1. इस्पात मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने उठाया ‘विवाद से विश्वास योजना’ का लाभ
इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कई केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा 31 मार्च 2020 तक ‘विवाद से विश्वास योजना’ के अंतर्गत सरकार के बकाया करों का भुगतान किया गया है।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश बजट में प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ की घोषणा की थी। योजना के तहत करदाताओं को विवादित लंबित कर के भुगतान का अवसर दिया गया था।
- योजना के तहत 31 मार्च 2020 से पहले बकाए कर का भुगतान करने वाले करदाताओं को ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह छूट मिल रही थी। इसके बाद योजना के तहत भुगतान करने पर बकाया कर देनदारी के साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त विवादित कर का भुगतान करना होगा।
- विदित है कि वर्तमान में आयुक्त (अपीली), आईटीएटी (आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों), उच्च न्यायालयों, सर्वोच्च नायायालय और कर वसूली न्यायाधिकरणों जैसे विभिन्न अपीली मंचों में लगभग 9.32 लाख करोड़ रुपये से संबंधित लगभग 4.83 लाख कर मामले लंबित हैं।
प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 5 फरवरी, 2020 को लोकसभा में प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 पेश किया। विधेयक इनकम टैक्स और कॉरपोरेशन टैक्स से संबंधित लंबित टैक्स विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया प्रदान करता है।
- विधेयक के अनुसार, एपेलेंट इनकम टैक्स अथॉरिटी, या व्यक्ति, या दोनों हो सकते हैं जिनकी अपील 31 जनवरी, 2020 तक एपेलेट फोरम में लंबित है। इन एपेलेट फोरम्स में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल और कमीशनर्स (अपील) शामिल हैं।
- विधेयक एक रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया का प्रावधान करता है जिसके अंतर्गत एपेलेंट लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों का रेज़ोल्यूशन शुरू करने के लिए निर्दिष्ट अथॉरिटी में डिक्लेरेशन (घोषणा) दायर कर सकता है। डिक्लेरेशन दायर करने की अंतिम तारीख केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी। इसके आधार पर निर्दिष्ट अदालत एपेलेंट द्वारा देय राशि निर्धारित कर सकती है और डिक्लेरेशन की प्राप्ति के 15 दिन के अंदर एक सर्टिफिकेट दे सकती है जिसमें देय राशि का विवरण होगा। एपेलेंट को सर्टिफिकेट प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर यह राशि चुकानी होगी और इस भुगतान के बारे में निर्दिष्ट अथॉरिटी को बताना होगा। यह राशि रीफंडेबल नहीं होगी।
- एक बार निर्दिष्ट अथॉरिटी सर्टिफिकेट जारी कर दे तो यह माना जाएगा कि इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल और कमीश्नर (अपील) के समक्ष लंबित अपील वापस ले ली गई है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित अपील या याचिकाओं के मामलों में, एपेलेंट से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपील या याचिका को वापस ले ले।
- एक बार विवाद के सुलझने के बाद निर्दिष्ट अथॉरिटी उस विवाद के संबंध में ब्याज जुर्माने की वसूली नहीं कर सकती है। इसके अतिरिक्त विवाद के सुलझने के बाद कोई एपेलेट फोरम उससे संबंधित फैसला नहीं ले सकती है। ऐसे मामले आईटी एक्ट सहित किसी भी कानून के अंतर्गत दोबारा नहीं खोले जा सकते हैं।
- किसी एपेलेंट का डिक्लेरेशन अवैध हो जाएगा, अगर: (i) उसके विवरण गलत पाए जाते हैं, (ii) अगर वह आईटी एक्ट में प्रदत्त प्रावधानों का उल्लंघन करता है, या (iii) वह उस विवाद से संबंधित उपाय या दावे की मांग करता है। परिणामस्वरूप डिक्लेरेशन के आधार पर वापस ली गई सभी प्रक्रियाएं और दावे फिर से चालू माने जाएंगे।
- प्रस्तावित प्रक्रिया में कुछ विवाद शामिल नहीं हैं। इन विवादों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अगर डिक्लेरेशन से पहले प्रॉसीक्यूशन शुरू हो गया है, (ii) अगर उसमें ऐसे लोग शामिल हैं जोकि कुछ और कानूनों (जैसे भारतीय दंड संहिता) के अंतर्गत या दीवानी देनदारियों के मामले में अपराधी या अभियुक्त हैं, और (iii) अघोषित आय या एसेट्स में संलग्न हैं।
2. एक्सरसाइज एनसीसी योगदान
नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) ने ‘एक्सरसाइज एनसीसी योगदान’ के तहत कोडिट-19 से निबटने के राष्ट्रव्यापी अभियान में नागरिक प्रशासन को मदद की पेशकश की है।
- एनसीसी ने इसके लिए स्वैच्छिक सेवा देने के इच्छुक अपने कैडेटों के वास्ते अस्थायी रोजगार के दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि महामारी से निपटने के कार्यो में शामिल विभिन्न एजेंसियों की ओर से चलाए जा रहे राहत प्रयासों और काम काज के तरीकों को और मजबूत बनाया जा सके।
- योगदान के तहत एनसीसी कैडेटों के लिए निर्धारित कार्यों में, हेल्पलाइन/कॉल सेंटर का प्रबंधन; राहत सामग्री / दवाओं / खाद्य / आवश्यक वस्तुओं का वितरण; सामुदायिक सहायता; डेटा प्रबंधन और सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिए कतार में खडे होने की व्यवस्था करना तथा यातायात प्रबंधन शामिल है।
- दिशानिर्देशों के अनुसार, कैडेटों को कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने, सक्रिय सैन्य ड्यूटियों तथा कोरोना के हॉट स्पाट बन चुके स्थानों पर तैनात नहीं किया जा सकता है।
- दिशानिर्देशों के अनुसार अस्थायी रोजगार की व्यवस्था के तहत केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ मंडल कैडट ही नियुक्त किए जा सकते हैं। उन्हें स्थायी प्रशिक्षक स्टाफ या एक एसोसिएट एनसीसी अधिकारी की देखरेख में आठ से 20 छोटे समूहों में नियोजित किया जाना चाहिए।
- स्वैच्छिक सेवा देने के इच्छुक ऐसे कैडेटों की नियुक्ति के लिए, राज्य सरकारों / जिला प्रशासन को राज्य एनसीसी निदेशालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकताऐं प्रेषित करनी होंगी।
नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी)
- रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत एनसीसी देश का सबसे बड़ा वर्दीवाला युवा संगठन है जो विभिन्न तरत की सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास की गतिविधियां संचालित करता है। एनसीसी के कैडेट अपने संगठन की स्थापना के समय से ही बाढ़ और चक्रवात आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राष्ट्र सेव में योगदान देते रहे हैं।
- राष्ट्रीय कैडेट कोर का लक्ष्य कैडेटों को समाज के अच्छे नागरिक बनाने और उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे योग्य और अग्रणी बनाने के लिए उनमें चारित्रिक गुणों का विकास करना है। एनसीसी में आकर कैडेटों में नेतृत्व करने की क्षमता पैदा होती है जो उनके जीवन पर काम आती है। इस प्रकार 1948 में 20000 कैडेटों से आरंभ होने वाले राष्ट्रीय कैडेट कोर के अब 14 लाख कैडेट हैं।
राष्ट्रीय कैडेट कोर का इतिहास
- 1948 के कश्मीर युद्ध ने भारत को यह महत्वपूर्ण सबक दिया कि देश की आजादी की रक्षा के लिए एक मजबूत सैन्य बल की जरूरत होती है। इसके प्रभाव में 13 मार्च 1948 को कुजंरू समिति की सिफारिशों को संविधान सभा (विधिक) के सामने रखा गया।
- 19 मार्च 1948 को इसका मसौदा बिल संविधान सभा को भेजा गया जिसको सभी सदस्यों ने उत्साहपूर्वक स्वीकार किया और उसमें कुछ विचार-विमर्श और संशोधन के पश्चात 08 अप्रैल 1948 को यह बिल पारित कर दिया गया।
- केन्द्र सरकार ने कैडेट कोर की रचना करने प्रांतीय सरकारों और स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया और कुंजरू समिति की सिफारिश के अनुसार कैडेट कोर की स्थापना “राष्ट्रीय कैडेट कोर” के नाम से हुई।
- इस प्रस्ताव को 16 अप्रैल 1948 को गवर्नर जनरल की अनुमति से मिली और संसद के एक अधिनियम XXXI1948 को स्वीकृति मिली, जिसे राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 भी कहा जाता है, के द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर की स्थापना हुई। 13 धाराओं वाला यह अधिनियम भारत के राष्ट्रीय कैडेट कोर की स्थापना को निश्चित करता है।
3. लाइफलाइन उड़ान पहल के अंतर्गत अब तक 74 उड़ानों का परिचालन
कोविड -19 के खिलाफ भारत की जंग के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार ने देश भर में और देश से बाहर चिकित्सा और आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई के लिए “लाइफलाइन उड़ान” उड़ानों का परिचालन शुरू किया है।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) की लाइफलाइन उड़ान पहल के अंतर्गत देश भर में चिकित्सा कार्गो की ढुलाई के लिए 01 अप्रैल तक 74 उड़ानों का परिचालन किया गया है। अब तक कुल 37.63 टन कार्गो की ढुलाई की जा चुकी है, जिसमें से 22 टन से ज्यादा कार्गो की ढुलाई 31 मार्च 2020 को की गई है।
- एक समर्पित मेडिकल एयर कार्गो संबंधित वेबसाइट लॉन्च की गई है और यह 01 अप्रैल से पूरी तरह चालू हो गई है। घरेलू कार्गो परिचालक कंपनियां ब्लू डार्ट और स्पाइसजेट विमानन कंपनी वाणिज्यिक आधार पर कार्गो उड़ानों का परिचालन कर रही हैं।
- लाइफलाइन उड़ान पहल में एयर इंडिया, एलायंस एयर, भारतीय वायुसेना और पवन हंस के विमानों की भी सेवाएं ली जा रही हैं।
4. संक्रमण रोकने हेतु जेएनसीएएसआर ने विकसित की कोटिंग
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड सांइसटफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) ने एक एंटी-माइक्रोबियल कोटिंग विकसित की है। इसे कपड़े, प्लास्टिक पर लगाने से कोविड-19 जैसे वायरस मर जाएंगे।
- रासायनिक पदार्थों को मिलाकर तैयार किए गए इस सहसंयोजक कोटिंग को लेकर किए अनुसंधान संबंधी शोध पत्र को रिसर्च जर्नल ‘एप्लाइड मैटेरियल एंड इंटरफेस’ ने स्वीकार कर लिया है।
- शोध में पाया गया है कि यह कोटिंग मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) और फ्लुकोनाज़ोल प्रतिरोधी सी. अल्बिकंस एसपीपी (C. albicans spp) सहित रोगजनक बैक्टीरिया और कवक से बचाने के साथ ही इन्फ्लूएंजा वायरस को पूरी तरह खत्म कर देगा।
- हाल ही में सामने आए सार्स-कोवी-2 हालिया प्रकोप ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में अभूतपूर्व हलचल पैदा की है। कोरोना वायरस भी इन्फ्लूएंजा की तरह ही है। इसलिए यह अनुमान है कि कोटिंग से संपर्क में आने पर सार्स-कोवी-2 को निष्क्रिय कर सकती है और विभिन्न सतहों पर इसे लेपित करने पर यह संक्रमण को रोकने में मदद कर सकती है।
- अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि, “आज तक, जानकारी में कोई सहसंयोजक कोटिंग रणनीति नहीं है जो सभी वायरस, बैक्टीरिया और कवक को खत्म सकती है।” इस कोटिंग को विभिन्न सतहों पर लगाया जा सकता है, और इसकी सुलभता कुशल कर्मियों की आवश्यकता को पूरा कर सकती है।
- यह माइक्रोबियल संक्रमण और अलग-अलग सतहों पर इसे लगाने से सामुदायिक संक्रमण को रोकने के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था में यह एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए, दैनिक जीवन में और साथ ही नैदानिक व्यवस्था में उपयोग की जाने वाली कई प्रकार की वस्तुओं को कोट करने के लिए एक सहज नजरिये के साथ इसे विकसित किया गया है।
कोटिंग की विशेषता
- विकसित अणुओं (Molecules) में यूवी विकिरण पर विभिन्न सतहों के साथ रासायनिक रूप से क्रॉस-लिंक करने की क्षमता होती है। कोटिंग का इस्तेमाल रोगजनकों (यानी बैक्टीरिया) की झिल्ली को निष्क्रिय करने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
- अणुओं (Molecules) की एक विस्तृत श्रृंखला (जैसे कि पानी, इथेनॉल, क्लोरोफॉर्म इत्यादि) में उनकी इष्टतम घुलनशीलता को ध्यान में रखते हुए और आसानी से और उच्च क्षमता के साथ तीन से चार लेयर वाली सिंथेटिक रणनीति के साथ एक लागत प्रभावी डिजाइन तैयार किया गया था।
- अणु कपड़ा, पॉलीयुरेथेन, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीस्टीरिन आदि विभिन्न वस्तुओं पर लगे होते हैं, जो कि हमारे आस-पास दिखाई देने वाली अधिकांश वस्तुओं का निर्माण करते हैं। संक्षेप में कहें तो कपड़े पर इसकी कोटिंग का तरीका बताते हैं। कोटिंग करने के लिए इसे पानी में मिलाकर कपड़े की चादर को उसमें डुबोना होगा। जबकि अन्य मामलों में इथेनॉल सब्सट्रेट पर यूवी विकिरण के द्वारा इसकी कोटिंग की जाती है। कोटिंग के बाद, सतहों का मूल्यांकन उनके जीवाणुरोधी, एंटिफंगल और एंटीवायरल गतिविधि के लिए किया जा चुका है।
5. दिल्ली पुलिस ने कोरोना से लड़ने के लिए लॉन्च की कोविड पेट्रोलिंग बाइक
कोरोना से लड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने कोविड पैट्रोलिंग मोटरसाइकिलों को राजधानी की सड़कों पर उतारा है। राजधानी में ये 40 गाड़िया कोरोना से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
- पीले रंग की इन मोटर साइकिलों पर लाल रंग से ‘कोविड-19’ लिखा गया है। आने वाले समय में यह टीमें पूरी दिल्ली में मौजूद रहेंगी। फिलहाल इनकी शुरुआत दक्षिणी जिले से की गई है। यह जानकारी दिल्ली पुलिस के द्वारा दी गई है।
- दिल्ली पुलिस के कोविड पैट्रोल मोटरसाइकिल अभियान का उद्देश्य यह है कि दिल्ली के अंदर ये देखा जाए कि लॉक डाउन का सही तरीके से लोग पालन कर रहे है या नहीं।
- साथ ही वे यह भी जांचेंगे कि, कोरोना की रोकथाम के लिए छेड़े गये अभियान में कहीं कोई बाधा तो नहीं बन रहा है। इसके साथ ही कोरोना से लड़ाई में जागरूकता फैलाना भी दिल्ली पुलिस के इस अभियान का मकसद है।
- कोविड-19 दस्ता मुख्य रुप से कोरोनावायरस की रोकथाम के कदमों का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से ही गठित किया गया है। लिहाजा ऐसे में इस दस्ते में शामिल जवानों को कोरोना संबंधी सभी जरुरी जानकारियों से भी ट्रेंड किया गया है। ताकि कोरोना वायरस की भयावह स्थिति से यह लोग अनजान इंसानों में जागरुकता पैदा कर सकें।
प्रष्ठभूमि
- लॉक डाउन का उचित पालन कराने हेतु अब तक जिप्सी या पुलिस के बड़े वाहन गली मुहल्लों के अंदर नहीं जा पा रहे थे। चूंकि इस दस्ते के जवान मोटर साइकिलों पर होंगे, इसलिए आमजन और घर घर तक इनका पहुंचना आसान होगा।
6. ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के संभावित टीके का परीक्षण किया शुरू
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने कहा है कि वे कोविड-19 के दो संभावित टीकों का परीक्षण कर रहे हैं जो प्रयोगशाला परीक्षणों में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ) के वैज्ञानिकों ने कहा कि वे यह परीक्षण कर रहे हैं कि कोविड-19 का टीका कितना प्रभावशाली है।
- वैज्ञानिक इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि बेहतर सुरक्षा के लिए इस दवा को किस ढंग से शरीर के भीतर पहुंचाना ज्यादा कारगर होगा। वे इसकी समीक्षा कर रहे हैं कि स्प्रे से नाक के जरिए या इंजेक्शन में से कौन सा तरीका ज्यादा सही रहेगा।
- अगर ये वैक्सीन इंसानों पर परीक्षण में सफल पाए जाते हैं तो ऑस्ट्रेलिया की साइंस एजेंसी इसका आगे मूल्यांकन करेगी। विदित है कि पिछले महीने अमरीका में पहली बार इंसानों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जा चुका है लेकिन उस वक़्त जानवरों पर परीक्षण करने वाला चरण छोड़ दिया गया था।
- पिछले कुछ दिनों में सीएसआईआरओ की टीम ने इस वैक्सीन को गंधबिलाव (नेवले की जाति का एक जानवर) पर टेस्ट किया था जहाँ वैक्सीन परीक्षण सफल रहा है। यह साबित हो चुका है कि गंधबिलाव में इंसानों की तरह ही कोरोना वायरस का संक्रमण होता है।
- अगर नतीजे सही आते हैं तो वैक्सीन को क्लीनिकल परीक्षण के लिए भेजा जा सकता है। इसके बाद से मार्केट में इसके आने की प्रक्रिया तेज़ हो सकती है लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि कम से कम 12-18 महीने का वक़्त इसके बाद भी दूसरी प्रक्रियाओं में लग सकते हैं।
सीएसआईआरओ की टीम दो वैक्सीन पर काम कर रही है –
- i) पहला वेक्टर वैक्सीन है जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित किया गया है। इसमें कोरोना वायरस के प्रोटीन को इम्युन सिस्टम में डालने के लिए ‘डिफ़ेक्टिव’ वायरस का इस्तेमाल किया जाता है और फिर इससे होने वाले प्रभावों परीक्षण किया जाता है। इम्युन सिस्टम में डाला गया वायरस अपनी प्रतिलिपि नहीं तैयार करता है इसलिए इस वैक्सीन से बीमार पड़ने की संभावना नहीं है।
- ii) दूसरा वैक्सीन अमरीकी कंपनी इनोविओ फर्मास्युटिकल्स ने तैयार किया है यह इम्युन सिस्टम में कोरोना वायरस के कुछ प्रोटीन को इनकोड करता है और फिर शरीर की कोशिकाओं को उन प्रोटीन को पैदा करने के लिए उत्प्रेरित करता है।
7. असम में छह तारीख से रेडियो कक्षा मंथ प्रगया कार्यक्रम होगा शुरू
आकाशवाणी का क्षेत्रीय समाचार एकांश गुवाहाटी लॉकडाउन के दौरान छात्रों की सहायता के लिए इस महीने की छह तारीख से रेडियो कक्षा मंथ प्रगया कार्यक्रम शुरू करेगा।
- रेडियो लर्निंग कार्यक्रम असम और राज्य शिक्षा अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद सर्व शिक्षा अभियान के सहयोग से सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को पांच बजकर 45 मिनट पर प्रसारित किया जाय़ेगा।
- इसके अंतर्गत कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी, असमी, समाजिक विज्ञान और विज्ञान पर चर्चा की जाएगी। आकाशवाणी की क्षेत्रीय समाचार इकाई गुवाहाटी फेक्ट चेक कार्यक्रम प्रतिरोध रोजना एक बजकर 30 मिनट पर प्रसारित कर रहा है।
8. उत्तर कोरिया का दावा, वह कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त
उत्तर कोरिया के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने दावा किया कि उनका देश कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह मुक्त है। उत्तर कोरिया ने यह दावा ऐसे समय में किया है जब दुनियाभर में संक्रमण के मामले करीब दस लाख पहुंच गए हैं।
- पहले से ही अलग-थलग परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया ने चीन में संक्रमण के मामले आने के तुरंत बाद जनवरी में अपनी सीमाएं बंद कर दी थी और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए थे।
- उत्तर कोरिया के केंद्रीय आपात महामारी रोधी मुख्यालय के महामारी रोधी विभाग के निदेशक पाक म्योंग सु ने दावा किया कि देश के प्रयास पूरी तरह सफल रहे और हमारे देश में अभी तक एक भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है।
- उन्होंने आगे कहा कि ‘‘हमने हमारे देश में प्रवेश करने वाले सभी कर्मियों को पृथक करने तथा सभी वस्तुओं को संक्रमण मुक्त करने के साथ ही सीमाओं को बंद करने तथा समुद्र और हवाई मार्ग को बंद करने जैसे कदम उठाए।’’
- हालांकि यह दावा कितना सत्य है इस पर संदेह जरूर किया जा सकता है क्योंकि विशेषज्ञों ने भी कहा है कि उत्तर कोरिया विशेष रूप से चिकित्सा प्रणाली में काफी कमजोर है ऐसे में यह दावा शंका जरूर पैदा करता है।
9. डकवर्थ लुईस के कारण चर्चित रहे लुईस का निधन
सीमित ओवरों की क्रिकेट में बारिश से प्रभावित मैचों के लिये डकवर्थ-लुईस-स्टर्न विधि तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले टोनी लुईस का निधन हो गया है। वह 78 साल के थे।
- टोनी ने अपने साथी गणितिज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर डकवर्थ लुईस विधि तैयार की थी जिसे 1997 में पेश किया गया और आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) ने 1999 में आधिकारिक तौर पर इसे अपनाया था।
- इस विधि को 2014 में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न विधि नाम दिया गया था। यह गणितीय फार्मूला अब भी दुनिया भर में बारिश से प्रभावित सीमित ओवरों के क्रिकेट मैचों में उपयोग किया जाता है।
- लुईस क्रिकेटर नहीं थे लेकिन उन्हें क्रिकेट और गणित में अपने योगदान के लिये 2010 में ब्रिटिश साम्राज्य के विशिष्ट सम्मान एमबीई (Member of the Most Excellent Order of the British Empire) से सम्मानित किया गया था।
10. टोक्यो ओलंपिक के नए शेड्यूल का ऐलान
- इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने टोक्यो में अगले साल होने वाले आयोजन के लिए नई तारीखों का ऐलान कर दिया है। ओलंपिक खेलों का आयोजन वर्ष 2021 में 23 जुलाई से 8 अगस्त के बीच होगा।
- वहीं पैरालंपिक गेम्स का आयोजन 24 अगस्त से 5 सितंबर 2021 के बीच होगा। इससे पहले खेलों का आयोजन 2020 में 24 जुलाई से 9 अगस्त के बीच होना था। लेकिन कोरोना वायरस के चलते खेलों को एक साल के लिए टाल दिया गया था।
- पिछले हफ्ते इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने ओलंपिक खेलों को टाले जाने का ऐलान किया था। जापान के पीएम शिंजो आबे ने ओलंपिक खेलों को टाले जाने की सिफारिश ओलंपिक कमेटी को की थी। पीएम की सिफारिश को मानते हुए ओलंपिक कमेटी ने खेलों को एक साल के लिए टालने का फैसला किया था।
इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी
- अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लुसाने में स्थित है। इसकी स्थापना पियरे डे कोबेर्टिन ने 23 जून 1894 को कि थी तथा यूनानी देमित्रिस विकेलस इसके प्रथम अध्यक्ष बने थे। वर्तमान समय में विश्व की कुल 206 राष्ट्रीय ओलम्पिक समितिया (एनओसी) इसकी सदस्य हैं और थॉमस बाक़ इसके अध्यक्ष हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्य कार्य ओलंपिक आंदोलन को बढ़ावा देना और ओलंपिक आंदोलन का नेतृत्व करना है।