह महीने से सात वर्ष तक हो सकता है और जुर्माना एक से पांच लाख रूपये तक हो सकता है।
- संशोधित कानून ऐसे अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती बनाता है। संज्ञेय और गैर जमानती अपराध का मतलब यह है कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और उसे अदालत से ही जमानत मिल सकती है।
- अगर स्वास्थ्य कर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान पहुंचाया गया तो अपराधियों से क्षतिग्रस्त की गई संपत्ति का बाजार मूल्य से दोगुना दाम मुआवजे के रूप में वसूला जाएगा।
- सरकार ने कहा कि इस कानून के तहत पुलिस को ऐसे मामलों की जांच 30 दिनों में पूरी करनी होगी और अदालतों को एक वर्ष के भीतर फैसला सुनाना होगा।
4. कोविड-19 के चलते तेजी से बढ़ सकती है भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के निकाय विश्व खाद्य कार्यक्रम ने आगाह किया है कि दुनिया ”भुखमरी की महामारी” के कगार पर खड़ी है और अगर वक्त रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए कुछ ही महीने में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो सकता है।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीस्ले ने ‘अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा अनुरक्षण: संघर्ष से उत्पन्न भूख से प्रभावित आम नागरिकों की सुरक्षा’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आभासी सत्र के दौरान कहा, ”एक ओर हम कोविड-19 महामारी से लड़ रहे हैं वहीं, दूसरी ओर भुखमरी की महामारी के मुहाने पर भी आ पहुंचे हैं।”
- बीस्ले ने कहा कि कोविड-19 के चलते संघर्षरत देशों में रहने वाले लाखों नागरिक, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, भुखमरी के कगार पर हैं। पूरी दुनिया में हर रात 82 करोड़ 10 लाख लोग भूखे पेट सोते हैं। इसक अलावा 13 करोड़ 50 लाख लोग भुखमरी या उससे भी बुरी स्थिति का सामना कर रहे हैं।
- उन्होंने आगे कहा कहा कि ”विश्व खाद्य कार्यक्रम के विश्लेषण में पता चला है कि 2020 के अंत तक 13 करोड़ और लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं। इस तरह भुखमरी का सामना कर लोगों की कुल संख्या बढ़कर 26 करोड़ 50 लाख तक पहुंच सकती है।”
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी)
- 1961 में गठित, डब्ल्यूएफपी विश्व दूरदर्शिता का अनुसरण करती है जिसमें प्रत्येक पुरूष, स्त्री और बच्चे की एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक खाद्य तक हर समय पहुँच है। डब्ल्यूएफपी रोम में अन्य सहायक यूएन एजेंसियों — खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय निधि (आईएफएडी) – के साथ-साथ अन्य सरकारी, यूएन और एनजीओ सहभागियों के साथ इस दूरदर्शिता के लिए कार्य करती है।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) विश्व व्यापी भूखमरी से निपटने के लिए विश्व की सबसे बड़ी मानवीय एजेंसी है। डब्ल्यूएफपी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का भाग है और स्वेच्छा से वित्तपोषित है।
- इसके कार्यालय विश्व के 80 देशों में है। यह संगठन विश्व भर में 75 देशों में प्रतिवर्ष 80 मिलियन लोगों को खाद्य सहायता उपलब्ध करवाता है।
5. कोविड-19 से निपटने के लिए G-20 देशों के कृषि मंत्रियों की हुई असाधारण बैठक
कोविड-19 से निपटने के लिए G-20 देशों के कृषि मंत्रियों की 21 अप्रैल को असाधारण बैठक हुई। इसमें खाद्य सुरक्षा, संरक्षा और पोषण पर इस महामारी के प्रभाव को लेकर चर्चा की गई साथ ही खाद्य अपव्यय एवं नुकसान से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का संकल्प लिया गया।
- वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हिस्सा लिया तथा इस वैश्विक महामारी के खिलाफ सभी देशों से एकजुटता के साथ लड़ने का आव्हान किया।
- सऊदी अरब के पर्यावरण, जल एवं कृषि मंत्री अब्दुल रहमान अलफाजली की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्य रूप से COVID-19 के मुद्दे पर चर्चा की गई। इसमें सभी G-20 सदस्यों, कुछ अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विचार-विमर्श में भाग लिया।
- तोमर ने सऊदी अरब द्वारा जी-20 देशों को, किसानों की आजीविका सहित खाद्य आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करने के लिए एक साथ लाने की पहल का स्वागत किया।
- बैठक में जी-20 कृषि मंत्रियों की एक घोषणा भी स्वीकार की गई। G-20 राष्ट्रों ने खाद्य अपव्यय और नुकसान से बचने के लिए, COVID-19 महामारी की पृष्ठभूमि में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करने का संकल्प लिया और कहा कि सीमाओं के पार भी खाद्य आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखी जाना चाहिए। जी-20 देशों ने महामारी पर नियंत्रण के लिए सख्त सुरक्षा और स्वच्छता उपायों पर विज्ञान आधारित अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देश विकसित करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
G-20 से सम्बन्धित तथ्य
- गठन – सितम्बर, 1999 में
- सदस्य देश – अर्जेण्टीना, भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान, ब्राज़ील, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, कनाडा, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, चीन, इण्डोनेशिया, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्की, सऊदी अरब व यूरोपीय यूनियन
कार्य –
- (a) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग तथा तत्कालीन विश्व अर्थव्यवस्था पर परिचर्चा
- (b) प्रत्येक वर्ष शीर्ष नेताओें का सम्मेलन
- (c) केन्द्रीय बैंक के गवर्नर व वित्तमंत्रियों की बैठक
- (d) वैश्विक मुद्दों पर सतत् बातचीत के लिए शेरपा व्यवस्था ओसाका सम्मेलन में भारत के शेरपा “सुरेश प्रभु’ थे। इससके पहले शेरपा “शक्तिकांत दास’ थे।
सम्मेलन | ||
क्रम | दिनाँक | स्थान |
प्रथम | नवम्बर, 2008 | वॉशिंगटन, अमेरिका |
13वां | नवम्बर-दिसम्बर, 2018 | ब्यूनस आयर्स, अर्जेण्टीना |
14वां | 28-29 जून, 2019 | ओंसका, जापान |
15वां | 2020 | रियाद, सऊदी अरब |
6. कोविड -19 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की रणनीति पर श्वेत पत्र तैयार करेगा टीआईएफएसी
प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC – Technology Information, Forecasting and Assessment Council), कोविड -19 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की रणनीति के लिए एक श्वेत पत्र तैयार कर रहा है। यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त प्रौद्योगिकी थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना भविष्य के लिए रणनीति बनाने के उद्देश्य से की गई है।
- यह दस्तावेज़ मुख्य रूप से मेक इन इंडिया की पहल को मजबूत बनाने, स्वदेशी प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण, प्रौद्योगिकी संचालित व पारदर्शी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को विकसित करना, बेहतर ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था, आयात में कमी, एआई, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स जैसे उभरती प्रौद्योगिकी को अपनाने पर केंद्रित है। इसे जल्द ही सरकार के निर्णय लेने वाले प्राधिकरणों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
- महामारी का प्रकोप विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्था, दोनों के मानव जीवन को प्रभावित कर रहा है। इसका प्रभाव विनिर्माण से लेकर व्यापार, परिवहन, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा समेत लगभग सभी क्षेत्रों पर पड़ा है। आर्थिक प्रभाव की सीमा इस बात पर निर्भर करेगी कि महामारी का प्रकोप कितना अधिक होता है और इसके नियंत्रण के लिए किसी राष्ट्र की रणनीति कितनी प्रभावी है?
- टीआईएफएसी के वैज्ञानिकों की एक टीम भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और कोविड – 19 के बाद इसके प्रभाव को कम करने के सर्वोत्तम तरीकों की खोज के लिए प्रयासरत है। वे ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए भविष्य की रणनीति भी तैयार कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक विभिन्न क्षेत्रों/संकायों से जुड़े हैं।
- भारत ने अब तक, इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए अच्छी तरह से सोचे गए कदम उठए हैं। प्रारंभिक चरण में लॉकडाउन एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी सरकारी विभागों, अनुसंधान संस्थानों, सिविल सोसाइटी निकायों और सबसे महत्वपूर्ण देश के नागरिकों ने एक साथ मिलकर कोविड – 19 के प्रभाव को अधिकतम सीमा तक कम करने के लिए हाथ मिलाया है। कोविड – 19 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए टीआईएफएसी आगे का रास्ता दिखाने में मदद करेगी।
क्या होता है श्वेत पत्र?
- श्वेत पत्र एक प्रकार का आधिकारिक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें सरकार या कोई अन्य संस्था किसी विषय, मुद्दे, नीति अथवा समस्या पर अपनी जानकारी, सोच व विचारों को स्पष्ट करती है।
- श्वेत पत्र में एक विषय से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों का समावेश होता है। इससे पाठकों को एक मुद्दे को अच्छी प्रकार से समझने, उसका समाधान तलाशने व कोई निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC)
- 1985 में प्रौद्योगिकी नीति कार्यान्वयन समिति (टीपीआईसी) की सिफारिश के अनुसार, कैबिनेट ने 1986 में मध्य में टीआईएफएसी के गठन को मंजूरी दी और टीआईएफएसी का गठन फरवरी, 1988 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में किया गया था।
- यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का आकलन करने और महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में भारत में भविष्य के तकनीकी विकास के लिए दिशा निर्धारित करने के लिए अध्ययन करता है।
- भारत में एक अद्वितीय ज्ञान नेटवर्क संस्थान के रूप में, टीआईएफएसी गतिविधियां प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करती हैं और भारत के समग्र एसएंडटी सिस्टम में एक महत्वपूर्ण अंतर भरती हैं।
7. कोविड-19 पर ट्राइफेड की सक्रिय पहल
कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति ने जनजातीय कारीगरों सहित गरीब और हाशिये पर रहने वाले समुदायों की आजीविका को गंभीर आघात पहुंचाया है। चूंकि यह देश के कई क्षेत्रों में वनोपज की कटाई और उसे एकत्र करने का मौसम है। जो आदिवासी वनोपज को इकट्ठा करने के कामों में लगे हुए हैं उनकी सुरक्षा को लेकर खतर पैदा हो गया है।
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत ट्राइफेड इस स्थिति में आदिवासियों को अतिरिक्त सहायता देने के उद्देश्य से तात्कालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक पहल के तौर पर लॉकडाउन की लंबी अवधि से उत्पन्न मसलों को सुलझाने के लिए निरंतर काम कर रहा है।
लघु अवधि के उपाय
- वन धन सामाजिक दूरी जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। इसका मकसद दो-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (एसएचजी प्रशिक्षण, प्रशिक्षणकर्ताओं का प्रशिक्षण) के माध्यम से वन-क्षेत्रों में एनटीएफपी एकत्र करने में लगे आदिवासियों को शिक्षित करना, सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारनटीन जैसे प्रमुख निवारक व्यवहारों के बारे में शिक्षित करना है। इसके लिए डिजिटल माध्यमों जैसे वेबिनार, फेसबुक लाइव स्ट्रीम आदि का उपयोग किया जाना है।
- इसके तहत 15,000 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 28 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में आदिवासियों को शिक्षित करने का काम जारी है। ट्राइफेड ने भारत में कोरोना वायरस संकट के बीच सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक डिजिटल अभियान शुरू करने के लिए यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर काम काम कर रहा है।
- वन धन स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सुरक्षात्मक मास्क और स्वच्छता उत्पादों (साबुन, सैनिटाइजर आदि) प्रदान करने के लिए पहल की गई है, जो एक सुरक्षित तरीके से अपने संचालन को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
मध्यम और दीर्घकालिक उपाय
- वन उपज इकट्ठा करने के काम पर निर्भर करोड़ों आदिवासियों को राहत देने के लिए, दूसरे चरण के लॉकडाउन के बाद गृह मंत्रालय ने 16 अप्रैल 2020 को संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों द्वारा गैर-लकड़ी माइनर वन उपज (एमएफपी) के संग्रह, कटाई और प्रसंस्करण की अनुमति देते हैं। ये छूट समय से मिली है क्योंकि यह कटाई का मौसम है जो कई क्षेत्रों में जारी है
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने ट्राइफेड से कहा है कि वह इस कठिन समय में जनजातीय आजीविका को लेकर एमएफपी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को फिर से जारी करने पर ध्यान केंद्रित करे और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें अपनी उपज के लिए समान बाजार मूल्य का लाभ मिले।
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय के निर्देशानुसार, 17 अप्रैल 2020 को ट्राइफेड ने हाट बाज़ार के लिए सभी राज्यों में एमएसपी को लेकर कदम उठाए हैं। तौल सुविधाओं, परिवहन और उचित कोल्ड और ड्राई स्टोरेज के साथ खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं।
ट्राइफेड (TRIFED)
- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED – द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) को भारत सरकार द्वारा 1987 में स्थापित किया गया था ट्राइफेड का मूल उद्देश्य आदिवासी लोगों द्वारा जंगल से एकत्र किये गए या इनके द्वारा बनाये गए उत्पादों को बाजार में सही दामों पर बिकवाने की व्यवस्था करना है।
- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) जनजातीय मंत्रालय के अंतर्गत बहु-राज्य सहकारी सोसायटी है। ट्राइफेड राष्ट्रीय जनजातीय क्रॉफ्ट एक्सपो “आदि महोत्सव” जैसे प्रदर्शनियां भी आयोजित करता है और जनजातीय उत्पादों के विपणन को प्रोत्साहित करता है। यह जनजातीय दस्तकारों को सुविधा उपलब्ध कराता है, ताकि वे बाजार आवश्यकताओं का जायजा लेने के लिए कला प्रेमियों के साथ सीधी बातचीत कर सकें। पिछले चार वर्षों में उत्पादों की बिक्री के लिए यह जनजातीय दस्तकारों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहा है।
- ट्राइफेड का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में है इसके प्रधान कार्यालय के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर इसके 13 क्षेत्रीय कार्यालयों का नेटवर्क है। ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है।
8. चीन ने डब्ल्यूएचओ को तीन करोड़ डॉलर का अतिरिक्त अनुदान देने की घोषणा की
चीन ने 23 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के लिये तीन करोड़ डॉलर के अतिरिक्त अनुदान की घोषणा की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की।
- यह अनुदान चीन के द्वारा इससे पहले डब्ल्यूएचओ को दी गई दो करोड़ डॉलर की राशि के अतिरिक्त होगा।
- उल्लेखनीय है कि चीन ने कुछ ही रोज पहले अमेरिका द्वारा डब्ल्यूएचओ का वित्त पोषण रोकने पर पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली पर उठते सवाल
- अमेरिका ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वित्तपोषण रोका है। अमरीका विश्व स्वास्थ्य संगठन को चालीस करोड़ से पचास करोड डॉलर हर वर्ष देता रहा है।
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आरोप है कि डब्ल्यूएचओ का रवैया पक्षपाती है और वह चीन के पक्ष में झुका हुआ है और अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के रवैये की निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है।
- अमेरिका का साथ देते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भी कोरोना संकट उत्पन्न होने के कारणों और इस समस्या पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के रवैये की निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जी-20 देशों की बैठक में डब्ल्यूएचओ की कार्य प्रणाली में सुधार की बात कही थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर विश्व के 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे और इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी।
- इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है।
- यह विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश हैं। भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है।
- इथियोपिया के डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्तमान महानिदेशक हैं।
9. एआरआई द्वारा विकसित माइक्रोरिएक्टर से पैदा होते हैं एक समान आकार के नैनो कण
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के अधीन आने वाले पुणे के स्वायत्त संस्थान अघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) ने एक ऐसे माइक्रोरिएक्टर का विकास किया है, जो बड़ी मात्रा में एक समान आकार के नैनो कणों का निर्माण कर सकता है। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए इन कणों को खासा अहम माना जाता है।
- सक्रिय माइक्रोरिएक्टर के नियमित प्रवाह के द्वारा यह डिवाइस मेटल, सेमी कंडक्टर और पॉलिमर नैनो कणों का निर्माण कर सकता है। एआरआई में डॉ. धनंजय बोडास और उनकी टीम ने पिछले अध्ययनों के आधार पर इस माइक्रोरिएक्टर के बारे में मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग और एसीएस अप्लायड मैटेरियल्स में प्रकाशन किया है।
- मोनोडिस्पर्सिटी (नैनो कणों का एक समान आकार बरकरार रखना) हासिल करने के लिए सटीकता से प्रक्रिया मानकों का अनुमान लगाने को आयामीय विश्लेषण का उपयोग करते हुए एक गणितीय समीकरण निकाला जाता है और एसईआरबी, डीएसटी के सहयोग से माइक्रोरिएक्टर्स (ऐसी डिवाइस जिसमें एक मिमी से कम आकार के साथ रासायनिक प्रक्रिया होती है) नियमित सक्रिय प्रवाह से समान आकार के नैनो कण पैदा करने में सफलता हासिल की है।
- डॉ. बोडास ने कहा, “इस विधि का उपयोग करते हुए हम 5 प्रतिशत के कम के भिन्नता गुणांक के साथ सोना और चांदी, कैडमियम टेलुराइड, चिटोसन, अलगाइनेट और हाईएल्युरोनिक एसिड के किसी भी आकार के नैनो कण पैदा करने में सक्षम रहे हैं।”
- शोधकर्ताओं ने कहा कि यह खोज नैनो विज्ञान और नैनो तकनीक के क्षेत्र में काम कर रहे शोधकर्ताओं के लिए काफी अहम है।
प्रष्ठभूमि
- नैनो कणों में विशेष आकार आधारित गुण होते हैं, जो उन्हें जैव चिकित्सा तकनीक में उपयोगी बनाते हैं लेकिन उनके आकार अलग-अलग होते हैं जिससे उत्पादन के पारंपरिक तरीकों के कारण उनका प्रभाव कम होता है। जैव चिकित्सा उद्योग के लिए नैनो कणों के समान आकार को बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण रहा है। इसके अलावा कई अभिकर्मकों (रीजेंट) के इस्तेमाल के कारण इन विधियों में समय ज्यादा लगता है और विषाक्त उप उत्पाद पैदा होते हैं।
10. ईरान ने अपना पहला सैन्य उपग्रह सफलतापूर्वक किया प्रक्षेपित
कोरोना वायरस की महामारी और अमेरिका के साथ तनाव के बीच ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने एक मिलिट्री सैटेलाइट को ऑर्बिट में लॉन्च किया है। वह कई महीनों से इसे लॉन्च कर रहे थे लेकिन बार बार फेल हो जा रहे थे लेकिन आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई है।
- हालांकि, उपग्रह प्रक्षेपण के बाद पहले ईरान ने इस पर चुप्पी साध रखी थी, लेकिन बाद में उसने इस प्रक्षेपण की पुष्टि की है। इसका नाम ‘नूर’ यानी रोशनी बताया गया है। ईरान द्वारा इस तरह की लॉन्चिंग का विरोध करने वाले अमेरिकी विदेश विभाग और पेंटागन ने फिलहाल इस पर अपना कोई जवाब नहीं दिया है।
- यह प्रक्षेपण ऐसे समय में किया गया है जब तेहरान और वाशिंगटन के बीच खत्म हुए परमाणु समझौते और जनवरी में अमेरिकी ड्रोन हमले में शीर्ष ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने को लेकर दोनों देशों के संबंधों में तनाव चल रहा है।
- इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी (इरना) ने इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के हवाले से खबर दी है कि उपग्रह नूर को सफलतापूर्वक पृथ्वी से 425 किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित किया गया है।
- ईरान के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद जवाद अज़ारी-जहरोमी ने देश के पहले सैन्य उपग्रह के प्रक्षेपण की बधाई देते हुए कहा कि यह महान राष्ट्रीय उपलब्धि है। यह उपग्रह आईआरजीसी के स्थापना दिवस के अवसर पर किया गया है।