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सामयिकी: 16 मई 2020

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Table of Contents

Current Affairs: 16 May 2020

1. तटरक्षक बल के गश्ती पोत व दो अवरोधक नौकाओं का जलावतरण

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच नई दिल्ली में वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गोवा में भारतीय तटरक्षक बल के (आईसीजी) एक पोत और दो अवरोधक (इंटरसेप्टर) नौकाओं का जलावतरण किया है।

  • इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल की देश में निर्मित ‘सचेत’ पोत और सी-450 एवं सी-451 अवरोधक नौकाओं का वीडियो लिंक के माध्यम से गोवा में जलावतरण किया।
  • भारतीय समुद्री इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब डिजिटल माध्यम से तटरक्षक नौका का जलावतरण किया गया है। ऐसा कोविड-19 वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में सामाजिक दूरी के कड़े प्रोटोकॉल को बरकरार रखते हुए किया गया है।

सचेत’ पोत

  • पांच अपतटीय गश्ती नौकाओं की श्रृंखला के तहत पहले पोत ‘सचेत’ को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने देश में डिजाइन किया और बनाया है। यह अत्याधुनिक नौवहन एवं सम्प्रेषण उपकरणों, सेंसर एवं मशीनरी से लैस है।
  • 105 मीटर लंबे इस पोत का वजन करीब 2,350 टन है और इसमें 9,100 किलोवॉट के दो इंजन लगे हुए हैं। यह 26 नॉट की अधिकतम गति से चल सकता है।
  • यह पोत तलाश एवं बचाव अभियानों के लिए दोहरे इंजन वाले एक हेलीकॉप्टर, उच्च गति की चार नौकाओं और एक हवा से भरी जाने वाली नौका ले जाने में सक्षम है। यह समुद्र में तेल फैलने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सीमित उपकरण ले जाने में भी सक्षम है।

सी-450 एवं सी-451 अवरोधक नौकायें

  • देश में निर्मित सी-450 और सी-451 अवरोधक नौकाओं को गुजरात के हजीरा में एल एंड टी शिपयार्ड ने डिजाइन किया एवं बनाया है और इसमें अत्याधुनिक नौवहन एवं सम्प्रेषण उपकरण लगे हैं।
  • 30-30 मीटर लंबी ये नौकाएं 45 समुद्री मील की गति से चलने में सक्षम हैं। इन्हें उच्च गति से अवरोधन, तट के निकट गश्त एवं कम तीव्रता के समुद्री अभियानों के लिए तैयार किया गया है।

2. कोरोना संकट के बीच विश्व बैंक भारत को देगा एक अरब डॉलर का पैकेज

कोरोना संकट के बीच विश्व बैंक ने भारत को एक बड़ी राहत दी है। सरकार के कार्यक्रमों के लिए बैंक ने एक अरब डॉलर पैकेज की घोषणा की है। यह सामाजिक सुरक्षा पैकेज है।

  • इसके साथ ही विश्व बैंक की तरफ से भारत में आपातकालीन कोविड-19 प्रतिक्रिया के लिए दी गई राशि दो बिलियन डॉलर हो गई है। भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को समर्थन देने के लिए पिछले महीने एक बिलियन अमेरीकी डॉलर सहायता की घोषणा की गई थी।
  • विश्व बैंक द्वारा दी जाने वाली राशि का इस्तेमाल देश में कोरोना वायरस रोगियों की बेहतर जांच, कोविड-19 अस्पताल के उच्चीकरण और लैब को बनाने में किया जा सकता है। बैंक ने पहले ही 25 विकासशील देशों को पैकेज देने का प्रस्ताव दिया था।
  • इससे पहले कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने भारत को एक अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता राशि देने का एलान किया था।

विश्व बैंक

  • विश्व बैंक ब्रेटनवुड संस्था है जिसकी स्थापना 1944 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निमाण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है। विश्व बैंक समूह पांच अन्तरराष्ट्रीय संगठनों का एक ऐसा समूह है जो सदस्य देशों को वित्त और वित्तीय सलाह देता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन, डी॰ सी॰ में स्थित है।
  • विश्व बैंक के समूह निम्नलिखित पाँच अंतर्राष्ट्रीय संगठन हैं –
  • i)   पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD)
  • ii)  अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation-IFC)
  • iii) अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (International Development Association-IDA)
  • iv) निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Centre for Settlement of Investment Disputes-ICSID)
  • v)  बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency-MIGA)
  • वर्तमान में विश्व बैंक के अध्यक्ष अमेरिका के डेविड आर. मल्पास है जिन्होंने क्रिस्ट्लीना जीओर्जीवा का स्थान लिया है।

3. अर्जुन मुंडा ने ‘गोल’ कार्यक्रम की शुरुआत की

जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में एक वेबिनार में माध्यम से फेसबुक के साथ साझेदारी में जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) के कार्यक्रम ‘गोल’ (GOAL – Going Online as Leaders) का शुभारंभ किया है।

  • ‘गोल’ (GOAL – Going Online as Leaders) कार्यक्रम के मुख्य बिंदु
  • यह कार्यक्रम फेसबुक का है, जिसका उद्देश्य देश भर की जनजातीय युवा महिलाओं को डिजिटल रूप से प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करना है।
  • इस कार्यक्रम की शुरूआत फेसबुक ने फरवरी में 2019 से अक्टूबर 2019 तक 5 राज्यों में की थी जिसे उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली थी। ‘गोल’ के जरिए वंचित युवा जनजातीय महिलाओं को व्यापार, फैशन और कला क्षेत्रों के वरिष्ठ विशेषज्ञों से जोड़ा जाता है, ताकि वे डिजिटल और जीवन कौशल सीख सकें।
  • कार्यक्रम में जनजातीय कार्य मंत्रालय और फेसबुक भारत जनजातीय बहुल जिलों में 5,000 युवा महिलाओं को प्रशिक्षित करेंगे। कार्यक्रम के अगले चरण की इस साझेदारी के जरिए ‘गोल’ कार्यक्रम आर्थिक और सामाजिक रूप से सीमांत युवा महिलाओं का प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में मार्गदर्शन करेगा।
  • कार्यक्रम के तहत 2 मेंटर्स के लिए 1 मेंटर होगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के युवाओं को अपने गुरुओं के साथ अपनी आकांक्षाओं, सपनों और प्रतिभा को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में सक्षम बनाना है।
  • उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में कई युवा महिलाओं ने पंजीकरण कराया है। इनमें से अधिकतर महिलाएं अपने समुदायों की समस्याओं को उजागर करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं तथा इन सभी महिलाओं ने अपना स्वयं का कारोबार शुरू करने की इच्छा भी व्यक्त की है।
  • फेसबुक का कहना है कि वह महिलाओं की डिजिटल सेवाओं तक पहुंच बनाकर डिजिटल लैंगिक अंतराल को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह कार्यक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से युवा महिलाओं में नेतृत्व क्षमता बढ़ाने का काम किया जाता है।

4. ढाई करोड़ किसानों को दो लाख करोड रुपये का ऋण रियायती दर पर दिया जाएगा

 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड रुपये के आर्थिक पैकेज के सिलसिले में किसानो के ऋण के सम्बन्ध में घोषणा की है।

  • आर्थिक पैकेज के बारे में दूसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार ने नाबार्ड के जरिए किसानों के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की आपात क्रियाशील पूंजी कोष बनाने की भी घोषणा की है। यह किसानों के लिए पहले घोषित किए गए 90 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त होगा।
  • इसका उद्देश्य तीन करोड़ से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचाना है। वित्त मंत्री ने ढाई करोड़ किसानों को मजबूती देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए दो लाख करोड़ रुपए की रियायत देने की भी घोषणा की।
  • इस योजना में मछली पालकों और पशु पालको को भी शामिल किया जाएगा। इससे ढाई करोड़ लोगों को रियायती ब्याज दरों पर संस्थागत ऋण मिल सकेगा।
  • आर्थिक पैकेज का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सरकार की ओर से तत्काल उठाये गये कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तीन करोड छोटे किसानों को चार लाख करोड़ के कर्ज पर ब्याज के भुगतान में 31 मार्च तक की मोहलत दी गयी है।
  • इसके अलावा किसानों को फसली ऋणों के भुगतान में भी मोहलत दी गई है। जो किसान कर्जों की अदायगी करना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का भी उन्होंने ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 25 लाख नये किसान क्रेडिट कार्डों को मंजूरी दी गई है जिससे किसान 86 हजार छह सौ  करोड रुपये के 63 लाख ऋण प्राप्त कर सकेंगे।

5. बद्रीनाथ धाम के खुले कपाट

उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट 15 मई से खोल दिए गए हैं। इस मौके पर धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी व अन्य पूजा स्थलों से जुड़े 28 लोग ही शामिल हुए। कोरोना लॉकडाउन की वजह से इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कपाट खुलते वक्त धाम में श्रद्धालु मौजूद नहीं थे।

बद्रीनाथ मन्दिर

  • बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों,  में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं।
  • बद्रीनाथ भारत के सबसे लोकप्रिय तथा पवित्र मन्दिर माने जाने वाले चार धामों में से एक है; अन्य धाम रामेश्वरम, पुरी और द्वारका हैं।
  • विष्णु पुराण, महाभारत तथा स्कन्द पुराण जैसे कई प्राचीन ग्रन्थों में इस मन्दिर का उल्लेख मिलता है।  स्कन्दपुराण में बद्री क्षेत्र को “मुक्तिप्रदा” के नाम से उल्लेखित किया गया है।
  • जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है। यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है।
  • यद्यपि, यह मन्दिर उत्तर भारत में स्थित है, “रावल” कहे जाने वाले यहाँ के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते हैं।

6. कोरोना वायरस के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को हो सकता है 8,800 अरब डॉलर का नुकसान: एडीबी

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि ‘‘कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5,800 अरब से 8,800 अरब डॉलर तक नुकसान हो सकता है, जो वैश्विक जीडीपी के 6.4 प्रतिशत से 9.7 प्रतिशत के बराबर है।’’

  • एडीबी ने कोविड-19 के संभावित आर्थिक असर के दक्षिण एशिया पर पड़ने वाले प्रभावों में कहा है कि दक्षिण एशिया की जीडीपी में 3.9 प्रतिशत से छह प्रतिशत तक कमी आएगी। ऐसा बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान में सख्त प्रतिबंधों के चलते होगा।
  • मनीला स्थित इस बहुपक्षीय एजेंसी ने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक नुकसान 1,700 अरब डॉलर से 2,500 अरब डॉलर के बीच हो सकता है। वैश्विक उत्पादन में होने वाली कुल कमी में इस क्षेत्र की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
  • रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 1,100 अरब से 1,600 अरब डॉलर के बीच नुकसान हो सकता है।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी)

  • एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर 1966 को हुई थी। ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
  • इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब एडीबी के पास अब 68 सदस्य हैं जिनमें से 49 एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हैं तथा 19 सदस्य देश गैर-एशियाई देश हैं।
  • एशियाई विकास बैंक किसी सदस्य राष्ट्र-समूह को प्रत्यक्ष ऋण या तकनीकी सहायता प्रदान करता है। बैंक इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सदस्य राष्ट्रों को ऋण या तकनीकी सहायता देता है, जैसे- आर्थिक विकास को प्रेरित करना, सामान्य आर्थिक नीतियों और व्यापार में समन्वय स्थापित करना, गरीबी को कम करना, महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना, मानव विकास (जनसंख्या नियोजन सहित) को समर्थन देना और पर्यावरण संरक्षण।
  • एशियाई विकास बैंक में शेयरों का सबसे बड़ा अनुपात जापान का है वर्तमान में इसके अध्यक्ष जापान के मासत्सुगु असकावा हैं।

7. डॉ. हर्ष वर्धन ने कोबास-6800 (COBAS-6800) मशीन राष्ट्र को समर्पित की

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) का दौरा किया और कोबास-6800 (COBAS-6800) मशीन राष्ट्र को समर्पित की।

  • यह ऐसी पहली जांच मशीन है जिसे सरकार ने कोविड-19 के मामलों की जांच के लिए खरीदा है और इसे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में संस्थापित किया गया हे।
  • इसके संस्थापित होने से एनसीडीसी अब कोविड-19 के परीक्षण के लिए एक पूरी तरह आटोमेटेड तथा रियल टाइम पीसीआर निष्पादन के लिए हाई एंड मशीन कोबास-6800 (COBAS-6800) से सुसज्जित हो गया है।

कोबास-6800 (COBAS-6800)

  • कोबास-6800 (COBAS-6800) रोबोटिक्स इनेबल्ड एक अत्याधुनिक मशीन है जो संदूषण के अवसरों तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संक्रमण के जोखिम को न्यूनतम करता है क्यांकि इसे सीमित मानव अंतःक्षेपों के साथ दूर से प्रचालित किया जा सकता है।
  • चूंकि मशीन को जांच के लिए एक न्यूनतम बीएसएल2प्लस (BSL2+ ) नियंत्रण स्तर की आवश्यकता होती है, इसे किसी भी अन्य फैसिलिटी के साथ प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।
  • कोबास-6800 (COBAS-6800) वायरल हेपाटाइटिस बी एवं सी, एचआईवी, एमटीबी (रिफैमपिसिन एवं आइसोनियाजाइड रेसिस्टैंस), पैपिलोमा, सीएमवी, क्लैमाइडिया, नैसेरेईया आदि अन्य पैथोजेन का भी पता लगा सकता है।
  • कोबास-6800 (COBAS-6800) 24 घंटों में लगभग 1200 नमूनों के हाई थौरोपुट टेस्ट के साथ एक गुणवत्तापूर्ण, हाई वॉल्यूम परीक्षण उपलब्ध कराएगी। यह विचाराधीनता में कमी लाने के साथ जांच क्षमता में व्यापक वृद्धि करेगी।’

भारत की स्थिति

  • 14 मई, 2020 तक, देश में कुल 78,003 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 26,235 व्यक्ति स्वस्थ हो चुके हैं तथा 2,549 मौतें हो चुकी हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान, 3,722 नए पुष्ट मामले सामने आए हैं।

8. जेड-स्कैन तकनीक, पार्किंसंस रोग की गहरी जानकारी हासिल करने में करेगी मदद

 

हाल ही में, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद और सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान, कोलकाता के वैज्ञानिकों ने पार्किंसंस रोग से सम्बंधित अल्फा सिन्यूक्लिन (एएसवाईएनं- ASyn) मुद्दे का हल ढूढने के लिए हाथ मिलाया है।

  • आईआईटी (आईएसएम) टीम के प्रमुख डॉ उमाकांत त्रिपाठी, जो एक भौतिक विज्ञानी हैं, ने जेड-स्कैन तकनीक का उपयोग करते हुए इससे सम्बंधित बायोमैटिरियल्स के असमान व्यवहार का अध्ययन किया। दूसरी ओर, सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान के डॉ कृष्णानंद चट्टोपाध्याय एक बायोफिजिसिस्ट हैं, जो पार्किंसंस रोग में एएसवाईएन एकत्रीकरण और इसके प्रभाव को समझने के लिए काम कर रहे हैं।
  • टीम ने पाया कि जेड-स्कैन विधि वास्तव में एक तकनीक है जिसकी उन्हें तलाश थी। यह अल्फा सिन्यूक्लिन के एकत्रीकरण के शुरुआती और बाद के – दोनों चरणों की निगरानी में मदद कर सकती है। उन्होंने पाया कि प्रोटीन में अपने मोनोमेरिक स्थिति से फाइब्रिलर संरचना तक असमानता है।
  • उन्होंने तीन विशेष रूप से दिलचस्प तथ्य प्रस्तुत किये : पहला, प्रोटीन के अन्य अनुरूपों  की तुलना में फाइब्रिल्स के मामले में, असमानता (नॉनलाइनियरिटी) की ताकत अपेक्षाकृत अधिक मजबूत होती है, और दूसरा, एकत्रीकरण के विभिन्न चरणों में एक विशिष्ट असमानता (नॉनलाइनियरिटी) है, जिसे लक्षित किया जा सकता है। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण परिणाम, लगभग 24 घंटों में देर से बनाने वाले ओलिगोमर्स का निर्माण होता है जो असमानता (नॉनलिनेरिटी) के संकेत में बदलाव (स्विच) था।
  • टीम इस तथ्य को लेकर उत्साहित है, क्योंकि इन देर से बनने वाले ओलिगोमर्स को एएसआईएन की सबसे जहरीली प्रजाति माना जाता है और एक विधि – जो इन पर आसानी से नजर रखती है – वास्तव में दवा और नैदानिक अनुसंधान दोनों के लिए उपयोगी हो सकती है।

क्या है अल्फा सिन्यूक्लिन (एएसवाईएनं- ASyn)?

  • पार्किंसंस रोग एक सामान्य तंत्रिका तंत्र के लगातार कमजोर होने  (न्यूरोडीजेनेरेटिव) की बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। माना जाता है कि अल्फा सिन्यूक्लिन (एएसवाईएनं) नामक प्रोटीन का एकत्रीकरण, रोग की विकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पार्किंसंस रोग से पीड़ित रोगियों के मस्तिष्क के मध्य भाग, जिसे सब्सटेनटिया नाइग्रा भाग कहा जाता है में यह एकत्रीकरण अधिक होता है।

9. 38 नई मंडियां ई-एनएएम प्लेटफॉर्म से जुड़ी

38 और मंडियों को e-NAM मंच के साथ एकीकृत कर दिया गया है, इस प्रकार सरकार ने लक्ष्य के अनुसार 415 मंडियों के एकीकरण का मील का पत्थर हासिल कर लिया है। जोड़ी गईं 38 मंडियों में मध्य प्रदेश (19), तेलंगाना (10), महाराष्ट्र (4) और एक गुजरात (1), हरियाणा (1), पंजाब (1),  केरल (1) और जम्मू-कश्मीर (1) हैं।

  • चरण 1 में 585 मंडियों की समग्र सफलता के बाद चरण 2 में 415 नई मंडियों को एकीकृत किया गया है इस प्रकार अब ई-एनएएम प्लेटफॉर्म पर 18 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 1000 मंडियां हैं।
  • इससे पूर्व इसी सप्ताह में सरकार द्वारा 177 मंडियां जोड़ी गईं थीं जिसमें गुजरात (17), हरियाणा (26), जम्मू और कश्मीर (1), केरल (5), महाराष्ट्र (54), ओडिशा (15), पंजाब (17), राजस्थान (25), तमिलनाडु (13) और पश्चिम बंगाल (1) की मंडियां शामिल थीं और राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) में मंडियों की कुल संख्या 962 हो गई थी।

ई-नाम (eNAM)

  • ई- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (Electronic – National Agriculture Market) कृषि विपणन में एक अभिनव पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है और कीमत में सुधार के इरादे से व्यापार लेनदेन में पारदर्शिता लाता है, गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए “एक राष्ट्र-एक बाजार”  की अवधारणा को विकसित करता है।
  • केंद्र सरकार द्वारा 14 अप्रैल 2016 में ई-नाम (eNAM) नामक पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसके तहत किसान अपने नज़दीकी बाज़ार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद के लिये मूल्य चुका सकते हैं।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) भारत सरकार की एक अत्यंत महत्वाकांक्षी और सफल योजना है इससे क्रेता और विक्रेता के बीच सूचना की असमानता को समाप्त कर और वास्तविक मांग और आपूर्ति के आधार पर वास्तविक समय मूल्य खोज को बढ़ावा देकर एकीकृत बाजार में प्रक्रियाओं को सरल बनाकर कृषि विपणन में एकरूपता को बढ़ावा दिया जा सकता है
  • इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी होगी जिससे उचित मूल्यों का निर्धारण भलीभाँति किया जा सकता है तथा किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होगा।

10. बांग्लादेश के रोहिंग्या शिविर में कोविड-19 का पहला मामला

दक्षिणी बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बने भीड़-भाड़ वाले शिविरों में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। इन शिविरों में 10 लाख से अधिक शरणार्थी रहते हैं।

  • देश के शरणार्थी मामलों के आयुक्त महबूब आलम तालुकदार ने कहा कि रोहिंग्या समुदाय का एक व्यक्ति और कॉक्स बाजार जिले में रहने वाले एक अन्य व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई है जिसके बाद उन्हें पृथकवास में भेज दिया गया है।
  • इन शिविरों में प्लास्टिक शीट वाले तंबुओं में लगभग 40,000 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर (103,600 प्रति वर्ग मील) के जनसंख्या घनत्व के साथ रहते हैं। यह बांग्लादेश के औसत घनत्व से 40 गुना अधिक है जिससे शरणार्थियों में संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • प्रत्येक झोंपड़ी बमुश्किल 10 वर्ग मीटर (107 वर्ग फुट) की है और कई में 12-12 लोग एक साथ रहते हैं।

कौन हैं रोहिंग्या शरणार्थी?

  • बौद्ध बहुलता वाले म्यामांर में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को लंबे समय से बांग्लादेश का “बंगाली” माना जाता रहा है, जबकि उनके परिवार पीढ़ियों से इस देश में रह रहे हैं। इन्हें बौद्ध धर्म के लोगों ने हिंसात्मक गतिविधियों से खदेड़कर म्यांमार से बाहर कर दिया है।
  • म्यांमार रोहिंग्याओं को अपना नागरिक नहीं मानता है इन्हें न ही कोई सरकार पहचान पत्र प्रदान किया गया है और न ही इन्हें मतदान में भाग लेने का अधिकार दिया गया है। इनमें से लगभग सभी को 1982 से नागरिकता नहीं दी गई है। उनके पास कहने के लिए अपना कोई देश तो नहीं है, साथ ही उन्हें आवाजाही की स्वतंत्रता और अन्य मूलभूत अधिकार भी प्राप्त नहीं हैं।
  • म्यांमार में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले संगठन ARSA (अराकान रोहिंग्या सेल्वेशन आर्मी) ने भी रोहिंग्या तथा बौद्ध धर्म के लोगों के मध्य कड़वाहट को फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों से बौद्ध धर्म के लोगों केा शिकार बनाता था जिससे दोनों समुदायों में घृणा का प्रसार हुआ।
  • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने म्यांमार को 23 जनवरी 2020 के फैसले में आदेश दिया था कि वह रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार सभी कदम उठाए। न्यायालय के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने कहा था कि ”अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का विचार है कि म्यांमार में रोहिंग्या सबसे अधिक असुरक्षित हैं।”
  • पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया बड़े पैमाने पर आगज़नी, नरसंहार और दुष्कर्म के कारण लगभग सात लाख 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों के म्यांमा से पलायन कर बांग्लादेश पहुंचने का मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले गया था। सत्तावन सदस्यीय इस्लामिक सहयोग संगठन, कनाडा और नीदरलैंड्स ने गाम्बिया की पहल का समर्थन किया था।
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