पानी से भरी बोतल के मुँह पर सर टॉर्च की रोशनी पानी पर सीधी फेंकने से पानी चमकने लगता है तथा बाहर दीवार पर कुछ अँधेरा सा नज़र आता है इसका कारण प्रकाश का पूर्ण आतंरिक परावर्तन है अर्थात बोतल के अन्दर ही अन्दर घूमता रहता है। किन्तु वैसे ही बोतल के पानी में दूध मिलाते है तो टॉर्च की रोशनी पानी में निलम्बन की स्थिति में तैरते दूध के अणुओं से टकरा कर परावर्तित होती है और काँच से होती हुई बोतल के बाहर भी वैसे ही चमक पैदा कर देती है जैसी की अन्दर।
प्रकाश के ठीक नीचे रखा पानी दूध की कुछ बुँदे पड़ते ही क्यों चमक उठता है?
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