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Current Affairs: 17- 18 May 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 17- 18 May 2020

1. 2019-20 के लिए खाद्यान्न, तिलहन और अन्य वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन का अग्रिम अनुमान जारी

 

कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा 2019-20 के लिए मुख्य फसलों के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान 15 मई, 2020 को जारी कर दिए गए हैं। देश में मानसून मौसम (जून से सितंबर, 2019) के दौरान कुल वर्षा दीर्घावधि औसत (एलपीए) से 10 प्रतिशत अधिक रही है। इस अनुसार, कृषि वर्ष 2019-20 के लिए अधिकांश फसलों का उत्पादन उनके सामान्य उत्पादन से अधिक होने का अनुमान है।

  • 2019-20 के लिए तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 295.67 मिलियन टन अनुमानित है जो 2018-19 के दौरान प्राप्त 285.21 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 10.46 मिलियन टन अधिक है। तथापि, 2019-20 के दौरान उत्पादन विगत पांच वर्षों (2014-15 से 2018-19) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 25.89 मिलियन टन अधिक है।
  • 2019-20 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 33.50 मिलियन टन अनुमानित है जो 2018-19 के दौरान 31.52 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 1.98 मिलियन टन अधिक है। इसके अलावा, 2019-20 के दौरान तिलहनों का उत्पादन औसत तिलहन उत्पादन की तुलना में 4.10 मिलियन टन अधिक है।
  • कपास का उत्पादन रिकॉर्ड 36.05 मिलियन गांठें (प्रति 170 किग्रा की गांठे) अनुमानित हैं जो 2018-19 के दौरान 28.04 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 8.01 मिलियन गांठें अधिक है। पटसन एवं मेस्ता का उत्पादन 9.92 मिलियन गांठें (प्रति 180 किग्रा की गांठे) अनुमानित हैं।
  • 2019-20             के दौरान मुख्य फसलों के अनुमानित उत्पादन इस प्रकार है:

खाद्यान्न –  295.67 मिलियन टन

  • i)   चावल – 117.94 मिलियन टन
  • ii)  गेहूँ – 107.18 मिलियन टन
  • iii) पोषक / मोटे अनाज –  47.54 मिलियन टन
  • iv) मक्का – 28.98 मिलियन टन
  • v)  दलहन – 23.01 मिलियन टन
  • vi) तूर – 3.75 मिलियन टन
  • vii) चना – 10.90 मिलियन टन

तिलहन – 33.50 मिलियन टन

  • i)   सोयाबीन – 12.24 मिलियन टन
  • ii)  रेपसीड एवं सरसों – 8.70 मिलियन टन
  • iii) मूंगफली – 9.35 मिलियन टन

अन्य फसलें

  • i)   कपास – 36.05 मिलियन गांठे (170 किलोग्राम प्रति गांठे)
  • ii)  पटसन एवं मेस्टा – 9.92 मिलियन गांठे (180 किलोग्राम प्रति गांठे)
  • iii) गन्ना –  358.14 मिलियन टन

2. पश्चिम बंगाल में सिंचाई सेवाओं और बाढ़ प्रबंधन में सुधार के लिए एआईआईबी के साथ 145 मिलियन अमरीकी डॉलर का समझौता

भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने पश्चिम बंगाल के दामोदर घाटी कमान क्षेत्र (DVCA – Damodar Valley Command Area) में सिंचाई सेवाओं और बाढ़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए 145 मिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • परियोजना का कुल मूल्य 413.8 मिलियन डॉलर है, यह एआईआईबी (145 मिलियन डॉलर), आईबीआरडी (145 मिलियन डॉलर) और पश्चिम बंगाल सरकार (123.8 मिलियन डॉलर) के बीच सह-वित्तपोषित है।
  • एआईआईबी से मिले 145 मिलियन डॉलर के ऋण में 6 वर्ष की छूट अवधि और 24 साल की परिपक्वता अवधि शामिल है।

दामोदर घाटी कमान क्षेत्र (DVCA – Damodar Valley Command Area) परियोजना

  • दामोदर घाटी कमान क्षेत्र (डीवीसीए) 60 साल से अधिक पुराना है और इसके आधुनिकीकरण की आवश्यकता है। मुख्य चुनौतियों में सेवा वितरण की खराब गुणवत्ता,अक्षम सिंचाई और सतह के पानी के साथ नहर नेटवर्क के मध्य और अंतिम भागों में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने सहित बुनियादी ढांचे में गिरावट और अपर्याप्त सिंचाई प्रबंधन शामिल है।
  • अंतिम छोर में रहने वाले किसान भूजल निकालने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ती है और योजना की स्थिरता को कमजोर करता है। 2005 और 2017 के बीच, अर्ध-महत्वपूर्ण ब्लॉकों की संख्या पांच से बढ़कर 19 हो गई (कुल 41 ब्लॉकों में से)।
  • ऐतिहासिक दृष्टि से निचले दामोदर बेसिन क्षेत्र में बाढ़ आने का खतरा रहता है। हर वर्ष औसतन 33,500 हेक्टेयर फसल वाला क्षेत्र और 461,000 लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं।
  • परियोजना के नदी के बहाव वाले क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिए बुनियादी ढांचे का अभाव है। परियोजना बाढ़ को कम करने के उपायों में निवेश करेगी, जिसमें तटबंधों को मजबूत करना और डिसिल्टिंग शामिल है।
  • पश्चिम बंगाल की इस प्रमुख सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन परियोजना से पश्चिम बंगाल के 393,964 हेक्टेयर क्षेत्र के पांच जिलों में लगभग 2.7 मिलियन किसानों को बेहतर सिंचाई सेवाओं का लाभ मिलेगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हर साल आने वाली बाढ़ से बेहतर सुरक्षा मिल सकेगी।

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी)

  • एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक नतीजों में सुधार के लिये एक मिशन के रूप में कार्य करता है।
  • इसका मुख्यालय बीजिंग में है। इसने जनवरी 2016 में कार्य करना शुरू किया और वर्तमान में इसके 78 सदस्य हैं। वर्तमान में इसके अध्यक्ष जिन लिकुन हैं।
  • एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ऊर्जा और बिजली, परिवहन और दूरसंचार, ग्रामीण बुनियादी ढाँचा व कृषि विकास, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, शहरी विकास और प्रचालन में ठोस और टिकाऊ परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण प्रदान करता है।

3. भारत सरकार द्वारा डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (डीटीआईएस) को मंजूरी

 

घरेलू रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस क्षेत्र में अत्याधुनिक परीक्षण अवसंरचना का निर्माण करने के लिए 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (डीटीआईएस) को शुरू करने की मंजूरी प्रदान की है।

  • यह योजना पांच वर्षों की अवधि के लिए होगी और इसमें निजी उद्योगों की साझेदारी के साथ छह से आठ नई परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
  • इससे स्वदेशी रक्षा उत्पादन में मदद मिलेगी, जिसके फलस्वरूप सैन्य उपकरणों का आयात कम होगा और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।

कैसे कार्य करेगी ये परियोजना?

  • इस योजना के अंतर्गत, परियोजनाओं को ‘अनुदान-सहायता’ के रूप में 75 प्रतिशत तक धन सरकार के द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना की लागत का शेष 25 प्रतिशत विशेष प्रयोजन इकाई (एसपीवी) द्वारा वहन किया जाएगा, जिसकी घटक भारतीय निजी संस्थाएं और राज्य सरकारें होंगी।
  • इस योजना के अंतर्गत, विशेष प्रयोजन इकाई (एसपीवी) को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत किया जाएगा और वह उपयोगकर्ता शुल्क एकत्रित करके इस योजना के अंतर्गत सभी परिसंपत्तियों का स्व-धारणीय तरीके से संचालन और रखरखाव भी करेगा। परीक्षण किए गए उपकरणों/प्रणालियों को उपयुक्त मान्यता के अनुसार प्रमाणित किया जाएगा।
  • हालांकि, अधिकांश परीक्षण सुविधाओं को दो रक्षा औद्योगिक गलियारों (डीआईसी) में ही समाहित होने की उम्मीद है, लेकिन इस योजना को केवल डीआईसी में टेस्ट सुविधाएं स्थापित करने तक ही सीमित नहीं रखा गया है।

4. लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी एमके-IV ‘आईएनएलसीयू एल57’ के सातवें पोत की पोर्ट ब्लेयर में कमीशनिंग

लेफ्टिनेंट जनरल पी एस राजेश्वर, कमांडर-इन-चीफ अंडेमान एवं निकोबार कमान, ने 15 मई 2020 को पोर्ट ब्लेयर में आईएनएलसीयू एल57 को भारतीय नौसेना में सेवा के लिए शामिल किया है।

  • भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला आईएनएलसीयू एल57 लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (एलसीयू) एमके-IV श्रेणी का सातवां पोत है। आईएनएलसीयू एल57 को सेवा के लिए तैयार करना स्वदेशी डिज़ाइन और पोत निर्माण क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • इस श्रेणी का अंतिम पोत मैसर्स मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में निर्माण की उन्नत चरण में पहुँच चुका है और इस वर्ष के अंत में उसे शामिल किए जाने की उम्मीद है। इस प्रकार के पोत माननीय प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के अनुरूप,देश की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी जरूरतों को पूरा करेंगे।

एमके-IV ‘आईएनएलसीयू एल57’ पोत की विशेषताएं

  • एलसीयू एमके-IV पोत एक जल तथा स्थल पर चलने योग्य पोत है जिसे मुख्य बैटल टैंकों, बख्तरबंद वाहनों, सैन्य दस्तों और उपकरणों को पोत से तट पर ले जाने और तैनात करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इस पोत को मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा स्वदेशीय रूप से डिज़ाइन और निर्मित किया गया है।
  • इस पोत में 05 अधिकारी और 45 नौसैनिक तैनात किये गए हैं और इसके अलावा यह पोत 160 सैनिकों को ले जाने में भी सक्षम है।
  • यह पोत 830 टन विस्थापन के साथ विभिन्नप्रकार के युद्ध उपकरणों जैसे मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, टी72  और अन्य वाहनों को ले जाने में सक्षम है।
  • यह पोत अत्याधुनिक उपकरण और उन्नत प्रणालियों, जैसे इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम (आईबीएस) और इंटीग्रेटेड प्लैटफॉर्म मेनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस) से लैस है।
  • अंडेमान एवं निकोबार कमान में स्थित इन पोतों को तटीय अभियान, खोज व बचाव, आपदा राहत अभियान, आपूर्ति एवं भरण तथा दूरस्थ द्वीपों से निकासी जैसी विविध गतिविधियों के लिए तैनात किया जा सकता है।

5. विश्व व्यापार संगठन के अध्यक्ष रोबर्टो एज़ेवेडो ने पद से त्यागपत्र देने का किया फैसला

विश्व व्यापार संगठन के अध्यक्ष रोबर्टो एज़ेवेडो ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से एक साल पहले ही त्यागपत्र देने का फैसला किया है।

  • विश्व व्यापार संगठन शिष्टमंडलों की विशेष बैठक में उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत और पारिवारिक फैसला है। ट्रम्प ने विश्व व्यापार संगठन पर अमरीका के प्रति पक्षपात और अन्य शिकायतों का आरोप लगाया था।
  • उनका कार्यकल सात साल के लिये था लेकिन वह एक साल पहले ही अपना पद छोड़ रहे हैं। डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक ऐसे समय पद छोड़ रहे हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का उन पर खासा दबाव है।
  • ट्रंप का कहना है कि जिनेवा स्थिति व्यापार संगठन का अमेरिका को लेकर रुख पक्षपातपूर्ण है।

विश्व व्यापार संगठन

  • डब्ल्यूटीओ एक बहुपक्षीय संस्था है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार का नियमन करती है। इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 को हुई थी।  इस नये संगठन ने गैट (प्रशुल्क एवं व्यापार का सामान्य समझौता – General Agreement on Tariffs and Trade) का स्थान लिया था। एक अंतरिम समझौते के रूप में गैट 1 जनवरी, 1948 से लागू हुआ था।
  • 164 देशों ने इस संगठन की सदस्यता ग्रहण की है। भारत विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य है। 29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना था। आज विश्व का 98 फीसद व्यापार डब्ल्यूटीओ के दायरे में होता है। इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में है।
  • डब्ल्यूटीओ की कार्यप्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तुलना में अधिक लोकतांत्रिक है। संयुक्त राष्ट्र में जहां पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है, वहीं डब्ल्यूटीओ में किसी भी राष्ट्र को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। सबके मत बराबर हैं।
  • डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों की हर दो साल पर मंत्रिस्तरीय बैठक होती है जिसमें आम राय से फैसले होते हैं। अब तक 11 बैठकें हो चुकी हैं। अगली बैठक कजाखस्तान के अस्ताना में 2020 में प्रस्तावित है।

6. दियामेर-भाषा बांध के निर्माण पर भारत ने चीन से जताई आपत्ति

पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में निर्माण किये जाने वाले दियामेर-भाषा बांध के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी की उपस्थित पर भारत सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई है।

  • भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है, ”हमारा रुख अटल और स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के सभी क्षेत्र भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं और रहेंगे।” मंत्रालय ने कहा, ”हम, पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन दोनों के सामने अपना विरोध और साझा चिंताएं व्यक्त करते रहे हैं।”

क्या है मुद्दा?

  • हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सरकार ने सिन्धु नदी पर दियामेर-भाषा बांध के निर्माण के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी और पाकिस्तानी सेना की एक वाणिज्यिक इकाई के एक संयुक्त उपक्रम के साथ 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर के संयुक्त करार पर हस्ताक्षर किया है।
  • इस कंसोर्टियम में चीन की सरकारी कंपनी ‘चाइना पावर’ की 70 फीसद हिस्सेदारी जबकि पाकिस्तानी सेना की वाणिज्यिक इकाई ‘फ्रंटियर वर्क्स आर्गनाइजेशन’ की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
  • इसके तहत 272 मीटर ऊंचाई वाला आठ मीलियन एकड़ फुट (एमएएफ) जलाशय का निर्माण किया जाएगा जो कि दुनिया का सबसे ऊंचा रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) बांध होगा। इसमें एक स्पिलवे, 14 गेट और गाद को बाहर निकालने के लिए पांच आउटलेट होंगे।
  • डायवर्जन प्रणाली में दो सुरंगें और एक डायवर्जन नहर शामिल होगी। पुल का निर्माण बांध ढांचे के नीचे के प्रवाह की ओर होगा। वहीं 21 मेगावाट ऊर्जा संयंत्र की स्थापना निर्माण के दौरान परियोजना की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने के लिए की जायेगी।

क्या है चीन की प्रतिक्रिया?

  • चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने कहा कि ‘कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख अटल है। चीन और पाकिस्तान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए आर्थिक सहयोग कर रहे हैं।’

7. मधुमेह रोगियों में इंसुलिन के निरंतर वितरण के लिए इंजेक्शन देने लायक सिल्क फाइब्रोइन-आधारित हाइड्रोजेल विकसित

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में मधुमेह रोगियों में इंसुलिन वितरण के लिए इंजेक्शन देने लायक सिल्क फ़ाइब्रोइन-आधारित हाइड्रोजेल विकसित किया है।

  • प्रो टी गोविंदराजू और जेएनसीएएसआर की उनके अनुसंधान टीम ने जैव बायोकम्पेटिबल एडिटिव्स का उपयोग करके सिल्क फाइब्रोइन (एसएफ) सूत्र विकसित किया है और एक ऐसा इंजेक्शन एसएफ हाइड्रोजेल (injectable SF hydrogel- iSFH) तैयार किया है जो मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन वितरण को आसान बना सकता है।
  • इंजेक्शन एसएफ हाइड्रोजेल ने चूहों में सक्रिय इंसुलिन के वितरण का सफल प्रदर्शन किया है, और प्रदर्शन के परिणाम एसीएस एप्लाइड बायो मटेरियल पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
  • जेएनसीएएसआर वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि मधुमेह वाले चूहों में त्वचा के नीचे इंजेक्शन एसएफ हाइड्रोजेल (injectable SF hydrogel- iSFH) युक्त इंसुलिन के इंजेक्शन ने त्वचा के नीचे सक्रिय डिपो का गठन किया, जिसमें से इंसुलिन धीरे-धीरे बाहर निकलता है और 4 दिनों की लम्बी अवधि के लिए शारीरिक ग्लूकोज होमियोस्टेसिस को बहाल रखता है। इसमें रक्त में इंसुलिन की उच्च एकाग्रता के बढ़ने से रक्त शर्करा के अचानक कम होने का कोई जोखिम नहीं होता है।
  • टीम द्वारा उपयोग किए जाने वाले चिपचिपे  एडिटिव्स ने एसएफ प्रोटीन की गतिशीलता को सीमित कर दिया और तेजी से जेल में परिणत हुआ। माइक्रोस्ट्रक्चर यांत्रिक शक्ति प्रदान करते हैं। (इंजेक्शन को मदद करने के लिए) आईएसएफएच की  रंध्र युक्त आकृति ने डायबेटिक चूहों में अपने सक्रिय रूप में मानव पुनःसंयोजक इंसुलिन के एनकैप्सुलेशन (कैप्सूल बनना) में मदद की।
  • यह एक प्रभावी इंसुलिन वितरण उपकरण है। इसने मधुमेह जानवरों  में यांत्रिक शक्ति, जैव अनुकूलता , एनकैप्सुलेशन, भंडारण और सक्रिय इंसुलिन के अपने निरंतर वितरण का  प्रदर्शन किया है। आईएसएफएच द्वारा इंसुलिन के सक्रिय इनकैप्सुलेशन और डिलीवरी से भविष्य में मुंह से दिए जाने वाले इंसुलिन का भी विकास किया जा सकता है। जेएनसीएएसआर टीम को उम्मीद है कि दवा कंपनियां आगे आएंगी और इसे मानव उपयोग के लिए विकसित करेंगी।

क्या है वर्तमान प्रणाली?

  • उपचार के पारंपरिक और अंतिम उपाय के तहत  शारीरिक ग्लूकोज होमियोस्टेसिस को बनाए रखने के लिए बार-बार त्वचा के नीचे इंसुलिन इंजेक्शन देना शामिल है।
  • त्वचा के नीचे इंसुलिन इंजेक्शन दर्द, स्थानीय ऊतक क्षय, संक्रमण, तंत्रिका क्षति और स्थानीय रूप से केंद्रित इंसुलिन; शारीरिक रूप से ग्लूकोज होमियोस्टेसिस को प्राप्त करने में असमर्थता के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • नियंत्रित और निरंतर इंसुलिन वितरण से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। अपने सक्रिय रूप (गतिविधि की हानि के बिना) में इंसुलिन का एनकैप्सुलेशन और निरंतर वितरण सबसे महत्वपूर्ण है।

भारत में मधुमेह की स्थिति

  • भारत में मधुमेह से 70 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं, जो दुनिया में दूसरे स्थान पर है। यह शरीर के भीतर बीटा कोशिकाओं के नुकसान या इंसुलिन प्रतिरोध के कारण इंसुलिन के अपर्याप्त उत्पादन के परिणामस्वरूप होता है, जो ग्लूकोज होमियोस्टेसिस में असंतुलन पैदा करता है और रक्त शर्करा के स्तर में अचानक वृद्धि का कारण बनता है।

8. आईएनएई ने युवा उद्यमी पुरस्कार 2020 के लिए आमंत्रित किए नामांकन

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई), गुड़गांव ने आईएनएई युवा उद्यमी पुरस्कार 2020 के लिए उम्मीदवारों से नामांकन आमंत्रित किए हैं।

  • संस्थान ने आईएनएई से जुड़े लोगों को एक पत्र भेजा है जिसमें आईएनएई युवा उद्यमी पुरस्कार 2020 के लिए नामांकन भेजने को कहा गया है। इसके साथ ही 29 आईआईटी अनुसंधान केंद्रों के अलावा विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मदद से चलाए जा रहे 372 इनक्यूबेशन केंद्रों और स्टार्ट अप्स से भी नामांकन मंगाए गए हैं।

आईएनएई ने युवा उद्यमी पुरस्कार 2020

  • पुरस्कार के लिए चयनित व्यक्तिगत उम्मीदवार को एक प्रशस्ति-पत्र और ₹2 लाख की नकद राशि दी जाएगी। यह पुरस्कार राशि उम्मीदवारों में सम्मिलित रुप में भी साझा की जा सकती है जिसमें 3 से अधिक उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं।
  • साल में दो व्यक्ति को दिए जाने वाले इस पुरस्कार की शुरुआत युवा इंजीनियरों को नवाचार और उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित करने और उन्हें पहचान दिलाने के उद्देश्य से की गई है। इसके लिए इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उन नवाचारों और अवधारणाओं को वरीयता दी जाती है जो वास्तव में सिद्ध हुई हों और जो उद्योग की या तो नई प्रक्रियाओं या नए उत्पादों में क्रियान्वित की गई हों। इस पुरस्कार के विचारार्थ वही भारतीय नागरिक योग्य हैं जिनकी उम्र 1 जनवरी, 2020 को 45 वर्ष से अधिक न हो।
  • पुरस्कार के लिए नवाचार और उद्यमशीलता दोनों को एक साथ महत्वपूर्ण माना जाता है। शैक्षणिक / अनुसंधान संगठन या उद्योग के उन्हीं युवा अन्वेषकों को वरीयता दी जाती है जिनके नवीन इंजीनियरिंग / प्रौद्योगिकी सिद्धांत सफल स्टार्टअप उद्यम का रूप ले चुके हो

9. मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम बनेगा क्वारंटीन सेंटर

मुंबई में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच मुंबई क्रिकेट असोसिएशन ने यहां के प्रसिद्ध वानखेड़े स्टेडियम को क्वारंटीन फसिलिटी के रूप में तब्दील करने की योजना पर काम शुरू किया है।

  • बीएमसी की ओर से इस संबंध में एक पत्र मिलने के बाद एमसीए के अधिकारी अब स्टेडियम को क्वारंटीन सेंटर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले बीएमसी ने एमसीए को एक चिट्ठी लिखकर अस्थाई तौर पर वानखेड़े स्टेडियम के इस्तेमाल की इजाजत मांगी थी।
  • बीएमसी ने अपनी चिट्ठी में एमसीए से कहा है कि वह बीएमसी से इमर्जेंसी स्टाफ और कोरोना के पेशेंट्स की क्वारंटीन फसिलिटी बनाने के लिए वानखेड़े स्टेडियम का इस्तेमाल करना चाहती है। महाराष्ट्र से पहले कई अन्य राज्यों में भी स्टेडियमों में कोरोना पेशेंट्स के लिए क्वारंटीन फसिलिटी बनाई जा चुकी है।
  • मुंबई में 15 मई को कोरोना के 933 नए मामले सामने आए हैं। इसके अलावा मुंबई में 15 मई को 24 लोगों की कोरोना से मौत भी हुई है। अकेले मुंबई में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 17 हजार से अधिक हो गई है। पूरे राज्य में कुल 29,100 केस हो चुके हैं।

10. घर लौटे अमेरिका में फंसे ओलिंपियन अशोक दीवान

अमेरिका में फंसे रहते हुए स्वास्थ्य परेशानियों से लड़ने वाले भारत के पूर्व ओलिंपिक खिलाड़ी अशोक दीवान भारत सरकार द्वारा चलाये गए वन्दे भारत मिशन से स्वदेश वापस लौट आए हैं।

  • वह अब कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियम के मुताबिक 14 दिन तक क्वॉरंटीन में रहेंगे। दीवान ने भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा को भेजे मेसेज में लिखा, ‘मैं भारत आ चुका हूं और अब भारतीय सरकार द्वारा लागू किए गए क्वॉरंटीन के नियम का पालन कर रहा हूं।’
  • हॉकी विश्व कप 1975 की चैंपियन टीम के गोलकीपर दीवान कोविड-19 के चलते यात्रा पाबंदियों के कारण अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सैक्रामेंटो में फंस गए थे जहां से उन्हें 20 अप्रैल को वापस लौटना था।
  • दीवान 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में भी भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्हें हॉकी में योगदान के लिए 2002 में ध्यानचंद पुरस्कार से नवाजा गया था।

वन्दे भारत मिशन

  • भारत सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने का सबसे बड़ा अभियान वन्दे भारत मिशन 07 मई से शुरू किया था। इसके तहत, बारह देशों से चौदह हज़ार आठ सौ से अधिक भारतीयों को वापस लाया जा रहा है। इस दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए 64 उड़ानों का संचालन किया जाएगा।
  • इसकी तुलना 1990 के एयरलिफ्ट से की जा रही है। तीन दशक पहले के ऑपरेशन की बात करें तो एयर इंडिया ने एयरलाइनों के एक समूह का नेतृत्व किया था, जिसमें करीब 111,711 भारतीयों को वापस लाया गया था। इस काम में भारतीय वायुसेना शामिल थी। यह उस समय की बात है जब इराक ने 1990 में कुवैत पर हमला कर दिया था और वहां फंसे भारतीयों को वापस लाना पड़ा था। उस 59 दिन ऑपरेशन में 488 उड़ानें शामिल हुई थीं।
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