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Current Affairs: 05 May 2020
1. 03 मई को मनाया गया विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस
दुनियाभर में 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिवस ईमानदारी के साथ वास्तविक समाचार के प्रचार-प्रसार के लिए जीवन का बलिदान देने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है।
- कोविड-19 महामारी के कारण इस वर्ष विश्व स्वतंत्रता दिवस का विषय है- “भय या पक्षपात मुक्त पत्रकारिता” है।
- यूनेस्को की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से प्रत्येक वर्ष तीन मई को विंडहॉक घोषणा की वर्षगांठ पर यह दिवस मनाया जाता है।
‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर’ की रिपोर्ट एक नजर में
- प्रेस स्वतंत्रता के मुद्दे पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर’ (आरएसएफ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व प्रेस स्वतंत्रता इंडेक्स में भारत 142वें स्थान पर खिसक गया है। 2020 की यह वर्तमान भारतीय रैंकिंग पिछले साल से भी दो स्थान नीचे है।
- अपनी रिपोर्ट में भारत पर टिप्पणी लिखते हुए आरएसएफ ने कहा कि पत्रकारों के ख़िलाफ़ लगातार दर्ज हो रहे क़ानूनी मामले भारत की गिरती रैंकिंग की एक बड़ी वजह है।
- फ्रांसिसी निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के अनुसार विश्वभर में वर्ष 2019 में 49 पत्रकारों की हत्या की गई है, यह आंकड़ा पिछले 16 वर्ष में सबसे कम है लेकिन लोकतांत्रिक देशों में पत्रकारों की हत्या की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं।
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या आरएसएफ’ ने बताया कि इनमें से अधिकतर पत्रकार यमन, सीरिया और अफगानिस्तान में संघर्ष की रिपोर्टिंग के दौरान मारे गए जो दिखाता है कि पत्रकारिता एक खतरनाक पेशा बना हुआ है। संगठन ने कहा कि पिछले दो दशक में औसतन हर साल 80 पत्रकारों की जान गई है।
- ‘आरएसएफ’ के अनुसार भले ही पत्रकारों की जान कम जा रही है लेकिन अधिकतर पत्रकार सलाखों के पीछे हैं। 2019 में करीब 389 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया, जो कि पिछले साल की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है। इनमें से आधे, चीन, मिस्र और सऊदी अरब में कैद हैं। ‘आरएसएफ’ के अनुसार विश्वभर में 57 पत्रकारों को बंदी भी बना कर रखा हुआ है। इनमें से अधिकतर सीरिया, यमन, इराक और यूक्रेन में बंदी बनाए गए हैं।
- सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी, भारतीय पत्रकार गौरी लंकेश और उत्तरी आयरलैंड की पत्रकार लायरा मक्की की हत्याओं ने एक बार फिर प्रेस की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
- रिपोर्टर विदाउट बॉर्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी और गैर-सरकारी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है। इस संगठन का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है।
2. चाक हाओ नामक सुगंधित चावल, भूगौलिक संकेत के रूप में पंजीकृत
मणिपुर में उगाए जाने वाले चाक हाओ नामक सुगंधित चावल को जीआई अर्थात भूगौलिक संकेत के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसे ब्लैक राइस भी कहा जाता है।
- वाण्जिय और उद्योग मंत्रालय की भूगौलिक संकेतक रजिस्टरी ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की है कि मणिपुर का चाक हाओ चावल 364 नम्बर पर जी आई प्रमाण पत्र के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है।
- राज्य के किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने और इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों से अधिकांश लोगों को लाभ प्रदान कराने के मकसद से मणिपुर सरकार को भारत के अन्य राज्यों से करीब एक वर्ष तक प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी है।
क्या है भौगोलिक संकेतन? GI Tag
- भारत में भौगोलिक संकेतन वस्तुओं के भौगोलिक संकेत अधिनियम 1999 (पंजीकरण और सुरक्षा) के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। यह एक ऐसा संकेत है जो वस्तुओं की पहचान सुनिश्चित करता है यह पहचान कृषि उत्पाद, विनिर्मित उत्पाद तथा प्राकृतिक वस्तुओं को उनके विशेष क्षेत्र (राज्य/देश) में उत्पन्न होने के कारण प्रदान की जाती है।
- शिल्पकार दरअसल भारतीय हस्तशिल्प सेक्टर की रीढ़ हैं और उनमें विशेष कौशल, तकनीकी एवं पारंपरिक शिल्पकला अंतर्निहित है।
- भौगोलिक संकेतक सामान्यत: 10 वर्ष के लिए दिया जाता है 10 साल के बाद इसका नवीनीकरण कराना होता है।
क्या होता है भौगोलिक संकेतन का फायदा?
- इससे उत्पाद की विश्वसनीयता में बढ़ावा होता है तथा उत्पाद को विशेषता प्राप्त होती है। इसके माध्यम से पुरानी जानकारी, उत्पादों, विनिर्माण की प्रक्रिया को रक्षित किया जाता है।
- भौगोलिक संकेतन से संबंधित उत्पाद के उत्पादन के निवेश के लिए निवेशक आसानी से मिल जाते हैं। इससे संबंधित क्षेत्र का विकास होता है तथा संबंधित क्षेत्र में समृद्धता आती है।
- इससे उपभोक्ता को भी फायदा होता है उन्हें विशुद्ध उत्पाद प्राप्त होते हैं और उन्हें जाली उत्पादों से छुटकारा मिलता है।
3. फेसबुक के बाद जियो ने सिल्वर लेक पार्टनर्स से की बड़ी डील
अमेरिका की निजी इक्विटी कंपनी सिल्वर लेक पार्टनर्स ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.15 फीसदी की हिस्सेदारी खरीद ली है। इसके लिए सिल्वर लेक पार्टनर्स जियो प्लेटफॉर्म्स में 5,655.75 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
- इस निवेश से जियो प्लेटफॉर्म की इक्विटी वैल्यू 4.90 लाख करोड़ रुपये और एंटरप्राइज वैल्यू 5.15 लाख करोड़ हो गई है। इस संदर्भ में रिलायंस और जियो ने कहा कि यह निवेश फेसबुक द्वारा किए गए निवेश के इक्विटी वेल्युएशन के 12.5 फीसदी प्रीमियम को दर्शाता है।
- 22 अप्रैल को ही जियो प्लेटफॉर्म्स ने फेसबुक के साथ 5.7 अरब डॉलर (43,574 करोड़ रुपए) की डील की थी, जिसके बाद जियो प्लेटफॉर्म्स की 9.99 फीसदी हिस्सेदारी फेसबुक के पास चली गई थी। अभी निवेशकों में फेसबुक जियो प्लेटफॉर्म्स का सबसे बड़ा शेयर होल्डर है।
- जियो प्लेटफार्म्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो तमाम प्रकार की डिजिटल सेवाएं प्रदान करती है। इसके ग्राहकों की संख्या 38.8 करोड़ से अधिक है। ताजा सौदा जियो और सिल्वर लेक पार्टनर्स दोनों के लिए फायदेमंद है क्योंकि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है।
सिल्वर लेक पार्टनर्स
- सिल्वर लेक टेक्नोलॉजी में निवेश करने के मामले में ग्लोबल लीडर है, जिसके बाद करीब 43 अरब डॉलर की असेट है और इसके पास दुनिया के करीब करीब 100 निवेश और ऑपरेटिंग प्रोफेशनल की टीम है। इससे पहले सिल्वर लेक ने अलीबाबा ग्रुप, एयरबीएनबी, डेल, हायला मोबाइल, एएनटी फाइनेंशियाल, एल्फाबेट वैरिली और ट्विटर में भी निवेश किया हुआ है।
4. सीएचडी कोविड के नाम से एक नई मोबाइल ऐप का शुभांरभ
पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक वी पी सिंह बदनौर ने हाल ही में सीएचडी कोविड के नाम से एक नई मोबाइल ऐप का शुभांरभ किया है।
- एंडरायड आधारित मोबाइल ऐप इस मोबाइल ऐप को चंडीगढ़ के सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ आई ने विकसित किया है।
- इस मोबाइल ऐप के जरिये लोग प्रशासन और केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों, आदेशों और अधिसूचनाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं। प्रशासन के आईटी विभाग की तरफ से इस एप को लगातार अपडेट किया जाता रहेगा।
5. ‘सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’ के लिए नामांकन की तिथि बढ़ाई गई
भारत सरकार ने भारत की एकता एवं अखंडता को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय योगदान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के रूप में ‘सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’ की शुरुआत की है।
- इस पुरस्कार के जरिए इस क्षेत्र में विभिन्न व्यक्तियों या संस्थानों या संगठनों द्वारा किए गए उल्लेखनीय और प्रेरक योगदान को सराहा जाता है। इसके साथ ही यह पुरस्कार मजबूत और संयुक्त भारत के मूल्य पर विशेष बल देता है।
- इस संबंध में एक अधिसूचना 20 सितंबर, 2019 को जारी की गई थी, जिसके तहत पुरस्कार के लिए नामांकन/सिफारिशों को आमंत्रित किया गया था। इसकी तिथि को कई कारणों से आगे बढ़ा दिया गया है उपर्युक्त पोर्टल के माध्यम से नामांकन ऑनलाइन आमंत्रित करने की अंतिम तिथि को 30 जून, 2020 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
- भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर देश की एकता और अखंडता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का गठन किया है। धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म-स्थान, आयु या व्यवसाय से इतर सभी नागरिक और संस्थान/संगठन इस पुरस्कार के लिए पात्र हैं।
- 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर इस पुरस्कार की घोषणा की जाएगी।
- यह पुरस्कार राष्ट्रपति के द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत एक सनद के तौर पर प्रदान किया जाएगा और राष्ट्रपति भवन में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह के साथ एक पुरस्कार समारोह में उनके द्वारा दिया जाएगा।
- प्रधानमंत्री द्वारा एक पुरस्कार समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें सदस्य के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल सचिव, प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव, राष्ट्रपति के सचिव, गृह सचिव और प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए तीन-चार प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे।
- पुरस्कार में एक पदक और एक प्रशस्ति पत्र होगा। इस पुरस्कार के साथ कोई भी मौद्रिक अनुदान या नकद पुरस्कार संबद्ध नहीं होगा। एक वर्ष में तीन से अधिक पुरस्कार नहीं दिए जाएंगे। यह अति असाधारण और अत्यधिक सुयोग्य मामलों को छोड़कर मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाएगा।
- सरदार पटेल नेशनल यूनिटी पुरस्कार की बनावट कमल की पत्ती की तरह होगी, जिसकी लंबाई 6 सेंटीमीटर, चौड़ाई 2 से लेकर 6 सेंटीमीटर और मोटाई चार मिलीमीटर होगी। इसको चांदी और सोने से तैयार किया जाएगा इसमें हिंदी में सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार लिखा होगा।
- 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में पद्म पुरस्कारों की तर्ज पर राष्ट्रीय एकता के लिए सरदार पटेल के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार देने की शुरुआत करने की घोषणा की थी।
6. राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने पथप्रदर्शक कलाकार जामिनी राय को अर्पित की श्रद्धांजलि
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने वर्चुअल टूर के माध्यम से पथप्रदर्शक कलाकार जामिनी राय को उनकी 133वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। पथप्रदर्शक कलाकार की समस्त कला कृतियों का यह वर्चुअल टूर निश्चित रूप से कला प्रेमियों को समृद्ध करेगा, जो भारत में पहली बार हो रहा है।
जामिनी राय
- जामिनी राय 20वीं सदी भारतीय कला के सबसे आरंभिक और सबसे उल्लेखनीय आधुनिकतावादी थे। 1920 के बाद से विधा के सार की उनकी खोज ने उन्हें नाटकीय रूप से अलग अलग विजुअल शैली के साथ प्रयोग करने का अवसर दिया।
- 20वीं सदी के आरंभिक दशकों में पेंटिंग की ब्रितानी अकादमिक शैली में प्रशिक्षित, जामिनी राय एक कुशल चित्रकार के रूप में विख्यात हो गए। 1916 में अब कोलकाता के गवर्नमेंट आर्ट स्कूल से स्नातक करने के बाद उन्हें नियमित रूप से कमीशन मिलता रहा।
- अबनींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित द बंगाल स्कूल और नंदलाल बोस के तहत शांतिनिकेतन में कला भवन ने यूरोपीय नैचुरलिज्म और माध्यम के रूप में तेल के प्रयोग को खारिज कर दिया था और निरूपण के नए मार्गो की खोज कर रहे थे।
- जामिनी राय ने भी जानबूझ कर उस शैली को अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्होंने अपने अकादमिक प्रशिक्षण के दौरान महारत हासिल की थी और 1920 के आरंभ से उन रूपों की खोज शुरू कर दी जिसने उनके अस्तित्व के भीतरी हिस्से को झकझोड़ दिया था। उन्होंने पूर्वी एशियाई हस्तलिपि, टेराकोटा मंदिर चित्रवल्लरियों, लोक कलाओं एवं पांरपरिक शिल्पों तथा इसी प्रकार के विभिन्न स्रोतों से प्रेरणा ली।
- जामिनी राय ने किसानों, कलाकारों और बेहद मर्यादापूर्वक ग्रामीण महिलाओं एवं आदिवासियों का चित्रण किया। उन्होंने अपनी चित्रकारियों में उनका जिसे वे लोक कथाओं के उद्धरणों के साथ पवित्र समझते हैं और उन वर्णनों जो ग्रामीण चेतना में व्याप्त हैं, का प्रतिनिधित्व किया।
- 1926 में जामिनी रॉय की कालीघाट प्रभावित चित्रों की पहली प्रदर्शनी की सार्वजनिक प्रशंसा हुई। 1935 में उन्हें उनके ‘मदर हेल्पिंग द चाइल्ड टु क्रॉस ए पूल’ चित्र के लिए वाइसरॉय का स्वर्ण पदक दिया गया। 1955 में जामिनी रॉय को भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।
7. अमेरिका में कोविड-19 मरीजों पर प्रार्थना का असर जानने के लिए अध्ययन शुरू
अमेरिका के कंसास सिटी में भारतीय मूल के अमेरिकी फिजिशियन ने यह जानने के लिए अध्ययन शुरू किया है कि क्या “दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक प्रार्थना” जैसी कोई चीज ईश्वर को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को ठीक करने के लिए मना सकती है।
- धनंजय लक्की रेड्डी ने चार महीने तक चलने वाले इस प्रार्थना अध्ययन की 01 मई से शुरुआत की जिसमें 1,000 कोरोना वायरस मरीज शामिल होंगे जिनका आईसीयू में इलाज चल रहा है।
- अध्ययन में किसी भी मरीज के लिए निर्धारित मानक देखभाल प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्हें 500-500 के दो समूह में बांटा जाएगा और प्रार्थना एक समूह के लिए की जाएगी।
- बिना किसी क्रम के चुने गए आधे मरीजों के लिए पांच सांप्रदायिक रूपों – ईसाई, हिंदू, इस्लाम, यहूदी और बौद्ध धर्मों- में “सर्वव्यापी” प्रार्थना की जाएगी। जबकि अन्य मरीज एक दूसरे समूह का हिस्सा होंगे।
- सभी मरीजों को उनके चिकित्सा प्रादाताओं द्वारा निर्धारित मानक देखभाल मिलेगी और लक्कीरेड्डी ने अध्ययन को देखने के लिए चिकित्सा पेशेवरों की एक संचालन समिति का गठन किया है।
- जांचकर्ता यह भी आकलन करेंगे कि कितने समय तक मरीज वेंटिलेटर पर रहे, उनमें से कितनों के अंगों ने काम करना बंद कर दिया, कितनी जल्दी उन्हें आईसीयू से छुट्टी दी गयी और कितनों की मौत हो गयी है।
- किसी भी समूह को प्रार्थनाओं के बारे में नहीं बताया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान को उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक चार माह का यह अध्ययन, “दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक बहु-सांप्रदायिक प्रार्थना की कोविड-19 मरीजों के क्लीनिकल परिणामों में” भूमिका की पड़ताल करेगा।
प्रष्ठभूमि
- शोधकर्ता यह जानना चाहते हैं कि अगर कोई अलौकिक शक्ति है, जिसमें हम में से ज्यादातर यकीन करते हैं, तो क्या वह प्रार्थना और पवित्र हस्तक्षेप की शक्ति परिणामों को सम्मिलित ढंग से बदल सकती है? या या सब बातें मिथ्या हैं।
8. उत्तरी ध्रुव के ऊपर ओज़ोन परत में सबसे बड़ा छेद बंद हुआ
23 अप्रैल को कोपरनिकस एटमॉस्फ़ेयर मॉनिटरिंग सर्विस (सीएएमएस) के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि इस साल यानी 2020 के मार्च में उत्तरी गोलार्ध में ओज़ोनपरत में जो अभूतपूर्व छेद दिखा था वह बंद हो गया है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि ये सफलता अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत हुई नीतियों और गतिविधियों की बदौलत सम्भव हो सकी है। इनमें मॉट्रियाल प्रोटोकोल भी एक बड़ी कामयाबी थी जो क़रीब 31 वर्ष पहले वजूद में आया था।
- उस समय किए गए अध्ययनों से पता चला था कि Chlorofluorocarbons (CFCs) और कुछ अन्य तत्व और पदार्थ ओज़ोन परत में छेद बनाने में सक्षम हो रहे थे। ये पदार्थ एयरोसोल्स, रेफ्रिजरेशन सिस्टम और मौहाल को ठंडा रखने के लिए चलने वाली मशीनों में भारी मात्रा में पाया जाता है।
ओज़ोन परत
- ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।
- यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से 50 किमी की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है।
‘पोलर वोर्टेक्स’ अवधारणा
- सीएएमएस ने कहा कि लगातार बढ़ता हुआ छेद आकर्टिक के ऊपर असामान्य मौसम का नतीजा था। जब तेज हवाएं बर्फीली चोटियों के ऊपर की जमा देने वाली हवाओं में लगातार कई दिनों तक फंसती रहती हैं तो वैज्ञानिकों की शब्दावली में एक ‘पोलर वोर्टेक्स’ बनाती हैं।
- यह मज़बूत दबाव अपने ही चारों ओर घूमती है। इससे इतनी ताक़त पैदा होती है कि वह समताप मंडल की ओज़ोन में छेद कर डालती है। हालांकि अब यह छेद बंद हो गया है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम इसके अनुकूल हुआ तो यह फिर खुल सकता है।
9. भारत के लोकपाल के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी का कोविड – 19 से लड़ते हुए निधन
2 मई, 2020 को भारत के लोकपाल के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी का एम्स, नई दिल्ली में निधन हो गया है। वे कोरोना वायरस से संक्रमित थे और साँस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें 2 अप्रैल, 2020 को एम्स में भर्ती कराया गया था।
न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी
- दिवंगत न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी का जन्म 12 नवंबर, 1957 को हुआ था। उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक किया था और दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में कानून की पढ़ाई की थी।
- उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की थी और 9 अक्टूबर, 2006 को उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय के रूप में पदोन्नत किया गया था तथा 21 नवंबर, 2007 को उन्होंने उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने 7 जुलाई, 2018 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
- 27 मार्च, 2019 को न्यायमूर्ति त्रिपाठी ने भारत के लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने अपने अभिनव विचारों और इनपुट के साथ भारत के लोकपाल संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
लोकपाल
- लोकपाल उच्च सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने एवं उस पर कार्यवाही करने के निमित्त पद है। इसके लिए केंद्र सरकार ने लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 से लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की थी।
- लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को संशोधित करने के लिये लोकपाल एवं लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2016 संसद ने जुलाई 2016 में पारित किया गया था। इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया कि विपक्ष के मान्यता प्राप्त नेता के अभाव में लोकसभा में सबसे बड़े एकल विरोधी दल का नेता चयन समिति का सदस्य होगा।
- लोकपाल एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसका गठन एक चेयरपर्सन और अधिकतम 8 सदस्यों से हुआ है। लोकपाल संस्था का चेयरपर्सन या तो भारत का पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश या असंदिग्ध सत्यनिष्ठा व उच्च योग्यता का प्रख्यात व्यक्ति होना चाहिये, जिसके पास भ्रष्टाचार निरोधी नीति, सार्वजनिक प्रशासन, सतर्कता, वित्त, बीमा और बैंकिंग, कानून व प्रबंधन में न्यूनतम 25 वर्षों का विशिष्ट ज्ञान एवं अनुभव हो।
- लोकपाल संस्था के चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक है। सदस्यों की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
10. चक्का फेंक एथलीट संदीप कुमारी पर लगा चार साल का प्रतिबंध
चक्का फेंक एथलीट संदीप कुमारी पर वाडा (विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी) की एथलेटिक्स इंटीग्रिटी इकाई ने डोपिंग परीक्षण में विफल होने पर चार साल का प्रतिबंध लगाया है। वाडा ने घोषणा की है कि उनका चार साल का प्रतिबंध 26 जून 2018 से शुरू होगा जिस दिन उनका नमूना लिया गया था।
- करीब दो साल पहले एनडीटीएल प्रतिबंधित पदार्थ (स्टेराइड) का पता लगाने में विफल रही थी जो उनके नमूने में मौजूद था। यह नमूना गुवाहाटी में जून 2018 में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप के दौरान नाडा अधिकारियों ने लिया था। इसमें कुमारी ने 58.41 मीटर के थ्रो से स्वर्ण पदक जीता था।
- इसके बाद वाडा ने कनाडा में मॉन्ट्रियल प्रयोगशाला में कुमारी के नमूने का परीक्षण करने का फैसला किया था और नवंबर 2018 में यह एनाबोलिक स्टेराइड मेटेनोलोन का पॉजिटिव आया था।
- अब कुमारी के 26 जून 2018 से 21 नवंबर 2018 तक के नतीजों को रद्द कर दिया जाएगा।
वाडा (World Anti-Doping Agency)
- विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) एक अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्र एजेंसी है जिसका दुनिया की सरकारों द्वारा समान रूप से वित्त पोषित करके 1999 में स्थापित किया गया था।
- इसकी प्रमुख गतिविधियों में वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, डोपिंग रोधी क्षमताओं का विकास, विश्व डोपिंग रोधी संहिता (कोड) की निगरानी तथा सभी खेलों और सभी देशों में डोपिंग विरोधी नीतियों को सामंजस्य प्रदान करना शामिल है।
- 1998 की गर्मियों में साइक्लिंग की दुनिया को हिलाकर रख देने वाली घटनाओं के बाद, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने डोपिंग के खिलाफ लड़ाई में शामिल सभी दलों को एक साथ लाने के लिए डोपिंग पर एक विश्व सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया था।
- 2-4 फरवरी, 1999 को स्विट्जरलैंड के लौसने (Lausanne) में आयोजित खेल में डोपिंग पर प्रथम विश्व सम्मेलन के आयोजन से खेल में डोपिंग पर लौसने घोषणा पत्र आया। यह दस्तावेज एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी एजेंसी के निर्माण की अनुशंसा करता है।
- लौसने घोषणा की शर्तों के अनुसरण में, विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में डोपिंग के खिलाफ लड़ाई का समन्वय करने के लिए लौसने में 10 नवंबर, 1999 को स्थापित किया गया था। वाडा को आईओसी की पहल के तहत् एक नींव के रूप में स्थापित किया गया था।