कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 410 के तहत नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था। NCLAT की नई दिल्ली बेंच को प्रधान पीठ के नाम से जाना जाएगा।
मुख्य बिंदु
चेन्नई में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच स्थापित की गई है। इसकी स्थापना चेन्नई में इसलिए की गई है क्योंकि इसकी आवश्यकता देश के दक्षिणी भाग में महसूस की गई थी। हालांकि दिल्ली बेंच प्रिंसिपल बेंच के तौर पर काम करेगी।
इस संदर्भ में जारी अधिसूचना के अनुसार एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीलैट) के आदेशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
अधिसूचना के मुताबिक एनसीएलएटी की नई दिल्ली बेंच को प्रधान पीठ (प्रिंसीपल बेंच) के नाम से जाना जाएगा। यह एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ पर अधिकार क्षेत्र वाली अपीलों के अलावा अन्य याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा।
एनसीलैट क्या है?
NCLAT के आदेशों के खिलाफ अपीलों की सुनवाई के लिए एनसीएलएटी- नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 410 के तहत किया गया था। यह एक ट्रिब्यूनल है जो 01 जून, 2016 से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेशों के खिलाफ अपीलों की सुनवाई के लिए बनाया गया है।
यह कैसे काम करता है?
किसी कंपनी के दिवालियेपन के मामले में मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLAT) के पास जाता है। ऐसे मामलों को निपटाने के लिए एक दिवाला पेशेवर नियुक्त किया जाता है। इस अधिकारी को 180 दिनों के भीतर कंपनी को पुनर्जीवित करने का काम सुलझाना है। यदि कंपनी को 180 दिनों के भीतर पुनर्जीवित किया जाता है, तो यह फिर से काम करना शुरू कर देता है। अगर ऐसा नहीं है, तो कंपनी दिवालिया माना जाता है ।
एनसीलैट का महत्व
यह किसी भी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा पारित या आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई और निपटान के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में भी काम करता है । एनसीएलएटी कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 410 में लाए गए संशोधन के माध्यम से एनसीएलएटी को यह शक्ति दी गई है। अधिनियम की धारा 172 के मुताबिक वित्त अधिनियम, 2017 26 मई 2017 से प्रभावी रहा है।