जब हम किसी वस्तु को देखते है तो उसकी छाया हमारी आँख के पर्दे पर जिसे दृष्टि पटल कहते है, बनती है। इस वस्तु पर से निगाह हटा लेने पर भी छाया फ़ौरन नहीं मिटती है बल्कि इसका प्रभाव 1 से10 सेकंड तक बना रहता है। आँख के इसी गुण के कारण तस्वीरें चलती फिरती नजर आती है। पहले चित्र का प्रभाव पूरी तरह मिट भी नहीं पाता है उसी से बहुत कुछ मिलता जुलता चित्र दृष्टि पटल पर आ बनता है। फिर तीसरा और इसी तरह एक के बाद एक और यह सब इतना तेजी से होता है कि इन चित्रों को अलग-अलग समझ पाना हमारे लिये मुश्किल हो जाता है और इनका मिलाजुला प्रभाव हमें गतिशील होने का आभास देता है।
सिनेमा के पर्दे पर तस्वीरें चलती-फिरती कैसे नजर आती है?
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