तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के छह भेद होते है-
(i)कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष
(iv)अपादान तत्पुरुष
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष
(vi)अधिकरण तत्पुरुष
(i)कर्म तत्पुरुष (द्वितीया तत्पुरुष)-इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग (को) प्राप्त |
कष्टापत्र | कष्ट (को) आपत्र (प्राप्त) |
आशातीत | आशा (को) अतीत |
गृहागत | गृह (को) आगत |
सिरतोड़ | सिर (को) तोड़नेवाला |
चिड़ीमार | चिड़ियों (को) मारनेवाला |
सिरतोड़ | सिर (को) तोड़नेवाला |
गगनचुंबी | गगन को चूमने वाला |
यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
ग्रामगत | ग्राम को गया हुआ |
रथचालक | रथ को चलाने वाला |
जेबकतरा | जेब को कतरने वाला |
(ii) करण तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष)-इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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वाग्युद्ध | वाक् (से) युद्ध |
आचारकुशल | आचार (से) कुशल |
तुलसीकृत | तुलसी (से) कृत |
कपड़छना | कपड़े (से) छना हुआ |
मुँहमाँगा | मुँह (से) माँगा |
रसभरा | रस (से) भरा |
करुणागत | करुणा से पूर्ण |
भयाकुल | भय से आकुल |
रेखांकित | रेखा से अंकित |
शोकग्रस्त | शोक से ग्रस्त |
मदांध | मद से अंधा |
मनचाहा | मन से चाहा |
सूररचित | सूर द्वारा रचित |
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष)-इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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देशभक्ति | देश (के लिए) भक्ति |
विद्यालय | विद्या (के लिए) आलय |
रसोईघर | रसोई (के लिए) घर |
हथकड़ी | हाथ (के लिए) कड़ी |
राहखर्च | राह (के लिए) खर्च |
पुत्रशोक | पुत्र (के लिए) शोक |
स्नानघर | स्नान के लिए घर |
यज्ञशाला | यज्ञ के लिए शाला |
डाकगाड़ी | डाक के लिए गाड़ी |
गौशाला | गौ के लिए शाला |
सभाभवन | सभा के लिए भवन |
लोकहितकारी | लोक के लिए हितकारी |
देवालय | देव के लिए आलय |
(iv)अपादान तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष)– इसमे अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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दूरागत | दूर से आगत |
जन्मान्ध | जन्म से अन्ध |
रणविमुख | रण से विमुख |
देशनिकाला | देश से निकाला |
कामचोर | काम से जी चुरानेवाला |
नेत्रहीन | नेत्र (से) हीन |
धनहीन | धन (से) हीन |
पापमुक्त | पाप से मुक्त |
जलहीन | जल से हीन |
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष)-इसमें संबंधकारक की विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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विद्याभ्यास | विद्या का अभ्यास |
सेनापति | सेना का पति |
पराधीन | पर के अधीन |
राजदरबार | राजा का दरबार |
श्रमदान | श्रम (का) दान |
राजभवन | राजा (का) भवन |
राजपुत्र | राजा (का) पुत्र |
देशरक्षा | देश की रक्षा |
शिवालय | शिव का आलय |
गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
(vi)अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष)-इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’, ‘पर’ लुप्त जो जाती है। जैसे-
समस्त-पद | विग्रह |
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विद्याभ्यास | विद्या का अभ्यास |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
नरोत्तम | नरों (में) उत्तम |
पुरुषोत्तम | पुरुषों (में) उत्तम |
दानवीर | दान (में) वीर |
शोकमग्न | शोक में मग्न |
लोकप्रिय | लोक में प्रिय |
कलाश्रेष्ठ | कला में श्रेष्ठ |
आनंदमग्न | आनंद में मग्न |