जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं। समुद्री तरंगें समुद्र तट से दूर संकेन्द्रीय वृत्तों के रूप में उत्पन्न होती हैं। ये तरंगें फैलती हुई जब समुद्र तट पर पहुँचती हैं तो इनकी वक्रता-त्रिज्या इतनी अधिक हो जाती है कि इन्हें समतल तरंगें (plane waves) माना जा सकता है। अतः समुद्री तरंगें समुद्री तट से लम्बवत टकराती हैं।
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