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मंत्रिमंडल की 22वें भारतीय विधि आयोग के गठन को मंजूरी

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी राजपत्र में गठन के आदेश के प्रकाशन की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के लिए 22वें भारतीय विधि आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।
  • इससे सरकार को विचारणीय विषयों के अनुसार अध्ययन और सिफारिश के लिए आयोग को सौंपे गये कानून के विभिन्न पहलुओं के बारे में एक विशेषज्ञता प्राप्त निकाय से सिफारिशें मिलने का लाभ प्राप्त होगा।
  • 22वां विधि आयोग सरकारी राजपत्र में गठन के आदेश के प्रकाशन की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के लिए गठित किया जायेगा। इसमें निम्मलिखित शामिल होंगे

(क) एक पूर्णकालिक अध्यक्ष,

(ख)चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य सचिव सहित),

(ग) सचिव, कानूनी मामलों का विभाग, पदेन सदस्य के रूप में,

(घ) सचिव, विधायी विभाग पदेन सदस्य के रूप में, और  

(ङ) अधिक से अधिक पांच अंशकालिक सदस्य

  • अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले आयोग नोडल मंत्रालय/विभागों तथा ऐसे अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करेगा जिन्हें आयोग इस उद्देश्य के लिए आवश्यक समझे।

22वें भारतीय विधि आयोग को सौंपे गए कार्य

i)        यह ऐसे कानूनों की पहचान करेगा जिनकी अब कोई जरूरत नही है या वे अप्रासंगिक है और जिन्हें तुरन्त निरस्त किया जा सकता है।

ii)   राज्य नीति के आलोक में मौजूदा कानूनों की जांच करना तथा सुधार के तरीकों के सुझाव देना और नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए आवश्यक कानूनों के बारे में सुझाव देना तथा संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना।

iii)  कानून और न्यायिक प्रशासन से संबंधित उस किसी भी विषय पर विचार करना और सरकार को अपने विचारों से अवगत कराना, जो इसे विधि और न्याय मंत्रालय (कानूनी मामलों के विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा विशेष रूप से अग्रेषित किया गया है।

iv)  विधि और न्याय मंत्रालय (कानूनी मामलों के विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा अग्रेषित किसी बाहरी देश को अनुसंधान उपलब्ध कराने के अनुरोध पर विचार करना।

v)   गरीब लोगों की सेवा में कानून और कानूनी प्रक्रिया का उपयोग करने के लिए आवश्यक हो गये सभी उपाय करना।

vi)  सामान्य महत्व के केंद्रीय अधिनियमों को संशोधित करना ताकि उन्हें सरल बनाया जा सके और विसंगतियों, संदिग्धताओं और असमानताओं को दूर किया जा सके।

पृष्ठभूमिः

  • प्रथम आयोग 1833 के चार्टर ऐक्ट के अंतर्गत सन् 1834 में गठित किया गया था। प्रथम आयोग के चार सदस्य थे जिसमें मैकाले अध्यक्ष थे। स्वतंत्र भारत में आयोग को 1955 में गठित किया गया था और इसका प्रत्येक 3 साल में पुनर्गठन किया जाता है।
  • भारतीय विधि आयोग, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है। 21वें भारतीय विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2018 तक था।
  • विभिन्न विधि आयोग प्रगतिशील विकास और देश के कानून के संहिताकरण के बारे में महत्वपूर्ण योगदान देने में समर्थ रहे हैं। विधि आयोग ने अभी तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।
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