कुछ अभिक्रियायें ऐसी होती है जो पूर्ण होने में वातावरण से ऊष्मा-ग्रहण करती है ऐसी अभिक्रियाओं को ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते है। यह अभिक्रिया भी ऊष्माशोषी अभिक्रिया है अर्थात विलयन ने वातावरण से ऊष्मा ग्रहण कर ली है, ऊष्मा का अवशोषण कर लिया है यही कारण है कि शोरे या नौसादर को एक परखनली में जल के साथ क्रिया कराने पर परखनली को छूने पर ठंडी लगती है।
थोड़े से शोरे या नौसादर को एक परखनली में जल के साथ घोलने पर परखनली को छूने पर ठंडी क्यों लगती है?
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