जब ट्यूब लाइट को जलाया जाता है तो एक ख़ास तरह की आवाज आती है और यह आवाज एक निश्चित समयान्तर से बढ़ती जाती है क्योंकि प्रत्येक ट्यूब लाइट में चौक का प्रयोग किया जाता है।चाक छोटी-छोटी स्टील की प्लेटों की बनी होती है। ये प्लेटें एक के ऊपर एक इस तरह से रखी जाती है कि इनके बीच कुचालक पदार्थ या माध्यम डाला जा सके। काफी समय तक जब ट्यूब लाइट जल चुकी होती है तो कुचालक पदार्थ काला पड़ जाता है और प्लेटों के बंध ढ़ीले पड़ जाते हैं। जब प्रयावर्ती धारा बहती है तो उसमें कम्पन्न उत्पन्न होने लगती है तथा ट्यूब लाइट के चलाने पर आवाज आने लगती है, जो समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। यह आवाज और भी तेज़ सुनाई देती है। जब प्रतयावर्ती धारा की आवृति चाक में लगी प्लेटों के कम्प्न्नों से उत्पन्न तरंग की आवृति से मेल खाने लगती है। ऐसा अनुनाद होने से आवाज होती है।
जलने पर ट्यूब लाइट से आवाज क्यों आती है?
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