प्राप्ति (Occurrence):यूरेनियम एक दुर्लभ तत्व है। यह प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। इसके सभी खनिज रेडियोसक्रियता का गुण प्रदर्शित करते हैं। भारत में यूरेनियम का सर्वाधिक उत्पादन झारखण्ड राज्य में होता है।
यूरेनियम का निष्कर्षण:यूरेनियम धातु का निष्कर्षण मुख्यतः उसके अयस्कपिचब्लैंडसे किया जाता है।
यूरनियम के भौतिक गुण(Physical Properties of Uranium):यह चमकदार (Lustrous) सफेद धातु है। यह आघातवर्ध्य और बहुत तन्य होता है, लेकिन अशुद्ध धातु भंगुर होता है। यह काफी रेडियोसक्रिय होता है। यह पारामैग्नेटिक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 19.05, द्रवणांक 1850°C तथा क्वथनांक 3500°C होता है।
यूरेनियम का उपयोग:(i) यूरेनियम कार्बाइड का उपयोग हैबर विधि में अमोनिया के उत्पादन में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है। (ii) यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। (iii) इसका उपयोग अनेक मिश्रधातुओं के निर्माण में होता है। (iv) इसका उपयोग गैस विसर्जन उपकरण (Gas Discharge Device) में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है। (v) यूरेनियम के नाइट्रेट, क्लोराइड और सेलिसायलेट का उपयोग दवाई निर्माण में होता है। (vi) यूरेनियम के नाइट्रेट तथा एसीटेट का उपयोग फोटोग्राफी में होता है। (vii) अपने नाभिकीय विखण्डन की क्षमता के कारण ही नाभिकीय आयुधास्त्रों के निर्माण में इसका प्रयोग किया जाता है।
यूरेनियम के समस्थानिक (Isotopes of Uranium):यूरेनियम के तीन समस्थानिक है-
(i)92U234(ii)92U235तथा (iii)92U238
प्रकृति में सर्वाधिक मात्रा में92U238पाया जाता है। 99.28%, जबकि92U2350.71% तथा92U234मात्र 0.006% ही पाया जाता है।
यूरेनियम के समस्थानिक92U235का उपयोग परमाणु भट्टी (Atomic Reactor) में ईधन के रूप में होता है। यूरेनियम का समस्थानिक92U238रेडियोसक्रियता प्रदर्शित नहीं करता है।
नोट:यूरेनियम को आशा धातु (Metal of Hope) कहा जाता है।
प्लूटोनियम
प्लूटोनियम एक भारी रेडियोसक्रिय तत्व (धातु) है। यह एक्टीनाइड (Actinide) श्रेणी का सदस्य है। इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है। विश्व के समस्त नाभिकीय रिएक्टरों से प्रतिवर्ष प्राप्त 20 टन प्लूटोनियम का उपयोग नाभिकीय अस्त्रों तथा रिएक्टरों के निर्माण में किया जाता है। जापान के दो नगरों हीरोशिमा तथा नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बमों में प्लूटोनियम का ही उपयोग किया गया था।
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