आज के टॉप करेंट अफेयर्स

सामयिकी: 21 अप्रैल 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 21 April 2020

1. तेलंगाना में 7 मई तक बढ़ाया गया लॉकडाउन

 

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर 3 मई तक लगे देशव्यापी लॉकडाउन को तेलंगाना मंत्रिमंडल ने राज्य में 7 मई तक बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 5 मई को राज्य के हालात का जायजा लिया जाएगा।

  • 3 मई तक लगे देशव्यापी लॉकडाउन को  आगे बढ़ने वाला तेलंगाना पहला राज्य बना है इससे पूर्व 14 अप्रैल तक लगे  देशव्यापी लॉकडाउन  को ओडिशा ने सर्वप्रथम आगे बढाया था।
  • तेलंगाना मंत्रिमंडल ने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा 20 अप्रैल से प्रस्तावित राहत प्रावधान भी तेलंगाना में लागू नहीं किए जाएंगे।
  • राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बताया गया कि राज्य में लॉकडाउन को सख्त तरीके से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल से राज्य में फूड डिलिवरी ऐप के संचालन की अनुमति नहीं होगी।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, “तेलंगाना में इस वायरस की वजह से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 186 मरीज इस बीमारी से निजात पा चुके हैं। वहीं राज्य में कुल संक्रमित मरीजों की तादाद 844 है। अकेले राजधानी हैदराबाद में ही कोरोना के 450 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।”

 

2. सरकार ने कोविड-19 से लड़ाई और नियंत्रण के लिए ऑनलाइन डाटा पूल का किया शुभारम्भ

केन्द्र सरकार ने राज्य, जिला या नगर पालिका स्तर पर प्रशासन के उपयोग के लिए  एक पोर्टल (covidwarriors.gov.in) लांच किया है इस पोर्टल पर आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, एनवाईके, एनसीसी, एनएसएस, पीएमजीकेवीवाई, पूर्व सेवा कर्मचारियों आदि स्वयंसेवकों आदि का ऑनलाइन डाटा पूल है।

  • यह महत्वपूर्ण जानकारी एक डैशबोर्ड पर अपलोड कर दी गई है, जिसे नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और नियंत्रण के लिहाज से यह जानकारी बेहद अहम मानव संसाधन है। इसमें विभिन्न समूहों के मानव संसाधन की राज्यवार और जिलावार उपलब्धता के साथ ही नोडल अधिकारियों का संपर्क विवरण उपलब्ध है।
  • यह डैशबोर्ड उपलब्ध कार्यबल के आधार पर हर समूह के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय से आपदा प्रबंधन/ आकस्मिक योजनाओं तैयार करने के लिए विभिन्न विभागों को उपलब्ध है ताकि प्रशिक्षित मानव संसाधन का सदुपयोग किया जा सके।
  • इस डाटाबेस को बैंकों, राशन की दुकानों, मंडियों में समाजिक दूरी को लागू करने और बुजुर्गों, दिव्यांग और अनाथालयों की सहायता के लिए भी उपलब्ध किया जा सकता है। इससे राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को मानव संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में भी सहायता मिलेगी।

आईजीओटी प्लेटफ़ॉर्म

  • चिकित्सकों, नर्सों, चिकित्सा सहायकों, स्वच्छता कर्मचारियों, तकनीशियनों, आयुष चिकित्सकों और कर्मचारियों अन्य अग्रणी कर्मचारियों व स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण के लिए एक विशेष डिजिटल प्लेटफॉर्म- एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण (आईजीओटी) पोर्टल (https://igot.gov.in) पर आईजीओटी ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल के उपयोग का भी आह्वान किया गया।
  • यह प्लेटफॉर्म किसी भी डिवाइस (मोबाइल/लैपटॉप/डेस्कटॉप) के माध्यम से प्रशिक्षण सामग्री/मॉड्यूल्स की किसी भी समय डिलिवरी उपलब्ध कराता है। इस पर 105 वीडियो और 29 दस्तावेजों के साथ 12 कोर्सों के 44 मॉड्यूल पहले से उपलब्ध हैं।
  • इन कोर्सों में बेसिक्स ऑफ कोविड, संक्रमण से बचाव और नियंत्रण, पीपीई का उपयोग, क्वारंटाइन और आइसोलेशन, कोविड 19 मामलों का प्रबंधन (एसएआरआई, एडीआरएस, सेप्टिक सॉक), प्रयोगशाला नमूना संग्रह और परीक्षण, आईसीयू देखभाल और वेंटिलेशन प्रबंधन शामिल हैं। प्रतिदिन ऐसे मॉड्यूल अपलोड के जा रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार कोविड 19 की चुनौतियों से पार पाने के लिए योजनाएं बनाने और उनका समाधान पेश करने के लिए 11 अधिकार प्राप्त समूहों का गठन कर चुकी है। एमएसएमई सचिव डॉ. पांडा की अध्यक्षता वाला अधिकार प्राप्त समूह-4 को कोविड से संबंधित गतिविधियों के लिए मानव संसाधन की पहचान के साथ ही उनके लिए जरूरी क्षमता विकसित करने का काम सौंपा गया है।

 

3. करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद आंधी में गिरे

पाकिस्तान स्थित सिख धर्म के पवित्र स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के चार गुंबद तेज आंधी में क्षतिग्रस्त हो गए हैं। छह माह पहले गलियारा खुलने के वक्त आठ नए गुंबद पाकिस्तान सरकार ने स्थापित करवाए थे।

  • भारत ने इस मामले को पाकिस्तान के साथ उठाया और मांग की कि हुई क्षति को तत्काल ठीक किया जाना चाहिए। गलियारे के खुलने से पहले करतारपुर साहिब के विस्तार कार्य में खराब गुणवत्ता की सामग्री इस्तेमाल किये जाने पर सवाल उठाए जा रहे थे।
  • विदित है कि पिछले साल नवंबर में, दोनों देशों ने भारत के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक साहिब और पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को जोड़ने वाले एक गलियारे को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया था।

करतारपुर कॉरीडोर

  • यह भारत एवं पाकिस्तान की सीमा पर प्रस्तावित चार लेन कॉरीडोर है यह भारत के डेरा बाबा नानक साहिब को पाकिस्तान के गुरूद्वारा बाबा साहिब करतारपुर से जोड़ता है इसकी लम्बाई 4.7 किलोमीटर है।
  • इसका प्रस्ताव सर्वप्रथम 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी तथा नवाज शरीफ की सरकार द्वारा रखा गया था। यह दिल्ली लाहौर बस सेवा कूटनीति का हिस्सा था।
  • इससे पूर्व करतारपुर जाने के लिए श्रद्धालु लाहौर बस सेवा के माध्यम से ही जा पाते थे जिसमें 125 किमी. की यात्रा करनी पड़ती है जबकि श्रद्धालु भारत की सीमा से गुरूद्वारा बाबा साहित का दर्शन दुरबीन के माध्यम से कर सकते है जो सीमा से लगभग 4 किमी. दूर है।
  • करतारपुर के गुरूद्वारा बाबा साहिब की स्थापना 1504 में गुरूनानक देवजी द्वारा की गई थी तथा इसी स्थान पर उनकी मृत्यु हुई थी। 1947 के विभाजन में यह क्षेत्र पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चला गया जो पाकिस्तान की शकरगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है।
  • इसके विकास के लिए 26 नवम्बर, 2018 को उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने डेरा बाबा नानक में इसकी आधारशिला रखी थी।

 

4. उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच लाख प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैय्या कराने के लिए गठित की समिति

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 45 दिनों के दौरान देश के विभिन्न राराज्यों से राज्य में लौटे पांच लाख प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैय्या कराने के लिए एक समिति का गठन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कृषि उत्पादन आयुक्त इस समिति के अध्यक्ष होंगे, जो इस समय आलोक सिन्हा हैं।

  • ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा कौशल विकास विभागों के प्रधान सचिव इस समिति के सदस्य होंगे। यह समिति इस संबंध में सिफारिश करेगी कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अधिकतम अवसर कैसे सृजित किए जाएं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को किस प्रकार सुदृढ़ किया जाए।
  • समिति सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के तहत विभिन्न उद्योंगों में रोजगार के अवसर सृजित करने की संभावनाएं भी तलाशेगी। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के तहत रोजगार सृजन के साथ-साथ बैंक के माध्यम से लोन मेले आयोजित करना सुनिश्चित करेगी।
  • इसके अलावा यह समिति एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराने संबंधी सुझाव देगी। इसके साथ-साथ अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने के लिए रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे।

 

5. कोरोना संकट के बीच इज़राइल में नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

कोरोना संकट के समय में इज़राइल में 19 अप्रैल को हज़ारों इज़राइली नागरिकों ने तमाम प्रतिबंधों के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है।

  • प्रदर्शन के दौरान चेहरों पर मास्क पहने, हाथों में काले झंडे लहराते हुए और आपस में दो मीटर के फासले पर इन प्रदर्शनकारियों ने तेल अवीव में एकजुट होकर नेतान्याहू के खिलाफ नारे लगाए।
  • लोकतंत्र को बचाने के नारों के साथ ये प्रदर्शनकारी बेनी गेंट्ज़ की पार्टी (ब्लू एंड व्हाइट) से नेतन्याहू के साथ गंठबंधन ना करने की मांग कर रहे हैं। नेतन्याहू भ्रष्टाचार के तीन मामलों में आरोपी हैं। गेंट्ज़ ने चुनावों में साफ सुथरी सरकार होने के नारे के आधार पर ही चुनाव अभियान चलाया था।

प्रष्ठभूमि

  • विदित है कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस वक्त अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदी बेनी गेंट्ज़ के साथ गठबंधन करके मिलकर सरकार चलाने के प्रयास में जुटे हैं और उन्होंने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इन्कार किया है।
  • देश में एक साल में तीन चुनाव हो चुके हैं, इसके बाद भी सरकार नहीं बन पाई है और तीनों बार ही खंडित बहुमत आया है।

 

6. ऑस्ट्रेलिया ने कोविड 19 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के रवैये की निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने की मांग की

 

ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना संकट उत्पन्न होने के कारणों और  इस समस्या पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के रवैये की निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है।

  • ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री मैरिस पेने ने कहा कि उनका देश खासकर वुहान में कोरोना वायरस संकट के शुरूआती दिनों में चीन सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच किए जाने के पक्ष में है।
  • उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने इस संबंध में अपनी चिंताएं अमरीका के साथ साझा की हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना संकट को गंभीरता से नहीं लिया और इसके प्रसार की आशंकाओं की अनदेखी की है।
  • ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने भी कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह को नजरंदाज करने के कारण ही ऑस्ट्रेलिया में कोरोना के प्रसार को रोकना काफी हद तक संभव हो पाया है।
  • ऑस्ट्रेलिया में कोरोना के छह हजार छह सौ मरीज पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से केवल 70 की मौत हुई है। विदित है कि चीन यात्रा पर प्रतिबंध लगाने वाले शुरूआती देशों में ऑस्ट्रेलिया शामिल था।

अमेरिका ने रोकी फंडिंग

  • इससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दी जाने वाली सालाना अमेरिकी धनराशि को रोकने की घोषणा की थी। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप लगाया था कि उसने नोवल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद के मामले में ठीक से प्रबंधन नहीं किया और विश्व के समस्त देशों सही जानकारी नहीं दी है। अमरीका विश्व स्वास्थ्य संगठन को चालीस करोड़ से पचास करोड डॉलर हर वर्ष देता रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर विश्व के 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे और इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी।
  • इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है।
  • यह विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश हैं। भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है।
  • इथियोपिया के डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्तमान महानिदेशक हैं।

 

7. ब्लैजर की गामा किरण प्रवाह परिवर्तनशीलता पर शोध

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्तशासी संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के शोधकर्ताओं ने ब्लैजर के विभिन्न प्रकारों पर गामा किरण प्रवाह परिवर्तनशीलता प्रकृति पर पहला प्रणालीगत अध्ययन किया है। उनके अध्ययन ब्लैक होल के करीब हो रही प्रक्रियाओं के सुराग दे सकते हैं जो प्रत्यक्ष इमेजिंग के जरिये दृष्टिगोचर नहीं है।

  • इस विशिष्ट शोध कार्य से प्राप्त निष्कर्ष ब्लैजरों में उच्च ऊर्जा गामा किरण उत्पादन स्थान को ढूंढने की समस्या को प्रमुख इनपुट उपलब्ध कराएगा। इस प्रकार, इसका ब्लैजरों पर ज्ञान के संवर्धन से सीधा औचित्य होगा।
  • इस शोध कार्य में प्राप्त खगोलीय स्रोतों से उच्च ऊर्जा आंकड़ों के संचालन में विशेषज्ञता गामा किरण आंकड़ों की व्याख्या करने की क्षमता का निर्माण करेगा जो भारत की आगामी फैसिलिटी, मेजर ऐटमोस्फेरिक केरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप से तथा निकट भविष्य में भारत द्वारा किसी एक्सरे मिशन से उभर कर आएगी।
  • उच्च ऊर्जा गामा किरण बैंड में परिवर्तनशीलता अध्ययन उच्च ऊर्जा पारेषण स्थान एवं उच्च ऊर्जा पारेषण प्रक्रिया को खोजने में सहायक हो सकता है। इसलिए, इस शोध कार्य में गामा किरण बैंड में परिवर्तनशीलता विश्लेषण उल्लेखनीय है।
  • विभिन्न प्रकार के ब्लैजरों के लिए उच्च ऊर्जा गामा किरण (100 एमईवी से 300 जीईवी) में महीने जैसी समय सीमा पर प्रवाह परिवर्तनशीलता के अभिलक्षण पर आधारित शोध कार्य जर्नल एस्ट्रोनोमी एवं एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित किया गया है।

क्या है ब्लैजर?

  • ब्लैजर, गामा किरणों के उत्सर्जक ज्ञात ब्रह्मांड में सर्वाधिक चमकादार और ऊर्जावान तत्व हैं जो 1990 के दशक में पाये गए थे। उच्च ऊर्जा खगोल भौतिक विज्ञान में खुली समस्याओं में एक समस्या गामा किरणों के उत्पादन के लिए स्थान निर्धारित करने संबंधित है।

क्या है शोध?

  • अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में, एक विशाल ब्लैक होल है जिनमें लाखों पिंड एवं यहां तक कि करोड़ों सूर्य हो सकते हैं जिसके इर्द गिर्द गैस, धूल एवं नक्षत्रीय मलबे जुड़ जाते हैं। जैसे ही ये द्रव्यमान ब्लैक होल की दिशा में गिरते हैं, उनकी गुरुत्वाकर्षण की ऊर्जा प्रकाश का निर्माण करने वाली एक्टिव गैलेटिक न्यूक्लिएई (एजीएन) में रुपांतरित हो जाती है।
  • एजीएन की एक अल्पसंख्या (~15 प्रतिशत) प्रकाश की गति के करीब की गति से यात्रा करने वाले जेट नामक कोलीमेटेड आवेशित अणुओं का उत्सर्जन करती हैं। ब्लैजर ऐसे एजीएन होते हैं जिनके जेट पर्यवेक्षक की दृष्टि की रेखा से संरेखित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुछ ब्लैजर उनमें से युग्मक ब्लैक होल का आयोजन करते हैं और भविष्य की गुरुत्वाकर्षण संबंधी लहरों की खोजों के लिए संभावित लक्ष्य हो सकते हैं।
  • विदित है कि महीने जैसे समय मान पर उच्च ऊर्जा गामा किरण में प्रवाह परिवर्तनशीलता प्रकृति पर ज्ञान सीमित है। इस प्रकार, इस शोध कार्य के परिणाम ब्लैजर की उच्च ऊर्जा प्रवाह परिवर्तनशीलता प्रकृति के ज्ञान पर आ रहे अंतराल को भर देंगे।
  • गामा किरण बैंड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के बैंडों में से एक है जिस पर ब्लैजर की प्रवाह परिवर्तनशीलता पर सीमित जानकारी है। लेकिन इस बैंड की खोज किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यही वह ऊर्जा रेंज है जहां ब्लैजर से उच्च ऊर्जा उत्सर्जन शीर्ष पर रहता है।
  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के इस बैंड की खोज उच्च ऊर्जा उत्पादन तथा उच्च ऊर्जा उत्सर्जन प्रक्रियाओं को सीमित करने के लिए प्रमुख इनपुट प्रदान करता है। इस शोध कार्य के पीछे यही प्रमुख विचार है। ब्लैजर में उच्च ऊर्जा उत्सर्जन के कारण पर साहित्य में कई व्याख्याएं उपलब्ध हैं।
  • गामा किरण, एक्स रे, अल्ट्रा वायलेट, आप्टिकल एवं इंफ्रारेड बैंडों को कवर करने वाले लगभग समान प्रकार के आंकड़ों की उपलब्धता के साथ ब्लैजर में उच्च ऊर्जा उत्सर्जन पर वर्तमान धारणा को चुनौती दी जा रही है। ब्लैजरों के उच्च ऊर्जा उत्सर्जन का परीक्षण करने का एक तरीका विभिन्न प्रकार के गामा रे प्रवाह परिवर्तनशीलता अभिलक्षणों में समानताओं एवं विभिन्नताओं की खोज करना हो सकता है और यही इस शोध कार्य का आगे बढ़ाने का मूलभूत विचार है।
  • आईआईए शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस विशिष्ट अनुसंधान ने प्रवाह परिवर्तनशीलता की विपुलता और समय मान को अभिलक्षित किया है और फिर विभिन्न प्रकार के ब्लैजरों के बीच विपुलता और समय मान में समानता तथा अंतरों की खोज की। बड़ी संख्या में स्रोतों के लिए आंकड़ों की मात्रा में कमी की पूर्ति भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बंगलुरु की हाई-परफौर्मेंस कंप्यूटिंग फैसिलिटी के उपयोग द्वारा की गई है।

 

8. एआरआई के अनुसंधानकर्ताओं ने रोगाणुओं का कुशलतापूर्वक पता लगाने के लिए बग स्निफर किया विकसित

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान के आघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई), पुणे के अनुसंधानकर्ताओं ने बैक्टीरिया का तेजी से पता लगाने के लिए एक संवेदनशील और किफायती सेंसर विकसित किया है।

  • यह पोर्टेबल उपकरण केवल 30 मिनट में एक मिलीलीटर नमूना से केवल दस बैक्टीरिया कोशिकाओं का भी पता लगा सकने में सक्षम है। वर्तमान में, वे एक विधि पर काम कर रहे हैं  जिसमे इस्चेरिचिया कोलाई और साल्मोनेला टाइफिम्यूरियम को अलग करने और इनका पता लगाने का काम साथ-साथ किया जा सकेगा।
  • ध्यातव्य है कि रोगाणुओं का पता लगाने के लिए उपलब्ध पारंपरिक तकनीकें कम संवेदनशील हैं और कोशिकाओं की कम संख्या पता नहीं लगा सकती हैं। इसके अलावा पारंपरिक तारीके में समय तथा मेहनत अधिक लगती है।

बग स्निफर

  • प्रमुख अनुसंधानकर्ता डॉ धनंजय बोडास और एआरआई की उनकी टीम ने इसे ‘बग स्निफर’ कहा है, जो एक बायोसेंसर है। यह बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के लिए सिंथेटिक पेप्टाइड्स, चुंबकीय नैनोपार्टिकल्स और क्वांटम डॉट्स का उपयोग करता है।
  • यह एक किफायती है और कम समय में जल और खाद्य जनित रोगाणुओं की जांच का प्रभावी तरीका प्रदान करता है। अनुसंधानकर्ताओं ने तांबे के तारों और पॉली (डाइमिथाइलसिलोक्सेन) से बने माइक्रो चैनल से युक्त एक चिप भी विकसित किया है।
  • सबसे ज्यादा रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया इस्चेरिचिया कोलाई और साल्मोनेला टायफिम्यूरियम को अलग-अलग रूप से और साथ-साथ सिंथेटिक पेप्टाइड्स का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है, जो एक पहचान तत्व के रूप में कार्य करते हैं और पता लगाने की प्रक्रिया को विशिष्टता प्रदान करते हैं।
  • इन पेप्टाइड्स में, जो पता लगाए जाने वाले बैक्टीरिया के लिए अत्यधिक विशिष्ट हैं, बहुत कम विरोधी- प्रतिक्रिया होती है। यह जैव प्रौद्योगिकी जर्नल में प्रकाशित हुआ था। शुरू में, पेप्टाइड्स से जुड़े चुंबकीय नैनोकणों को बैक्टीरिया के साथ माइक्रोचैनल के माध्यम से प्रवाह करने की अनुमति दी गई थी।
  • बाहरी चुंबकीय क्षेत्र का अनुप्रयोग करने पर, पेप्टाइड से जुड़े बैक्टीरिया को पृथक किया गया। अंत में, क्वांटम डॉट्स के साथ टैग किए गए पेप्टाइड को जाँच पूरा करने के लिए माइक्रोचैनल्स के माध्यम से प्रबाहित किया गया। बैक्टीरिया को पकड़ने के बादक्वांटम-डॉट- से जुड़े पेप्टाइड्स के कारण माइक्रोचैनल्स ने मजबूत और स्थिर प्रतिदीप्ति का प्रदर्शन किया।.
  • बग स्निफर किफायती है, और इसे बनाने के लिए आवश्यक कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हैं। प्रमुख अनुसंधानकर्ता डॉ धनंजय बोडास ने कहा कि नैनोसेंसर और इसे विकसित करने के लिए किए गए शोध में तेजी से लैब-ऑन-ए-चिप निदान के लिए कई संभावनाएं खुलेंगी।

 

9. सरकार ने मौजूदा एफडीआई नीति में किया संशोधन

भारत सरकार ने वर्तमान कोविड-19 महामारी की वजह से भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण/नियंत्रण में लेने को रोकने के लिए मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति की समीक्षा की है।

  • भारत सरकार ने इसके साथ ही समग्र एफडीआई नीति, 2017 में निहित मौजूदा एफडीआई नीति में संशोधन किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने इस संबंध में प्रेस नोट जारी किया है। इन मामलों में वर्तमान स्थिति और संशोधित स्थिति निम्नानुसार होगी:

वर्तमान स्थिति

  • कोई भी अनिवासी निकाय या कंपनी एफडीआई नीति के अंतर्गत भारत में निवेश कर सकती है। अनिवासी निकाय द्वारा केवल उन सेक्टरों/गतिविधियों में निवेश करने की मनाही है जो प्रतिबंधित हैं।
  • हालांकि, बांग्लादेश का नागरिक या बांग्लादेश में गठित कोई भी कंपनी केवल सरकारी रूट के तहत ही यहां निवेश कर सकती है। उधर, पाकिस्तान का कोई नागरिक या पाकिस्तान में गठित कोई भी कंपनी केवल सरकारी रूट के तहत रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विदेशी निवेश के लिए प्रतिबंधित सेक्टरों/गतिविधियों के अलावा अन्य सेक्टरों/गतिविधियों में निवेश कर सकती है।

संशोधित स्थिति

  • कोई भी अनिवासी निकाय या कंपनी एफडीआई नीति के अंतर्गत भारत में निवेश कर सकती है। अनिवासी निकाय द्वारा केवल उन सेक्टरों/गतिविधियों में निवेश करने की मनाही है जो प्रतिबंधित हैं।
  • हालांकि एक ऐसे देश, जिसके साथ भारत की भूमि सीमा जुड़ी या मिली हुई है, का कोई भी निकाय अथवा कंपनी, या जहां भारत में किसी निवेश का लाभकारी मालिक अवस्थित है या इस तरह के किसी भी देश का नागरिक है, वह केवल सरकारी रूट के तहत ही यहां निवेश कर सकता है अतः यदि चीन की कंपनी भारत की कंपनी में निवेश करना चाहती है तो उसे सरकार की मंजूरी लेनी होगी पहले ऐसा केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए था।

क्यों किया है संशोधन?

  • सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

  • किसी एक देश की कंपनी/व्यक्ति का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट/एफडीआई) कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है। आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है।
  • एफडीआई आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है और यह देश के आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत है। देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से एफडीआई नीति की लगातार समीक्षा की जाती है। सरकार ने निवेशकों के अनुकूल एफडीआई नीति तैयार की है जिसके तहत अधिकतर क्षेत्रों/ गतिविधियों में स्वचालित मार्ग पर 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।
  • भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए हाल के दिनों में विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति के प्रावधानों को लगातार उदार बनाया गया है। इन क्षेत्रों में रक्षा, निर्माण एवं विकास, व्यापार, औषधि, बिजली विनिमय, बीमा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाएं, परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां, प्रसारण, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, कोयला खनन, डिजिटल मीडिया आदि शामिल हैं।
  • इन सुधारों ने हाल के दिनों में भारत में हुए एफडीआई निवेशक में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वर्ष 2014-15 में भारत में एफडीआई प्रवाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से इसमें लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में एफडीआई प्रवाह 55.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि वर्ष 2016-17 में 60.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2017-18 में 60.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई निवेश हुआ। पिछले वित्त वर्ष यानी 2018-19 में देश में एफडीआई प्रवाह 62.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़ा) दर्ज किया गया जो अब तक का सर्वाधिक है।
  • पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक एफडीआई के अंतरप्रवाह में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूएनसीटीएडी की वर्ल्ड इनवेस्टमेंट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, वर्ष 2018 में वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 13 प्रतिशत घटकर 1.3 ट्रिलियन रह गया जो इसकी लगातार तीसरी वार्षिक गिरावट है। वैश्विक तस्वीर साफ न होने के बावजूद भारत वैश्विक एफडीआई प्रवाह के लिए एक पसंदीदा और आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।

 

10. केंद्रीय संस्कृ्ति मंत्री (स्व्तंत्र प्रभार) ने नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की राष्ट्रीय सूची की जारी

केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह पटेल ने 18 अप्रैल को नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की राष्ट्रीय सूची जारी की है। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में पटेल ने कहा कि भारत में विलक्षण अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) परम्पराओं का खजाना विद्यमान है, जिनमें से 13 को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।

  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की राष्ट्रीय सूची का लक्ष्य भारत के विविध राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है। यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 का भी एक भाग है।
  • इस सूची में वर्तमान परम्पराओं को संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013 में निरूपित ”भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृंतिक परंपराओं का संरक्षण” योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं में से एकत्र किया गया है।
  • अब तक इस सूची में 100 से ज्यादा परम्पराओं को शामिल किया जा चुका है। इस सूची में वे 13 परम्पराएं भी शामिल हैं, जो यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में पहले ही अंकित हो चुकी हैं।
  • इस राष्ट्रीय सूची के संबंध में कार्य अभी जारी है और इसे संस्करण का मसौदा समझा जा सकता है। संस्कृति मंत्रालय नियमित रूप से इसे अद्यतन करने की दिशा में प्रयासरत है। इसलिए वह विविध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं से जुड़े विशेषज्ञों और हितधारकों से प्राप्त वर्तमान सामग्री के बारे में सुझाव/योगदान/संशोधन आमंत्रित करता है।
  • यह भी आशा की जाती है कि विशेषज्ञों और यूनेस्को जैसे अन्य हितधारकों के परामर्श से यह सूची भारत की आईसीएच इनवेंटरी को मजबूत करने में भी मदद कर सकती है, जो यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में किसी भी संभावित अभिलेख के लिए एक ‘अस्थायी सूची’ के रूप में कार्य करती है।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने संबंधी यूनेस्को के 2003 अभिसमय का अनुसरण करते हुए इस सूची को मोटे तौर पर पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत अभिव्यक्त होती है:
  • i)   अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के वाहक के तौर पर भाषा सहित मौखिक परंपराएं और अभिव्यक्तियां;
  • ii)  प्रदर्शन कलाएं;
  • iii) सामाजिक प्रथाएं, रीति-रिवाज और उत्सव घटनाक्रम;
  • iv) प्रकृति और विश्व से संबंधित ज्ञान तथा प्रथाएं;
  • v)  पारंपरिक शिल्पकारिता

यूनेस्को

  • यूनेस्को (UNESCO) ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization)’ का लघुरूप है।
  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है। इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन  नवम्बर 1946 को हुआ था।
  • इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बने।
  • यूनेस्को के 193 सदस्य देश हैं और 11 सहयोगी सदस्य देश हैं। इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में है। वर्तमान में यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल फ्रांस की ऑड्री एजुले हैं।
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