काँच के गिलास में जब गर्म चाय डाली जाती है,तो गिलास की भीतरी सतह गरम होकर प्रसारित हो जाती है। चूँकि गिलास ऊष्मा का कुचालक है, गिलास के भीतर की ऊष्मा बाहरी सतह तक नहीं पहुँच पाती जिससे बाहरी सतह का प्रसार नहीं हो पाता। अतः अन्दर और बाहर की सतह का असमान प्रसार होने के कारण गिलास टूट जाता है।
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