दोनों आँखों से किसी वस्तु के देखने पर उसकी दुरी व सीध दोनों का पता चलता है, लेकिन दुरी का जितना सही अंदाजा लगता है उतना सीधा का नहीं। अतः सीध का सही अंदाजा एक आँख से ही लग सकता है यानि की दोनों आँखे खुली रखने पर लक्ष्य व दुरी दोनों को एक साथ केन्द्रित नहीं किया जा सकता है।