जब कीप से पानी डाला जाता है तो पानी बोतल के अन्दर प्रवेश करके इसे भरना शुरू कर देता है, जिससे बोतल में मौजूद हवा पर दबाव पड़ता है क्योंकि इस हवा को आसानी से बाहर निकलने के लिये कोई खुला रास्ता नहीं मिलता है। बोतल के मुँह पर कीप इस तरह रखी होती है कि उसका मुँह लगभग पूरी तरह ढक जाता है। फिर भी यह जोड़ वायुरुद्ध तो है नहीं अतः हवा को बाहर निकलने के लिये कुछ न कुछ जगह मिल ही जाती है और जिस गति से यह बाहर निकलती है बोतल में पानी भरने की गति भी वही होती है। इसलिए जब कीप को थोड़ा ऊँचा किया जाता है तो अन्दर की हवा का बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह खुल जाता है और तब पानी हवा को बिना रुकावट तेजी से बाहर ढ़केल कर बोतल में अपने लिये जगह बनाता जाता है।