पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार पृथ्वी की खुदाई के फलस्वरूप प्राप्त प्राचीन कंकालों के अवशेषों की आयु कार्बन काल निर्धारण(कार्बन डेटिंग) द्वारा ज्ञात कर लेते हैं। कार्बन काल निर्धारण में प्राणी व वनस्पति में कार्बन का जीवित अवस्था में जितना विघटन होता है उतना ही वायुमंडल से ग्रहण भी करता है अर्थात प्राणियों तथा वनस्पतियों में जीवित अवस्था में कार्बन-14 का अनुपात स्थिर रहता है, परन्तु जब प्राणी मर जाता है तब उसमें विद्यमान रेडियो कार्बन-14 का विघटन तो निरंतर होता रहता है। परन्तु वायु मंडल से ग्रहण नहीं करता है। इस तरह कार्बन-14 की मात्रा का पता लगाकर आयु निर्धारण किया जाता है।
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