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Current Affairs: 11 April 2020
1. दिल्ली में कोरोना के खिलाफ चलाया जा रहा है ‘ऑपरेशन शील्ड’
दिल्ली में 9 अप्रैल तक 720 मामले सामने आ चुके हैं इसी से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने 09 अप्रैल से ऑपरेशन शील्ड (Operation SHIELD) शुरू करने का ऐलान किया है। इसे राजधानी के 21 हॉटस्पॉट एरिया में शुरू किया जा रहा है।
- सीएम केजरीवाल के मुताबिक, इन इलाकों से न तो कोई बाहर जा सकेगा और न ही किसी की एंट्री होगी, अगर किसी को राशन आदि की दिक्कत होगी तो एक-दो दिन में सबको राशन पहुंच जाएगा। ऑपरेशन शील्ड को अंग्रेजी की मीनिंग (SHIELD) के अनुसार 6 भागों में बांटा गया है। जो इस प्रकार है –
SHIELD
- i) सील (Seal) – उन इलाकों को सील किया जाएगा जहां कोरोना संक्रमित लोग मिले हैं। उस क्षेत्र से न कोई बाहर जाएगा और न ही कोई अंदर आएगा।
- ii) होम क्वारंटीन (Home Quarantine) – सील किये गये इलाकों में लोगों को उनके घर में ही पृथक यानी होम क्वारंटाइन कर दिया जाएगा, इस क्षेत्र के लोग अपने घर से भी बाहर नहीं निकल सकेंगे।
- iii) आइसोलेशन (Isolation) – कोविड-19 के लक्षणों वालों को अलग कर उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जाएगा और उन्हें भी आइसोलेट किया जाएगा।
- iv) एसेंशियल सर्विसेज़ (Essential Supply) – सरकार आवश्यक वस्तुओं की घरों तक आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
- v) लोकल सैनिटाइजेशन (Local Sanitisation) – इसके बाद सरकार ऐसे इलाकों को संक्रमण मुक्त यानी सैनिटाइज करेगी जहां एक या दो पॉजिटिव मामले पाए गए हों।
- vi) Door to Door Health Check- आस पास के क्षेत्र में मेडिकल वर्कर्स घर-घर जाकर लोगों से मिलेंगे और उनकी जांच करेंगे कि क्या किसी को खांसी या कोविड-19 के अन्य लक्षण हैं।
2. भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण के लिये न्यायालय में याचिका
देश में कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगने तक देश में सारी स्वास्थ्य सुविधाओं और उनसे संबंधित इकाईयों का राष्ट्रीकरण करने के लिये उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है।
- याचिका में केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को सारी स्वास्थ्य सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण करने और सारी स्वास्थ्य सेवाओं, संस्थाओं, कंपनियों और उनसे संबद्ध इकाईयों को महामारी से संबंधित जांच और उपचार मुफ्त में करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
- इस याचिका में कहा गया है कि भारत में कम बजट के आबंटन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा ही खस्ताहाल रहा है लेकिन इसी दौरान निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का जबर्दस्त विकास हुआ है। याचिका के अनुसार कोविड-19 जैसी महामारी से निबटने के लिये भारत के पास पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ सुविधायें नहीं है और अंतत: भारत को इस मामले में निजी क्षेत्र की मदद लेने की आवश्यकता होगी।
किसने दायर की याचिका?
- यह याचिका एक स्थानीय अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि भारत में इस महामारी से निबटने के लिये जन स्वास्थ सेवाओं की समुचित व्यवस्था का अभाव है और दुनिया भर में कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगने तक स्वास्थ सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है।
क्या दावा किया गया है याचिका में?
- याचिका में दावा किया गया है कि वर्ष 2020-21 के बजट में भारत में सिर्फ 1.6 प्रतिशत अर्थात 67,489 करोड़ रूपए ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च करने का प्रावधान किया गया है जो दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर होने वाले औसत खर्च की तुलना में ही काफी कम नहीं है बल्कि कम आमदनी वाले देशों के खर्च की तुलना में भी न्यूनतम है।
दो दिन पहले क्या निर्णय था शीर्ष अदालत का?
- शीर्ष अदालत ने 08 अप्रैल को ही सभी निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 संक्रमण की जांच नि:शुल्क करने का निर्देश देते हुये टिप्पणी की थी कि राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में उन्हें उदार होने की जरूरत है। आईसीएमआर के एक परामर्श के तहत निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 की जांच के लिये 4,500 रूपए कीमत रखी थी।
3. मेक्सिको को छोड़कर शीर्ष तेल उत्पादक देश उत्पादन में कटौती पर सहमत: ओपेक
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने कहा कि मेक्सिको को छोड़कर प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने मई और जून में उत्पादन में प्रतिदिन एक करोड़ बैरल की कटौती करने पर सहमति व्यक्त की है। बयान आने से पूर्व ओपेक और अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने कीमतों में भारी गिरावट रोकने के लिए गहन वार्ता की थी।
- सऊदी अरब और रूस ने एक महीने से चल रहा प्राइस वॉर खत्म करते हुए अपना तेल उत्पादन घटाने की सहमति दी है। तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने 2 महीने के लिए तेल का उत्पादन 10% यानी रोज़ाना 1 करोड़ बैरल घटाने का फैसला किया है।
- इन देशों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूएस और दूसरे उत्पादक देश भी कोरोना वायरस के कारण कीमतों में आई भारी गिरावट को कम करने की दिशा में उनके साथ आएंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह कहा था कि रूस और सउदी अरब अपने-अपने रुख से पीछे हटने और उत्पादन में कटौती को लेकर तैयार होंगे।
- गौरतलब है कोरोना वायरस से प्रभावित कई देशों ने लॉकडाउन किया हुआ है। इस वजह से वाहनों के आवागमन पर रोक है और ईंधन की मांग में गिरावट आई है। तेल उत्पादक देश खपत की कमी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट को रोकने के लिए उत्पादन में कटौती करने पर सहमत हुए हैं।
ओपेक
- ओपेक एक अंतरसरकारी संगठन है, इसमें 14 तेल निर्यातक देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1960 में इराक के बगदाद में की गयी गयी थी। ओपेक का उद्देश्य पेट्रोलियम नीति पर सदस्य देशों के साथ समन्वय करना है तथा तेल बाज़ार की स्थिरता तथा पेट्रोलियम की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
- ओपेक देश विश्व के कुल 43% तेल का उत्पादन करते हैं, विश्व के तेल भंडार का 73% हिस्सा ओपेक देशों में स्थित है।
- इसके सदस्यों में ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब, अमीरात, अल्जीरिया, अंगोला, लीबिया, नाइजीरिया, भूमध्य गिनी, गाबोन, इक्वेडोर तथा वेनेजुएला हैं।
- ओपेक की स्थापना के पहले 5 वर्षों तक इसका मुख्यलय का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में था लेकिन इसे 1 सितंबर, 1965 को ऑस्ट्रिया के वियना में स्थानांतरित कर दिया गया था।
- 1 जनवरी 2019 से कतर ओपेक से बाहर हो गया है।
4. कोविड 19 से लड़ने के लिए प्राकृतिक तथा अल्कोहल मुक्त सैनिटाइजर
खाद्य, कृषि एवं जैव-प्रौद्योगिकी पर काम करने वाली और पुणे, महाराष्ट्र में स्थित कंपनी ग्रीन पिरामिड बायोटेक (जीपीबी) का वित पोषण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा लंबे समय तक चलने वाले जीवाणुरोधी एवं एंटी वायरल प्रभाव के साथ हाथों एवं सतहों के लिए प्राकृतिक, अल्कोहल मुक्त सैनिटाइजर के विनिर्माण के लिए किया जा रहा है।
निर्माण किये जा रहे सैनिटाइजर की विशेषताएं
- यह कोविड 19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में बेहद प्रभावी हो सकता है। चूंकि यह रोग छूत से फैलता है, इसलिए हाथों की सफाई तथा टेबलों, कंप्यूटर कुर्सियों, मोबाइल फोनों और तालों की सफाई इस प्रसार को सीमित करने के लिए बेहद अनिवार्य है।
- साबुन या अल्कोहल का उपयोग वायरस को कवर करने वाले वसा की बाहरी पतली परत को नष्ट कर सकता है लेकिन साबुन एवं पानी की त्वरित उपलब्धता एक चुनौती हो सकती है। अल्कोहल-जल मिश्रण के उपयोग की सुविधा और विनियमन भी कठिन है।
- ग्रीन पिरामिड बायोटेक, जिसका एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंडीग्रिऐट (एपीआई) एक बायो-सरफैक्टैंट है जो बैक्टरिया एवं वायरस के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है, यह संक्रमण को जोखिम को काफी कम कर देता है। इसका रोगजनक बैक्टरिया, कवक और खमीर के एक व्यापक श्रृंखला समूह के विरुद्ध परीक्षण किया गया है।
- यह फार्मुलेशन हाथों एवं सतहों को साफ करने का एक सुविधाजनक और प्रभावी रास्ता प्रदान कर सकता है और यह पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल, प्राकृतिक एवं अल्कोहल मुक्त है। सैनिटाइजेशन के अतिरिक्त, एपीआई में फाइब्रोब्लास्ट एक्टिविटी की सहायता करने का विशिष्ट गुण है।
- इसका उपयोग घावों को साफ करने में किया जा सकता है और यह सूखापन और त्वचा की जलन रोकता है। इसके अतिरिक्त, यह उत्पाद जिसकी प्रौद्योगिकी अवधारणा और अनुप्रयोग का निर्माण किया गया है, त्वचा के लिए हानिरहित है।
- चूंकि त्वचा को डिस्इंफेक्ट करने के -साबुन और पानी, अल्कोहल आधारित फार्मूलेशन, मीडिया सन्निहित नैनोपार्टिकल आदि कई तरीके हैं। उपलब्धता, संदर्भ एवं परिस्थितियों के अनुसार, इनमें से प्रत्येक की अपनी ताकत और उपयोग है। बायो-सरफैक्टैंट आधारित डिस्इंफेक्टिंग सॅाल्यूशंस बायोडिग्रेडेबल, पर्यावरण के अनुकूल और त्वचा पर सरल है।
ग्रीन पिरामिड बायोटेक
- ग्रीन पिरामिड बायोटेक (जीपीबी) एक पुणे स्थित कंपनी है जो एक उत्कृष्ट अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर-नेशनल कैमिकल लैबोरेट्ररी (पुणे) की स्पिनआफ है और इसका वित्तपोषण सपोर्ट सिस्टम आफ द टेक्नोलाजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी), डीएसटी द्वारा वित्तपोषित है तथा एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट सेंटर (वेंचर सेंटर), पुणे द्वारा इंक्यूबेट की गई है। माइक्रोबायोलाजी में पीएचडी डा. अस्मित प्रभुन इसके संस्थापक एवं निदेशक हैं।
5. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एडीबी भारत को देगा 2.2 अरब डॉलर
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अध्यक्ष मासत्सुगु असकावा ने कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में भारत की मदद के लिए 2.2 अरब अमरीकी डालर (लगभग 16,500 करोड़ रुपये) की मदद का भरोसा दिया है।
- असकावा ने महामारी की रोकथाम के लिए भारत सरकार के उपायों की सराहना की है। इन उपायों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकालीन कार्यक्रम, उद्योगजगत को कर और अन्य राहत तथा 26 मार्च को घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक राहत पैकेज शामिल है।
- सरकार ने तीन सप्ताह के देशव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित गरीबों, महिलाओं और श्रमिकों को तत्काल नकद और राशन जैसी सहायता मुहैया कराने के लिए गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की है।
- उन्होंने कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर भारत के लिए एडीबी की सहायता को और बढ़ाया जाएगा। हम भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने पास उपलब्ध सभी वित्त पोषण विकल्पों पर विचार करेंगे, जिसमें आपातकालीन सहायता, नीति आधारित ऋण और बजटीय समर्थन शामिल हैं।’’
एशियाई विकास बैंक (एडीबी)
- एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर 1966 को हुई थी। ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है। इसका उद्देश्य एशिया में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब एडीबी के पास अब 68 सदस्य हैं जिनमें से 49 एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हैं तथा 19 सदस्य देश गैर-एशियाई देश हैं।
- एशियाई विकास बैंक किसी सदस्य राष्ट्र-समूह को प्रत्यक्ष ऋण या तकनीकी सहायता प्रदान करता है। बैंक इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सदस्य राष्ट्रों को ऋण या तकनीकी सहायता देता है, जैसे- आर्थिक विकास को प्रेरित करना, सामान्य आर्थिक नीतियों और व्यापार में समन्वय स्थापित करना, गरीबी को कम करना, महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना, मानव विकास (जनसंख्या नियोजन सहित) को समर्थन देना और पर्यावरण संरक्षण।
- एशियाई विकास बैंक में शेयरों का सबसे बड़ा अनुपात जापान का है वर्तमान में इसके अध्यक्ष जापान के मासत्सुगु असकावा हैं।
6. अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति: फोर्ब्स
फोर्ब्स ने साल 2020 में 2095 दुनिया के अरबपतियों की सूची जारी की है। 113 अरब डॉलर संपत्ति के साथ लगातार तीसरे साल अमेजन के फाउंडर जेफ बेजॉस दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं। दूसरे नंबर पर माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स हैं तो एलवीएमएच के सीईओ और चेयरमैन बेरनार्ड अरनॉल्ट वॉरेन बफेट को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। फोर्ब्स के द्वारा 34 वीं सालाना लिस्ट में यह जानकारी सामने आई है।
- वहीं, इस लिस्ट में चौथे स्थान पर 67.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ वॉरेन बफे आए हैं। फोर्ब्स की इस लिस्ट में Oracle के फाउंडर और CTO लैरी एलिसन 59 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ पांचवें स्थान पर आए हैं।
भारत में अरबपतियों की स्थिति
- दुनिया के 2095 अरबपतियों में भारत के 102 उद्योगपति शामिल हैं, जिनमें राधाकिशन दमानी, शिव नाडर, गौतम अडाणी से लेकर पतंजलि के सीईओ आर्चाय बालकृष्ण तक शामिल हैं। बालकृष्ण इस सूची में 1851वें नंबर पर हैं। उनकी संपत्ति 1.1 अरब डॉलर (83.49 अरब रुपये) है। पिछले साल 4.9 अरब डॉलर के साथ वह 365वें नंबर पर थे।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी अब दुनिया के 21वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनका नेटवर्थ 36.8 अरब डॉलर (2794 अरब रुपये) बताया गया है। मुकेश अंबानी की कंपनी आरआईएल भारत की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है। 2019 में मुकेश अंबानी 13वें नंबर पर थे और उनकी संपत्ति 50 अरब डॉलर (3796 अरब रुपये) थी।
- इस लिस्ट के मुताबिक अलीबाबा के फाउंडर जैक मा एशिया के सबसे बड़े अमीर है। उनकी संपत्ति 38.8 अरब डॉलर (2946 अरब रुपये) है।
- इस सूची में अन्य भारतीयों की बात करें तो 78वें नंबर पर हैं मुंबई के बड़े निवेशक राधाकिशन दमानी, जिन्हें भारत का रिटेल किंग भी कहा जाता है। सुपरमार्केट चेन डीमार्ट के मालिक की संपत्ति 13.8 अरब डॉलर है। दमानी ने 2002 में मुंबई में एक स्टोर से कारोबार की शुरुआत की थी।
- 91वें नंबर पर हिंदुजा ब्रदर्स हैं, जनका नेटवर्थ 12.9 अरब डॉलर है। श्रीचंद और गोपीचंद लंदन में रहते हैं और प्रकाश मोनेको में, जबकि अशोक मुंबई में रहकर भारत का कारोबार देखते हैं।
- 103 वें नंबर पर एचसीएल टेक्नॉलजीज के फाउंडर शिव नाडर हैं, उनकी संपत्ति 11.9 अरब डॉलर है। वह भारत के सबसे बड़े दानवीरों में से एक हैं। वह 66.2 करोड़ डॉलर शिव नाडर फाउंडेशन को दान कर चुके हैं। अमीरों की इस सूची में कोटक बैंक के मालिक उदय कोटक 129 वें स्थान पर हैं। उनकी संपत्ति 10.4 अरब डॉलर है। उनका बैंक भारत के बड़े निजी बैंकों में से एक है।
- टेलीकॉम सेक्टर के दिग्गज और भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल 8.8 अरब डॉलर संपत्ति के साथ दुनिया में 157वें स्थान पर हैं। उनकी टेलीकॉम कंपनी के पास 41.8 करोड़ यूजर्स हैं। सायरस पूनावाला 165वें, गौतम अडानी 155वें, स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल 196वें स्थान पर हैं।
7. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को तीन महीने तक मिलेगा फ्री गैस सिलेंडर
प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों को कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान चल रहे लॉकडाउन में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को मुफ्त गैस सिलेंडर के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इन सभी लाभार्थियों के खातों में पैसा भेज दिया गया है।
- उज्ज्वला नि:शुल्क एलपीजी गैस सिलिंडर योजना में अब लाभार्थी को गैस की कीमत दी जाएगी। उसके खाते में गैस का पैसा भेजा जाएगा। यह योजना 30 जून तक 14.2 किलोग्राम सिलेंडर पर लागू रहेगी। जिन खाता धारकों के एकाउंट में पैसा पहुंचा है वो गैस का सिलेंडर बुक करा रहे है और उनके घर तक गैस पहुंचाई जा रही है।
- गैस का दूसरा सिलेंडर 15 दिन बाद बुक करा सकते है। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लॉकडाउन से लोगों को सुविधा देने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने उज्ज्वला गैस लाभार्थियों को तीन माह तक मुफ्त में गैस सिलेंडर मुहैया कराने का फैसला लिया है।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
- “स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन” के नारे के साथ केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व में एक सामाजिक कल्याण योजना – “प्रधानमंत्री उज्जवला योजना” की शुरूआत उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से की थी। इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलते हैं।
- योजना से एलपीजी के उपयोग में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य संबंधी विकार, वायु प्रदूषण एवं वनों की कटाई को कम करने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत लाभार्थी को मुफ्त कनेक्शन के लिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को 1600 रुपए की सब्सिडी देती है।
- यह योजना एक धुँआरहित ग्रामीण भारत की परिकल्पना करती है और वर्ष 2019 तक 5 करोड़ परिवारों, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को रियायती एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था जिसे समय से पहले पा लिया गया है।
- पहले लक्ष्य पाने के बाद सरकार ने इसे बढाकर आठ करोड़ कर दिया था सरकार ने 2020 तक आठ करोड़ का लक्ष्य रखा था। फिर प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना का लक्ष्य आठ करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ कर दिया गया, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के पास आठ करोड़ से अधिक पात्र लाभार्थी गैस कनेक्शन के लिए आवेदन कर चुके हैं।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना (पीएमयूवाई) में ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए केंद्र ने कई बार पात्रता का दायरा बढाया है। शुरुआत में 2011 की जनगणना के मुताबिक बीपीएल परिवारों को इस योजना में शामिल किया गया था। फिर एससी एसटी परिवार, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी, अंत्योदय अन्न योजना व अति पिछड़ा वर्ग को भी पात्रता की श्रेत्री में शामिल किया गया है।
8. केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 आपातस्थिति से निपटने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये मंजूर
केन्द्र ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने और स्वास्थ्य तैयारियों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मंजूदी दी है। इसमें से 7774 करोड़ रुपये महामारी से उत्पन्न आकस्मिक स्थिति से तुरंत निपटने के लिए उपयोग किये जायेंगे जबकि शेष राशि मिशन मोड के तहत एक से चार वर्ष के लिए उपयोग की जायेगी।
- इस पैकेज का मुख्य उद्देश्य देश में जांच प्रणाली के विकास, समर्पित उपचार केन्द्रों की स्थापना, संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की केन्द्रीकृत खरीद के जरिए कोविड-19 के फैलाव को सीमित करना है। पैकेज का उद्देश्य भविष्य में महामारी के प्रकोप से बचाव और तैयारियों में सहायता के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत और अनुकूल बनाना भी है।
- इसके तहत प्रयोगशालाओं की स्थापना, निगरानी गतिविधियों को प्रोत्साहन, जैव सुरक्षा तैयारी, महामारी के बारे में शोध और जोखिम संचार गतिविधियों पर ध्यान दिया जायेगा। इन हस्तक्षेपों और प्रयासों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत लागू किया जायेगा।
- अब कुल 223 प्रयोगशालाओं में कोविड-19 की जांच की जा रही है। इनमें से 157 सरकारी और 66 निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाएं हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 से उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को 4113 करोड़ रुपये वितरित किये हैं।
प्रष्ठभूमि
- इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्र को सम्बोधन में कहा था कि केन्द्र सरकार ने कोरोना वायरस रोगियों के उपचार और देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को मजूबत करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का प्रवाधान किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय मुख्य रणनीतियों के रूप में महामारी को फैलने से रोकने और उस पर नियंत्रण के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
9. कोविड-19 रोगियों की जांच के लिए कीटाणुरहित अवरोधक जांच बूथ विकसित
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) ने कोविड-19 रोगियों की जांच के लिए एक कीटाणुरहित अवरोध जांच बूथ (डिसइन्फेक्टेड बैरियर-एग्ज़ामिनेशन बूथ) को डिजाइन और विकसित किया है।
- विदित है कि एक अत्यधिक संक्रामक वायरस के वाहक के साथ बातचीत करते समय डॉक्टरों और अग्रिम पंक्ति के चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा के उच्चतम मानक प्रदान करना स्पष्ट रूप से सरकार की एक एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। ऐसे में चिकित्सक के सुझाव के साथ बहुत सोच विचार करके डिज़ाइन किया गया ये सुरक्षात्मक बूथ इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
कीटाणुरहित अवरोधक जांच बूथ की विशेषताएं
- ये अभिनव कीटाणुरहित जांच बूथ किसी टेलीफोन बूथ की तरह बंद होता है जिससे डॉक्टर बिना रोगी के सीधे संपर्क में आए जांच कर सकते हैं ताकि उस संक्रमण का प्रसार न हो। ये बूथ एक लैंप, टेबल फैन, रैक और अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट से सुसज्जित है।
- मरीज को बूथ के अन्दर जाना होता है इस बूथ में लगी यूवी लाइट प्रत्येक रोगी के जाने के बाद इस कक्ष को कीटाणुरहित करती है। इसमें लगाई गई यूवी लाइट की 15 वाट की रेटिंग के साथ 254 एनएम की वेवलेंथ होती है जो दायरे में आने के 3 मिनट के भीतर ही प्रभावी रूप से अधिकांश वायरल लोड को हटा देती है।
- इस जांच बूथ में दस्ताने की एक जोड़ी भी प्रदान की गई है जो रोगी की शारीरिक जांच की अनुमति देती है। इसके साथ साथ, चेंबर के भीतर स्टेथोस्कोप पास करने के लिए किनारे के फ्रेम में एक प्रवेश सुरंग दी गई है। यह सुविधा डॉक्टर को मरीज पर स्टेथोस्कोप लगाने और दिल और सांस की आवाज़ सुनने में मदद करेगी।
- इस जांच के बाद रोगी से कक्ष खाली करने का अनुरोध किया जाता है और 3 मिनट के लिए यूवी लाइट चालू की जाती है। जब कक्ष में यूवी एक्सपोज़र पूरा हो जाता है, तो अगले रोगी की जांच की जाती है और ये क्रम दोहराया जाता है। इस जांच बूथ की लंबाई 210 सेमी, व्यास 150 सेमी और चौड़ाई 120 सेमी है जो कि रोगी के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता है।
10. रासायनिक हथियार निषेध संगठन ने रासायनिक हथियारों के हमलों के लिए सीरिया को दोषी ठहराया
रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW – Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) ने पहली बार स्पष्ट रूप से जहरीली गैसों के हमलों के लिए सीरिया को दोषी ठहराया है, अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा है कि राष्ट्रपति बशर अल-असद की वायु सेना ने 2017 में तीन बार नर्व गैस सरीन और क्लोरीन का इस्तेमाल किया था।
- रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) द्वारा गठित एक नई खोजी टीम से पहली रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आए हैं। यह खोज सीरिया में नौ साल से चल रहे गृहयुद्ध में हमलों के अपराधियों की पहचान करने को लेकर थी।
- जांच में पाया गया है कि मार्च 2017 में, सीरियाई लड़ाकू जेट विमानों ने लटमिनाह के उत्तरी गांव में सरीन गैस से हमला किया था और एक सैन्य हेलीकॉप्टर ने उसी गांव पर क्लोरीन से भरा बैरल बम गिराया था।
सरीन और क्लोरीन
- नर्व गैस एक तरह का रासायनिक हथियार होता है। इसके संपर्क में आने से लोगों का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है। सरीन और क्लोरीन दोनों नर्व गैसें हैं।
i) सरीन – जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा 1938 में सारिन नामक रासायनिक हथियार को तैयार किया गया था। इसे हानिकारक कीटों को मारने के लिये एक कीटनाशक के रूप में तैयार किया गया था। परंतु वर्तमान समय में यह एक सबसे खतरनाक नर्व गैस मानी जाती है। तरल रूप में यह गंधहीन और रंगहीन होती है। वाष्पशील होने के कारण यह आसानी से गैस में परिवर्तित हो जाती है।
ii) क्लोरीन – आमतौर पर क्लोरीन का इस्तेमाल सफाई, कीटनाशक और रबर निर्माण अथवा पानी को साफ करने के लिये किया जाता है। परंतु यदि क्लोरीन को अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
रासायनिक हथियार निषेध संगठन
- रासायनिक हथियार निषेध संगठन अर्थात ऑगनाइज़ेशन फ़ॉर प्रोहिबिशन ऑफ़ केमिकल वेपंस संयुक्त राष्ट्र संघ समर्थित एक संस्था है जो दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिए काम करती है।
- रासायनिक हथियार निषेध संगठन29 अप्रैल, 1997 को अस्तित्व में आया तथा इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है। यह संस्था दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिये काम करती है। यह रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल, उत्पादन एवं भंडारण क निषेध करती है।
- यह संस्था दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिये काम करती है। यह रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल, उत्पादन एवं भंडारण क निषेध करती है। इस संगठन में 193 हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं। 1993 में भारत इस संस्था का हस्ताक्षरकर्त्ता बना था।
- रासायनिक हथियारों के प्रयोग को रोकने हेतु किये जाने वाले गंभीर प्रयासों के मद्देनज़र नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने 2013 का शांति पुरस्कार इस संस्था को दिया था।