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Current Affairs: 03 and 04 May 2020
1. केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने नई दिल्ली में ई-बुक ‘प्रो. बी बी लाल-इंडिया रिडिस्कवर्ड‘ का किया विमोचन
केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने महान पुरातत्ववेत्ता प्रो. बी बी लाल के शताब्दी वर्ष के अवसर पर नई दिल्ली में ई-बुक ‘ प्रो. बी बी लाल-इंडिया रिडिस्कवर्ड‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय में सचिव आनंद कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
- यह पुस्तक एक शताब्दी विशेष संस्करण हैं जिसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रो. बी बी लाल शताब्दी समारोह समिति द्वारा तैयार किया गया है। यह पुस्तक संस्कृति मंत्रालय की पुरातत्व के क्षेत्र में उनके बेशुमार योगदान को संस्कृति मंत्रालय की ओर से सम्मान है।
प्रो. बी बी लाल
- प्रो. लाल का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बैडोरा गांव में 02 मई, 1921 को हुआ था।
- प्रो. बी. बी. लाल को वर्ष 2020 में पद्म भूषण प्रदान किया गया था। वह 1968 से 1972 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक थे और उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक के रूप में सेवा की है।
- प्रो. लाल ने यूनेस्को की विभिन्न समितियों में भी काम किया है। पांच दशकों तक फैले अपने कैरियर में प्रो. लाल ने पुरातत्व विज्ञान के क्षेत्र में बेशुमार योगदान दिया। प्रो. लाल को 1944 में तक्सिला में सर मोर्टिमर व्हीलर द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और बाद में वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में नियुक्त हुए।
- प्रो. लाल ने हस्तिनापुर (उप्र), शिशुपालगढ़ (ओडिशा), पुराना किला (दिल्ली), कालिबंगन (राजस्थान) सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की।
- 1975-76 के बाद से, प्रो. लाल ने रामायण के पुरातात्विक स्थलों के तहत अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रंगवेरपुरा, नंदीग्राम एवं चित्रकूट जैसे स्थलों की जांच की। प्रो. लाल ने 20 पुस्तकें और विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में 150 से अधिक शोध लेख लिखे हैं।
2. केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने किसान सभा ऐप किया शुरू
देश के दूरदराज के इलाकों में आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से किसानों को जोड़ने के लिए नई दिल्ली स्थित केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, (सीएसआईआर-सीआरआरआई) ने किसान सभा ऐप विकसित किया है।
- किसान सभा ऐप्प का लक्ष्य किसानों को सबसे किफायती और समय पर लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करना और बिचौलियों के हस्तक्षेप को कम करके और सीधे संस्थागत खरीदारों के साथ जुड़कर उनके लाभ को बढ़ाना है।
- यह निकटतम मंडियों की उपज मूल्यों की तुलना करके, सस्ती कीमत पर मालवाहक वाहन की बुकिंग करके फसलों का सर्वोत्तम बाजार दर प्रदान करने में मदद करेगा, जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिलेगा।
किसान सभा ऐप की विशेषताएं
- यह ऐप किसानों, ट्रांसपोर्टरों, सेवा प्रदाताओं (जैसे कीटनाशकों / उर्वरक / डीलरों, कोल्ड स्टोर और गोदाम मालिक), मंडी डीलरों, ग्राहकों (जैसे बड़े खुदरा दुकानों, ऑनलाइन स्टोर, संस्थागत खरीदारों) और अन्य संबंधित संस्थाओं को समय पर और प्रभावी समाधान के लिए जोड़ता है।
- यह कृषि से संबंधित प्रत्येक इकाई के लिए एकल स्टॉप के रूप में कार्य करता है, क्योंकि वे किसान हैं जिन्हें फसलों की बेहतर कीमत की आवश्यकता है, मंडी डीलर से जो अधिक किसानों या ट्रक ड्राइवरों से जुड़ना चाहते हैं, उन सबके लिए मददगार साबित होगा।
- कृषि सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग मसलन उर्वरक/कीटनाशक के डीलर, जो अपनी सेवाओं के लिए अधिक किसानों तक पहुंचना चाहते हैं उनके लिए किसान सभा ऐप मददगार साबित होगा।
- यह ऐप कोल्ड स्टोर या गोदाम कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी उपयोगी साबित होगा। किसान सभा उन लोगों के लिए एक मंच भी प्रदान करता है जो सीधे किसानों से खरीदना चाहते हैं।
- किसान सभा में किसानों / मंडी डीलरों / ट्रांसपोर्टरों / मंडी बोर्ड के सदस्यों / सेवा प्रदाताओं / उपभोक्ताओं के लिए 6 प्रमुख मॉड्यूल हैं।
प्रष्ठभूमि
- कोविड-19 के मौजूदा हालात में किसान अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने, बीज/ उर्वरक की खरीद आदि के लिए मदद की राह देख रहे हैं। उचित मूल्य पर उपज के समय पर वितरण की सुविधा के लिए एक सर्वोत्तम और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता है।
3. शोभना नरसिम्हन अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में अंतर्राष्ट्रीय मानद सदस्य के रूप में चयनित
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई (टीएसयू) की प्रोफेसर, शोभना नरसिम्हन को अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मानद सदस्य के रूप में चुना गया है।
- अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज, उन विद्वानों और नेताओं को सम्मानित करती है जिन्होंने विज्ञान, कला, मानविकी और सार्वजनिक जीवन में खुद को उत्कृष्ट साबित किया है। अंतरराष्ट्रीय मानद सदस्यों की पिछली सूची में, चार्ल्स डार्विन, अल्बर्ट आइंस्टीन और नेल्सन मंडेला जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं।
- प्रो. नरसिम्हन जेएनसीएएसआर में कम्प्यूटेशनल नैनोसाइंस ग्रुप की प्रमुख हैं। उन्होंने नैनोमैटेरियल्स के तर्कसंगत डिजाइन पर महत्वपूर्ण काम किया है, यह जांच करते हुए कि कैसे आयाम में कमी लाने और आकार को छोटा करने से भौतिक गुणों पर प्रभाव पड़ता है। उनका काम कई अलग-अलग प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए प्रासंगिक रहा है, जैसे स्वच्छ ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए नैनोकैटेलिस्ट्स और स्मृति भंडारण के लिए चुंबकीय सामग्री।
- प्रो. नरसिम्हन भारत और विदेशों में, एसटीईएम में महिलाओं को बढ़ावा देने में भी बहुत सक्रिय रही हैं। वह आईयूपीएपी (International Union of Pure and Applied Physics) की भौतिकी में महिलाओं के कार्य समूह की सदस्य रह चुकी हैं।
- 2013 से, वह ट्राएस्टे, इटली और आईसीटीपी-ईएआईएफआर, किगाली, रवांडा के अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) में भौतिकी में महिलाओं के लिए कैरियर विकास कार्यशालाओं का सह-आयोजन कर रही हैं।
शोभना नरसिम्हन की उपलब्धियां
- वह 2011 में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की फेलो बनीं और 2010 में उन्होंने स्त्री शक्ति सम्मान विज्ञान पुरस्कार और कर्नाटक सरकार का कल्पना चावला महिला वैज्ञानिक पुरस्कार 2010 भी प्राप्त किया था।
- वह एशिया और अफ्रीका में क्वांटम एस्प्रेसो समूह के साथ-साथ एशेस्मा (अफ्रीकन स्कूल ऑन इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर मेथड्स एंड एप्लीकेशन) के द्वारा आयोजित कार्यशालाओं में सॉलिड-स्टेट फिजिक्स और डेंसिटी फंक्शनल थ्योरी पढ़ाने में भी भागीदार रही हैं। वह एशेस्मा की कार्यकारी समिति की सदस्य हैं, और रवांडा के किगाली में आईसीटीपी-ईएआईएफआर (ईस्ट अफ्रीकन इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के वैज्ञानिक परिषद की सदस्य भी हैं।
- 1996 में जेएनसीएएसआर में शामिल होने से पहले, प्रो. नरसिम्हन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) बॉम्बे से फिजिक्स में परास्नातक और उसके बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से प्रो डेविड वेंडरबिल्ट की देखरेख में फिजिक्स में पीएचडी पूरा किया है। वह पूर्व में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई की अध्यक्ष और साथ ही जेएनसीएएसआर में शैक्षणिक मामलों की डीन भी रह चुकी हैं।
4. ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ में शामिल हुए पांच नए राज्य/ संघ शासित क्षेत्र, योजना से जुड़ने वाले राज्यों की संख्या हुई 17
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय राम विलास पासवान ने “एक देश, एक राशन कार्ड” के अंतर्गत राष्ट्रीय क्लस्टर के साथ पांच राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों- उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दादर नागर हवेली तथा दमन व दीव को जोड़ने को स्वीकृति दे दी है।
- राष्ट्रीय क्लस्टर से 12 राज्य आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा पहले ही जुड़ चुके हैं।
- इसके साथ ही राष्ट्रीय/अंतर- राज्यीय पोर्टेबिलिटी की सुविधा 17 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के लगभग 60 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को उपलब्ध होगी और वे ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना के अंतर्गत अपने समान/ मौजूदा राशन के उपयोग से इन 17 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में किसी भी स्थान पर अपनी पसंद की उचित मूल्य वाली दुकान (एफपीएस) से अपने हक का कोटा खरीद सकते हैं।
- साथ ही एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना के अंतर्गत अन्य राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में उनकी तैयारियों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के विस्तार की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं।
क्या है एक देश एक राशनकार्ड व्यवस्था?
- यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें यदि किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे राज्य में पलायन किया जाता है तो वह अपने खाद्य सुरक्षा के लाभों को संबंधित राज्य की उचित मूल्यों की दुकानों से प्राप्त कर सकता है।
- इसके लिए आधार का लिंक होना आवश्यक है किन्तु यह कानूनी रूप से बाध्य नहीं है आधार लिंक होने से व्यक्ति को दूसरे राज्य में भी पॉइंट ऑफ सेल के माध्यम से राशन प्राप्त होगा और यदि लिंक नहीं है तो व्यक्ति स्वयं के राज्य में राशन का हकदार तो रहेगा किन्तु इस व्यवस्था का लाभ नहीं ले पाएगा।
- इस व्यवस्था के लागू होने से रोजगार की तलाश में अपना घर, गाँव और राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में जाने वाले गरीब मजदूर वर्ग को सरकार द्वार मुहैया कराए जा रहे सस्ते अनाज से हाथ धोना नहीं पड़ेगा।
5. 7 राज्यों की 200 नई मंडियां कृषि उपज के विपणन के लिए ‘ई-नाम’ प्लेटफॉर्म से जुड़ीं
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में आयोजित एक समारोह में 7 राज्यों की 200 नई मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से जोड़ दिया है।
- इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि कृषि उपज के विपणन के लिए लगभग एक हजार मंडियां मई 2020 तक ‘ई-नाम’ प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएंगी।
- ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ी 200 नई मंडियों में 94 राजस्थान की, 27 तमिलनाडु की, 25-25 गुजरात व उत्तर प्रदेश की, 16 ओडिशा की, 11 आंध्र प्रदेश की तथा 2 मंडियां कर्नाटक की हैं।
- इन 200 मंडियों से पूर्व 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियां पहले से ही जोड़ दी गई हैं और वे बाकायदा काम कर रही हैं। इन नई मंडियों सहित 785 मंडियां इस प्लेटफॉर्म से जुड़ गई हैं।
- यह देश भर में 415 नई मंडि़यों को एकीकृत करने या जोड़ने के मार्ग में पहला मील का पत्थर है। विदित है कि कर्नाटक राज्य को पहली बार ई-नाम राज्यों की सूची में जोड़ा गया है। शीघ्र ही इनकी संख्या एक हजार हो जाएगी।
- इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने निरंतर इस तरह के कदम उठाकर पारदर्शिता की मिसाल कायम की है। ई- नाम पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।
ई-नाम (eNAM)
- ई- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (Electronic – National Agriculture Market) कृषि विपणन में एक अभिनव पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है और कीमत में सुधार के इरादे से व्यापार लेनदेन में पारदर्शिता लाता है, गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए “एक राष्ट्र-एक बाजार” की अवधारणा को विकसित करता है।
- केंद्र सरकार द्वारा 14 अप्रैल 2016 में ई-नाम (eNAM) नामक पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसके तहत किसान अपने नज़दीकी बाज़ार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद के लिये मूल्य चुका सकते हैं।
- राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम में अब तक देश के एक करोड़ 65 लाख से ज्यादा किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं जल्द ही ई-नाम मंडियों की कुल संख्या 1000 हो जायेगी।
- इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी होगी जिससे उचित मूल्यों का निर्धारण भलीभाँति किया जा सकता है तथा किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होगा।
- ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 1.66 करोड़ से अधिक किसान और 1.28 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं। किसान ई-नाम पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं और वे सभी ई-नाम मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से इ -नाम के अंतर्गत बिक्री के लिए उपलब्ध लोट के लिए बोली लगा सकते हैं।
6. सरकार लघु वन उपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया
जनजातीय संग्रहकर्ताओं की आजीविकाओं को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख घोषणा में सरकार ने 49 मदों की लघु वन उपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया है।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में जारी एक आदेश में कहा गया है कि लघु वन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत गठित मूल्य निर्धारण सेल द्वारा प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार संशोधित किया जाता है।
- लघु वन उपज के विभिन्न मदों के बीच वृद्धि 16 प्रतिशत से 66 प्रतिशत के बीच में है। इस वृद्धि से कम से कम 20 राज्यों में गौण जनजातीय उपज की खरीद को तत्काल और बेहद आवश्यक गति प्राप्त होने की उम्मीद है।
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने ट्राइफेड से कहा था कि वह इस कठिन समय में जनजातीय आजीविका को लेकर एमएफपी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को फिर से जारी करने पर ध्यान केंद्रित करे और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें अपनी उपज के लिए समान बाजार मूल्य का लाभ मिले
ट्राइफेड (TRIFED)
- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED – द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) को भारत सरकार द्वारा 1987 में स्थापित किया गया था ट्राइफेड का मूल उद्देश्य आदिवासी लोगों द्वारा जंगल से एकत्र किये गए या इनके द्वारा बनाये गए उत्पादों को बाजार में सही दामों पर बिकवाने की व्यवस्था करना है।
- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) जनजातीय मंत्रालय के अंतर्गत बहु-राज्य सहकारी सोसायटी है। ट्राइफेड राष्ट्रीय जनजातीय क्रॉफ्ट एक्सपो “आदि महोत्सव” जैसे प्रदर्शनियां भी आयोजित करता है और जनजातीय उत्पादों के विपणन को प्रोत्साहित करता है। यह जनजातीय दस्तकारों को सुविधा उपलब्ध कराता है, ताकि वे बाजार आवश्यकताओं का जायजा लेने के लिए कला प्रेमियों के साथ सीधी बातचीत कर सकें। पिछले चार वर्षों में उत्पादों की बिक्री के लिए यह जनजातीय दस्तकारों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहा है।
- ट्राइफेड का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में है इसके प्रधान कार्यालय के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर इसके 13 क्षेत्रीय कार्यालयों का नेटवर्क है। ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है
7. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) और 153ए (धर्म, नस्ल और जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता भड़काने) के तहत मामला दर्ज किया है।
- जफरूल ने पिछले दिनों सोशल मीडिया अकाउंट पर भारत को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद से उनपर ऐक्शन की मांग हो रही थी। जिसके खिलाफ शिकायत साउथ दिल्ली के एक शख्स ने शिकायत दर्ज करवाई थी।
- शिकायत में कहा गया था कि उन्होने भड़काऊ पोस्ट लिखी है जिससे समाज में दरार पैदा हुई। शिकायत में यह भी कहा गया कि समाज पहले ही खराब माहौल से गुजर रहा है।
क्या कहा था जफरूल इस्लाम खान ने अपने ट्वीट में?
- जफरुल इस्लाम खान ने 28 अप्रैल को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने हिन्दूत्व कट्टरपंथियों शब्द का इस्तेमाल करते हुए विवादित बातें लिखीं थी। साथ ही यह भी लिखा कि अगर भारत के मुसलमान अरब के मुसलमान दोस्तों से यहां पर उनके खिलाफ चलाई जा रही नफरत की शिकायत करेंगे तो कट्टरपंथियों को मुश्किल होगी, जलजला आ जाएगा।
- इस बीच ही जफरूल ने 01 मई की रात सोशल मीडिया पर ही अपने पोस्ट के लिए माफी भी मांगी थी। लेकिन इससे पहले दिल्ली पुलिस केस दर्ज कर चुकी थी। खान ने कहा,‘‘ मुझे एहसास हुआ कि जब हमारा देश चिकित्सा आपातकाल का सामना कर रहा है और अदृश्य शत्रु से लड़ाई लड़ रहा है, तो मेरा ट्वीट गलत वक्त पर था और असंवेदनशील था। मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं जिनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है।’’
क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा 124A?
- भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के अनुसार, “बोले या लिखे गए शब्दों या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रस्तुति द्वारा, जो कोई भी भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, असंतोष (Disaffection) उत्पन्न करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, उसे आजीवन कारावास या तीन वर्ष तक की कैद और ज़ुर्माना अथवा सभी से दंडित किया जाएगा।”
- भारत में राजद्रोह एक संज्ञेय अपराध है अर्थात् इसके तहत गिरफ्तारी के लिये वारंट की आवश्यकता नहीं होती है, साथ ही इसके तहत दोनों पक्षों के मध्य आपसी सुलह का भी कोई प्रावधान नहीं है।
8. महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना
कोविड-19 महामारी प्रकोप के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने 01 मई को घोषणा की है कि महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत राज्य की शत-प्रतिशत आबादी को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
- राज्य के 60 वें स्थापना वर्ष के अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि इसके साथ ही महाराष्ट्र, राज्य के लोगों को मुफ्त और कैशलेस बीमा सुविधा प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
- सरकार ने पुणे और मुंबई के निजी अस्पतालों में COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन (GIPSA) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। योजना के लिए आवेदन करने के लिए राशन कार्ड और अधिवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज आवश्यक हैं।
- इसी तरह, सभी अस्पतालों में उपचार शुल्क को मानकीकृत करने के लिए, सभी बीमारियों के लिए अलग-अलग पैकेज तैयार किए जाएंगे। पहले इस योजना में 496 अस्पताल कवर किए गए थे, लेकिन अब 1,000 से अधिक अस्पताल इसके अंतर्गत आएंगे।
प्रष्ठभूमि
- भारत में महाराष्ट्र सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य है जहाँ अब तक 11,506 कोरोनोवायरस मामलों की रिपोर्ट की जा चुकी है। राज्य ने पिछले 24 घंटों में 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में कुल 485 लोग मौत हुई हैं। विदित है की कोरोना से निपटने के क्रम में भारत ने वायरस के प्रसार को कम करने के लिए देशव्यापी तालाबंदी को 17 मई तक बढ़ा दिया है।
9. ऑस्ट्रेलिया ने गेंद को चमकाने के लिए लार, पसीने के इस्तेमाल पर लगाई रोक
ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 महामारी के बाद जब क्रिकेट अभ्यास शुरू होगा, तब गेंद को चमकाने के लिए लार या पसीने के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होगी। इस महामारी के बाद खेलों की वापसी को लेकर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने जो खाका तैयार किया, उसमें दिए गए सुझाव में यह शामिल है।
- ऑस्ट्रेलियाई खेल संस्थान (एआईएस) ने चिकित्सा विशेषज्ञों, खेल निकायों के अलाव संघीय और राज्य सरकारों के परामर्श से ये दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें गेंद को चमकाने के लिए पसीना और लार के उपयोग पर प्रतिबंध की बात कही गई है।
- इस दिशा-निर्देश में खेलों की तीन चरण (ए, बी और सी) में वापसी का जिक्र है। मौजूदा समय में खेलों पर जो रोक है वह ‘ए’ स्तर की है जिसमें व्यक्तिगत अभ्यास के अलावा हर चीज पर प्रतिबंध है। एक सप्ताह से कुछ अधिक समय के बाद प्रतिबधों को बी स्तर का कर दिया जाएगा जहां सीमित संख्या में अभ्यास की इजाजत होगी। इस दौरान गेंद पर लार या पसीने के इस्तेमाल पर रोक जारी रहेगा।
- तीसरी और आखिरी चरण (सी) में पूर्ण अभ्यास की छूट होगी लेकिन इसमें भी न गेंद पर लार या पसीने के इस्तेमाल पर रोक जारी रहेगा। दिशा-निर्देश में कोविड-19 बीमारी के किसी भी लक्षण वाले खिलाड़ी को अभ्यास से दूर रहने की सलाह दी गयी है।
- ख़बरों को माने तो आईसीसी भी इसके संक्रमण के जोखिम को कम करने के मकसद से गेंद को चमकाने के लिए लार का उपयोग बंद करने पर विचार कर रहा है। आईसीसी लाल गेंद को चमकाने के लिए अंपायरों की देखरेख में कृत्रिम पदार्थों के उपयोग की अनुमति देने की संभावना पर विचार कर रहा है।
10. फीफा विश्व कप 2022 का एंबेसडर कोरोना वायरस संक्रमित
- कतर में होने वाले फीफा विश्व कप 2022 के 54 वर्षीय ब्रांड एंबेसडर आदेल खमीस कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। टूर्नामेंट की शीर्ष समिति ने ट्वीट कर बताया कि ‘‘दुर्भाग्य से आदेल खमीस को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है”।
- विश्व कप के लिये तैयार किये जा रहे स्टेडियमों में काम कर रहे कर्मचारियों में से आठ को भी कोविड-19 से संक्रमित पाया गया था। आयोजकों ने हालांकि 17 अप्रैल के बाद इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
- टूर्नामेंट की शीर्ष समिति ने कहा कि हम सभी संक्रमित व्यक्तियों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। कतर में कोविड-19 के 13,409 मामले हैं जिसमें 1372 ठीक हो गये हैं जबकि दस लोगों की मौत हुई है।