प्रदेश में किसानों की ओर से स्वयं के उपयोग के लिए खेतों पर गुणवत्तायुक्त उन्नत बीज उत्पादन के लिए मुख्यमंत्री बीज स्वावलम्बन योजना प्रारंभ की गई है। इसके लिए प्रगतिशील एवं फसल विशेष की खेती में रुचि रखने वाले किसानों का समूह बनाया जाएगा। किसान बीज उत्पादित करने के साथ समूह की ओर से विक्रय दर तय की जाएगी।
बीज स्वावलम्बन योजना के तहत संबंधित फसलों की 10 वर्ष से कम अवधि की अधिसूचित किस्मों का बीज उत्पादन किया जाएगा। खरीफ फसल में ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, मूंगफली, मूंग, मोठ एवं उड़द की फसलों को शामिल किया गया है। रबी में गेहूं, जौ, चना फसलों को शामिल किया गया है। प्रगतिशील व फसल विशेष की खेती में रुचि रखने वाले 30-50 कृषक जिनका उस फसल विशेष का सामान्य रूप से बोया जाने वाला क्षेत्रफल 50 से 100 हैक्टर तक होगा उनका समूह गठित किया जाएगा।
ये भी है प्रावधान :
पहले चरण में कृषक समूह में से आवश्यकतानुसार दो से चार बीज उत्पादक कृषकों का चयन समूह की ओर से किया जाएगा एवं समूह में शेष वे कृषक होंगे जो संबंधित उत्पादित बीज को आगामी वर्ष 2019-20 में बुवाई के लिए उपयोग करेंगे। प्रति बीज उत्पादक कृषक को 0.5-2 हैक्टर क्षेत्र के लिए वांछित आधार/ प्रमाणित बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। मगर उत्पादन विभागीय सिफारिश के अनुसार होगा। कृषक समूह को एक दिवसीय तीन प्रशिक्षण दिए जाएंगे।
समूह ही तय करेगा विक्रय दर :
उत्पादित बीज की विक्रय दरों का निर्धारण भी समूह के सदस्यों की ओर से किया जाएगा, लेकिन निर्धारित विक्रय दरें संबंधित फसल की प्रचलित बाजार दरों से 10 प्रतिशत अधिक ही रखनी होगी।
मुख्यमंत्री बीज स्वावलम्बन योजना के तहत कृषकों का समूह बनाकर बीज उत्पादित किया जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए कृषक किसान सेवा केन्द्र में संपर्क कर योजना से लाभान्वित हो सकते हैं।
-वी.के. शर्मा, उपनिदेशक कृषि (विस्तार)
आयोग 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 कराएगा। आयोग को करीब 5.10 लाख आवेदन मिले हैं। यह वर्ष 2016 में हुई परीक्षा के मुकाबले करीब 1.50 लाख ज्यादा हैं। आयोग ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर एक ही पारी में परीक्षा कराने का फैसला किया था। अब आवेदन ज्यादा आने से आयोग को परीक्षा केंद्र बढ़ाने पड़ेंगे। आयोग आरएएस सहित कई भर्तियों में टीएसपी और नॉन टीएसपी क्षेत्रों की परीक्षाएं साथ कराएगा।
बरसात का मौसम भी चुनौती
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक अगस्त में प्रदेश में बरसात का मौसम रहेगा। केवल जिला मुख्यालय पर परीक्षा केंद्र होने से अभ्यर्थियों और आयोग का सिरदर्द बढ़ेगा। ऐसे में आयोग को उपखंड मुख्यालय पर भी परीक्षा केंद्र बनाने पड़ सकते हैं। वर्ष 2015 में हुई आरएएस परीक्षा के दौरान भी बरसात का मौसम था। कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति के चलते आयोग को परीक्षा बाद में करानी पड़ी थी।