धातु का टुकड़ा ऊष्मा का सुचालक होता है। वह हाथ से ऊष्मा लेकर शीघ्र ही अपने अन्दर फैला देता है। इसलिए हमें ठण्ड लगती है। इसके विपरीत लकड़ी का टुकड़ा ऊष्मा का कुचालक होता है। वह हाथ से ऊष्मा उतनी शीघ्रता से नहीं ले पाता| अतः लकड़ी का टुकड़ा ठण्डा प्रतीत नहीं होता है|
शीत ऋतु में उँगली से धातु के टुकड़े को छूने पर वह ठंडा लगता है जबकि लकड़ी का टुकड़ा नहीं,क्यों?
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