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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का 16वां स्थापना दिवस

  • केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के 16वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन किया। समारोह का आयोजन राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने किया था।
  • अर्जुन मुंडा ने देश में अनुसूचित जनजाति की उदाहरणीय सेवा के लिए (1.) सीपीएसयू-वेस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड, नागपुर (सीएमडी राजीव रंजन मेहरा ने पुरस्कार प्राप्त किया) तथा (2.) व्यक्तिगत (अजय कुमार जायसवाल सचिव, आशा, रांची ने पुरस्कार प्राप्त किया) पुरस्कार दिए।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना अनुच्छेद 338 में संशोधन करके और संविधान (89वां संशोधन) अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान में एक नया अनुच्छेद 338क अंतःस्थापित करके की गयी थी। इस संशोधन द्वारा तत्कालीन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को 19 फरवरी, 2004 से दो अलग-अलग आयोगों नामतः (i) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, और (ii) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में विभक्त किया गया था।
  • आयोग में एक चेयरपर्सन एक उपाध्यक्ष तीन पूर्णकालिक सदस्य (एक महिला सदस्य सहित) होते हैं। चेयरपर्सन और उपाध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल कार्यभार संभालने की तिथि से तीन वर्ष का होता है। चेयरपर्सन को कैबिनेट मंत्री का, उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का तथा अन्य सदस्यों को भारत सरकार के सचिव का रैंक प्रदान किया गया है।
  • अनुच्छेद 338 A के खंड (5) के तहत आयोग को सौंपे गए कर्तव्य –

i)        संविधान के तहत या किसी अन्य कानून के तहत या सरकार के किसी आदेश के तहत अनुसूची जनजातियों को प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और निगरानी करना तथा ऐसे सुरक्षा उपायों के काम का मूल्यांकन करना।

ii)   अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना।

iii)  अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा केंद्र या किसी अन्य राज्य के तहत उनकी प्रगति का मूल्यांकन करना।

iv)  राष्ट्रपति को वार्षिंक या अन्य ऐसे अवसरों पर जिन्हें आयोग उचित समझे और ऐसे सुरक्षा उपायों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करना।

v)   ऐसी रिपोर्ट में उपायों की सिफारिशें करना जो इन सुरक्षा उपायों के प्रभावी रूप से लागू करने के लिए केंद्र या किसी राज्य द्वारा की जाये इसेक अलावा चाहिए और अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अन्य उपायों की भी सिफारिश करना।

vi)  अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा, कल्याण एवं विकास और उन्नति के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना, जो संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानूनी प्रावधानों के अधीन हो सकते हैं।

  • आयोग में अन्वेषण एवं जांच के लिए सिविल न्यायालय की निम्नलिखित शक्तियाँ निहित की गयी हैं –

i)          किसी व्यक्ति को हारिज होने के लिए बाध्य करना और समन करना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना

ii)   किसी दस्तावेज का प्रकटीकरण और पेश किया जाना

iii)  शपथ पर साक्ष्य ग्रहण करना

iv)  किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अध्यपेक्षा करना

v)   साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करना

vi)  कोई अन्य विषय जिसे राष्ट्रपति, नियम द्वारा अवधारित करें

  • आयोग में नन्द कुमार साय ने दिनांक 28.02.2017 को अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है। अनुसूईयां उईके, उपाध्यक्ष, श्री हरिकृष्ण डामोर, सदस्य तथा हर्षदभाई चुनीलाल वसावा ने दिनांक 16.01.2017 को पदभार ग्रहण किया है। मती माया चिंतामणी इवनाते, सदस्य ने दिनांक 28.03.2017 को पदभार ग्रहण किया है।
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